हरियाणा के पूर्व CM और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के अविवाहित होने का मामला संसद में गूंज गया। इसके जवाब में खट्टर ने भी दिलचस्प अंदाज में जवाब दिया। हुआ यूं कि राज्यसभा की कार्यवाही चल ही थी। इस दौरान चेयरमैन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जया बच्चन को ‘जया अमिताभ बच्चन’ कहकर पुकारा। इस पर जया बच्चन ने उनके नाम के साथ अमिताभ बच्चन का नाम जोड़े जाने पर नाखुशी जाहिर की। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने उन्हें समझाया कि ये उन्होंने ही लिखकर दिया है। धनखड़ ने केंद्रीय मंत्री खट्टर का नाम पुकारा तो जया बच्चन कह बैठीं कि मंत्री मनोहर लाल खट्टर के नाम के साथ उनकी पत्नी का भी नाम लगाइए। जिसके बाद खट्टर ने कहा कि इसके लिए तो हमें भी अगले जन्म का इंतजार करना पड़ेगा। संसद भवन में हुई पूरी बातचीत पढ़ें… चेयरमैन जगदीप धनखड़: श्रीमती जया अमिताभ बच्चन। जया बच्चन: सर, आपको अमिताभ का मतलब पता है ना। चेयरमैन धनखड़: नाम बदलवा दीजिए (जया बच्चन इस बीच कुछ बोलने लगीं) चेयरमैन धनखड़: जो नाम इलेक्शन सर्टिफिकेट में आता है और जो यहां सबमिट किया जाता है। उसके अंदर बदलाव की प्रक्रिया है। इसका लाभ मैंने खुद 1989 में उठाया था। जया बच्चन: नो सर, मुझे अपने नाम, अपने पति के नाम और उनकी अचीवमेंट पर गर्व है। यह आभा मिट नहीं सकती। ये ड्रामा आप लोगों ने नया शुरू किया, पहले नहीं था। चेयरमैन धनखड़: मैं एक बार फ्रांस गया था। मैं होटल में गया। इस बारे में मैनेजमेंट ने मुझे बताया कि हर ग्लोबल आईकन की फोटो लगी है। मैं वहां गया तो वहां अमिताभ बच्चन की फोटो लगी थी। पूरे देश को उन पर गर्व है। इसके बाद चेयरमैन उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर का नाम लिया। जया बच्चन: सर, इनके नाम के आगे इनकी पत्नी का नाम भी लगा दीजिए। मैं इसके सपोर्ट में नहीं, लेकिन यह गलत है। चेयरमैन धनखड़: एक चीज बताऊं, इस चीज का निर्णय मैं करता हूं। मैंने आपको नाम से पुकारा था। मैंने कई बार अपना परिचय डॉक्टर सुदेश पति के नाम से दिया है। ये मेरी वाइफ का नाम है। मैंने आपकी भावनाओं का सम्मान किया है। मनोहर लाल खट्टर: इन्होंने सुझाव दिया कि मेरे नाम के साथ कुछ जोड़ा जाए। कहो तो मैं जवाब दूं। चेयरमैन धनखड़: यह मुश्किल है। मनोहर लाल खट्टर : मुझे उस काम के लिए अगले जन्म का इंतजार करना पड़ेगा। उससे पहले तो ये संभव है नहीं। अविवाहित खट्टर RSS के प्रचारक रह चुके मनोहर लाल खट्टर ने शादी नहीं की। वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम किया। मोदी भी उस वक्त राजनीतिक जीवन में नहीं आए थे। मोदी ने खुद बताया था कि वे खट्टर के साथ बाइक पर पीछे बैठकर रोहतक से गुरुग्राम आते-जाते थे। अचानक CM बन चौंकाया, पहली लोकसभा जीत के बाद मंत्री बने मनोहर लाल खट्टर 2014 में सुर्खियों में आए थे। जब भाजपा को पहली बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में बहुमत मिला था। जिसके बाद भाजपा में कई नाम सुर्खियों में थे, लेकिन अचानक पंजाबी कम्युनिटी से आते खट्टर को भाजपा ने मुख्यमंत्री बना दिया। खट्टर हरियाणा में भाजपा के सबसे बड़े गैर जाट चेहरा बने। 