पंजाब में जिस तरह के लोकसभा चुनाव के नतीजे आए हैं, उसने सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के सामने कई नए चैलेंज खड़े कर दिए हैं। क्योंकि करीब ढाई साल पहले 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटें जीतकर AAP राज्य की सत्ता पर काबिज हुई थी। लेकिन इन चुनावों में लोगों ने उसे सिरे से खारिज कर दिया है। चुनावी दंगल में उतरे AAP के पांच मंत्रियों और तीन विधायकों में से एक चुनाव जीत पाया है। 54 विधानसभा हलकों में पार्टी को हार मिली है। ऐसे में पार्टी की आगे की राह आसान नहीं है। हालांकि फ्री बिजली और किसानों से जुड़े कुछ फैसले लेने से पार्टी अपना वोट बैंक 26 फीसदी तक बचाने में कामयाब रही है। हालांकि अब सरकार को एक के बाद चुनाव का सामना करना पड़ेगा। वहीं, अब विपक्षी दल संख्या भले ही कम हो, लेकिन आक्रमक रहेंगे। वहीं, अगर AAP ने सत्ता में आने वाले से पहले गारंटियां लोगों को दी तो थी, वह पूरी नहीं की तो साल 2027 विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को मुश्किल उठानी पडे़गी। यह रहे AAP के मंत्रियों के हाल संगरूर में 1.72 लाख मतों से जीते आप की तरफ से संगरूर लोकसभा हलके से मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर को चुनावी मैदान में उतारा गया था। उन्होंने 3.64 लाख मत हासिल किए हैं। जबकि उनके मुकाबले में खड़े सुखपाल सिंह खैहरा को 1.72 लाख मतों से हराया। 2014 से यहां आप पहली बार जीती थी, 2019 में भी पार्टी ने सीट जीती थी। लेकिन जब भगवंत मान ने मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने यह सीट छोड़ी दी थी। उसके बाद यहां पर हुए उप चुनाव में पार्टी को हार मिली थी। लोगों से दूरी पड़ गई भारी पटियाला से डॉ. बलबीर सिंह को AAP ने उम्मीदवार बनाया था। लेकिन उन्हें भी हार का मुंह देखना पड़ा। वह दूसरे नंबर पर रहे हैं। जानकारों की माने तो इस इलाके में उनके हारने के कई कारण थे। एक तो इस लोकसभा के अधीन आने वाले हलकों के विधायकों से लोग खुश नहीं है। महिलाओं को हजार रुपए न देने वाली गारंटी का असर भी दिखा है। इसके अलावा मंत्री बनने के बाद उनका लोगों से सीधा संपर्क टूट गया था। अपने हलके तक ही रह गए सीमित आप की तरफ से तेज तर्रार मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल को अमृतसर से मैदान में उतारा गया था। लेकिन यहां भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। जबकि उनकी चुनावी कैंपेन का धार देने खुद आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पहुंचे थे। इस हलके में हार की वजह धालीवाल का प्रभाव अपने एरिया तक सीमित था। कई हलकों के विधायक ज्यादा एक्टिव नहीं थे। नशा और बॉर्डर का इश्यू बढ़ा है। इस वजह से भी पार्टी को नुकसान हुआ है। कुछ नेता पार्टी से जुड़े उससे पार्टी का वोट शेयर बढ़ा है। जिस सीट से विधायक बने, वहां ही हार गए मंत्री गुमरीत सिंह खुड़ियां को आप ने बठिंडा लोकसभा हलके से उम्मीदवार बनाया था। लेकिन जिस उम्मीद के साथ उन्हें पार्टी ने मैदान में उतारा था। उस हिसाब से रिजल्ट नहीं आए। हालांकि इस सीट पर सीएम ने पूरी ताकत लगाई। लगातार दो से तीन वह वहां रहे थे। लेकिन