भास्कर न्यूज | अम्बाला सैनिक विहार जंडली में एएन ज्वेलर की दुकान में चोरी हो गई। चोर दुकान की दीवार तोड़कर अंदर घुसे और गहनों समेत करीब 10 किलो चांदी चुरा ले गए। सैनिक विहार के ज्वैलर अमन कुमार की शिकायत पर सेक्टर-9 थाना में केस दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता के मुताबिक उसने 17 साल से किराये पर दुकान की हुई है। 1 सितंबर को वह साढ़े 8 बजे बंद करके गया था। सोमवार सुबह करीब साढ़े 8 बजे जब दुकान पर आया तो सारा सामान बिखरा पड़ा था। लॉकर तोड़ा हुआ था और चोर पीछे की दीवार तोड़कर अंदर घुसे थे। दुकान के सीसीटीवी चेक किया तो पौने 4 बजे के करीब 2 लोग ताला तोड़कर अंदर घुसते दिखे। जो 3 बजकर 51 मिनट पर चोरी करके निकल गए। ये लोग दुकान से चांदी के सिक्के, चांदी की पायल, चांदी के ब्रेसलेट, इटालियन चांदी का सामान समेत करीब 9 से 10 किलो चांदी का सामान चुरा ले गए थे। भास्कर न्यूज | अम्बाला सैनिक विहार जंडली में एएन ज्वेलर की दुकान में चोरी हो गई। चोर दुकान की दीवार तोड़कर अंदर घुसे और गहनों समेत करीब 10 किलो चांदी चुरा ले गए। सैनिक विहार के ज्वैलर अमन कुमार की शिकायत पर सेक्टर-9 थाना में केस दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता के मुताबिक उसने 17 साल से किराये पर दुकान की हुई है। 1 सितंबर को वह साढ़े 8 बजे बंद करके गया था। सोमवार सुबह करीब साढ़े 8 बजे जब दुकान पर आया तो सारा सामान बिखरा पड़ा था। लॉकर तोड़ा हुआ था और चोर पीछे की दीवार तोड़कर अंदर घुसे थे। दुकान के सीसीटीवी चेक किया तो पौने 4 बजे के करीब 2 लोग ताला तोड़कर अंदर घुसते दिखे। जो 3 बजकर 51 मिनट पर चोरी करके निकल गए। ये लोग दुकान से चांदी के सिक्के, चांदी की पायल, चांदी के ब्रेसलेट, इटालियन चांदी का सामान समेत करीब 9 से 10 किलो चांदी का सामान चुरा ले गए थे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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झज्जर में थार चालक और पुलिस में बहसबाजी:गाड़ी को रोका तो किया हंगामा, एक घंटे तक लॉक करके बैठा रहा
झज्जर में थार चालक और पुलिस में बहसबाजी:गाड़ी को रोका तो किया हंगामा, एक घंटे तक लॉक करके बैठा रहा झज्जर के बहादुरगढ़ में एक ब्लैक कलर की थार गाड़ी में सवार युवक की दादागिरी देखने को मिली है। युवक ने यातायात पुलिस अधिकारियों से बहस करने के बाद गाड़ी भगा दी। हंगामे के कारण सड़क पर जाम लग गया। जिसके बाद पुलिस ने कुछ दूर आगे गाड़ी को रुकवा लिया। लेकिन आरोपी युवक करीब एक घंटे तक गाड़ी लॉक करके भीतर ही बैठा रहा। इसके बाद वह बाहर निकला तो पुलिस ने उसका चालान काटकर वहां से चलता किया। इस दौरान यातायात भी प्रभावित रहा। दरअसल, बहादुरगढ़ में एक काले रंग की थार गाड़ी झज्जर की तरफ से बहादुरगढ़ की ओर आ रही थी। यातायात पुलिस के एसीपी दिनेश कुमार ने नूना माजरा में मंदिर के सामने कार नंबर यूपी14एफबी 2626 को रुकवाया। गाड़ी से एक युवक उतरा और दो लड़कियां गाड़ी में ही बैठी रही। चालक ने बताया कि ये उसकी बहनें हैं और वे पेपर देकर दिल्ली लौट रहे हैं। पुलिस अधिकारियों से लगाया फोन एसीपी दिनेश कुमार ने ब्लैक फिल्म लगी होने और सीट बेल्ट नहीं लगाने का कारण पूछा तो युवक ने कहा कि ऑनलाइन चालान कर दो। एसीपी ने कहा कि यहां ऑनलाइन चालान काटने की व्यवस्था नहीं है, आपके कोई डॉक्यूमेंट लेकर ही चालान काटा जाएगा। उसने दिल्ली के पुलिस अधिकारियों से मोबाइल पर बात करवाने का प्रयास किया, लेकिन