पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य ने आज पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में शंभू बॉर्डर खुलवाने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। वासु रंजन शांडिल्य ने दायर जनहित याचिका में बताया कि 5 महीने से नेशनल हाईवे 44 बंद पड़ा है। अंबाला के दुकानदार, व्यापारी, छोटे बड़े रेहड़ी फड़ी वाले भुखमरी के कगार पर आ गए हैं। याचिका पर सोमवार को सुनवाई होने की उम्मीद है। वासु रंजन शांडिल्य ने याचिका में पंजाब व हरियाणा सरकार सहित किसान नेता स्वर्ण सिंह पंढेर व जगजीत सिंह डल्लेवाल को भी पार्टी बनाया है। याचिका में हाईकोर्ट को बताया कि शंभू बॉर्डर बंद होने के कारण सरकारी बसों को रूट डायवर्ट किया हुआ है, जिससे तेल का खर्च बढ़ रहा है। अंबाला व शंभू के आसपास के मरीज बॉर्डर बंद होने के कारण दिक्कत में है। एंबुलेंस के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं वासु रंजन ने कहा कि हरियाणा पंजाब के वकीलों को भी अंबाला से पटियाला व पटियाला वालों को अंबाला की अदालतों में आने में भारी दिक्कतें हो रही है। उन्होंने बताया कि फरवरी 2024 से गैर कानूनी तरीके से संविधान का उल्लंघन कर राष्ट्रीय हाईवे को बंद किया हुआ है। शंभू बॉर्डर के आसपास किसानों ने अस्थाई घर बना लिए हैं, ऐसा लगता है कि जैसे अब शंभू बॉर्डर कभी खुलेगा ही नहीं अनिश्चित काल के लिए बंद हो गया है। वासु रंजन ने दायर जनहित याचिका में कहा कि तुरंत हाईकोर्ट केंद्र व दोनों राज्य सरकारों को रास्ता खोलने के आदेश दें। वासु रंजन ने कहा कि रास्ता किसके कारण ओर क्यों बंद है इस पर निर्णय हाईकोर्ट करेगा, लेकिन चाहे हरियाणा सरकार हो या पंजाब सरकार हो या केंद्र रोड को बंद करना जनता के मौलिक अधिकारों का हनन है। जबकि फरवरी 2024 से शंभू बॉर्डर बंद पड़ा है जिस कारण अंबाला जिला व पटियाला जिला का छोटा बड़ा काम बंद हो चुका है। हाईवे पंजाब हिमाचल, जम्मू कश्मीर को जोड़ता है इसके बंद होने से न केवल सरकारों को नुकसान हो रहा है बल्कि आम आदमी तो बिना मतलब से भुखमरी के कगार पर आ गया है। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य ने आज पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में शंभू बॉर्डर खुलवाने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। वासु रंजन शांडिल्य ने दायर जनहित याचिका में बताया कि 5 महीने से नेशनल हाईवे 44 बंद पड़ा है। अंबाला के दुकानदार, व्यापारी, छोटे बड़े रेहड़ी फड़ी वाले भुखमरी के कगार पर आ गए हैं। याचिका पर सोमवार को सुनवाई होने की उम्मीद है। वासु रंजन शांडिल्य ने याचिका में पंजाब व हरियाणा सरकार सहित किसान नेता स्वर्ण सिंह पंढेर व जगजीत सिंह डल्लेवाल को भी पार्टी बनाया है। याचिका में हाईकोर्ट को बताया कि शंभू बॉर्डर बंद होने के कारण सरकारी बसों को रूट डायवर्ट किया हुआ है, जिससे तेल का खर्च बढ़ रहा है। अंबाला व शंभू के आसपास के मरीज बॉर्डर बंद होने के कारण दिक्कत में है। एंबुलेंस के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं वासु रंजन ने कहा कि हरियाणा पंजाब के वकीलों को भी अंबाला से पटियाला व पटियाला वालों को अंबाला की अदालतों में आने में भारी दिक्कतें हो रही है। उन्होंने बताया कि फरवरी 2024 से गैर कानूनी तरीके से संविधान का उल्लंघन कर राष्ट्रीय हाईवे को बंद किया हुआ है। शंभू बॉर्डर के आसपास किसानों ने अस्थाई घर बना लिए हैं, ऐसा लगता है कि जैसे अब शंभू बॉर्डर कभी खुलेगा ही नहीं अनिश्चित काल के लिए बंद हो गया है। वासु रंजन ने दायर जनहित याचिका में कहा कि तुरंत हाईकोर्ट केंद्र व दोनों राज्य सरकारों को रास्ता खोलने के आदेश दें। वासु रंजन ने कहा कि रास्ता किसके कारण ओर क्यों बंद है इस पर निर्णय हाईकोर्ट