<p>श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास महाराज ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इंद्रेश कुमार के बयान पर प्रतिक्रिया दी है. सत्येंद्र दास ने कहा कि अभिमान नहीं होगया है ऐसा कुछ नहीं है. इंद्रेश जी हिन्दू मुसलमान की एकता के लिए प्रयास करते रहें पर ऐसा हुआ ही नहीं, लेकिन मुस्लिमों ने बीजेपी को वोट दिया ही नहीं. इंद्रेश जी अपनी विफलता का आरोप बीजेपी पर लगा रहे है.</p>
<p>राम मंदिर के पुजारी ने कहाकि 240 सांसद बीजेपी के कम नहीं है. वो अपनी असफलता को बीजेपी पर थोप रहें हैं. बीजेपी ने 500 साल के विवाद को खत्म किया और <a title=”राम मंदिर” href=”https://www.abplive.com/topic/ram-mandir” data-type=”interlinkingkeywords”>राम मंदिर</a> बनवाया. कमी बीजेपी में नहीं इंद्रेश जी की कोशिश में है. अभिमानी नहीं है, वो पीएम मोदी हों या फिर सीएम योगी हों, उनको अभिमानी कहना गलत है.</p> <p>श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास महाराज ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इंद्रेश कुमार के बयान पर प्रतिक्रिया दी है. सत्येंद्र दास ने कहा कि अभिमान नहीं होगया है ऐसा कुछ नहीं है. इंद्रेश जी हिन्दू मुसलमान की एकता के लिए प्रयास करते रहें पर ऐसा हुआ ही नहीं, लेकिन मुस्लिमों ने बीजेपी को वोट दिया ही नहीं. इंद्रेश जी अपनी विफलता का आरोप बीजेपी पर लगा रहे है.</p>
<p>राम मंदिर के पुजारी ने कहाकि 240 सांसद बीजेपी के कम नहीं है. वो अपनी असफलता को बीजेपी पर थोप रहें हैं. बीजेपी ने 500 साल के विवाद को खत्म किया और <a title=”राम मंदिर” href=”https://www.abplive.com/topic/ram-mandir” data-type=”interlinkingkeywords”>राम मंदिर</a> बनवाया. कमी बीजेपी में नहीं इंद्रेश जी की कोशिश में है. अभिमानी नहीं है, वो पीएम मोदी हों या फिर सीएम योगी हों, उनको अभिमानी कहना गलत है.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड अयोध्या से सपा सांसद अवधेश प्रसाद को मारने की तैयारी चल रही है? AAP नेता के दावे ने चौंकाया
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शिमला नगर निगम ने रिस्टोर की पानी की 123 साल पुरानी परियोजना, अब मिल रहा 90 लाख लीटर जल <p style=”text-align: justify;”><strong>Shimla Water Supply:</strong> यूं तो ब्रिटिश शासनकाल के दौरान की बेजोड़ इंजीनियरिंग के उदाहरण शिमला में खूब नजर आते हैं, लेकिन कमाल की बात है कि इन्हें आज सालों बाद भी इस्तेमाल में लाया जा रहा है. शिमला शहर से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर कैचमेंट एरिया में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान एक पानी का टैंक तैयार किया गया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यह टैंक साल 1901 में कमीशन हुआ था. शुरुआत में शिमला शहर की मामूली आबादी के लिए यहीं से पानी की व्यवस्था होती थी. धीरे-धीरे वक्त बीता और शहर में आबादी बढ़ती चली गई. फिर यह टैंक भी वक्त के साथ बंद पड़ गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कैचमेंट एरिया में वॉटर टैंक का साफ पानी</strong><br />अब करीब 123 साल बाद नगर निगम शिमला ने कैचमेंट एरिया में वॉटर टैंक को रिस्टोर कर दिया है. इसे ‘ग्रैविटी वॉटर सप्लाई सेओग’ के नाम से जाना जाता है. यहां 90 लाख लीटर पानी स्टोर किया जा रहा है. इसके साथ ही सेओग वॉटर टैंक से ढली वॉटर टैंक के लिए भी पानी पहुंच रहा है. ढली टैंक में भी 10 लाख लीटर पानी स्टोर हो रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पीने के स्वच्छ पानी को लोगों के घरों तक पहुंचाने के लिए पंपिंग की जरूरत नहीं है. गुरुत्वाकर्षण यानी ग्रैविटी की मदद से ही पानी टैंक तक पहुंच रहा है. नगर निगम