नतीजा यह रहा कि जिस लंबी सीट से वह पूर्व मुख्यमंत्री स्व. प्रकाश सिंह बादल को हराकर विधानसभा पहुंचे थे। उस सीट से उन्हें 23264 मतों से हार मिली है। इसके पीछे किसानों की फसलों काे हुए नुकसान का उचित मुआवजा नहीं मिला इस इलाके में भी उचित तरीके से विकास नहीं हुआ। वहीं, सरकार की गारंटियां पूरी न होने का असर भी दिखा। ढाई साल में ही सत्ता विरोधी लहर दिखी। पंथक मुद्दे पड़ गए भारी खडूर साहिब में लोकसभा हलके में आप के परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर चुनावी मैदान में थे। यहां पर पर पार्टी तीसरे नंबर पर रही। हलके में पार्टी की हार की वजह है कि पार्टी के उम्मीदवारों को विधायकों का साथ नहीं मिला। वहीं, पंथक मुद्दे भी भारी रहे हैं। ढाई साल में पार्टी इन मुद्दों पर कुछ नहीं कर पाई। जबकि लोगों ने बड़े विश्वास से इस पार्टी को मौका दिया था। इस वजह से भी पार्टी को नुकसान हुआ है। जहां दूसरी पार्टियों से आए नेता मैदान में उतारे गए फतेहगढ़ साहिब में जीपी पिछड़े भले ही आप प्रचंड बहुमत से पंजाब की सत्ता पर काबिज हुई थी। लेकिन पार्टी के पास चेहरों की की कमी थी। दूसरी लाइन का कोई नेता तैयार नहीं हुआ है। ऐसे में चुनाव घोषित होने पर दूसरी पार्टियों से चेहरे लाकर उम्मीदवार बनाए गए है। फतेहगढ़ साहिब में कांग्रेस के बस्सी पठाना से पूर्व विधायक रहे गुरप्रीत सिंह जीपी को उतारा था। लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़। उन्हें 297439 वोट मिले, जबकि वहां से 331326 वोट लेकर कांग्रेस के अमर सिंह विजयी रहे। यहां पार्टी के अंदर मनमुटाव व कांग्रेस की एकजुटता की कमी रही है। कांग्रेस को प्रियंका गांधी की रैली का फायदा मिला। जालंधर में पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंची इसी तरह जालंधर से आप के उम्मीदवार व पूर्व सांसद भाजपा में शामिल हो गए तो उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के नेता पवन कुमार टीनू को जालंधर से उम्मीदवार बनाया। लेकिन उन्हें भी हार का मुंह देखना पड़ा। वह वहां पर तीसरे नंबर पर रहे है। उनके लिए सीएम भगवंत मान और आप सुप्रीमों ने प्रोग्राम किए थे। होशियारपुर में मिली जीत होशियारपुर में आप की तरफ से कांग्रेस के विधायक राज कुमार चब्बेवाल को चुनावी मैदान में उतारा गया। वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे है। वह इलाके में बड़े दलित नेताओं में गिने जाते है। उन्होंने 302402 वोट हासिल किए हैं। चुनौतियां सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के लिए अब पांच बड़ी चुनौतियां है। जिनका उन्हें सामना करना पडे़गा। हालांकि पार्टी का थिंक टैंक भी इससे निपटने की रणनीति बनाने में जुट गया है। आइए जानते है इन चुनौतियों को पंचायत चुनाव पंजाब में जनवरी में 13 हजार पंचायतों का कार्यकाल पूरा हाे चुका है। इस समय अफसरों को ही पंचायतों का प्रबंधकीय अफसर लगाया गया है। ऐसे में यह चुनाव सबसे बड़ी चुनौती है। क्योंकि पार्टी को केवल 34 हलकों में लीड मिली है। पांच नगर निगमों के चुनाव पांच नगर निगमों के चुनाव भी अब सरकार को करवाने होंगे। यह मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचा है। जनवरी 2023 से पांच नगर निगमों का कार्यकाल संपन्न है। वहीं, इस लोकसभा चुनाव नतीजों ने पार्टी के सामने नई स्थिति पैदा कर दी है। क्योंकि सभी शहरी एरिया में भाजपा में आगे रही है। जिन नगर निगमों के चुनाव होने है। उनमें लुधियाना, जालंधर, फगबाड़ा, अमृतसर और पटियाला शामिल है। पांच विधानसभा सीटों पर उप चुनाव पंजाब की पांच विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने है। इनमें बरनाला से गुरमीत सिंह मीत हेयर की सीट है। क्योंकि वह संगरूर से लोकसभा के लिए चुने गए हैं। इसी तरह राज कुमार चब्बेवाल होशियारपुर से सांसद चुने गए हैं। उनकी चब्बेवाल सीट पर उप चुनाव होगा। गिदड्बाहा से विधायक व कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग अब लुधियाना के सांसद बन गए हैं। ऐसे में उनकी सीट पर भी चुनाव होगा। इसी तरह डेरा बाबा नानक सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा गुरदासपुर लोसकभा हलके से सांसद बने हैं। उनकी सीट पर उप चुनाव होंगे। जबकि जालंधर वेस्ट के विधायक शीतल अंगुराल ने इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में उनकी सीट पर भी उप चुनाव होगा। गारंटियां पूरी करना चुनौती सरकार ने महिलाओं को हजार रुपये की गारंटी दी है। यह गांरटी बहुत बड़ी है। इस चुनाव में सभी दलों ने आप को इसी चीज पर घेरा था। इसे शर्त को उन्हें हर हाल में पूरा करना होगा। वरना यह मुसीबत बनेगी। इसके अलावा अभी कानून व्यवस्था व नशे का मुद्दा भी प्रमुख रहेगा। RDF की राशि लाना चुनौती सरकार के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती रूरल डेवलपमेंट फंड (आरडीएफ) को लाने की है। क्योंकि केंद्र अब दोबारा भाजपा की सरकार आ गई है। जबकि इस मामले में केंद्र पहले साफ कर चुका है कि वह नियमों के मुताबिक ही अदायगी करेगा। यदि पैसे नहीं आते है तो गांवों में विकास प्रभावित होगा। इसके अलावा अभी तक प्लॉटों की एनओसी, राशन कार्ड समेत कई मामले चुनौती बने हुए है। क्या कहते हैं माहिर गारंटी पूरी न होने से मोह हुआ भंग राजनीतिक माहिर व सीनियर पत्रकार करमजीत सिंह चिल्ला का मानना हैं कि लोगों का सरकार से मोह भंग होने की मुख्य वजह है जो गारंटियां चुनाव से पहले दी गई थी, सरकार ने वह पूरी नहीं की है। सबसे बड़ी बात महिलाओं का हजार रुपए देने वाली बात थी। इसका पूरा असर चुनाव में पड़ा है। इसके अलावा नशा, कानूनी व्यवस्था व सेहत सुविधाओं आदि भी इसके लिए जिम्मेदार है। जहां तक आने वाला समय अब सरकार के लिए चुनौतियां भरा रहेगा। अब हर दल उन्हें घेरने की कोशिश करेगा। विधायकों के पास नहीं थी कोई पावर राजनीतिक माहिर व सीनियर पत्रकार कुलदीप सिंह मानते हैं कि इस चुनाव में आप के हारने की कई वजह थी। सारी कमान सीएम के हाथ में थी। किसी को कुछ समझा नहीं गया। विधायकों व मंत्रियों के पास कोई पावर नहीं है। उनके काम तक नहीं हुए। वह हलकों में अपने स्तर पर कुछ नहीं करवा सकते हैं। पार्टी के वालंटियरों से तालमेल नहीं रखा गया। इस वजह से भी पार्टी को नुकसान हुआ है। इसके अलावा कुछ नेता बिल्कुल भी सक्रिय नहीं है। वहीं, चुनावी गारंटियां पूरी न करने से भी पार्टी काे नुकसान हुआ है। उनका मानना है कि