करेगा, लेकिन चाहे हरियाणा सरकार हो या पंजाब सरकार हो या केंद्र रोड को बंद करना जनता के मौलिक अधिकारों का हनन है। जबकि फरवरी 2024 से शंभू बॉर्डर बंद पड़ा है जिस कारण अंबाला जिला व पटियाला जिला का छोटा बड़ा काम बंद हो चुका है। हाईवे पंजाब हिमाचल, जम्मू कश्मीर को जोड़ता है इसके बंद होने से न केवल सरकारों को नुकसान हो रहा है बल्कि आम आदमी तो बिना मतलब से भुखमरी के कगार पर आ गया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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करनाल पहुंचे जेल मंत्री अरविंद शर्मा:DAP खाद के मुद्दे पर बोले, कहा-सरकार डीएपी उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत, नहीं होगी कमी हरियाणा के पर्यटन एवं जेल मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने डीएपी के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि डीएपी एक ऐसा मैटीरियल है। जो बाहर से आता है। इसको लेकर सरकार पूरी तरह से गंभीर है और डीएपी हर किसान को मिले इसके प्रयास में लगे हुए है। डीएपी की कोई कमी नहीं है। हम सोच लेते है कि अब डीएपी आया है, फिर पता नहीं कब आएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। सरकार पूरी तरह से गंभीर है। जेल मंत्री शुक्रवार को करनाल जिला कारागार में पहुंचे थे। अरविंद शर्मा ने जिला जेल में पहुंचने काे महत्वपूर्ण मौका बताया। उन्होंने कहा कि 28 नवंबर से 11 दिसंबर तक गीता महोत्सव चलेगा। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज की इच्छा थी कि यह शुरुआती कार्यक्रम जेलों से शुरू किया जाए। जिस तरह से भगवत गीता का प्रचार पूरे देश में ही नहीं पूरे विश्व में हुआ। उससे कुरूक्षेत्र की धरती को बहुत बड़ा प्रचार मिला है। जिस तरह से अयोध्या भगवान राम की धरती है और कुरुक्षेत्र भगवान कृष्ण की भूमि है। गीता में रोजमर्रा के जीवन से जुड़ा ज्ञान है। आज जो लोग जेल में है वे भी मुख्यधारा में है और गीता मनीषी महाराज ने प्रवचन के दौरान की है। कुरूक्षेत्र सर्किट और महाभारत सर्किट को वर्ल्ड वाइड हाईलाइट कर रहे है। इसमें भी हमें सफलता मिल रही है। हाल ही में करनाल में कुरुक्षेत्र सर्किट को लेकर प्रोग्राम हुआ था। जेल में ड्रग्स और मोबाइल सिम मिलते है जेल में ड्रग्स और मोबाइल सिम मिलने जैसी बातों के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सुनी सुनाई बातें होती है। दस साल से भाजपा की सरकार है। बहुत रिफॉर्म जेलों में हुए है। आज कैदियों को भी सुविधाएं दी जा रही है। जेल विभाग में भर्तियां नहीं हुई 2003 से जेल विभाग में भर्तियां न होने के सवाल पर जेल मंत्री ने कहा कि इससे संबंधित सभी बातों पर चर्चा करेंगे। जेलों में अच्छी सुविधा हो और अन्य सुविधाएं भी मिले, इस पर चर्चा की जाएगी। पराली जलाने के मामलों को लेकर पूछे गए सवाल पर शर्मा ने कहा कि किसान पराली न जलाएं, क्योंकि सरकार फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर कार्य कर रही है और किसानों को इंसेंटिव भी घरों तक सरकार पहुंचा रही है।
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सोनीपत में युवक की हत्या में युवती गिरफ्तार:दोनों एक महीने से लिव इन में थे; झगड़े में ट्रेन के आगे धकेला हरियाणा के सोनीपत में युवक अंकित की हत्या के मामले में पुलिस ने लिव इन रिलेशन में रह रही युवती को गिरफ्तार किया है। 26 जून को वह युवती के साथ घर आया था। वहां दोनों में झगड़ा हुआ तो रात को ही युवती उसे धक्के देकर लग गई थी। अगले दिन अंकित का शव रेलवे लाइन के पास पड़ा मिला। पुलिस ने 1 जुलाई काे हत्या का मामला दर्ज किया था। पुलिस का कहना है कि आपसी झगड़े में युवती ने युवक को ट्रेन के आगे धक्का दे दिया था। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि 1 जुलाई को मोहित निवासी न्यू बाबा कॉलोनी सोनीपत ने थाना सदर सोनीपत में भाई की हत्या की शिकायत दी थी। उसने बताया कि उसका भाई अंकित करीब 1 महीने से सोनीपत की एक लड़की के साथ रिलेशनशिप मे भगत सिंह कालोनी मे किराए पर कमरा लेकर रह रहा था। उस लड़की ने उसके भाई को अपनी बातों मे बहला फुसला रखा था। धक्के मारते हुए घर से लेकर गई मोहित ने बताया कि 26 जून को दिन के समय उसका भाई अंकित लड़की के साथ घर पर आया था। घर पर आने के बाद किसी बात को लेकर दोनों का आपस मे झगडा हो गया। झगडा करते समय लड़की ने उसके भाई अंकित को जान से मारने की बात कही थी। उसके बाद 27 जून को सुबह करीब 4 बजे वह अंकित को धक्के मारते हुई घर से बाहर ले गई। कह रही थी की आज अंकित को जान से मार दूंगी। अंकित को लेकर उनके घर से चली गई थी। अखबार में न्यूज देख चला पता भाई ने बताया कि इसके बाद से उनकी अंकित से कोई बात नहीं हुई। 30 जून को अखबार के माध्यम से पता चला कि उसके भाई अंकित की मौत रेलवे लाईन सोनीपत के पास हुई है। वे रेलवे थाना सोनीपत में गए। वहां पर हमने अपने भाई अंकित के फोटो देख कर शव की पहचान की। पता चला कि अंकित की लाश 27 जून को सुबह करीब 8 बजे बाबा कॉलोनी के पास रेलवे लाइन के पास पड़ी हुई मिली थी। थाना सदर सोनीपत में केस दर्ज किया गया था। सोनीपत सदर थाना के ASI नरेन्द्र ने पुलिस टीम के साथ घटना में शामिल युवती को गिरफ्तार कर लिया है। उसे गुरुवार को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। युवती ने ये किया खुलासा पुलिस के अनुसार युवती ने पूछताछ में बताया कि उसका अंकित के साथ झगड़ा हो गया था। दोनों लड़ते हुए रेलवे लाइन के पास पहुंच गए। वहां पर दोनों में मारपीट हुई। इसके बाद उसे भय था कि कहीं अंकित उसे मार न दे। इसी दौरान वहां से ट्रेन आई तो उसने अंकित को ट्रेन के आगे धक्का दे दिया। इससे उसकी मौत हो गई। वह डर कर मौके से भाग गई।
नीरज चोपड़ा को हराने वाले पाकिस्तानी अरशद नदीम की कहानी:गांव वालों ने पैसे इक्ट्ठा कर दिलवाया था पुराना भाला; आर्थिक तंगी ऐसी- ईंद पर खा पाते थे मीट
नीरज चोपड़ा को हराने वाले पाकिस्तानी अरशद नदीम की कहानी:गांव वालों ने पैसे इक्ट्ठा कर दिलवाया था पुराना भाला; आर्थिक तंगी ऐसी- ईंद पर खा पाते थे मीट पेरिस ओलिंपिक में पाकिस्तान के अरशद नदीम ने जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया है। अरशद के लिए अभी तक का सफर आसान नहीं रहा है। उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है। इसके साथ-साथ गरीबी से भी जूझे हैं। पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक अरशद के पिता मजदूर हैं और उन्होंने गांव के लोगों से चंदा मांगकर अरशद की ट्रेनिंग करवाई है। पेरिस ओलिंपिक में अरशद की सीधी टक्कर भारत के नीरज चोपड़ा से थी। नीरज सिल्वर लेकर आए हैं। पाकिस्तान के अरशद ने ओलिंपिक में नायाब रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 92.97 मीटर दूर भाला फेंका। इससे पहले नॉर्ने के एथलीट थोरकिल्डसेन एंड्रियास ने 2008 में बीजिंग ओलिंपिक में 90.57 मीटर का रिकॉर्ड बनाया था। अब नदीम ने इस रिकॉर्ड को तोड़कर इतिहास रच दिया। ये पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार रहा जब ओलिंपिक में किसी एथलीट ने व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। कौन हैं अरशद नदीम, जिन्होंने जीता पेरिस ओलिंपिक में गोल्ड मेडल
