पंजाब के जालंधर के मशहूर कुल्हड़ पिज्जा दंपती की कार पर बीती रात यानी रविवार को कुछ अज्ञात हमलावरों ने हमला कर दिया। दंपती की कार के शीशे पर पत्थर फेंककर तोड़ दिया गया और कार पर कई बार लात मारी गई और डेंट लगा दिए गए। यह घटना पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के उजाला नगर में हुई। कुल्हड़ पिज्जा दंपती के नाम से मशहूर सहज अरोड़ा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर उक्त घटना की जानकारी साझा की है। सहज ने लाइव होकर कहा कि अगर किसी की हमसे कोई दुश्मनी है तो समझ में आता है, लेकिन क्या कार से किसी की दुश्मनी थी। सहज ने कहा- मेरी कार का शीशा तोड़कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया। पहले ईंट मारकर ड्राइवर साइड का शीशा तोड़ा गया और फिर लात मारकर कार पर डेंट लगा दिए गए। बिना किसी वजह के मेरी गाड़ी को निशाना बनाया गया। गली में और भी गाड़ियां खड़ी थीं, लेकिन सिर्फ मेरी कार को नुकसान पहुंचाया गया। सहज ने कहा- मैंने दो दिन पहले ही कार की मरम्मत करवाई थी। घटना स्थल के पास नहीं लगा सीसीटीवी मिली जानकारी के अनुसार घटना स्थल के आसपास कोई सीसीटीवी नहीं लगा था। जिसके चलते आरोपी वहां से वारदात के बाद फरार हो गए थे। घटना की सूचना कुल्हड़ पिज्जा कपल द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम में दी गई थी। सिटी पुलिस ने मामले में सहज के बयान दर्ज किए हैं। घटना स्थिल से थोड़ी दूर तक के सीसीटीवी चेक किए जा रहे हैं। जिससे आरोपियों की पहचान हो सके। पंजाब के जालंधर के मशहूर कुल्हड़ पिज्जा दंपती की कार पर बीती रात यानी रविवार को कुछ अज्ञात हमलावरों ने हमला कर दिया। दंपती की कार के शीशे पर पत्थर फेंककर तोड़ दिया गया और कार पर कई बार लात मारी गई और डेंट लगा दिए गए। यह घटना पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के उजाला नगर में हुई। कुल्हड़ पिज्जा दंपती के नाम से मशहूर सहज अरोड़ा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर उक्त घटना की जानकारी साझा की है। सहज ने लाइव होकर कहा कि अगर किसी की हमसे कोई दुश्मनी है तो समझ में आता है, लेकिन क्या कार से किसी की दुश्मनी थी। सहज ने कहा- मेरी कार का शीशा तोड़कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया। पहले ईंट मारकर ड्राइवर साइड का शीशा तोड़ा गया और फिर लात मारकर कार पर डेंट लगा दिए गए। बिना किसी वजह के मेरी गाड़ी को निशाना बनाया गया। गली में और भी गाड़ियां खड़ी थीं, लेकिन सिर्फ मेरी कार को नुकसान पहुंचाया गया। सहज ने कहा- मैंने दो दिन पहले ही कार की मरम्मत करवाई थी। घटना स्थल के पास नहीं लगा सीसीटीवी मिली जानकारी के अनुसार घटना स्थल के आसपास कोई सीसीटीवी नहीं लगा था। जिसके चलते आरोपी वहां से वारदात के बाद फरार हो गए थे। घटना की सूचना कुल्हड़ पिज्जा कपल द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम में दी गई थी। सिटी पुलिस ने मामले में सहज के बयान दर्ज किए हैं। घटना स्थिल से थोड़ी दूर तक के सीसीटीवी चेक किए जा रहे हैं। जिससे आरोपियों की पहचान हो सके। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब के गांव में बीड़ी-सिगरेट और गुटका पर रोक:बिहार-यूपी के लोगों की वेरिफिकेशन जरूरी, रात 9 बजे के बाद घूम नहीं पाएंगे, नौजवान सभा का फैसला पंजाब में मोहाली जिले के मुद्दों संगतियां गांव के बाद अब जंडपुर गांव में गैरपंजाबियों को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। जंडपुर गांव की नौजवान सभा ने गांव में बीड़ी-सिगरेट पीने और गुटका खाने पर रोक लगा दी है। साथ ही बिहार-यूपी और दूसरे राज्यों के जो प्रवासी लोग गांव में रहते हैं, उन्हें अपनी वेरिफिकेशन करवानी होगी। रात 9 बजे के बाद ये लोग गांव में नहीं घूमेंगे। साथ ही एक कमरे में दो से अधिक लोगों के रहने पर भी बैन लगाया गया है। इससे पहले पिछले हफ्ते ही मोहाली के मुद्दों संगतियां गांव की पंचायत में प्रस्ताव पास करके वहां रहने वाले प्रवासी लोगों को गांव छोड़ने का आदेश दे दिया गया था। जंडपुर गांव मोहाली जिले की खरड़ नगर परिषद के तहत आता है। नगर परिषद के वार्ड-4 के पार्षद और जंडपुर गांव की नौजवान सभा के मेंबर गोविंदर सिंह चीमा ने बताया कि बिहार-यूपी और बाकी प्रदेशों के लोगों के लिए कुल 11 नियम बनाए गए हैं। चीमा के मुताबिक, सभा ने सर्वसम्मति से तय किया है कि गांव में रहने वाला कोई प्रवासी शख्स अगर किसी अपराध में शामिल पाया गया तो इसके लिए वह जिस घर में रह रहा होगा, उसका मकान मालिक भी जिम्मेदार समझा जाएगा। चीमा ने बताया कि नौजवान सभा ने अपने नए नियमों से जुड़े बोर्ड गांव में लगा दिए हैं। अगले 15 दिन उसके मेंबर गांव में घर-घर जाकर इसके बारे में जागरूक करेंगे। 15 दिन बाद अगर कहीं किसी ने इनमें से कोई नियम तोड़ा तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। गांव की बेहतरी के लिए उठाया कदम नौजवान सभा के मेंबर गोविंदर सिंह चीमा के मुताबिक, बाहरी प्रदेशों से आए लोग गांव में जहां दिल करता हैं, गदंगी फेंक देते हैं। सही कपड़े नहीं पहनते। पिछले कुछ समय में क्राइम की घटनाएं भी बढ़ गई हैं। इन्हीं तमाम मुद्दों को देखते हुए नौजवान सभा ने सर्वसम्मति से कुछ नियम-कायदे तय किए हैं। चीमा के मुताबिक, जिस तरह बड़ी-बड़ी रिहायशी सोसायटियां अपने यहां रहने वाले लोगों के लिए नियम बनाती हैं, उसी तरह गांव की नौजवान सभा ने कुछ नियम बनाए हैं। उम्मीद है कि सभी लोग इनका पालन करेंगे। 11 में से 9 नियम प्रवासियों के लिए जब पूछा गया कि ये नियम सिर्फ बाहरी राज्यों के लोगों पर ही लागू होंगे या सब पर? तो चीमा ने दावा किया कि उनके नियम सभी लोगों पर लागू होंगे। हालांकि 11 में से 9 नियमों में सीधे-सीधे लिखा गया है कि वह बाहरी राज्यों के लोगों पर लागू होंगे। चीमा ने कहा कि नौजवान सभा में गांव के हर घर का एक-एक मेंबर शामिल है। सभी चाहते हैं कि गांव का माहौल खराब न हो। इसके लिए पहले चरण में लोगों से अपील की जा रही है। कर रहे हैं। दूसरे चरण में सख्ती की जाएगी। सभा ने यह भी फैसला किया है कि गांव में 18 साल से कम उम्र का कोई युवा बिना कागजात और नंबर प्लेट के वाहन नहीं चला पाएगा। इसके अलावा गांव के किसी घर में शादी हुई या बच्चा पैदा हुआ तो किन्नरों को 2100 रुपए की बधाई ही दी जाएगी। इससे ज्यादा की बधाई नहीं दी जाएगी। मुद्दों संगतियां गांव का मामला पहुंचा हाईकोर्ट कुछ दिन पहले मोहाली के ही मुद्दों संगतियां गांव में भी एक प्रस्ताव पास करके बाहरी राज्यों के लोगों को गांव छोड़ने का आदेश दिया