स्थिति यही रही तो आगे भी नुकसान उठाना पडे़गा। पंजाब में जिस तरह के लोकसभा चुनाव के नतीजे आए हैं, उसने सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के सामने कई नए चैलेंज खड़े कर दिए हैं। क्योंकि करीब ढाई साल पहले 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटें जीतकर AAP राज्य की सत्ता पर काबिज हुई थी। लेकिन इन चुनावों में लोगों ने उसे सिरे से खारिज कर दिया है। चुनावी दंगल में उतरे AAP के पांच मंत्रियों और तीन विधायकों में से एक चुनाव जीत पाया है। 54 विधानसभा हलकों में पार्टी को हार मिली है। ऐसे में पार्टी की आगे की राह आसान नहीं है। हालांकि फ्री बिजली और किसानों से जुड़े कुछ फैसले लेने से पार्टी अपना वोट बैंक 26 फीसदी तक बचाने में कामयाब रही है। हालांकि अब सरकार को एक के बाद चुनाव का सामना करना पड़ेगा। वहीं, अब विपक्षी दल संख्या भले ही कम हो, लेकिन आक्रमक रहेंगे। वहीं, अगर AAP ने सत्ता में आने वाले से पहले गारंटियां लोगों को दी तो थी, वह पूरी नहीं की तो साल 2027 विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को मुश्किल उठानी पडे़गी। यह रहे AAP के मंत्रियों के हाल संगरूर में 1.72 लाख मतों से जीते आप की तरफ से संगरूर लोकसभा हलके से मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर को चुनावी मैदान में उतारा गया था। उन्होंने 3.64 लाख मत हासिल किए हैं। जबकि उनके मुकाबले में खड़े सुखपाल सिंह खैहरा को 1.72 लाख मतों से हराया। 2014 से यहां आप पहली बार जीती थी, 2019 में भी पार्टी ने सीट जीती थी। लेकिन जब भगवंत मान ने मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने यह सीट छोड़ी दी थी। उसके बाद यहां पर हुए उप चुनाव में पार्टी को हार मिली थी। लोगों से दूरी पड़ गई भारी पटियाला से डॉ. बलबीर सिंह को AAP ने उम्मीदवार बनाया था। लेकिन उन्हें भी हार का मुंह देखना पड़ा। वह दूसरे नंबर पर रहे हैं। जानकारों की माने तो इस इलाके में उनके हारने के कई कारण थे। एक तो इस लोकसभा के अधीन आने वाले हलकों के विधायकों से लोग खुश नहीं है। महिलाओं को हजार रुपए न देने वाली गारंटी का असर भी दिखा है। इसके अलावा मंत्री बनने के बाद उनका लोगों से सीधा संपर्क टूट गया था। अपने हलके तक ही रह गए सीमित आप की तरफ से तेज तर्रार मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल को अमृतसर से मैदान में उतारा गया था। लेकिन यहां भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। जबकि उनकी चुनावी कैंपेन का धार देने खुद आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पहुंचे थे। इस हलके में हार की वजह धालीवाल का प्रभाव अपने एरिया तक सीमित था। कई हलकों के विधायक ज्यादा एक्टिव नहीं थे। नशा और बॉर्डर का इश्यू बढ़ा है। इस वजह से भी पार्टी को नुकसान हुआ है। कुछ नेता पार्टी से जुड़े उससे पार्टी का वोट शेयर बढ़ा है। जिस सीट से विधायक बने, वहां ही हार गए मंत्री गुमरीत सिंह खुड़ियां को आप ने बठिंडा लोकसभा हलके से उम्मीदवार बनाया था। लेकिन जिस उम्मीद के साथ उन्हें पार्टी ने मैदान में उतारा था। उस हिसाब से रिजल्ट नहीं आए। हालांकि इस सीट पर सीएम ने पूरी ताकत