एसीपी दिनेश कुमार ने साफ इनकार कर दिया। आरोपी चालक डॉक्यूमेंट लेने के लिए गाड़ी की तरफ गया और उसने गाड़ी भगा दी। पुलिस ने काटा ब्लैक फिल्म का चालान पुलिस ने भी उसके पीछे गाड़ी लगा दी और टाटा होम्स से कुछ दूर आगे उसकी गाड़ी को रुकवा लिया। गाड़ी रुकने के बाद भी थार गाड़ी में सवार युवक और युवतियां बाहर नहीं आए। करीब आधा घंटे तक युवक मोबाइल पर अन्य लोगों से बात करता रहा, लेकिन गाड़ी नहीं खोली। वह एक घंटे तक गाड़ी लॉक करके अंदर ही बैठा रहा। बाहर पुलिस के साथ ही राहगीरों की भीड़ जुट गई। इस दौरान वाहनों की लाइन लगने से जाम लग गया। थाने से महिला पुलिसकर्मियों को बुलाया गया। इसके बाद वह युवक बाहर निकला और पुलिस ने ब्लैक फिल्म और सीट बेल्ट नहीं लगाने का चालान काटा। पुलिस अधिकारियों की नसीहत सुनने और चालान कटवाने के बाद आरोपी गंतव्य की ओर चले गए। मौके पर मौजूद लोगों ने युवाओं में बढ़ती बेपरवाही और नियम तोड़ने की आदत की खूब आलोचना की।

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हरियाणा में डेरा प्रमुख महाराज बहादुर चंद का निधन:1 साल से थे बीमार, वार्षिक समागम रद्द; दोपहर 3.30 पर अंतिम दर्शन हरियाणा के सिरसा जिले में डेरा जगमाल वाली के प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील का आज सुबह निधन हो गया। पिछले कई दिनों से उनकी तबीयत खराब थी। डेरा प्रमुख की हालत बिगड़ने के कारण उन्हें दिल्ली के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था। संत वकील करीब 1 साल से बीमार थे। आज दोपहर करीब 3.30 बजे उनका अंतिम दर्शन के लिए जगमाल वाली डेरा लाया जाएगा। डेरा प्रमुख के निधन की खबर के कारण डेरा में 3 से 4 अगस्त तक होने वाला वार्षिक समागम रद्द कर दिया गया है। ऐसा पहली बार होगा जब डेरा में कोई वार्षिक समागम नहीं हो रहा है। डेरा प्रमुख की गंभीर हालत के कारण उनके भक्तों में चिंता थी। इसे लेकर डेरा प्रबंधन कमेटी लगातार स्वास्थ्य बुलेटिन जारी कर भक्तों को सांत्वना दे रही थी। 31 जुलाई को डेरा प्रबंधन ने स्वास्थ्य बुलेटिन जारी किया था जिसमें कहा गया कि, “सतगुरु के प्रिय भक्त परम पूज्य महाराज जी का इलाज बहुत अनुभवी और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा किया जा रहा है और उनकी स्वास्थ्य स्थिति स्थिर बनी हुई है। इसलिए भक्तों से अनुरोध है कि वे अस्पताल आने के बजाय महाराज जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए अधिक से अधिक सिमरन करें और अफवाहों पर ध्यान न दें।” हिसार और चंडीगढ़ में की पढ़ाई संत बहादुर चंद (वकील साहिब जी) मूल रूप से गांव चौटाला के रहने वाले हैं। उनका जन्म 10 दिसंबर 1944 को गांव चौटाला में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में की। स्कूल पास करने के बाद उन्होंने हिसार के दयानंद कॉलेज में दाखिला लिया। जहां वे लाजपत राय छात्रावास में रहे और आर्य समाज प्रचारणी सभा के अध्यक्ष बने। फिर उन्होंने चंडीगढ़ के लॉ कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1968 में अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे डेरा जगमालवाली में शामिल हो गए। 