2019 में जब दोबारा भाजपा की जजपा के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनी तो भी खट्टर को दोबारा सीएम बनाया गया। हालांकि इस बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें सीएम कुर्सी से हटा दिया गया। खट्टर करनाल लोकसभा सीट से चुनाव जीते और पहली बार में ही उन्हें केंद्रीय मंत्री बना दिया गया। घर दान किया, कुंवारों के लिए पेंशन शुरू की खट्टर ने सीएम रहते अपने रोहतक के निंदाणा गांव स्थित घर को दान कर दिया। इसके अलावा सीएम रहते खट्टर ने हरियाणा में कुंवारों के लिए पेंशन शुरू की। जिसमें 40 से 60 साल की उम्र तक फायदा दिया गया। इस दायरे में राज्य के करीब 71 हजार कुंवारे और विधुर लोग आए। इन्हें हर महीने 2750 प्रतिमाह पेंशन देने का फैसला हुआ। इस पर हर महीने 20 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान किया गया था। वहीं 60 साल की उम्र के बाद ऑटोमेटिकली यह पेंशन बुढ़ापा पेंशन में तब्दील हो जाएगी। हालांकि तलाकशुदा व लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले व्यक्ति को यह पेंशन नहीं मिलती है। हरियाणा के पूर्व CM और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के अविवाहित होने का मामला संसद में गूंज गया। इसके जवाब में खट्टर ने भी दिलचस्प अंदाज में जवाब दिया। हुआ यूं कि राज्यसभा की कार्यवाही चल ही थी। इस दौरान चेयरमैन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जया बच्चन को ‘जया अमिताभ बच्चन’ कहकर पुकारा। इस पर जया बच्चन ने उनके नाम के साथ अमिताभ बच्चन का नाम जोड़े जाने पर नाखुशी जाहिर की। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने उन्हें समझाया कि ये उन्होंने ही लिखकर दिया है। धनखड़ ने केंद्रीय मंत्री खट्टर का नाम पुकारा तो जया बच्चन कह बैठीं कि मंत्री मनोहर लाल खट्टर के नाम के साथ उनकी पत्नी का भी नाम लगाइए। जिसके बाद खट्टर ने कहा कि इसके लिए तो हमें भी अगले जन्म का इंतजार करना पड़ेगा। संसद भवन में हुई पूरी बातचीत पढ़ें… चेयरमैन जगदीप धनखड़: श्रीमती जया अमिताभ बच्चन। जया बच्चन: सर, आपको अमिताभ का मतलब पता है ना। चेयरमैन धनखड़: नाम बदलवा दीजिए (जया बच्चन इस बीच कुछ बोलने लगीं) चेयरमैन धनखड़: जो नाम इलेक्शन सर्टिफिकेट में आता है और जो यहां सबमिट किया जाता है। उसके अंदर बदलाव की प्रक्रिया है। इसका लाभ मैंने खुद 1989 में उठाया था। जया बच्चन: नो सर, मुझे अपने नाम, अपने पति के नाम और उनकी अचीवमेंट पर गर्व है। यह आभा मिट नहीं सकती। ये ड्रामा आप लोगों ने नया शुरू किया, पहले नहीं था। चेयरमैन धनखड़: मैं एक बार फ्रांस गया था। मैं होटल में गया। इस बारे में मैनेजमेंट ने मुझे बताया कि हर ग्लोबल आईकन की फोटो लगी है। मैं वहां गया तो वहां अमिताभ बच्चन की फोटो लगी थी। पूरे देश को उन पर गर्व है। इसके बाद चेयरमैन उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर का नाम लिया। जया बच्चन: सर, इनके नाम के आगे इनकी पत्नी का नाम भी लगा दीजिए। मैं इसके सपोर्ट में नहीं, लेकिन यह गलत है। चेयरमैन धनखड़: एक चीज बताऊं, इस चीज का निर्णय मैं करता हूं। मैंने आपको नाम से पुकारा था। मैंने कई बार अपना परिचय डॉक्टर सुदेश पति के नाम से दिया है। ये मेरी वाइफ का नाम है। मैंने आपकी भावनाओं का