लगाई। लगातार दो से तीन वह वहां रहे थे। लेकिन नतीजा यह रहा कि जिस लंबी सीट से वह पूर्व मुख्यमंत्री स्व. प्रकाश सिंह बादल को हराकर विधानसभा पहुंचे थे। उस सीट से उन्हें 23264 मतों से हार मिली है। इसके पीछे किसानों की फसलों काे हुए नुकसान का उचित मुआवजा नहीं मिला इस इलाके में भी उचित तरीके से विकास नहीं हुआ। वहीं, सरकार की गारंटियां पूरी न होने का असर भी दिखा। ढाई साल में ही सत्ता विरोधी लहर दिखी। पंथक मुद्दे पड़ गए भारी खडूर साहिब में लोकसभा हलके में आप के परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर चुनावी मैदान में थे। यहां पर पर पार्टी तीसरे नंबर पर रही। हलके में पार्टी की हार की वजह है कि पार्टी के उम्मीदवारों को विधायकों का साथ नहीं मिला। वहीं, पंथक मुद्दे भी भारी रहे हैं। ढाई साल में पार्टी इन मुद्दों पर कुछ नहीं कर पाई। जबकि लोगों ने बड़े विश्वास से इस पार्टी को मौका दिया था। इस वजह से भी पार्टी को नुकसान हुआ है। जहां दूसरी पार्टियों से आए नेता मैदान में उतारे गए फतेहगढ़ साहिब में जीपी पिछड़े भले ही आप प्रचंड बहुमत से पंजाब की सत्ता पर काबिज हुई थी। लेकिन पार्टी के पास चेहरों की की कमी थी। दूसरी लाइन का कोई नेता तैयार नहीं हुआ है। ऐसे में चुनाव घोषित होने पर दूसरी पार्टियों से चेहरे लाकर उम्मीदवार बनाए गए है। फतेहगढ़ साहिब में कांग्रेस के बस्सी पठाना से पूर्व विधायक रहे गुरप्रीत सिंह जीपी को उतारा था। लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़। उन्हें 297439 वोट मिले, जबकि वहां से 331326 वोट लेकर कांग्रेस के अमर सिंह विजयी रहे। यहां पार्टी के अंदर मनमुटाव व कांग्रेस की एकजुटता की कमी रही है। कांग्रेस को प्रियंका गांधी की रैली का फायदा मिला। जालंधर में पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंची इसी तरह जालंधर से आप के उम्मीदवार व पूर्व सांसद भाजपा में शामिल हो गए तो उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के नेता पवन कुमार टीनू को जालंधर से उम्मीदवार बनाया। लेकिन उन्हें भी हार का मुंह देखना पड़ा। वह वहां पर तीसरे नंबर पर रहे है। उनके लिए सीएम भगवंत मान और आप सुप्रीमों ने प्रोग्राम किए थे। होशियारपुर में मिली जीत होशियारपुर में आप की तरफ से कांग्रेस के विधायक राज कुमार चब्बेवाल को चुनावी मैदान में उतारा गया। वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे है। वह इलाके में बड़े दलित नेताओं में गिने जाते है। उन्होंने 302402 वोट हासिल किए हैं। चुनौतियां सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के लिए अब पांच बड़ी चुनौतियां है। जिनका उन्हें सामना करना पडे़गा। हालांकि पार्टी का थिंक टैंक भी इससे निपटने की रणनीति बनाने में जुट गया है। आइए जानते है इन चुनौतियों को पंचायत चुनाव पंजाब में जनवरी में 13 हजार पंचायतों का कार्यकाल पूरा हाे चुका है। इस समय अफसरों को ही पंचायतों का प्रबंधकीय अफसर लगाया गया है। ऐसे में यह चुनाव सबसे बड़ी चुनौती है। क्योंकि पार्टी को केवल 34 हलकों में लीड मिली है। पांच नगर निगमों के चुनाव पांच नगर निगमों के चुनाव भी अब सरकार को करवाने होंगे। यह मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचा है। जनवरी 2023 से पांच नगर निगमों का कार्यकाल संपन्न है। वहीं, इस लोकसभा चुनाव नतीजों ने पार्टी के सामने नई स्थिति पैदा कर दी है। क्योंकि सभी शहरी एरिया में भाजपा में आगे रही है। जिन नगर निगमों के चुनाव होने है। उनमें लुधियाना, जालंधर, फगबाड़ा, अमृतसर और पटियाला शामिल है। पांच विधानसभा सीटों पर उप चुनाव पंजाब की पांच विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने है। इनमें बरनाला से गुरमीत सिंह मीत हेयर की सीट है। क्योंकि वह संगरूर से लोकसभा के लिए चुने गए हैं। इसी तरह राज कुमार चब्बेवाल होशियारपुर से सांसद चुने गए हैं। उनकी चब्बेवाल सीट पर उप चुनाव होगा। गिदड्बाहा से विधायक व कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग अब लुधियाना के सांसद बन गए हैं। ऐसे में उनकी सीट पर भी चुनाव होगा। इसी तरह डेरा बाबा नानक सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा गुरदासपुर लोसकभा हलके से सांसद बने हैं। उनकी सीट पर उप चुनाव होंगे। जबकि जालंधर वेस्ट के विधायक शीतल अंगुराल ने इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में उनकी सीट पर भी उप चुनाव होगा। गारंटियां पूरी करना चुनौती सरकार ने महिलाओं को हजार रुपये की गारंटी दी है। यह गांरटी बहुत बड़ी है। इस चुनाव में सभी दलों ने आप को इसी चीज पर घेरा था। इसे शर्त को उन्हें हर हाल में पूरा करना होगा। वरना यह मुसीबत बनेगी। इसके अलावा अभी कानून व्यवस्था व नशे का मुद्दा भी प्रमुख रहेगा। RDF की राशि लाना चुनौती सरकार के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती रूरल डेवलपमेंट फंड (आरडीएफ) को लाने की है। क्योंकि केंद्र अब दोबारा भाजपा की सरकार आ गई है। जबकि इस मामले में केंद्र पहले साफ कर चुका है कि वह नियमों के मुताबिक ही अदायगी करेगा। यदि पैसे नहीं आते है तो गांवों में विकास प्रभावित होगा। इसके अलावा अभी तक प्लॉटों की एनओसी, राशन कार्ड समेत कई मामले चुनौती बने हुए है। क्या कहते हैं माहिर गारंटी पूरी न होने से मोह हुआ भंग राजनीतिक माहिर व सीनियर पत्रकार करमजीत सिंह चिल्ला का मानना हैं कि लोगों का सरकार से मोह भंग होने की मुख्य वजह है जो गारंटियां चुनाव से पहले दी गई थी, सरकार ने वह पूरी नहीं की है। सबसे बड़ी बात महिलाओं का हजार रुपए देने वाली बात थी। इसका पूरा असर चुनाव में पड़ा है। इसके अलावा नशा, कानूनी व्यवस्था व सेहत सुविधाओं आदि भी इसके लिए जिम्मेदार है। जहां तक आने वाला समय अब सरकार के लिए चुनौतियां भरा रहेगा। अब हर दल उन्हें घेरने की कोशिश करेगा। विधायकों के पास नहीं थी कोई पावर राजनीतिक माहिर व सीनियर पत्रकार कुलदीप सिंह मानते हैं कि इस चुनाव में आप के हारने की कई वजह थी। सारी कमान सीएम के हाथ में थी। किसी को कुछ समझा नहीं गया। विधायकों व मंत्रियों के पास कोई पावर नहीं है। उनके काम तक नहीं हुए। वह हलकों में अपने स्तर पर कुछ नहीं करवा सकते हैं। पार्टी के वालंटियरों से तालमेल नहीं रखा गया। इस वजह से भी पार्टी को नुकसान हुआ है। इसके अलावा कुछ नेता बिल्कुल भी सक्रिय नहीं है। वहीं, चुनावी गारंटियां पूरी न करने से भी