गया था। इससे जुड़ी जानकारी 1 अगस्त को सामने आते ही विवाद खड़ा हो गया। प्रस्ताव में कहा गया कि प्रवासी लोगों की वजह से इलाके में क्राइम और असामाजिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। कुछ आपराधिक घटनाओं में प्रवासी लोग शामिल पाए गए। इसकी वजह से आने वाली पीढ़ी पर असर पड़ रहा है। प्रस्ताव पास करते समय दावा किया गया कि गांव में किसे रहना है और किसे नहीं? ये तय करना पंचायत का अधिकार क्षेत्र है। विवाद बढ़ा तो डीएसपी धर्मवीर सिंह की ओर से कहा गया कि गांव के निर्वतमान सरपंच ने ऐसे किसी प्रस्ताव से इनकार किया है। गौरतलब है कि मुद्दों संगतियां समेत पूरे पंजाब में पंचायतें पहले ही भंग हो चुकी हैं। फिलहाल मुद्दों संगतियां का मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में है। कोर्ट ने 22 अगस्त को इस पर पंजाब सरकार से जवाब तलब कर रखा है।
पंजाब उप-चुनावों के लिए कांग्रेस की लिस्ट जारी:दो सीटों पर सांसदों की पत्नियों पर दाव; चब्बेवाल से रणजीत, बरनाला से कुलदीप को टिकट
पंजाब उप-चुनावों के लिए कांग्रेस की लिस्ट जारी:दो सीटों पर सांसदों की पत्नियों पर दाव; चब्बेवाल से रणजीत, बरनाला से कुलदीप को टिकट पंजाब की 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने अपनी लिस्ट में दो सीटों पर अपने पुराने विधायक, जो सांसद बने हैं, की पत्नियों को मैदान में उतारा है। वहीं, दो सीटों पर नए चेहरे मैदान में हैं। दरअसल, गिद्दड़बाहा से पहले अमरिंदर सिंह राजावड़िंग विधायक थे। लोकसभा चुनावों में जीत के बाद उन्होंने अपनी सीट छोड़ दी थी। अब कांग्रेस ने उनकी पत्नी अमृता वड़िंग को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं डेरा बाबा नानक सीट पर पहले सुखजिंदर रंधावा खुद विधायक थे। सांसद बनने के बाद उन्होंने अपना पद छोड़ दिया। अब उप-चुनावों में कांग्रेस ने उनकी पत्नी जतिंदर कौर को टिकट दिया है। बरनाला से प्रधान कुलदीप ढिल्लों मैदान में बरनाला से कांग्रेस ने कुलदीप सिंह उर्फ काला ढिल्लों को मैदान में उतारा है। लंबे समय से काला ढिल्लों इलाके में कांग्रेस के लिए काम करते रहे हैं। फिलहाल वे बरनाला कांग्रेस के प्रधान पद पर सेवाएं दे रहे थे। उनका प्रदेश कांग्रेस में अच्छा रुसूख है। चब्बेवाल से बार एसोसिएशन के प्रधान को टिकट वहीं, चब्बेवाल से कांग्रेस ने रणजीत सिंह को टिकट दिया है। पेशे से वकील रणजीत कुमार जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। रंजीत ने विधानसभा चुनाव बसपा की टिकट पर लड़ा था। रणजीत ने करीब एक हफ्ते पहले पूर्व मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा के जरिए चंडीगढ़ में गुपचुप कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। कांग्रेस की तरफ से जारी किया गया प्रेस नोट-
पंजाब में अकाली दल बचाओ लहर की तैयारियां शुरू:2022 जैसे हालात पैदा; बागी गुट ने दोहराया- सुखबीर बादल को पद से हटना चाहिए