सम्मान किया है। मनोहर लाल खट्टर: इन्होंने सुझाव दिया कि मेरे नाम के साथ कुछ जोड़ा जाए। कहो तो मैं जवाब दूं। चेयरमैन धनखड़: यह मुश्किल है। मनोहर लाल खट्टर : मुझे उस काम के लिए अगले जन्म का इंतजार करना पड़ेगा। उससे पहले तो ये संभव है नहीं। अविवाहित खट्टर RSS के प्रचारक रह चुके मनोहर लाल खट्टर ने शादी नहीं की। वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम किया। मोदी भी उस वक्त राजनीतिक जीवन में नहीं आए थे। मोदी ने खुद बताया था कि वे खट्टर के साथ बाइक पर पीछे बैठकर रोहतक से गुरुग्राम आते-जाते थे। अचानक CM बन चौंकाया, पहली लोकसभा जीत के बाद मंत्री बने मनोहर लाल खट्टर 2014 में सुर्खियों में आए थे। जब भाजपा को पहली बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में बहुमत मिला था। जिसके बाद भाजपा में कई नाम सुर्खियों में थे, लेकिन अचानक पंजाबी कम्युनिटी से आते खट्टर को भाजपा ने मुख्यमंत्री बना दिया। खट्टर हरियाणा में भाजपा के सबसे बड़े गैर जाट चेहरा बने। 2019 में जब दोबारा भाजपा की जजपा के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनी तो भी खट्टर को दोबारा सीएम बनाया गया। हालांकि इस बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें सीएम कुर्सी से हटा दिया गया। खट्टर करनाल लोकसभा सीट से चुनाव जीते और पहली बार में ही उन्हें केंद्रीय मंत्री बना दिया गया। घर दान किया, कुंवारों के लिए पेंशन शुरू की खट्टर ने सीएम रहते अपने रोहतक के निंदाणा गांव स्थित घर को दान कर दिया। इसके अलावा सीएम रहते खट्टर ने हरियाणा में कुंवारों के लिए पेंशन शुरू की। जिसमें 40 से 60 साल की उम्र तक फायदा दिया गया। इस दायरे में राज्य के करीब 71 हजार कुंवारे और विधुर लोग आए। इन्हें हर महीने 2750 प्रतिमाह पेंशन देने का फैसला हुआ। इस पर हर महीने 20 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान किया गया था। वहीं 60 साल की उम्र के बाद ऑटोमेटिकली यह पेंशन बुढ़ापा पेंशन में तब्दील हो जाएगी। हालांकि तलाकशुदा व लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले व्यक्ति को यह पेंशन नहीं मिलती है। हरियाणा | दैनिक 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सिरसा में कर्मचारी रिश्वत लेते गिरफ्तार:ड्यूटी जॉइन करवाने के लिए मांगे एक लाख, एंटी करप्शन ब्यूरो ने की कार्रवाई एंटी करप्शन ब्यूरो की हिसार टीम ने शुक्रवार को सिरसा में तैनात होमगार्ड को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। ब्यूरो को जींद के गांव गांगुली निवासी कृष्ण ने शिकायत दी थी। इसके बाद एसीबी की टीम डीएसपी जुगल किशोर के नेतृत्व में कमांडर को पकड़ने सिरसा पहुंची। शिकायतकर्ता कृष्ण ने एसीबी की टीम को बताया था कि वह 2005 में होमगार्ड विभाग में बतौर गृह रक्षी नियुक्त हुआ था। 1 मई 2023 को कमांडर रघुबीर सिंह ने उसकी ड्यूटी गुरुग्राम में लगाई गई थी। उसने 31 जुलाई 2023 तक गुरुग्राम में ड्यूटी की थी, फिर उसे ड्यूटी से उतार दिया गया। इसके बाद वह ड्यूटी दोबारा ज्वाइन करने के लिए कमांडर रघुबीर सिंह को उनके ऑफिस में जाकर मिला। मगर आरोपी कमांडर ने उसको दोबारा ड्यूटी पर लगाने की एवज में एक लाख रुपए की रिश्वत की मांगी गई। आरोपी ने शुक्रवार 24 जनवरी को उससे 15 हजार रुपए मांगे। इस शिकायत के आधार पर एसीबी हिसार की टीम ने कार्रवाई करते हुए सिरसा में बेगू रोड स्थित प्रीत नगर से जिला कमांडर रघुबीर सिंह को 15 हजार रुपए लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के पास जींद का एडिशनल चार्ज
