हिमाचल के शिमला जिला के कोटखाई में सेब के करीब 700 पौधे आग से जलकर राख हो गए। इससे बखोल तहसील के जारू गांव में चार बागवानों को लाख रुपए का नुकसान हुआ है। सेब बगीचों में आग की इस घटना के लिए जल शक्ति विभाग और ठेकेदार पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। पुलिस ने प्रभावित बागवानों की शिकायत पर FIR कर जांच तेज कर दी है। पुलिस के अनुसार, कोटखाई में हुल्ली-कुफर पेयजल स्कीम का काम चल रहा है। इसके लिए ठेकेदार की लैबर पाइप में वैल्डिंग का काम कर रही थी और बेल्डिंग करते वक्त चिनगारी भड़कने के बाद 15 जून को आग साथ लगते बगीचे में फैल गई। इससे जारू गांव निवासी बिशन सिंह के करीब 500 सेब के पौधे जलकर राख हो गए। इन बागवानों के सेब के पौधे जलकर राख बिशन सिंह के बगीचे से आग आसपास के दूसरे बागवानों के बगीचे तक फेल गई। शिकायकर्ता के अनुसार, कनालोग निवासी सुनील चौहान के 25 सेब के पौधे और 3 एंटी हेल नेट, जारू निवासी मोहन लाल सुमन के 80 पौधे, उमेश सुमन के भी 50 सेब के पौधे जल गए। फसल के साथ साथ पौधे भी राख पुलिस ने प्रभावितों की शिकायत पर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल अभी जल शक्ति विभाग और पेयजल स्कीम बना रहे ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि सेब के पौधे इन दिनों फसल से लकदक है। ऐसे में आग से न केवल फसल तबाह हुई है बल्कि अधिकांश पौधे भी जल कर राख हुए हैं। आग की संभावना देखते हुए दो दिन पहले रोका था काम प्रभावित बागवान बिशन सिंह ने बताया कि उन्होंने आग लगने से दो दिन पहले भी बेल्डिंग का काम यह कहकर रुकवा दिया था अभी सूखे की वजह से घास व पत्तियों में आग फैल जाएगी। इसलिए काम बंद किया जाए। मगर आईपीएच की लेबर ने उनकी नहीं सुनी। इससे उनके 500 पौधे जल गए है। हिमाचल के शिमला जिला के कोटखाई में सेब के करीब 700 पौधे आग से जलकर राख हो गए। इससे बखोल तहसील के जारू गांव में चार बागवानों को लाख रुपए का नुकसान हुआ है। सेब बगीचों में आग की इस घटना के लिए जल शक्ति विभाग और ठेकेदार पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। पुलिस ने प्रभावित बागवानों की शिकायत पर FIR कर जांच तेज कर दी है। पुलिस के अनुसार, कोटखाई में हुल्ली-कुफर पेयजल स्कीम का काम चल रहा है। इसके लिए ठेकेदार की लैबर पाइप में वैल्डिंग का काम कर रही थी और बेल्डिंग करते वक्त चिनगारी भड़कने के बाद 15 जून को आग साथ लगते बगीचे में फैल गई। इससे जारू गांव निवासी बिशन सिंह के करीब 500 सेब के पौधे जलकर राख हो गए। इन बागवानों के सेब के पौधे जलकर राख बिशन सिंह के बगीचे से आग आसपास के दूसरे बागवानों के बगीचे तक फेल गई। शिकायकर्ता के अनुसार, कनालोग निवासी सुनील चौहान के 25 सेब के पौधे और 3 एंटी हेल नेट, जारू निवासी मोहन लाल सुमन के 80 पौधे, उमेश सुमन के भी 50 सेब के पौधे जल गए। फसल के साथ साथ पौधे भी राख पुलिस ने प्रभावितों की शिकायत पर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल अभी जल शक्ति विभाग और पेयजल स्कीम बना रहे ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि सेब के पौधे इन दिनों फसल से लकदक है। ऐसे में आग से न केवल फसल तबाह हुई है बल्कि अधिकांश पौधे भी जल कर राख हुए हैं। आग की संभावना देखते हुए दो दिन पहले रोका था काम प्रभावित बागवान बिशन सिंह ने बताया कि उन्होंने आग लगने से दो दिन पहले भी बेल्डिंग का काम यह कहकर रुकवा दिया था अभी सूखे की वजह से घास व पत्तियों में आग फैल जाएगी। इसलिए काम बंद किया जाए। मगर आईपीएच की लेबर ने उनकी नहीं सुनी। इससे उनके 500 पौधे जल गए है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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बता दें कि देश पर ब्रिटिश शासन के दौरान मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन ने शानन बिजलीघर के लिए जोगिंदरनगर में जमीन उपलब्ध करवाई थी। उस दौरान जो समझौता हुआ था। उसके अनुसार इसकी लीज अवधि 99 साल रखी गई थी, यानी 99 साल पूरे होने पर ये बिजलीघर उस धरती (मंडी रियासत के तहत जमीन) की सरकार को मिलना था, जहां पर ये स्थापित किया गया था। भारत की आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश पंजाब का ही हिस्सा था। 2024 में समाप्त हुई लीज अवधि
वैसे हिमाचल का गठन 15 अप्रैल 1948 को हुआ था, लेकिन पूर्ण राज्य का दर्जा 1971 में मिला था। उस समय पंजाब पुनर्गठन एक्ट के दौरान शानन बिजलीघर पंजाब सरकार के स्वामित्व में ही रहा। पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 की शर्तों के अनुसार इस बिजली प्रोजेक्ट को प्रबंधन के लिए पंजाब सरकार को हस्तांतरित किया गया था। लेकिन 2024 में इसकी लीज अवधि समाप्त हो गई है। ऐसे में लीज समझौते के अनुसार यह प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश को वापस मिलना चाहिए लेकिन यह कुमाऊँ पूत है, इससे 200 करोड़ की आय होती है।इसलिए पंजाब इसको छोड़ने के लिए आसानी से तैयार नही है और कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। आज होती है 200 करोड़ की कमाई
मंडी में जोगेंद्रनगर की ऊहल नदी पर स्थापित शानन बिजलीघर अंग्रेजों के शासन के दौरान साल 1932 में केवल 48 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाला प्रोजेक्ट था। बाद में पंजाब बिजली बोर्ड ने इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया, बिजलीघर शुरू होने के पचास साल बाद वर्ष 1982 में शानन प्रोजेक्ट 60 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन वाला हो गया। अब इसकी क्षमता पचास मेगावाट और बढ़ाई गई है, जिससे ये अब कुल 110 मेगावाट का प्रोजेक्ट है। कुल 200 करोड़ सालाना इनकम वाले इस कमाऊ पूत को पंजाब अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता है।