हरियाणा के सोनीपत में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) की एक महिला प्रशासकीय अधिकारी के खिलाफ जालसाजी व कई अन्य गंभीर धाराओं में गोहाना सिटी थाने में केस दर्ज हुआ है। पति के खिलाफ कोर्ट में चल रहे तलाक के केस में खुलासा हुआ कि उसने विवाह रजिस्ट्रेशन का सर्टिफिकेट फर्जी तरीके से तैयार कराया है। पति पक्ष की तरफ से कोई भी पंजीयक अधिकारी के सामने उपस्थित नहीं हुआ। उनकी ओर से फर्जी व्यक्ति खड़े किए गए। असामान्य परिस्थितियों में हुई शादी खास बात ये है कि बैंक अधिकारी अन्नु कुमारी और करण रोहिल्ला का विवाह अप्रैल 2019 में असमान्य परिस्थितियों में हुआ है। असल मे अन्नु की शादी रोहतक में किसी ओर के साथ तय थी, लेकिन दो दिन पहले किसी कारणवश शादी टूट गई। शादी की सारी तैयारी पहले ही चोकी थी। इसके बाद आनन फानन में रिश्तेदारों के दबाव में अन्नु की शादी करण रोहिल्ला के साथ कर दी गई। अब अन्नु ने पति से तलाक के लिए कोर्ट में केस किया हुआ है। कोर्ट के आदेश पर FIR गोहाना की SDJM कोर्ट के आदेश पर अन्नु कुमारी व अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ है। उसके पति करण रोहिल्ला (34) ने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उनकी शादी का प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से तैयार कराया गया है। करण रोहिल्ला मूल रूप से मॉडल टाउन, पानीपत का रहने वाला है और अभी हिमालय अपार्टमेंट, साईं कॉलोनी, रहतानी, पुणे, महाराष्ट्र में रह रहा है। वहीं अन्नु कुमारी यूनियन बैंक आफ इंडिया में प्रशासकीय अधिकारी है और वर्तमान में वह अहमदाबाद में तैनात है। वह मूल रूप से सूर्य नगर गोहाना की रहने वाली है। पति ने कोर्ट को ये बताया… करण रोहिल्ला ने कोर्ट में दायर याचिका में बताया कि उसका विवाह 21 अप्रैल 2019 को गोहाना की अन्नू कुमारी रोहिल्ला के साथ हिंदू रीति-रिवाज और अनुष्ठान के अनुसार रोहतक में हुआ था। उनका विवाह असामान्य परिस्थितियों में संपन्न हुआ था। क्योंकि अन्नू कुमारी रोहिल्ला की शादी किसी और के साथ तय हुई थी। लेकिन शादी से 2 दिन पहले उक्त शादी/रिश्ता टूट गया। उसने बताया कि पारिवारिक मित्रों, रिश्तेदारों के हस्तक्षेप के कारण उसकी अन्नू कुमारी रोहिल्ला के साथ उसी दिन शादी संपन्न हुई, क्योंकि सभी व्यवस्थाएं पहले से ही की जा चुकी थीं। शादी के बाद दोनों पूणे में रहने लगे। इस बीच अन्नू कुमारी ने पारिवारिक न्यायालय, रोहतक के समक्ष तलाक की याचिका दायर की। उसने विवाह रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट संख्या 1876 दिनांक 26/04/2019 काेर्ट में पेश किया। वे तो कभी रजिस्ट्रार के सामने गए ही नहीं मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट देख कर उनको काफी आश्चर्य हुआ, क्योंकि न तो वह और न ही उसके परिवार के सदस्य कभी भी उक्त प्राधिकारी अर्थात विवाह रजिस्ट्रार, गोहाना के समक्ष विवाह को पंजीकृत कराने और विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए उपस्थित नहीं हुए थे। उसके साथ-साथ उसके पिता और माता के हस्ताक्षरों की जालसाजी करके जाली/नकली दस्तावेज तैयार किए हैं। किसी अन्य व्यक्ति को खड़ा करके सर्टिफिकेट तैयार कराया गया। इन धाराओं में हुआ केस दर्ज गोहाना सिटी थाना के ASI अजमेर के अनुसार कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने अन्नु कुमारी के खिलाफ धारा 416/419/463/464/465/468/471/34/120B IPC में केस दर्ज किया है। पुलिस मामले में छानबीन कर रही है। हरियाणा के सोनीपत में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) की एक महिला प्रशासकीय