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हरियाणा में 3 सीटों पर साइलेंट बागियों का खतरा:BJP-कांग्रेस के 4 नेताओं ने नहीं छोड़ी पार्टी, उम्मीदवारों के समर्थन में भी नहीं हरियाणा में रेवाड़ी जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के प्रत्याशियों को ‘साइलेंट’ बागियों से खतरा है। कोसली में कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश यादव और बीजेपी प्रत्याशी अनिल डहीना के अलावा बावल में बीजेपी प्रत्याशी डॉ. कृष्ण कुमार और रेवाड़ी सीट से कैंडिडेट लक्ष्मण सिंह यादव के सामने बागियों से निपटना चुनौती है। कुछ बागी पार्टी छोड़ निर्दलीय मैदान में उतार चुके हैं, लेकिन 4 बड़े चेहरे राव यादवेंद्र, बिक्रम ठेकेदार, रणधीर सिंह कापड़ीवास और डॉ. बनवारी लाल ने ना पार्टी छोड़ी और ना ही प्रत्याशी के समर्थन में दिख रहे हैं। चारों के पास खुद का जनाधार भी है। ऐसे में तीनों सीटों पर भीतरघात की पूरी संभावनाएं दिख रही है। इन्हें मनाने की कोशिशें भी अभी तक नहीं हुई हैं। दरअसल, इस बार बीजेपी और कांग्रेस को इन तीनों ही सीटों पर प्रत्याशियों का चयन करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। बीजेपी ने तीनों ही सीटों पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पसंद से उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं कांग्रेस ने बावल और कोसली में भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट के नेताओं को तरजीह दी और रेवाड़ी सीट पर कांग्रेस ने सिटिंग MLA चिरंजीव राव को फिर से प्रत्याशी बनाया है। बावल में 52 नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी की थी, लेकिन यहां पार्टी ने डॉ. एमएल रंगा को टिकट दी। हुड्डा गुट से होने के कारण उनका अभी विरोध देखने को नहीं मिला है। इसी तरह चिरंजीव के खिलाफ भी अभी तक किसी तरह का विरोध नहीं हुआ। हालांकि कोसली सीट पर कांग्रेस को बड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है। जगदीश के सामने यादवेंद्र चुनौती
कांग्रेस की तरफ से कोसली में प्रत्याशी बनाए गए जगदीश यादव के सामने दो चुनौतियां हैं। एक हैं यहां से टिकट के दावेदारों में शामिल पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह, जो की पहले ही अपने बागी तेवर अपना चुके हैं। हालांकि निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में नही उतरे हैं और ना ही उन्होंने अभी तक पार्टी छोड़ी है। वह इशारों-इशारों में कह चुके हैं कि वह जगदीश को नहीं जीतने देंगे। वहीं दूसरी चुनौती हैं टिकट के एक और दावेदार मनोज कोसलिया, जो कि निर्दलीय ही मैदान में उतार चुके हैं। अनिल के सामने खतरा बन सकते हैं बिक्रम ठेकेदार