पंजाब में अकाली दल बचाओ लहर की तैयारियां शुरू:2022 जैसे हालात पैदा; बागी गुट ने दोहराया- सुखबीर बादल को पद से हटना चाहिए लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (SAD) की हार के बाद असंतोष पैदा हो गया है। एक तरफ पार्टी में वरिष्ठ नेतृत्व है, जिसमें वो बड़े नेता और परिवार शामिल हैं, जिनके बिना अकाली दल अधूरा है। वहीं दूसरी तरफ पार्टी कार्यसमिति और जिला पदाधिकारी हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 में हार के बाद भी सुखबीर सिंह बादल के प्रति संतोष जताया है। अकाली दल के विद्रोही समूह ने एक संयुक्त संवाददाता प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एक धार्मिक और राजनीतिक व्यक्तित्व को अपनी परंपराओं के अनुरूप शिरोमणि अकाली दल का नेतृत्व करना चाहिए। सुखबीर बादल को इस्तीफा देना चाहिए। प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने यह भी कहा कि उनमें से कोई भी अकाली दल का अध्यक्ष नहीं बनना चाहता। जो भी पार्टी अध्यक्ष बनेगा उसे पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं होना चाहिए। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद हो गया है। बागी गुट ने अकाली दल बचाओ लहर शुरू कर दी है। कल जालंधर में बैठक कर सुखबीर बादल को अध्यक्ष पद से हटाने का प्रस्ताव लिया गया। बुधवार को जालंधर में हुई पांच घंटे की बैठक के बाद सुखबीर सिंह बादल से पार्टी प्रधान पद से हटने की मांग की गई। बैठक में शामिल नेताओं में सिकंदर मलूका, सुरजीत रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किरणजोत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप वडाला, चरणजीत बराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत बरनाला शामिल थे। 2022 में भी पैदा हुए थे यही हालात 2017 विधानसभा, 2019 लोकसभा और 2022 विधानसभा चुनावों में हार के बाद पार्टी ने हार की समीक्षा करने के लिए कमेटी का गठन किया था। ये कमेटी इकबाल सिंह झूंदा की अध्यक्षता में बनी। 2022 की हार के बाद विरोध शुरू हुआ और अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल को बदलने की आवाज उठने लगी। इसी बीच 2022 में झूंदा रिपोर्ट बनकर तैयार थी। लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया। ये कह कर रिपोर्ट को दबा दिया गया कि झूंदा रिपोर्ट में कहीं भी पार्टी प्रधान बदलने की बात नहीं की गई है। जबकि उसमें ये जरूर लिखा गया था कि पार्टी अध्यक्ष 10 साल के बाद रिपीट नहीं होना चाहिए। लेकिन, सुखबीर बादल के दोबारा प्रधान चुने जाने के बाद ये रिपोर्ट अकाली दल के दफ्तर में दब गई। अब जब 2024 लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार हुई है तो इस रिपोर्ट का जिन्न फिर बाहर आया है। जाने क्या लिखा था झूंदा रिपोर्ट में झूंदा रिपोर्ट पर जब अमल नहीं हुआ तो इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। झूंदा ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी किया था कि 117 विधानसभा हलकों में से 100 में जाकर उन्होंने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में कुछ जानकारियां 2022 में सांझी की थी। तब अकाली नेताओं ने कहा था कि झूंदा रिपोर्ट में 42 सुझाव दिए गए हैं। पार्टी प्रधान को बदले जाने का रिपोर्ट में कहीं जिक्र नहीं है। लेकिन, भविष्य में पार्टी प्रधान के चुने जाने की तय सीमा जरूर तय की गई है। ये भी बात उठाई गई कि अकाली दल अपने मूल सिद्धांतों से भटका है और राज्य सत्ता में रहने के मकसद से कई कमियां आई हैं। 