अधिकारी के खिलाफ जालसाजी व कई अन्य गंभीर धाराओं में गोहाना सिटी थाने में केस दर्ज हुआ है। पति के खिलाफ कोर्ट में चल रहे तलाक के केस में खुलासा हुआ कि उसने विवाह रजिस्ट्रेशन का सर्टिफिकेट फर्जी तरीके से तैयार कराया है। पति पक्ष की तरफ से कोई भी पंजीयक अधिकारी के सामने उपस्थित नहीं हुआ। उनकी ओर से फर्जी व्यक्ति खड़े किए गए। असामान्य परिस्थितियों में हुई शादी खास बात ये है कि बैंक अधिकारी अन्नु कुमारी और करण रोहिल्ला का विवाह अप्रैल 2019 में असमान्य परिस्थितियों में हुआ है। असल मे अन्नु की शादी रोहतक में किसी ओर के साथ तय थी, लेकिन दो दिन पहले किसी कारणवश शादी टूट गई। शादी की सारी तैयारी पहले ही चोकी थी। इसके बाद आनन फानन में रिश्तेदारों के दबाव में अन्नु की शादी करण रोहिल्ला के साथ कर दी गई। अब अन्नु ने पति से तलाक के लिए कोर्ट में केस किया हुआ है। कोर्ट के आदेश पर FIR गोहाना की SDJM कोर्ट के आदेश पर अन्नु कुमारी व अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ है। उसके पति करण रोहिल्ला (34) ने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उनकी शादी का प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से तैयार कराया गया है। करण रोहिल्ला मूल रूप से मॉडल टाउन, पानीपत का रहने वाला है और अभी हिमालय अपार्टमेंट, साईं कॉलोनी, रहतानी, पुणे, महाराष्ट्र में रह रहा है। वहीं अन्नु कुमारी यूनियन बैंक 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परिवार के सदस्य कभी भी उक्त प्राधिकारी अर्थात विवाह रजिस्ट्रार, गोहाना के समक्ष विवाह को पंजीकृत कराने और विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए उपस्थित नहीं हुए थे। उसके साथ-साथ उसके पिता और माता के हस्ताक्षरों की जालसाजी करके जाली/नकली दस्तावेज तैयार किए हैं। किसी अन्य व्यक्ति को खड़ा करके सर्टिफिकेट तैयार कराया गया। इन धाराओं में हुआ केस दर्ज गोहाना सिटी थाना के ASI अजमेर के अनुसार कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने अन्नु कुमारी के खिलाफ धारा 416/419/463/464/465/468/471/34/120B IPC में केस दर्ज किया है। पुलिस मामले में छानबीन कर रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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भजनलाल परिवार से जुड़े कृष्णलाल काकड़ बताते हैं, ‘1970 की बात है। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, चौधरी बंसीलाल और भजनलाल के साथ हरियाणा के दौरे पर थीं। रास्ते में इंदिरा गांधी गेहूं का खेत देखकर रुकीं और पूछा कि यह कौन सी किस्म है। चार एकड़ जमीन पर लगी गेहूं की फसल में एक एकड़ फसल अलग क्यों दिख रही? बंसीलाल ने कहा कि बहनजी मैं बाजरा वाला हूं। हमारे यहां बाजरा उगाया जाता है। गेहूं के बारे में मुझे नहीं मालूम। भजनलाल ने बताया कि जमींदार ने 3 एकड़ गेहूं बेचने के लिए बोया है और एक एकड़ में परिवार के लिए देसी गेहूं लगाया है। इसी बीच किसान इकट्ठा हो गए। इंदिरा ने किसानों से पूछा तो वही बात सामने आई, जो भजनलाल ने बताई थी। इस घटना के बाद से भजनलाल का कद और बढ़ गया।’ रातों-रात जनता पार्टी की सरकार को कांग्रेस सरकार में बदल दिया