का इसमें कोई खर्च नहीं आ रहा. हालांकि यहां सिर्फ बरसात और बर्फबारी के दौरान ही पानी उपलब्ध हो सकता है. चूंकि यहां अपनी प्राकृतिक स्रोतों से जोड़ा गया है. ऐसे में गर्मियों के दौरान यहां पानी मिलाने की संभावना न के बराबर है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पानी के प्राकृतिक चश्मों से मिल रहा साफ पानी</strong><br />नगर निगम शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान ने बताया कि बीते साल यहां अपनी टीम के साथ दौरे पर आए थे. तभी उन्हें इस टैंक के बारे में जानकारी मिली. इसके बाद उन्होंने इसे रिस्टोर करने का काम शुरू करवाया. अब यह वॉटर टैंक पूरी तरह रिस्टोर हो गया है. यहां मरम्मत का काम पूरा किया गया और अब इसमें पानी स्टोर हो रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>टैंक में पहले की तरह अब कोई लीकेज भी नहीं है. यहां से शहर के लोगों को नौ एमएलडी तक पानी पहुंचाया जा सकता है. इसमें नगर निगम का एक रुपये खर्च नहीं हो रहा. यहां करीब 18 प्राकृतिक चश्मे हैं. इनमें नौ को इस टैंक में जोड़ दिया गया है. आने वाले वक्त में अन्य प्राकृतिक चश्मा को ठीक कर पानी के टैंक में जोड़ा जाएगा. नगर निगम शिमला के मेयर ने बताया कि यहां से शहर के बड़ी आबादी को पीने का पानी उपलब्ध हो रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”हिमाचल: कभी सचिवालय के बाहर धक्के, कभी सर्दी में क्रमिक अनशन, चार साल बाद आया JOA-IT 817 का रिजल्ट” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/joa-it-817-result-out-after-four-years-himachal-pradesh-state-selection-commission-himachal-news-ann-2757923″ target=”_blank” rel=”noopener”>हिमाचल: कभी सचिवालय के बाहर धक्के, कभी सर्दी में क्रमिक अनशन, चार साल बाद आया JOA-IT 817 का रिजल्ट</a></strong></p>
53 जिलों में औसत से कम बारिश:यूपी में घट रहा बारिश का आंकड़ा, इस सीजन 10% कमी, जानिए आने वाले दिनों में कैसा रहेगा मौसम
53 जिलों में औसत से कम बारिश:यूपी में घट रहा बारिश का आंकड़ा, इस सीजन 10% कमी, जानिए आने वाले दिनों में कैसा रहेगा मौसम उत्तर प्रदेश में मानसून सक्रिय है। कुछ क्षेत्रों में हल्की तो कुछ इलाकों में भारी बारिश का दौर जारी है। 19 अगस्त तक 53 जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। वहीं 22 जिलों में सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश हुई है। मौसम विभाग ने 23 अगस्त तक का पूर्वानुमान जारी किया है। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में तेज बारिश की संभावना है। अभी तक हुई बारिश की बात की जाए तो पूरे प्रदेश में सामान्य से 10% कम बारिश हुई है। पूरे प्रदेश में मानसून की क्या स्थिति है? आगे क्या होगा? किन जिलों में बाढ़ के हालात है … इन सवालों के जवाब पढ़िए इस रिपोर्ट में – 3-4 दिन में कमजोर हो जाएगा मानसून BHU के मौसम वैज्ञानिक मनोज श्रीवास्तव ने बताया- प्रदेश अब तक 460.3 MM बारिश हुई है। जो कि औसत से सिर्फ 10% कम है। आगे 2 से 3 दिन अच्छी बारिश के संकेत हैं। इसके बाद मानसून कमजोर पड़ सकता है। मानसून ट्रफ लाइन खिसककर फिर से मध्य प्रदेश की ओर से गुजर रही है, इसलिए बारिश अब यूपी के दक्षिण में हो रही है। इस हफ्ते के बाद बारिश में कमी आएगी। पूर्वी उत्तर प्रदेश के 42 जिलों में से 36 में औसत से कम बारिश मौसम विभाग के मुताबिक पूर्वी यूपी के 42 जिलों में से 36 जिलों में अब तक औसत से 12 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। इन जिलों में सबसे कम बारिश फतेहपुर में हुई। यहां औसत से 61 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। कम बारिश वाले जिलों में कानपुर देहात, कानपुर शहर, लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर, जौनपुर