लखनऊ में खून का काला कारोबार चल रहा है। दैनिक भास्कर के स्टिंग में खून के अवैध कारोबार के खुलासे के बाद बड़ा सवाल था कि आखिर ये कारोबार कहां से और कैसे चल रहा है? इसके पीछे और कौन-कौन लोग हैं? अवैध रूप से खून हमें गोयल अस्पताल और ब्लड बैंक से मिला था। यहां के एक कर्मचारी ने हिडेन कैमरे पर पूरी सच्चाई खोलकर रख दी। भास्कर स्टिंग के दूसरे भाग में आज पढ़िए गोयल अस्पताल में खून की खरीद-फरोख्त का पूरा नेटवर्क कैसे काम करता है? किन-किन लोगों की मिलीभगत रहती है? स्टिंग पार्ट-2 से पहले फ्लैश बैक: अगर ब्लड नहीं लिया तो FIR करा देंगे
स्टोरी के पार्ट- 1 में हमारी मुलाकात RMLH में दलाल सलमान, KGMC में दलाल आसिफ और SGPGI में दलाल शुभम से हुई थी। KGMC और RMLH के दलालों ने हमें लेखराज मार्केट स्थित गोयल ब्लड बैंक बुलाया था। हमने बिना डॉक्टर के पर्चे, सैंपल और मरीज के दलाल से गोयल ब्लड बैंक से एक यूनिट ब्लड खरीदा था। पहला पार्ट पढ़ने के लिए खबर के आखिरी में लिंक दिया गया है… अब सिलसिलेवार बताते हैं ‘गोयल ब्लड बैंक’ में कैसे चल रहा खून का काला कारोबार…
हमारी पड़ताल में गोयल ब्लड बैंक का नाम सामने आ चुका था। इसलिए इस अस्पताल में चल रहे ब्लड के सिंडिकेट को जानने के लिए इसके अंदर-बाहर कई दिन तक पड़ताल की। इस दौरान अस्पताल के अंदर हम MR (मेडिकल रिप्रजेंटेटिव) और तीमारदार बनकर गए। कर्मचारी ने बताया- डॉक्टर साहब खून बेचते हैं
लेखराज मार्केट, मेट्रो स्टेशन के पास गोयल कॉम्प्लेक्स बिल्डिंग के अंदर तीन मंजिला इमारत में ये अस्पताल चलता है। इस अस्पताल में जब हम पहुंचे तो लोग आ-जा रहे थे। हालांकि अस्पताल के अंदर मरीज नजर नहीं आ रहे थे। अब हम अस्पताल में दूसरी मंजिल पर पहुंच चुके थे। यहां अंधेरा था, पास में बनी पैथोलॉजी और अन्य विभागों पर ताले लटक रहे थे। हम यहां बैठ गए, तभी हमारे पास अस्पताल का एक कर्मचारी आया। अस्पताल के कर्मचारी से बातचीत के अंश कर्मचारी: क्यों बैठे हो? रिपोर्टर: हम इंतजार में बैठे हैं, खून लेने आए हैं। यहां मिल जाएगा? कर्मचारी: हां, मिल जाएगा। रिपोर्टर: ये कौन लोग आ-जा रहे हैं? कर्मचारी: खून बेचने वाले लोग हैं। रिपोर्टर: इनको कितने पैसे मिलते हैं? कर्मचारी: हजार-दो हजार रुपए मिल जाते हैं। रिपोर्टर: इस खून (निकाले गए) का क्या करते हो? कर्मचारी: डॉक्टर साहब खून बेचते हैं। रिपोर्टर: मेरे दोस्त का बाराबंकी में एक अस्पताल है। उसे रोज 10 से 20 यूनिट खून चाहिए होता है। कर्मचारी: मिल जाएगा, फोन पर बात कर लेना। कर्मचारी से बात करने के बाद हमने अस्पताल के आसपास घूमकर वहां की गतिविधियों के बारे में जानकारी ली। 