राव इंद्रजीत सिंह की साफारिश पर बीजेपी ने कोसली सीट पर अनिल डहीना को चुनावी मैदान में उतारा है। अनिल डहीना एक बार जिला पार्षद रह चुके हैं। हालांकि 2 साल पहले हुए जिला पार्षद चुनाव में वो हार गए थे। उनका इस सीट पर खुद का कोई जनाधार नहीं है। उनकी नौका पूरी तरह राव इंद्रजीत सिंह के भरोसे पर है, लेकिन चुनौती पूर्व मंत्री बिक्रम ठेकेदार से भी है। बिक्रम ठेकेदार भी टिकट के दावेदार थे। जब उन्हें टिकट नहीं मिली तो उन्होंने अपने बागी तेवर भी दिखाए। हालांकि वो ना तो निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं और ना ही उन्होंने पार्टी से किनारा किया है। ऐसे में अनिल के सामने भी भीतरघात से निपटना दोहरी चुनौती होगी। लक्ष्मण का खेल बिगाड़ सकते हैं कापड़ीवास
रेवाड़ी सीट पर बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव के लिए सबसे बड़ा खतरा पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास हैं, जिन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले। टिकट कटने से नाराज होकर दो बड़े चेहरे सतीश यादव आप की टिकट पर और सन्नी यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन कापड़ीवास पूरी तरह शांत बैठे हुए हैं। उन्हें पार्टी नेतृत्व की तरफ से मनाने के भी खूब प्रयास किए गए लेकिन वे अभी तक लक्ष्मण सिंह यादव से दूरी बनाए हुए हैं। 2019 के चुनाव में टिकट कटने पर रणधीर सिंह कापड़ीवास ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। जिसमें वो 35 हजार से ज्यादा वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे थे। बीजेपी की हार का कारण भी रणधीर सिंह कापड़ीवास के निर्दलीय चुनाव लड़ने को ही माना गया था। बावल में हैं डॉ. बनवारी साइलेंट
बीजेपी ने बावल सीट पर पूर्व मंत्री और विधायक डॉ. बनवारी लाल की टिकट काटकर हेल्थ डिपार्टमेंट में डायरेक्टर पद से नौकरी छोड़कर राजनीति में आए डॉ. कृष्ण कुमार को टिकट दी है। राव इंद्रजीत सिंह की नाराजगी के चलते डॉ. बनवारी लाल की टिकट काटी गई। ऐसे में डॉ. कृष्ण कुमार की जीत की जिम्मेदारी भी केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के कंधों पर है। डॉ. बनवारी लाल टिकट कटने से नाराज तो है, लेकिन उन्होंने अभी तक अपनी नाराजगी सार्वजनिक तौर पर जाहिर नहीं की है। 8 साल से ज्यादा मंत्री रहने के दौरान डॉ. बनवारी लाल ने इलाके में अपनी खुद की पकड़ मजबूत की है। जबकि डॉ. कृष्ण कुमार अभी नए हैं। डॉ. बनवारी का साइलेंट रहना बगावती संकेत है। ऐसे में इस बगावत से निपटना कृष्ण कुमार के लिए एक चुनौती है। रूठों के मान जाने के चांस कम
तीनों ही सीटों पर अभी रूठों को मनाने की कोई गंभीर कोशिशें नहीं हुई हैं। पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास को जरूर सीएम नायब सैनी ने मिलने के लिए बुलाया था। बाकी अन्य रूठे अभी शांत बैठे हुए हैं। उनके मान जाने के चांस भी बहुत कम है। यही वजह है कि बागी संकेत दे चुके नेता अब टिकट कटने का बदला लेने के लिए रूप रेखाएं तैयार कर रहे है। सबसे ज्यादा खतरा कोसली और रेवाड़ी सीट पर नजर आ रहा है। यहां कांग्रेस के लिए भी स्थिति कुछ ठीक नहीं है। कांग्रेस की टिकट के दावेदार रहे नेताओं के भी भीतरघात करने की पूरी संभावनाएं हैं।
हरियाणा में 126 विधानसभा और 14 लोकसभा सीटें संभव:BJP ने शुरू की तैयारी, 2029 से पहले होगा परिसीमन, भूपेंद्र हुड्डा की सीट रिजर्व की जाएगी
हरियाणा में 126 विधानसभा और 14 लोकसभा सीटें संभव:BJP ने शुरू की तैयारी, 2029 से पहले होगा परिसीमन, भूपेंद्र हुड्डा की सीट रिजर्व की जाएगी हरियाणा में 2029 के चुनाव से पहले परिसीमन होगा। अभी हरियाणा विधानसभा में 90 और लोकसभा में 10 सीटें हैं। आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में लोकसभा की सीटें बढ़कर 14 और विधानसभा की 126 सीटें हो सकती हैं। BJP ने ग्राउंड लेवल पर इसकी अभी से तैयारी शुरू कर दी है। BJP हरियाणा के हर गांव का सर्वे करा रही है। इसमें देखा जा रहा है कि ऐसे कितने गांव हैं, जहां भाजपा आज तक चुनाव नहीं जीती? और ऐसे कितने गांव हैं, जहां से BJP चुनाव जीत रही है? इसमें पिछले 2 चुनाव का डाटा निकाला जा रहा है। लोकसभा और विधानसभा वाइज यह रिपोर्ट तैयार हो रही है। भाजपा को इसकी मदद परिसीमन कराने में मिल सकती है। इससे पहले 2007-2008 में हरियाणा में परिसीमन हुआ था। उस समय राज्य में कांग्रेस की हुड्डा सरकार थी। इस दौरान कई विधानसभा को तोड़कर नया बनाया गया था। खासकर सिरसा, हिसार और अहीरवाल क्षेत्र में कई जगह परिसीमन से बदलाव हुए थे। हुड्डा और सैलजा के गढ़ टूट सकते हैं
नए परिसीमन में हुड्डा और सैलजा के गढ़ में छेड़छाड़ हो सकती है। इसके लिए BJP सर्वे कर डाटा तैयार रही है। इस हिसाब से विधानसभा को तैयार किया जाएगा, जिससे कांग्रेस को सीधा-सीधा नुकसान हो। रोहतक, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और मेवात के एरिया में परिसीमन कर बदलाव किया जा सकता है। यहां भाजपा ने विधानसभा की एक भी सीट नहीं जीती है। कालांवाली, गढ़ी सांपला किलोई, उकलाना, कलानौर, शाहबाद जैसी सीटें भाजपा के टारगेट पर हैं। हुड्डा की विधानसभा सीट गढ़ी सांपला किलोई को रिजर्व किया जा सकता है। कलानौर को जरनल सीट में बदला जा सकता है। इसी तरह ऐलनाबाद विधानसभा से दड़बा या चौपटा नई विधानसभा निकाली जा सकती है। हिसार लोकसभा से उचाना हलके को बाहर कर जींद को लोकसभा क्षेत्र बनाया जा सकता है। परिसीमन आयोग करता है कार्य
हरियाणा में विधानसभा की 36 और लोकसभा की 4 सीटों की संभावित बढ़ोतरी के साथ प्रदेश राजनीतिक रूप से काफी ताकतवर राज्य के रूप में उभरकर सामने आएगा। परिसीमन आयोग हर 10 साल बाद विधानसभा और लोकसभा सीटों की संख्या में कमी या वृद्धि करता है। इन 10 सालों के अंतराल में आयोग के पास बहुत से ऐसे केस और अर्जियां पहुंचती हैं, जिनमें लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ाने के साथ ही उन्हें आरक्षित करने के प्रस्ताव दिए जाते हैं। संबंधित लोग अपने-अपने हिसाब से आयोग के पास दलीलें भेजते हैं, जिनका धरातल पर वैरिफिकेशन करने के बाद परिसीमन नए सिरे से किया जाता है। फिलहाल, प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों में से 2 सीटें अंबाला और सिरसा आरक्षित हैं। जबकि, 90 विधानसभा सीटों में से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। 2021 में विधानसभा अध्यक्ष ने लिखा था पत्र