1977 में बुरी तरह हारने वालीं इंदिरा गांधी ने 1980 के लोकसभा चुनाव में जोरदार वापसी की। कांग्रेस को 529 में से 343 सीटें मिलीं। चौधरी चरण सिंह की जनता पार्टी 41 सीटों पर सिमट गई। तब हरियाणा में जनता पार्टी की सरकार थी और भजनलाल बिश्नोई मुख्यमंत्री। केंद्र में सत्ता बदलते ही भजनलाल को एहसास हो गया कि अब उनकी सरकार भी खतरे में है। उन्हें डर था कि इंदिरा गांधी गैर-कांग्रेसी सरकारों को बर्खास्त करेंगी, क्योंकि इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी सरकार ने भी कई राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बर्खास्त की थीं। हरियाणा कैडर के IAS ऑफिसर रहे राम वर्मा अपनी किताब ‘थ्री लाल्स ऑफ हरियाणा’ में लिखते हैं, ‘20 जनवरी 1980 को चौधरी भजनलाल फूलों का गुलदस्ता लेकर इंदिरा गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे। मुलाकात के दौरान इंदिरा ने कहा- ‘भजनलाल जी, आप अपने घर में वापसी कर लीजिए, लेकिन मेजॉरिटी लेकर आना, वर्ना मैं आपका राज कायम नहीं रख पाऊंगी। मुझे हरियाणा असेंबली भंग करनी पड़ेगी।’ ठीक दो दिन बाद यानी, 22 जनवरी 1980 को भजनलाल ने इंदिरा गांधी के सामने बहुमत पेश कर दिया। भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसा पहली बार था जब रातों-रात एक पार्टी की पूरी कैबिनेट दूसरी पार्टी की सरकार में बदल गई। राम वर्मा लिखते हैं, ‘उस दौरान चौधरी भजनलाल एक बड़े सूटकेस के साथ संजय गांधी से मिले थे। भजनलाल से कहा गया था कि यह सूटकेस मेनका गांधी की मां के घर पहुंचाना है। बाद में भजनलाल ने अपने किसी आदमी से कहा कि मुझे मालूम नहीं था कि नेहरू परिवार में पैसा भी चलता है, वर्ना मैं कब का राजपाट ले लेता।’ जलेबी के लिए भजनलाल से नाराज हो गए राजीव गांधी
चौधरी भजनलाल के मित्र रामरिध काकड़ के बेटे कृष्णलाल काकड़ एक दिलचस्प किस्सा बताते हैं, ‘23 मई 1985 को दोपहर का वक्त था। सिरसा का सर्किट हाउस नेताओं से खचाखच भरा था। हेलिकॉप्टर कहां उतरेगा, गाड़ी कहां पार्क होगी, कोई सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी तो कोई लंच के इंतजाम में व्यस्त था। प्रधानमंत्री राजीव गांधी कुछ ही देर में वहां पहुंचने वाले थे। दूसरी तरफ डिप्टी कमिश्नर यानी, जिलाधिकारी ईश्वर दयाल स्वामी के पर्सनल असिस्टेंट आदमपुर बाजार में भूरा हलवाई की दुकान पर पहुंचे। उन्होंने हलवाई से जलेबी पैक करने को कहा तो हलवाई ने जवाब दिया, अरे साहब! जलेबी से ज्यादा स्वाद तो बर्फी में है। आप बर्फी ले जाओ। हलवाई की बात मानकर वे बर्फी ले आए। इधर, राजीव गांधी सर्किट हाउस पहुंच चुके थे। लंच के समय सीएम भजनलाल और राजीव गांधी खाना खाने बैठे। राजीव गांधी ने कहा, जलेबी कहां है। भजनलाल ने डिब्बा खोला, तो जलेबी की जगह बर्फी निकली। राजीव गांधी ने कहा, मुझे तो जलेबी खानी थी। इसके बाद हंगामा मच गया। भजनलाल ने आदमपुर से जलेबी लाने के लिए काफिला भेजा, लेकिन राजीव गांधी चले गए। भजनलाल गुस्से में लाल थे और उन्होंने डिप्टी कमिश्नर का तबादला कर दिया। 1999 में इन्हीं ईश्वर दयाल स्वामी ने भजनलाल को करनाल लोकसभा सीट से हराया। भजनलाल केंद्र में गए, तो पत्नी को अपनी पारंपरिक सीट से उतारा
1986 में राजीव गांधी ने भजनलाल को केंद्र में बुला लिया। उन्हें पर्यावरण और वन मंत्रालय का जिम्मा दिया गया, लेकिन वे आदमपुर सीट परिवार के लिए सुरक्षित रखना चाहते थे। उन्होंने पत्नी जसमा देवी को 1987 में विधानसभा चुनाव लड़वाया। जनता ने बिश्नोई परिवार पर भरोसा जताते हुए जसमा देवी को विधायक के रूप में चुन लिया। इस तरह आदमपुर सीट पर बिश्नोई परिवार का राज कायम हुआ, जो आज भी बरकरार है। कुलदीप को विधायक बनाने के लिए आडवाणी को फोन किया भजनलाल को दो बेटे और एक बेटी हुई। बड़ा बेटा चंद्रमोहन, छोटा बेटा कुलदीप और बेटी रोशनी। 1993 में एक विधायक पुरुषभान के निधन के बाद पंचकूला जिले की कालका सीट खाली हो गई। इस सीट पर उपचुनाव जीतकर चंद्रमोहन ने राजनीतिक पारी शुरू की। बड़े बेटे को राजनीति में उतारने के बाद भजनलाल छोटे बेटे को भी राजनीति में लेकर आए। 