पार्टी काे नुकसान हुआ है। उनका मानना है कि स्थिति यही रही तो आगे भी नुकसान उठाना पडे़गा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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16वें वित्त कमिशन के चेयरमैन पहुंचे अमृतसर:गोल्डन टेंपल में टेका माथा; बैठक में इंडस्ट्रलिस्टों ने स्पेशल पैकेज, अटारी-वाघा से व्यापार की उठी मांग 16वां वित्त कमिशन आज पंजाब में है। बीते दिन चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ बैठक के बाद कमिशन आज अमृतसर में पहुंचा। कमिशन के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया का स्वागत करने के लिए वित्त मंत्री हरपाल चीमा व कैबिनेट मिनिस्टर कुलदीप सिंह धालीवाल पहुंचे। इस दौरान अमृतसर के होटल ताज में इंडस्ट्रलिस्टों के साथ वित्त कमिशन की बैठक भी हुई है। बैठक में पंजाब के कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया और पंजाब की इंडस्ट्री को पुनर्जीवित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की गई। बैठक के बाद कमिशन अध्यक्ष गोल्डन टेंपल माथा टेकने पहुंचे। जिसके बाद कमिशन अटारी बॉर्डर पर रिट्रीट देखने भी गए। बैठक में उठाए गए मुद्दे- पड़ोसी राज्यों की तरह पंजाब को भी दें पैकेज- बैठक में मौजूद इंडस्ट्रलिस्टों के अलावा पंजाब सरकार ने सेक्रेटरी ने भी पड़ोसी राज्यों जम्मू कश्मीर व हिमाचल प्रदेश की तरह पंजाब को भी स्पेशल पैकेज देने की मांग रखी है। उनका कहना है कि पड़ोसी राज्यों में इंडस्ट्री को इनसेंटिव दिए जाते हैं, उसकी लालच में इंडस्ट्री वहां जा रही है। जिससे पंजाब को नुकसान हो रहा है और पंजाब पिछड़ रहा है। बॉर्डर इंडस्ट्री के लिए पैकेज पंजाब का 500 किमी से अधिक हिस्सा पाकिस्तान के साथ लगता है। यहां के युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए बॉर्डर एरिया के लिए स्पेशल पैकेज देना चाहिए। ताकि यहां इंडस्ट्री आ सके और युवाओं को नौकरी मिल सके। 41% की जगह 50% फंड्स स्टेट्स को मिलें इंडस्ट्रलिस्टों ने इस दौरान कमिशन की सिफारिशों पर 41% बजट स्टेट्स को अलॉट किया जाता है, इसे 50% करने की मांग रखी गई है। ताकि स्टेट्स को फायदा मिल सके। इतना ही नहीं, ये भी इंश्योर करना चाहिए कि स्टेट्स उस फंड्स का सही से इस्तेमाल करें। स्मार्ट सिटी 2015 में फंड आए थे, अभी तक 9 साल में फड्स पूरी तरह यूटिलाइज नहीं हो सके। कमिशन को ये इंश्योर करना चाहिए कि फंड्स पूरी तरह से समय पर प्रयोग हों। पंजाब में 2 और AIIMS और सभी जिलों में ESI अस्पतालों की मांग इस दौरान इंडस्ट्रलिस्टों ने पंजाब के लिए दो और AIIMS की मांग उठाई है। अभी तक बठिंड में मात्र एक ही AIIMS है, जबकि जरूरत दो और की है। वहीं, पंजाब में अभी तक एक ही ईएसआई अस्पताल है जो लुधियाना में है। ESI अस्पताल पूरे राज्य के सभी जिलों में होना चाहिए। ज्यूडीशियरी को मजबूत करने की मांग उठी पंजाब में ज्यूडीशियरी को मजबूत करने की मांग रखी गई है। दरअसल, इंडस्ट्रलिस्टों ने कहा कि कोर्ट मं पहुंचे केस कई कई सालों तक लटके रहते हैं। हर कोर्ट में केसों की गिनती इतनी अधिक है कि जजों को निर्णय देने में सालों ले जाते हैं। पैंडेंसी कम करने के लिए ज्यूडीशियरी को मजबूत किया जाना चाहिए। अटारी-वाघा बॉर्डर से व्यापार शुरू करने की मांग इंडस्ट्रलिस्टों ने कहा कि अटारी-वाघा बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार है। सिर्फ व्यापारर को फिर से स्टार्ट करना चाहिए। सरकार को भी रेवेन्यू आएगा और पंजाब को भी इससे फायदा होगा। पुलवामा अटैक के बाद 200% टैक्स का जो फैसला लिया गया था, उसे वापस लेना चाहिए। ताकि डायरेक्ट माल जा सके। अभी व्यापारी को पहले मुम्बई से दुबई और फिर कराची सामान भेजना पड़ता है।
अमृतपाल के साथी राउके ने NSA को दी चुनौती:पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका की दायर, केंद्र सरकार व डिब्रूगढ़ जेल को नोटिस
अमृतपाल के साथी राउके ने NSA को दी चुनौती:पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका की दायर, केंद्र सरकार व डिब्रूगढ़ जेल को नोटिस खालिस्तान समर्थक और खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल सिंह के साथी कुलवंत सिंह राउके ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। साथ ही खुद पर दूसरी बार लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) को चुनौती दी है। उसने खुद पर लगाए NSA को गलत बताया है। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए डिब्रूगढ़ जेल के सुपरिटेंडेंट, केंद्र सरकार और पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई पर उन्हें अपना जवाब दाखिल करना होगा। इससे पहले दलजीत सिंह कलसी समेत कुछ लोगों ने चुनौती है। पहले बिजली निगम में क्लर्क था तैनात कुलवंत सिंह इस मामले में गिरफ्तार होने से पहले पंजाब स्टेट कॉर्पोरेशन में बतौर क्लर्क तैनात था। वह अमृतपाल सिंह का करीबी है। जब 23 फरवरी 2023 को अमृतपाल और उनके समर्थकों द्वारा कथित तौर पर अजनाला पुलिस स्टेशन परिसर हमला करने का केस दर्ज हुआ था। उसके बाद मार्च महीने में उसे गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया था। राउके बरनाला से चुनाव लड़ने की तैयारी में अमृतपाल सिंह के खडूर साहिब से सांसद बनने के बाद उसके साथी भी चुनाव लड़ने की तैयारी में है। कुलवंत सिंह राऊके बरनाला सीट पर होने वाले उप चुनाव में चुनावी दंगल में उतरेंगे। इसका ऐलान कुलवंत सिंह के भाई महासिंह ने 3 महीने पहले किया था। उस समय उन्होंने मीडिया से कहा था कि ‘मैंने शुक्रवार को अपने भाई से फोन पर बात की थी। उसने जेल में रहते हुए बरनाला उप चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हम उसका पूरा समर्थन करेंगे। क्योंकि बरनाला सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) के गुरमीत सिंह मीत हेयर विधायक थे। संगरूर से सांसद बनने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया है। पिता पर भी लगा था NSA राउके के पिता को भी पंजाब के उग्रवाद के दौर में 25 मार्च 1993 को पुलिस ने हिरासत में लिया था। वे कभी घर नहीं लौटे। परिवार का कहना है कि हमें नहीं पता कि उन्हें फर्जी मुठभेड़ में मारा गया या वे अभी भी जीवित हैं। हमारे पास उनकी मौत का कोई सबूत नहीं है। उन्हें पुलिस ले गई और वे कभी वापस नहीं आए। उनके पिता को भी 1987 में NSA के तहत जेल में रखा गया था।