6 घंटे में करीब 15 लोग अस्पताल के अंदर गए और तीन लोग लाल झोला लेकर बाहर निकले। हमें भी इसी अस्पताल से लाल झोले में खून मिला था। अब हमने खून निकलवाने आए लोगों से बातचीत की। पढ़िए बातचीत के अंश दो लोग अस्पताल से निकले। हम उनके पीछे-पीछे चल दिए, उनसे बात की। उन्होंने कहा- कोई काम-धंधा नहीं है तो क्या करें? खून बेचते हैं। रिपोर्टर: खून निकलवा आए? खून बेचने वाले लोग: बताइए आपको क्या करना है? रिपोर्टर: कितने रुपए मिले? खून बेचने वाले लोग: एक हजार में बेचा है। रिपोर्टर: ऐसा क्यों करते हो, खून क्यों बेचते हो? खून बेचने वाले लोग: जब काम नहीं मिलता है तो बेच देते हैं। क्या करें? रिपोर्टर: हम लोग भी खून खरीदते हैं, 2000 में एक यूनिट। खून बेचने वाले लोग: अब तो निकलवा आए, आप अपना नंबर दे दीजिए। (खून बेचने वाले एक युवक ने अपना फोन नंबर भी दे दिया।) अस्पताल के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया- ये अस्पताल डॉ. अनूप गोयल का है। अस्पताल अंदर की तरफ है, इसलिए यहां मरीज कम आते हैं। अधिकतर लोग खून के सिलसिले में ही आते हैं। इनका एक 10 मंजिला दूसरा अस्पताल BBD कॉलेज के पास इसी नाम से बना है। तीन में से दो दलालों ने गोयल ब्लड बैंक का ही नाम लिया था
खून के दलालों के सिंडिकेट में हम कुल तीन दलालों से मिले थे। पहला दलाल सलमान, जो हमें राम मनोहर लोहिया अस्पताल में मिला और दूसरा दलाल आसिफ KJMU के पास दरगाह में मिला था। आसिफ और सलमान ने मुझे गोयल ब्लड बैंक से बगैर डॉक्टर के पर्चा ब्लड दिलवाने की बात कही थी। जिसके बाद हम सलमान के जरिए गोयल ब्लड बैंक पहुंचे थे। जहां सलमान के जरिए मुझे दो दलाल राहुल उर्फ पंकज और रवि मिले। राहुल और रवि ने बगैर डॉक्टर के पर्चा और सैंपल के मुझे गोयल ब्लड बैंक से ब्लड दिलवा दिया था। मुझे मिले ब्लड के साथ गोयल ब्लड बैंक का एक पर्चा भी मिला। पर्चे पर गोयल हॉस्पिटल ब्लड बैंक एंड कम्पोनेंट सेंटर का नाम
हमने जो खून खरीदा था, उसके साथ एक पर्चा मिला था। बात पर्चे की करें, तो इस पर गोयल हॉस्पिटल ब्लड बैंक एंड कम्पोनेंट सेंटर, गोयल प्लाजा फैजाबाद रोड, लखनऊ लाइसेंस नंबर UP/BB.P/2017/07 दर्ज है। ब्लड बैंक की तरफ से दी गई रसीद पर सीरियल नंबर- 5558 और डिमांड हॉस्पिटल नेम में डॉ. राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल का नाम दर्ज है। मरीज के DTS नंबर में 5558, दिनांक में 27/7/2024 और मरीज का नाम रंजना, उम्र 23 वर्ष और फीमेल दर्ज किया गया। मरीज FSW वार्ड के बेड नंबर 14 पर एडमिट दिखाई गई। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि ये लोग लखनऊ के प्रतिष्ठित अस्पताल के नाम से फर्जी पर्चा भी बना देते हैं। इस पूरे सिंडिकेट के खुलासे के बाद हमने गोयल हॉस्पिटल एंड ब्लड बैंक के संचालक डॉ. अनूप गोयल से बात की। उन्होंने कहा- बगैर पर्चा और सैंपल ब्लड नहीं मिल सकता। जो भी आरोप लगाए गए हैं, निराधार हैं। गलत तरीके से व्यापार करने के तहत होती है सजा