सहित अन्य जिले हैं। कानपुर देहात में जहां औसत से 43 फीसदी कम बारिश हुई है, वहीं कानपुर शहर में औसत से 36 फीसदी कम, लखनऊ में औसत से 9 फीसदी कम, प्रयागराज में 23 फीसदी कम और गोरखपुर में 7 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक बारिश बलरामपुर जिले में हुई है। यहां अब तक औसत से 65 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 33 में से 22 जिलों में औसत से कम बारिश पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुल 33 जिलों में से 22 जिलों में अब तक औसत से कम बारिश हुई है। इसमें भी सबसे कम बारिश शामली में दर्ज की गई है। यहां अब तक औसत से 80 फीसदी कम बारिश हुई है। इस क्षेत्र में सबसे अधिक बारिश वाला जिला है औरैया। यहां अब तक औसत से 98 फीसदी अधिक बारिश हुई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कम बारिश वाले जिलों में गौतमबुद्ध नगर, अमरोहा, हापुड़, अलीगढ़ सहित कई जिले हैं। 75 में से 53 जिलों में औसत से कम बारिश मानसून सीजन के दो महीने से अधिक समय बीत चुका है। अब तक हुई बारिश के आंकड़ों को देखें तो यूपी के 75 में से 53 जिलों में बारिश का औसत माइनस में है। इसमें भी सबसे कम बारिश शामली जिले में हुई है। यहां 365 मिलीमीटर बरसात होनी चाहिए थी, लेकिन 19 अगस्त तक सिर्फ 78.5 मिलीमीटर बारिश हुई है। उत्तर प्रदेश में अब तक औसत 513 मिलीमीटर बरसात होनी चाहिए, लेकिन 460 मिलीमीटर बारिश हुई है। मौसम वैज्ञानिकों की माने तो अगर एक बार फिर टर्फ में शिफ्टिंग होती है तो कमी की भरपाई हो सकती है। यूपी में बदलता मानसून का पैटर्न; 5 साल में 2022 में सबसे कम बारिश IMD के आंकड़े बताते हैं- 2001 से यूपी में सामान्य मानसून की बारिश नहीं हो रही। साल दर साल इसमें कमी आ रही। यूपी में सामान्य बारिश तब मानी जाती है, जब यह 823 से 860 मिलीमीटर के बीच हो। 5 साल के आंकड़ों को देखने पर साफ हो जाता है कि कैसे प्रदेश में मानसून की बारिश में कमी आई। इस कमी का सीधा असर यहां के ग्राउंड वाटर लेवल पर पड़ा है। इन 5 साल में सबसे कम बारिश 2022 में हुई। यह नॉर्मल से करीब 36% तक कम थी। IMD के मुताबिक, 2019 में जून से सितंबर के बीच प्रदेश के ज्यादातर जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई थी। अलीगढ़, हापुड़, इटावा, बागपत , संभल, अमरोहा, बदांयू जैसे जिलों में 60 से 80 फीसदी तक कम बारिश हुई थी। प्रदेश में अब तक 35 जिले बाढ़ से प्रभावित, 17 की मौत उत्तर प्रदेश में अब तक 35 जिले बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। 16 अगस्त को शासन की ओर से जारी सूची में 13 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। प्रदेश में बाढ़ की चपेट में आने से अब तक17 लोगों की मौत हो चुकी है। 2434 मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बाढ़ प्रभावित कई इलाकों से ऐसी तस्वीरें भी आईं जहां लोग अपने घरों के खिड़की और दरवाजें निकाल कर ले गए है। प्रदेश में गंगा, घाघरा, शारदा, गण्डक, और कुआनों नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। गंगा नदी में बढ़ रहे जलस्तर से फर्रुखाबाद, वाराणसी, कानपुर, हापुड़ और बिजनौर जिले प्रभावित हैं। वाराणसी में अब तक कुल 40 घाट गंगा नदी में समा चुके हैं। इसी तरह घाघरा नदी में बाढ़ की वजह से गोंडा, आजमगढ़, बलिया, बस्ती और सीतापुर जिले में लोग प्रभावित हुए हैं। शारदा नदी में बढ़े पानी की वजह से लखीमपुर खीरी में हालत सबसे ज्यादा खराब है। यहां करीब 250 गावों में पानी भर गया है। बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित जिलों के हाल कानपुर: यहां गंगा उफान पर हैं। खतरे के निशान से सिर्फ 1 मीटर नीचे बह रही गंगा का पानी शुक्लागंज, बक्सर और फतेहपुर चौरासी इलाके के 15 किमी. दायरे में फैल चुका है। 