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा शिरोमणि अकाली दल पर पिछले 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा है। 1995 में सरदार प्रकाश सिंह बादल अकाली दल के प्रमुख बने थे। इस पद पर वे 2008 तक बने रहे। 2008 के बाद शिअद की कमान उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल के हाथ में आ गई। अकेला पड़ता अकाली दल किसी जमाने में पंजाब ही नहीं भारतीय राजनीति में अकाली दल की तूती बोलती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभुत्व समाप्त होता चला गया। आलम ये है कि अब इसके पास लोकसभा की केवल एक सीट है। विधानसभा में भी इसका प्रभाव लगातार खत्म हो रहा है। शिरोमणि अकाली दल बचाओ आंदोलन की होगी शुरुआत जालंधर में हुई बैठक के बाद बागी नेताओं ने ऐलान किया कि 1 जुलाई से शिरोमणि अकाली दल बचाओ आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। बागी नेताओं ने मांग की कि पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझते हुए त्याग की भावना दिखानी चाहिए और किसी ऐसे नेता के हाथ में पार्टी की कमान सौंपनी चाहिए जो अकाली दल को मजबूत कर सके और धर्म और राजनीति के बीच संतुलन भी कायम कर सके। अकाली दल के बागी नेताओं की बैठक में पार्टी का प्रधान पद संत समाज से जुड़े किसी बड़े चेहरे को देने पर भी विचार किया गया है। जाने कब बना अकाली दल 14 दिसंबर, 1920 को एक SAD का गठन किया गया था। इसके पीछे उद्देश्य यह बताया गया था कि गुरुद्वारों को ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त महंतों (पुजारियों) के नियंत्रण से मुक्त कराया जाएगा। SAD के गठन से एक महीना पहले 15 नवंबर को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) का गठन हुआ था। ननकाना साहिब में मत्था टेकते समय एक डिप्टी कमिश्नर की बेटी के साथ छेड़छाड़ की घटना हुई थी और इस वजह से लोगों में गुस्सा था। तब यह मांग उठी थी कि गुरुद्वारों को महंतों से मुक्त कराया जाना चाहिए। SAD ने इसके खिलाफ संघर्ष छेड़ा और यह चार साल तक चला। इस दौरान महंतों और ब्रिटिश प्रशासन के हमलों में 4,000 लोगों की मौत हुई थी। आखिरकार सिख गुरुद्वारा एक्ट 1925 बनाया गया और सभी गुरुद्वारे एसजीपीसी के नियंत्रण में आ गए। अकाली दल ने देश की आजादी से पहले कांग्रेस के साथ भी गठबंधन किया था। SAD के नेता मास्टर तारा सिंह की वजह से ही बंटवारे के दौरान पंजाब के आधे हिस्से को पाकिस्तान में जाने से रोका गया था। बहुमत सुखबीर बादल के साथ एक तरफ विद्रोह तेज हो रहा है, लेकिन दूसरी तरफ सुखबीर अभी भी मजबूती के साथ खड़े हैं। अकाली दल कोर कमेटी व जिला इकाइयों ने प्रस्तावों में पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के स्पष्टवादी, दूरदर्शी और दृढ़ नेतृत्व की पार्टी की ओर से पूरे दिल से सराहना की है और उसमें विश्वास जताया गया। पार्टी के मौजूदा 35 जिला जत्थेदारों में से 33 और मौजूदा 105 हलका प्रभारियों में से 96 ने सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व की सराहना की। इन 33 जिला अध्यक्षों में से 28 ने वास्तव में बैठक में भाग लिया, जबकि जो पांच उपस्थित नहीं हो सके, उन्होंने कुछ पारिवारिक कारणों से उपस्थित होने में असमर्थता व्यक्त करते हुए लिखित रूप में अध्यक्ष के लिए अपने समर्थन की पार्टी को सूचित किया था।