2021 में हरियाणा विधानसभा के स्पीकर रहे ज्ञानचंद गुप्ता ने नए विधानसभा भवन के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को जो पत्र लिखा गया था, उसमें 2029 में प्रस्तावित परिसीमन का जिक्र करते हुए स्पष्ट उल्लेख किया था कि राज्य में विधानसभा और लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ने जा रही है। जबकि, मौजूदा विधानसभा भवन में मात्र 90 विधायकों के ही बैठने की व्यवस्था है। इसलिए, हरियाणा विधानसभा को अपना अलग भवन चाहिए। पंजाब विधानसभा ने हरियाणा के 30 से ज्यादा कमरे कब्जा रखे हैं, जो दिए नहीं जा रहे। इसलिए हरियाणा ने अपनी विधानसभा के नए भवन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तो केंद्र ने भी हरियाणा की नई विधानसभा को मंजूरी दे दी है और वन विभाग ने इसके लिए NOC जारी कर दी है। इसलिए बदलाव की जरूरत
हरियाणा की मौजूदा 10 लोकसभा सीटों में अधिकतर ऐसी हैं, जो घनत्व और आबादी के लिहाज से 2 से 4 जिलों तक में फैली हुई हैं। कई बार ऐसा भी हुआ है कि एक जिले में कुछ राजनीतिक समीकरण हैं तो दूसरे जिले में कुछ। ऐसे में लोकसभा चुनाव के दौरान नतीजे चौंकाने वाले होते हैं। यही स्थिति विधानसभा सीटों की भी है। राज्य में 40 विधानसभा ऐसी हैं, जिनका ग्रामीण व शहरी एरिया काफी बढ़ चुका है। उदाहरण के लिए करनाल, पंचकूला या गुरुग्राम विधानसभा से बिल्कुल सटे इलाके नजदीकी विधानसभा में पड़ते हैं, जबकि गांव व शहरी लोगों के कामकाज के लिए मुख्यालय संबंधित शहर में होता है। ऐसे में परिसीमन के जरिए इन विधानसभा क्षेत्रों का फैला हुआ दायरा कम कर नई विधानसभा सीटें बनाई जानी प्रस्तावित हैं। हरियाणा का पार्टी वाइज विधानसभा मैप… 3 लोकसभा और 25 विधानसभा सीटें रिजर्व होना संभव
परिसीमन के बाद राज्य में 14 लोकसभा सीटों में से 3 आरक्षित हो सकती हैं। जबकि, 126 विधानसभा में से 25 सीटें रिजर्व कैटेगरी में रखी जा सकती हैं। 2007-08 में परिसीमन के बाद भिवानी और महेंद्रगढ़ निर्वाचन क्षेत्रों को भिवानी-महेंद्रगढ़ बनाने के लिए मिला दिया गया और मौजूदा फरीदाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र को विभाजित कर एक नया गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र बनाया गया। हरियाणा की स्थिति पर एक नजर
हरियाणा में इस समय 22 जिले, 72 उप-मंडल, 93 तहसीलें, 50 उप-तहसीलें, 142 ब्लॉक, 154 शहर और कस्बे, 6,841 गांव, 6212 ग्राम पंचायतें और कई छोटी ढाणियां हैं। हरियाणा में 10 नगर निगम (गुरुग्राम, फरीदाबाद, अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर, रोहतक, हिसार, पानीपत, करनाल और सोनीपत), 18 नगर परिषद और 52 नगर पालिकाएं हैं। ……………………………. हरियाणा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें-
हरियाणा में 2.62 लाख किसानों को 300 करोड़ बोनस दिया, 7 हजार प्लॉट होल्डरों को 550 करोड़ की राहत, आढ़तियों का कमीशन बढ़ाया हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने श्री गुरूनानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व पर किसानों को बड़ी सौगात दी है। उन्होंने 2 लाख 62 हजार किसानों के बैंक खातों में 300 करोड़ रुपए की बोनस राशि जारी की है। शेष तीसरी किस्त भी जल्द जारी कर दी जाएगी बता दें कि राज्य सरकार कम बारिश के कारण किसानों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम करने के लिए 2000 रुपए प्रति एकड़ का बोनस दे रही है। इसके अलावा आढ़तियों का कमीशन भी बढ़ा दिया गया है। पूरी खबर पढ़ें