दरअसल, 27 साल के जेवलिन थ्रोअर अरशद नदीम पाकिस्तानी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने जेवलिन थ्रो इवेंट के फाइनल में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। अरशद के गोल्ड मेडल जीतने के बाद उनकी हर जगह तारीफ तो हो रही है, लेकिन उनके जिंदगी के असली संघर्ष की कहानी के बारे में लोगों को कुछ खास नहीं पता। अरशद नदीम के पिता मुहम्मद अशरफ मजदूर हैं। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह घर का खर्चा और नदीम की ट्रेनिंग दोनों का खर्च उठा सकें। नदीम को पेरिस ओलिंपिक में भेजने के लिए उनके पूरे गांव ने मिलकर उनकी ट्रेनिंग के लिए पैसे इक्ठ्ठा किए। पुराने डैमेज भाले से किया अभ्यास उनके पिता ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया था कि लोगों को इसका अंदाजा भी नहीं कि अरशद यहां तक कैसे पहुंचा। कैसे उनके गांव वालों ने उनके करियर की शुरुआत में चंदा जुटाकर उन्हें अलग-अलग जगह ट्रेनिंग और ट्रेवल करने में मदद की। उन्होंने ये भी बताया कि आर्थिक तंगी के चलते अरशद को एक पुराने भाले से प्रैक्टिस करनी पड़ी। ये भाला खराब भी हो चुका था और उन्हें कई साल से इंटरनेशनल लेवल का नया भाला नहीं खरीद सके और पुराने डैमेज हो चुके भाले से ही अभ्यास करते रहे। अरशद नदीक का ऐसा रहा करियर
पाकिस्तान के अरशद नदीम ने टोक्यो 2020 ओलंपिक्स में पुरुषों के जैवलिन थ्रो इवेंट में 86.62 मीटर दूर भाला फेंककर के साथ पांचवां स्थान हासिल किया। इससे पहले नदीम का करियर बेस्ट थ्रो 90.18 मीटर था, जिसने उन्हें 90 मीटर का आंकड़ा पार करने वाले वह पहले एशियाई बने। साल 2015 में नदीम ने भाला फेंक इवेंट में हिस्सा लेना शुरू किया था और बेहद ही कम समय में उन्होंने अपनी छाप छोड़ दी। साल 2016 में उन्होंने गुवाहाटी में भारत में साउथ एशियन गेम्स में 78.33 मीटर की राष्ट्रीय रिकॉर्ड थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता। इसके बाद नदीम ने 2019 की वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप, दोहा, कतर में अपनी काबिलियत का लोहा मानवाया। एक स्कूल के बच्चे से लेकर आज ओलिंपिक चैंपियन बनने तक कि नदीम की कहानी ये साबित करती है कि मेहनत और समपर्ण से कोई कुछ भी हासिल कर सकता है।
इवेंट में जाने के भी नहीं होते थे पैसे
नदीम के पिता मुहम्मद अशरफ ने पाकिस्तानी मीडिया से बातचीत में बताया कि लोगों ने नदीम की ट्रेनिंग के लिए पैसे इकट्ठे किए। समुदाय का यह सहयोग नदीम के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि शुरुआती दिनों में उसके पास यात्रा और दूसरे शहरों में प्रशिक्षण के लिए जरूरी पैसे नहीं थे। हालात ऐसे की ब्रॉन्ज की भी नहीं थी आस पाकिस्तान के पंजाब के खानेवाल गांव में पले-बढ़े नदीम के परिवार को एक समय पर भारी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। उनके पिता मजदूरी करते थे, जो अपने सात बच्चों के बड़े परिवार का भरण-पोषण करने के लिए संघर्ष करते थे। उनके बड़े भाई शाहिद अजीम के अनुसार, वे साल में केवल एक बार ईद-उल-अज़हा के दौरान ही मीट खरीद पाते थे। नदीम ने पाकिस्तान को दिलाया तीसरा ओलिंपिक मेडल
नदीम ने 27 वर्ष की आयु में गुरुवार को पाकिस्तान के लिए पहला स्वर्ण पदक हासिल किया। यह उपलब्धि देश का तीसरा ओलिंपिक पदक है, इससे पहले उसने रोम 1960 में कुश्ती में और सियोल 1988 में मुक्केबाजी में पदक जीता था।
सात एथलीट में सिर्फ नदीम को मिली सफलता
पाकिस्तान ने पेरिस ओलिंपिक में सात एथलीट भेजे थे, लेकिन केवल नदीम ही अपने इवेंट में फाइनल के लिए क्वालिफाई कर पाए। फाइनल के लिए उनके क्वालिफाई करने पर उनके गांव में जश्न मनाया गया, जहां उनके परिवार और साथी ग्रामीणों ने गर्व और खुशी व्यक्त की। अरशद नदीम की कहानी सिर्फ पदक जीतने की नहीं है। यह दृढ़ता और सामुदायिक समर्थन की कहानी है। उनकी सफलता ने पाकिस्तान में एथलेटिक्स की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जो कि मुख्य रूप से क्रिकेट पर केंद्रित देश है। किस हालात और विपरीत परिस्थिति में नदीम ने यह मुकाम हासिल किया।