9 अगस्त 1998 को संत बहादुर चंद को डेरे की गद्दी सौंपी गई और तब से वे मस्ताना शाह बलूचिस्तानी डेरा जगमालवाली के प्रमुख हैं। देश-विदेश में प्रसिद्ध है डेरा कालांवाली मंडी से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव जगमालवाली करीब 300 साल पहले बसा था। डबवाली रोड पर स्थित यह छोटा सा गांव देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी प्रसिद्ध है और इसकी वजह है गांव में स्थित मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम। इसके अलावा गांव में शिवरात्रि पर्व पर मेला लगता है, जिसमें खेलकूद प्रतियोगिताएं होती हैं। बाबा मोती पुरी स्पोर्ट्स क्लब द्वारा रक्तदान समेत कई समाज कल्याण के कार्य भी किए जाते हैं। क्लब ने गांव में स्थित श्मशान घाट को भी खूबसूरत रूप दिया है। गांव का क्षेत्रफल करीब 5 हजार एकड़ है। यहां 3 गुरुद्वारे और 2 बड़े डेरे हैं। बलूचिस्तानी आश्रम आकर्षण और श्रद्धा का केंद्र वर्ष 1964-65 में यहां के एक किसान बाबा सज्जन सिंह रूहल, जो फकीर और अविवाहित थे, ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को कई एकड़ जमीन दान में दी और उनसे यहां एक डेरा बनाने का अनुरोध किया। जिस पर संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने जहां मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। शुरू में छोटा सा यह आश्रम अब संत की प्रसिद्धि के कारण विशाल रूप ले चुका है। डेरे के अंदर करीब 100-100 फीट का एक बहुत ही भव्य सचखंड बनाया गया है, जिसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना है। वर्तमान में डेरे की गद्दी संत बहादुर चंद वकील साहिब के पास है। जिनका अब निधन हो गया। डेरा जगमालवाली का अगला मुखी कौन होगा? मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम डेरा जगमालवाली के संस्थापक गुरुबख्श सिंह मैनेजर साहब ने अपनी वसीयत के अनुसार बहादुर चंद वकील साहब को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था, लेकिन वकील साहब के बाद डेरा का उत्तराधिकारी कौन होगा, इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आ रही है। बहादुर चंद को डेरा प्रमुख बनाए जाने के बाद गुरुबख्श सिंह के बेटे रघुबीर सिंह ने खुशपुर गोरीवाला में नया डेरा शुरू किया, जिसका प्रबंधन अब चंद महात्मा कर रहे हैं।

सिरसा के पास बच्चे समेत नहर में कूदी महिला:विधायक बैनीवाल के साथियों ने छलांग लगा निकाला; कारणों का खुलासा नहीं
सिरसा के पास बच्चे समेत नहर में कूदी महिला:विधायक बैनीवाल के साथियों ने छलांग लगा निकाला; कारणों का खुलासा नहीं राजस्थान के टिब्बी के पास राज कैनाल में एक महिला ने अपने बच्चे के साथ रविवार दोपहर ढाई बजे छलांग लगा दी। संयोग से उसी समय ऐलनाबाद के विधायक भरत सिंह बैनीवाल और उनके साथी वहां से गुजर रहे थे। महिला व बच्चे को बचाने का प्रयास उसके पति ने भी किया लेकिन वह दोनों को निकाल नहीं सका। जानकारी के अनुसार, महिला व बच्चे को डूबते हुए देख कर अरनियांवाली के सरपंच कृष्ण खोथ और बिजली यूनियन के प्रधान श्याम खोड़ ने तत्काल तेज बहाव वाली नहर में छलांग लगा दी। दोनों ने महिला और बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। महिला हरियाणा के नगराना गांव की रहने वाली है। वह राजस्थान के टिब्बी में बलजीत सिंह के साथ विवाहित है। जानकारी के अनुसार, बलजीत सिंह ने भी अपनी पत्नी और बच्चे को बचाने का प्रयास किया। उसने भी नहर में छलांग लगाई, लेकिन वह उन्हें बचा नहीं पाया। महिला द्वारा बच्चे के साथ आत्महत्या का प्रयास करने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। घटना के बाद मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। विधायक बैनीवाल और उनके साथी रक्तदान कैंप से लौट रहे थे जब उन्होंने यह घटना देखी।