ब्लड के लेन-देन मामले केंद्रीय स्तर पर नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल और राज्य के स्तर पर स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल देखती है। भारत में दो संस्थाएं ब्लड सेंटर्स और उनसे संबंधित पॉलिसी का निर्धारण करती हैं। यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आता है। इसमें साफ-साफ नियम है कि ब्लड खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है। ब्लड केवल दान किया जा सकता है। हाईकोर्ट के वकील दिलीप कुमार शर्मा कहते हैं- नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के डायरेक्टर ने स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के डायरेक्टर्स को निर्देश दे रखा है कि अपने-अपने राज्यों में ऐसा नियम बनाएं कि ब्लड बेचा और खरीदा न जा सके। हालांकि ब्लड बेचने और खरीदने के लिए अभी तक विशेष रूप से कानून नहीं है। न ही इसके लिए कोई अलग से सजा का प्रावधान है। इसकी खरीद-फरोख्त को गलत तरीके से व्यापार के कानून के तहत ही अपराध माना जाता है। शहर में चल रहे खून के अवैध कारोबार को लेकर दैनिक भास्कर ने लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। स्वास्थ्य विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए नंबर पर कई बार कॉल किया, लेकिन उनका फोन नहीं उठा। ये भी पढ़ें लखनऊ के अस्पतालों में खून का सौदा:अगर ब्लड नहीं लिया तो FIR करा देंगे, एक बार दाम तय होने के बाद धमकाते हैं दलाल लखनऊ के एसजीपीजीआई में खून का सौदा करने वाले शुभम ने यह दावा किया। अस्पताल से लेकर ब्लड बैंक तक दलालों का नेटवर्क फैला है। अगर आप जरूरतमंद हैं और डोनर नहीं है, तो इसका फायदा दलाल उठाते हैं। इसके लिए आपको 4500 से लेकर 8000 रुपए देने पड़ेंगे। अगर आप इनसे खून नहीं लेंगे, तो ये दलाल…(पूरी खबर पढ़े) लखनऊ में खून का काला कारोबार चल रहा है। दैनिक भास्कर के स्टिंग में खून के अवैध कारोबार के खुलासे के बाद बड़ा सवाल था कि आखिर ये कारोबार कहां से और कैसे चल रहा है? इसके पीछे और कौन-कौन लोग हैं? अवैध रूप से खून हमें गोयल अस्पताल और ब्लड बैंक से मिला था। यहां के एक कर्मचारी ने हिडेन कैमरे पर पूरी सच्चाई खोलकर रख दी। भास्कर स्टिंग के दूसरे भाग में आज पढ़िए गोयल अस्पताल में खून की खरीद-फरोख्त का पूरा नेटवर्क कैसे काम करता है? किन-किन लोगों की मिलीभगत रहती है? स्टिंग पार्ट-2 से पहले फ्लैश बैक: अगर ब्लड नहीं लिया तो FIR करा देंगे
स्टोरी के पार्ट- 1 में हमारी मुलाकात RMLH में दलाल सलमान, KGMC में दलाल आसिफ और SGPGI में दलाल शुभम से हुई थी। KGMC और RMLH के दलालों ने हमें लेखराज मार्केट स्थित गोयल ब्लड बैंक बुलाया था। हमने बिना डॉक्टर के पर्चे, सैंपल और मरीज के दलाल से गोयल ब्लड बैंक से एक यूनिट ब्लड खरीदा था। पहला पार्ट पढ़ने के लिए खबर के आखिरी में लिंक दिया गया है… अब सिलसिलेवार बताते हैं ‘गोयल ब्लड बैंक’ में कैसे चल रहा खून का काला कारोबार…
हमारी पड़ताल में गोयल ब्लड बैंक का नाम सामने आ चुका था। इसलिए इस अस्पताल में चल रहे ब्लड के सिंडिकेट को जानने के लिए इसके अंदर-बाहर कई दिन तक पड़ताल की। इस दौरान अस्पताल के अंदर हम MR (मेडिकल रिप्रजेंटेटिव) और तीमारदार बनकर गए। कर्मचारी ने बताया- डॉक्टर साहब खून बेचते हैं