3 हजार घरों की कनेक्टिविटी कट चुकी है। 50 हजार लोगों को राशन-दवा और सब्जी नहीं मिल पा रही है। अकेले शुक्लागंज में करीब 1300 घर बाढ़ के पानी में घिर चुके हैं। मोहम्मदनगर इलाके का भी हाल कुछ ऐसा ही है। कॉलोनियों में नाव चल रही हैं। उन्नाव: उन्नाव में गंगा खतरे के निशान को पार कर गई हैं। कई मोहल्लों में बाढ़ का पानी भर गया है। लोगों के लिए 6 से ज्यादा नावें लगाई गई हैं। कई जगह बिजली की सप्लाई बंद कर दी गई है। लखीमपुर खीरी: 250 गांवों में शारदा नदी का पानी भर चुका है। यहां बिजुआ इलाके में बुधवार को रपटा पुल ही शारदा नदी में डूब गया। इससे 3 गांवों का संपर्क कट चुका है। वाराणसी: वाराणसी में पिछले 8 दिनों में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से करीब 4 मीटर तक नीचे आ गया है। इसके बावजूद अभी से ही 40 घाट गंगा में डूब चुके हैं। अस्सी घाट और सुबह ए बनारस मंच के अलावा, कई घाटों पर बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है। दशाश्वमेध घाट पर पानी 7 सीढ़ी नीचे चला गया है। यहां चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर और खतरे का निशान 71.262 मीटर है।
पंजाब में आंधी और बिजली गिरने की आशंका:2 जनवरी तक शीतलहर के साथ बूंदाबांदी, तेज हवाएं चलेंगी, चंडीगढ़ में ओलावृष्टि की संभावना
पंजाब में आंधी और बिजली गिरने की आशंका:2 जनवरी तक शीतलहर के साथ बूंदाबांदी, तेज हवाएं चलेंगी, चंडीगढ़ में ओलावृष्टि की संभावना पंजाब और चंडीगढ़ में आज से मौसम बदल गया है। शीतलहर के साथ-साथ सुबह से बूंदाबांदी भी हो रही है। मौसम विभाग ने आज पंजाब के 21 जिलों में आंधी, बिजली गिरने और 30-40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने का येलो अलर्ट जारी किया है। कुछ जगहों पर ओलावृष्टि की भी संभावना है। हालांकि, पिछले 24 घंटे में राज्य के औसत तापमान में 0.6 डिग्री की बढ़ोतरी हुई है। जो सामान्य तापमान से 2 डिग्री ज्यादा है। सबसे ज्यादा तापमान 23.9 डिग्री पठानकोट के थीन डैम पर दर्ज किया गया है। 2 जनवरी तक बारिश की संभावना पंजाब के पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, होशियारपुर, नवांशहर, कपूरथला, जालंधर, फिरोजपुर, फाजिल्का, फरीदकोट, मुक्तसर, मोगा, बठिंडा, लुधियाना, बरनाला, संगरूर, फतेहगढ़ साहिब, रूपनगर, पटियाला और मलेरकोटला में आज मौसम बदलेगा। यहां आंधी और ओलावृष्टि की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार, ऐसे मौसम में लोगों को ठंड से बचने की कोशिश करनी चाहिए। 27 दिसंबर से 2 जनवरी तक राज्य के अधिकांश हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। इस मौसम में इन बातों का रखें ख्याल विभाग के अनुसार जिस तरह का मौसम बन रहा है। पेड़ों के पास न जाएं और न ही उनके नीचे शरण लें। जहां तक संभव हो बाहर जाने का कार्यक्रम टाल दें। तालाबों और झीलों आदि के पास जाने से बचें। वहीं, सड़कों पर सावधानी से वाहन चलाएं। वाहनों को सुरक्षित स्थान पर पार्क करें। बदलते मौसम पर नजर रखें और सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए तैयार रहें। ऐसी वस्तुओं को सुरक्षित रखें जो हवा के साथ उड़ जाती हैं। ऐसा रहेगा मौसम चंडीगढ़ – आज सुबह के समय धुंध देखने को मिलेगी। तापमान 7 से 20 डिग्री के बीच में रहेगा। अमृतसर -आज धुंध देखने को मिलेगी। तापमान 6 से 17 डिग्री के बीच में रहेगा। जालंधर – आज सुबह शाम धुंध रहेगी। तापमान 5 से 20 डिग्री के बीच में रहेगा। लुधियाना – आज धुंध देखने को मिलेगी। तापमान 6 से 20 डिग्री के बीच में रहेगा पटियाला – आज धुंध देखने को मिलेगी। तापमान 7 से 21 डिग्री के बीच में रहेगा मोहाली – आज धुंध देखने को मिलेगी। तापमान 6 से 21 डिग्री के बीच में रहेगा