1998 की बात है। आदमपुर में एक बड़ी रैली की तैयारी चल रही थी। भजनलाल ने छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई को राजनीति में उतारने के लिए रैली रखी थी। मंच से भजनलाल बोले, ‘अगर किसी को आदमपुर सीट पर दावा जताना है, तो बता दो। मैं योग्यता के हिसाब से टिकट दिला दूंगा।’ लोग खामोश रहे। इसके बाद भजनलाल ने कहा- नहीं तो मैं कुलदीप को तैयार करता हूं। इसके बाद आवाज आई- हां! कुलदीप को बना दो। उस समय केंद्र में NDA सरकार थी और हरियाणा में भाजपा के सहयोग से बंसीलाल मुख्यमंत्री थे। भजनलाल और बंसीलाल में राजनीतिक दुश्मनी थी। इस वजह से बंसीलाल के बेटे चौधरी सुरेंद्र सिंह ने आदमपुर उपचुनाव में कुलदीप के लिए अड़ंगा लगाना शुरू कर दिया। कुलदीप के लिए मुश्किलें बढ़ती देख भजनलाल ने लालकृष्ण आडवाणी को फोन किया और सुरेंद्र सिंह पर लगाम कसने के लिए कहा। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई आदमपुर सीट से चुनाव जीत गए। साल भर बाद ही भाजपा ने बंसीलाल सरकार से समर्थन वापस ले लिया। जमीन विवाद में कांग्रेस से निकाले गए तो नई पार्टी बनाई
2005 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला। भजनलाल मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन हरियाणा की कमान मिली भूपेंद्र सिंह हुड्डा को। इससे भजनलाल और हुड्डा में तकरार हो गई। कांग्रेस आलाकमान ने भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई को डिप्टी सीएम बनाया। आलाकमान को लगा कि इससे भजनलाल और भूपेंद्र सिंह के बीच तकरार खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। एक साल बाद यानी, 2006 में भजनलाल ने छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई के साथ मिलकर भूपेंद्र हुड्डा का विरोध शुरू कर दिया। इसकी वजह थी स्पेशल इकोनॉमिक जोन यानी, SEZ की जमीनें। दरअसल, हुड्डा सरकार ने SEZ जमीनें रिलायंस ग्रुप को बेची थीं। इसे लेकर भजनलाल ने हुड्डा के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। इसके बाद हुड्डा ने दोनों को कांग्रेस से निकाल दिया। जबकि भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन डिप्टी सीएम बने रहे। 2 दिसंबर 2007 को हरियाणा की राजनीति में नया मोड़ आया। कांग्रेस से निकाले जाने के बाद कुलदीप ने रोहतक में ट्रैक्टर रैली की। इसमें लाखों की संख्या में भीड़ इकट्ठा हुई। हुड्डा के मुख्यमंत्री होते हुए उनके राजनीतिक गढ़ रोहतक में इतनी बड़ी रैली करना मामूली बात नहीं थी। इसी रैली में एक नई पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस यानी, हजकां का गठन हुआ। बेटे ने इस्लाम कबूला, चंद्रमोहन से चांद मोहम्मद बने साल 2008, चंद्रमोहन ने इस्लाम धर्म कबूला और अनुराधा बाली से शादी कर ली। चंद्रमोहन, चांद मोहम्मद हो गए और अनुराधा बाली, फिजा हो गईं। इससे नाराज भजनलाल ने चंद्रमोहन को अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया। उन्होंने चंद्रमोहन के हिस्से की संपत्ति उनकी पहली पत्नी और बच्चों के नाम कर दी। हालांकि चंद्रमोहन और फिजा का रिश्ता ज्यादा नहीं चला और चंद्रमोहन उन्हें छोड़ कर अपनी पहली पत्नी के पास वापस चले गए। 2012 में अनुराधा की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई। वे अपने कमरे में मृत पाई गई थीं। 2018 में चंद्रमोहन के फिर से राजनीति में सक्रिय होने की चर्चा उठी, लेकिन वे चुनावी मैदान में नहीं उतरे। हिसार सीट से आखिरी बार सांसद बने भजनलाल
2009 में चौधरी भजनलाल ने अपनी पार्टी हजकां से हिसार सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ा। ये उनका आखिरी चुनाव था। उन्होंने संपत सिंह को 6 हजार वोटों से हराया। 2009 में ही हरियाणा विधानसभा चुनाव हुए। तब तक चंद्रमोहन भी कांग्रेस और अपनी दूसरी पत्नी फिजा (अनुराधा बाली) को छोड़कर पिता की पार्टी में आ गए थे। चंद्रमोहन ने दोबारा हिंदू धर्म अपना लिया था। हालांकि उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। कांग्रेस ने 90 विधानसभा सीटों में से 40 और इनेलो ने 31 पर जीत दर्ज की। वहीं, 6 सीटें जीतकर हरियाणा जनहित पार्टी किंगमेकर बनकर उभरी, लेकिन भूपेंद्र हुड्डा ने रातों-रात इसके 5 विधायक तोड़ लिए और सरकार बना ली। इससे भजनलाल को काफी धक्का लगा। 3 जून 2011 को भजनलाल का निधन हो गया। पिता की मौत के बाद कुलदीप बिश्नोई ने पिता की राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाई। बड़ा बेटा कांग्रेस में और छोटा बेटा बीजेपी में
2016 में कुलदीप ने हरियाणा जनहित कांग्रेस का विलय कांग्रेस में कर दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में कुलदीप ने हिसार लोकसभा सीट से बेटे भव्य बिश्नोई को टिकट दिलवाया, लेकिन वे बुरी तरह चुनाव हार गए और तीसरे नंबर पर रहे। भाजपा के चौधरी बृजेंद्र सिंह ने उन्हें करीब 4.19 लाख वोटों से हराया था। यह पहला मौका था जब आदमपुर के लोगों ने बिश्नोई परिवार से अलग किसी को वोट दिया था। ये कुलदीप बिश्नोई की राजनीति को तगड़ा झटका था। इस हार के बाद कुलदीप बिश्नोई को लगने लगा कि भाजपा ही आने वाले चुनावों में उनके बेटे को चुनाव जिताएगी। अगस्त 2022 में कुलदीप, पत्नी और बेटे के साथ भाजपा में शामिल हो गए। हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी ने भव्य बिश्नोई को आदमपुर सीट से टिकट दिया है। जबकि चंद्रमोहन आज भी कांग्रेस में बने हुए हैं।
फतेहाबाद के युवक की कनाडा में मौत:परिजनों ने लगाई शव वापस लाने की गुहार, 14 जून को गया था नौकरी के लिए
फतेहाबाद के युवक की कनाडा में मौत:परिजनों ने लगाई शव वापस लाने की गुहार, 14 जून को गया था नौकरी के लिए फतेहाबाद जिले के रतिया क्षेत्र से नौकरी के लिए कनाडा गए एक युवक की मात्र 7 दिनों बाद ही एक हादसे में मौत हो गई। मृतक के शव को वापस भारत लाने के लिए परिजनों ने सोशल मीडिया के जरिए लोगों से मदद की गुहार लगाई है। हादसे में हुई युवक की मौत जानकारी के अनुसार पिलछियां निवासी बिकर सिंह का 23 वर्षीय बेटा केवल सिंह 14 जून को कनाडा को नौकरी के लिए कनाडा गया। जहां पर एक फार्म में पशुओं के लिए चारा काटने के काम पर लग गया। बताया जा रहा है कि 21 जून को वह काम कर रहा था कि वह एक बड़ी चारा काटने वाली मशीन के अंदर जा गिरा। उसके पेट में लोहे की पत्ती घुसने पर उसकी मौत हो गई। परिजनों ने की सहयोग की अपील परिवार को जब इस दुखद हादसे का पता चला तो उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पिता ने पहले ही जमीन बेचकर लाखों रुपए जुटाकर अपने पुत्र को भेजा था और अब उसके शव को लाने के लिए भी लाखों रुपए की जरूरत है। जिस कारण उन्होंने बीती सोशल मीडिया पर इसको लेकर एक अपील भी जारी की है। किसान संगठन ने सरकार से की शव लाने मांग पीड़ित पिता की अपील के बाद अब पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति ने भी प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मनदीप सिंह ने कहा कि गांव पिलछिया के नौजवान युवक की कनाडा में मौत हो गई है। इसलिए वह केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार से मांग करते हैं कि मृतक युवक के शव को जल्द से जल्द भारत लाने के लिए प्रक्रिया शुरू की जाए, और शव को सरकार अपने खर्चे पर कनाडा से भारत लेकर आए।