लेखराज मार्केट, मेट्रो स्टेशन के पास गोयल कॉम्प्लेक्स बिल्डिंग के अंदर तीन मंजिला इमारत में ये अस्पताल चलता है। इस अस्पताल में जब हम पहुंचे तो लोग आ-जा रहे थे। हालांकि अस्पताल के अंदर मरीज नजर नहीं आ रहे थे। अब हम अस्पताल में दूसरी मंजिल पर पहुंच चुके थे। यहां अंधेरा था, पास में बनी पैथोलॉजी और अन्य विभागों पर ताले लटक रहे थे। हम यहां बैठ गए, तभी हमारे पास अस्पताल का एक कर्मचारी आया। अस्पताल के कर्मचारी से बातचीत के अंश कर्मचारी: क्यों बैठे हो? रिपोर्टर: हम इंतजार में बैठे हैं, खून लेने आए हैं। यहां मिल जाएगा? कर्मचारी: हां, मिल जाएगा। रिपोर्टर: ये कौन लोग आ-जा रहे हैं? कर्मचारी: खून बेचने वाले लोग हैं। रिपोर्टर: इनको कितने पैसे मिलते हैं? कर्मचारी: हजार-दो हजार रुपए मिल जाते हैं। रिपोर्टर: इस खून (निकाले गए) का क्या करते हो? कर्मचारी: डॉक्टर साहब खून बेचते हैं। रिपोर्टर: मेरे दोस्त का बाराबंकी में एक अस्पताल है। उसे रोज 10 से 20 यूनिट खून चाहिए होता है। कर्मचारी: मिल जाएगा, फोन पर बात कर लेना। कर्मचारी से बात करने के बाद हमने अस्पताल के आसपास घूमकर वहां की गतिविधियों के बारे में जानकारी ली। 6 घंटे में करीब 15 लोग अस्पताल के अंदर गए और तीन लोग लाल झोला लेकर बाहर निकले। हमें भी इसी अस्पताल से लाल झोले में खून मिला था। अब हमने खून निकलवाने आए लोगों से बातचीत की। पढ़िए बातचीत के अंश दो लोग अस्पताल से निकले। हम उनके पीछे-पीछे चल दिए, उनसे बात की। उन्होंने कहा- कोई काम-धंधा नहीं है तो क्या करें? खून बेचते हैं। रिपोर्टर: खून निकलवा आए? खून बेचने वाले लोग: बताइए आपको क्या करना है? रिपोर्टर: कितने रुपए मिले? खून बेचने वाले लोग: एक हजार में बेचा है। रिपोर्टर: ऐसा क्यों करते हो, खून क्यों बेचते हो? खून बेचने वाले लोग: जब काम नहीं मिलता है तो बेच देते हैं। क्या करें? रिपोर्टर: हम लोग भी खून खरीदते हैं, 2000 में एक यूनिट। खून बेचने वाले लोग: अब तो निकलवा आए, आप अपना नंबर दे दीजिए। (खून बेचने वाले एक युवक ने अपना फोन नंबर भी दे दिया।) अस्पताल के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया- ये अस्पताल डॉ. अनूप गोयल का है। अस्पताल अंदर की तरफ है, इसलिए यहां मरीज कम आते हैं। अधिकतर लोग खून के सिलसिले में ही आते हैं। इनका एक 10 मंजिला दूसरा अस्पताल BBD कॉलेज के पास इसी नाम से बना है। तीन में से दो दलालों ने गोयल ब्लड बैंक का ही नाम लिया था
खून के दलालों के सिंडिकेट में हम कुल तीन दलालों से मिले थे। पहला दलाल सलमान, जो हमें राम मनोहर लोहिया अस्पताल में मिला और दूसरा दलाल आसिफ KJMU के पास दरगाह में मिला था। आसिफ और सलमान ने मुझे गोयल ब्लड बैंक से बगैर डॉक्टर के पर्चा ब्लड दिलवाने की बात कही थी। जिसके बाद हम सलमान के जरिए गोयल ब्लड बैंक पहुंचे थे। जहां सलमान के जरिए मुझे दो दलाल राहुल उर्फ पंकज और रवि मिले। राहुल और रवि ने बगैर डॉक्टर के पर्चा और सैंपल के मुझे गोयल ब्लड बैंक से ब्लड दिलवा दिया था। मुझे मिले ब्लड के साथ गोयल ब्लड बैंक का एक पर्चा भी मिला। पर्चे पर गोयल हॉस्पिटल ब्लड बैंक एंड कम्पोनेंट सेंटर का नाम
हमने जो खून खरीदा था, उसके साथ एक पर्चा मिला था। बात पर्चे की करें, तो इस पर गोयल हॉस्पिटल ब्लड बैंक एंड कम्पोनेंट सेंटर, गोयल प्लाजा फैजाबाद रोड, लखनऊ लाइसेंस नंबर UP/BB.P/2017/07 दर्ज है। ब्लड बैंक की तरफ से दी गई रसीद पर सीरियल नंबर- 5558 और डिमांड हॉस्पिटल नेम में डॉ. राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल का नाम दर्ज है। मरीज के DTS नंबर में 5558, दिनांक में 27/7/2024 और मरीज का नाम रंजना, उम्र 23 वर्ष और फीमेल दर्ज किया गया। मरीज FSW वार्ड के बेड नंबर 14 पर एडमिट दिखाई गई। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि ये लोग लखनऊ के प्रतिष्ठित अस्पताल के नाम से फर्जी पर्चा भी बना देते हैं। इस पूरे सिंडिकेट के खुलासे के बाद हमने गोयल हॉस्पिटल एंड ब्लड बैंक के संचालक डॉ. अनूप गोयल से बात की। उन्होंने कहा- बगैर पर्चा और सैंपल ब्लड नहीं मिल सकता। जो भी आरोप लगाए गए हैं, निराधार हैं। गलत तरीके से व्यापार करने के तहत होती है सजा
ब्लड के लेन-देन मामले केंद्रीय स्तर पर नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल और राज्य के स्तर पर स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल देखती है। भारत में दो संस्थाएं ब्लड सेंटर्स और उनसे संबंधित पॉलिसी का निर्धारण करती हैं। यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आता है। इसमें साफ-साफ नियम है कि ब्लड खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है। ब्लड केवल दान किया जा सकता है। हाईकोर्ट के वकील दिलीप कुमार शर्मा कहते हैं- नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के डायरेक्टर ने स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के डायरेक्टर्स को निर्देश दे रखा है कि अपने-अपने राज्यों में ऐसा नियम बनाएं कि ब्लड बेचा और खरीदा न जा सके। हालांकि ब्लड बेचने और खरीदने के लिए अभी तक विशेष रूप से कानून नहीं है। न ही इसके लिए कोई अलग से सजा का प्रावधान है। इसकी खरीद-फरोख्त को गलत तरीके से व्यापार के कानून के तहत ही अपराध माना जाता है। शहर में चल रहे खून के अवैध कारोबार को लेकर दैनिक भास्कर ने लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। स्वास्थ्य विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए नंबर पर कई बार कॉल किया, लेकिन उनका फोन नहीं उठा। ये भी पढ़ें लखनऊ के अस्पतालों में खून का सौदा:अगर ब्लड नहीं लिया तो FIR करा देंगे, एक बार दाम तय होने के बाद धमकाते हैं दलाल लखनऊ के एसजीपीजीआई में खून का सौदा करने वाले शुभम ने यह दावा किया। अस्पताल से लेकर ब्लड बैंक तक दलालों का नेटवर्क फैला है। अगर आप जरूरतमंद हैं और डोनर नहीं है, तो इसका फायदा दलाल उठाते हैं। इसके लिए आपको 4500 से लेकर 8000 रुपए देने पड़ेंगे। अगर आप इनसे खून नहीं लेंगे, तो ये दलाल…(पूरी खबर पढ़े) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर