हरियाणा में भाजपा के टिकट बंटवारे से खफा नेताओं ने धड़ाधड़ इस्तीफे देने शुरू कर दिए। पूर्व राज्यमंत्री कर्णदेव कांबोज ने अपने पद से इस्तीफा दिया। जिसके बाद सीएम नायब सिंह सैनी और मंत्री सुभाष सुधा यमुनानगर के रादौर में वीरवार शाम को कर्ण देव कांबोज को मनाने के लिए पहुंचे। कांबोज ने नाराजगी इतनी दिखाई कि सीएम ने कांबोज से हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन कांबोज ने उनसे हाथ तक नहीं मिलाया। जिसके बाद सीएम ने उनकी कलाई पकड़ी और पीठ पर सांत्वना वाला हाथ रख दिया। मीटिंग में की टिकट की मांग करीब डेढ़ घंटे तक मीटिंग का दौर चला। जिसमें कांबोज समाज ने कर्णदेव कांबोज के लिए टिकट की मांग की है। उधर समाज ने भी भाजपा को अल्टीमेटम दिया है कि कर्णदेव कांबोज को टिकट दिया जाए, चाहे वह रादौर से हो या फिर इंद्री से। आज सुबह आठ बजे तक कोई फैसला नहीं आता है तो कांबोज समाज उसके बाद बड़ा फैसला लेगा। पार्टी पर लगाए गंभीर आरोप आपको बता दे कि वीरवार सुबह कर्ण देव कांबोज ने अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा पर आरोप लगाए थे कि पार्टी में सच्ची नियत से सेवा करने वालों को नहीं बल्कि गद्दारों को तवज्जो दी जाती है। ओबीसी समाज की अनदेखी की गई। कांबोज इंद्री से भी तैयारी कर रहे थे और रादौर से भी, लेकिन दोनों ही जगहों से टिकट काट दिया गया। ऐसे में उनके समर्थकों के बीच भी रोष उत्पन्न हो गया। लिहाजा, कांबोज ने बगावती सुर दिखा दिए। पिछली बार भी हुआ था धोखा कांबोज ने आरोप लगाए है कि 2019 में वे इंद्री से तैयारी कर रहे थे, लेकिन ऐन वक्त पर टिकट रादौर से दे दिया गया। उन्होंने बीजेपी से सवाल किया है कि ऐसी क्या वजह थी कि 2019 में श्याम सिंह राणा का टिकट काटना पड़ा और ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि इतनी गद्दारी करने के बावजूद भी 2024 में श्याम सिंह राणा को टिकट देना पड़ गया। अगर संतोषजनक जवाब हुआ तो मैं पार्टी के साथ खड़ा होकर काम करूंगा। जिसने पार्टी के साथ गद्दारी की और पार्टी के उम्मीदवार को हराया, वह पांच साल हमें गालियां देता रहा, पीएम को भी नहीं बख्शा। लोकसभा चुनावों में उसको थोड़ी सी वोटे आई और वह दोबारा भाजपा में शामिल हो गया और फिर भी उसे टिकट दे दिया गया। वह न सिर्फ पार्टी का गद्दार है बल्कि सरकार का भी डिफाल्टर है, जिसने 2014 में सरकार के चावल देने थे। इसकी जांच होनी चाहिए। सीएम गिड़गिड़ा रहे थे, सीएम रबड़ स्टैंप कांबोज ने कहा कि मेरे पास सीएम का खुद ही कॉल आया था और वे गिड़गिड़ा रहे थे और ईधर उधर की बाते करते हुए कह रहे थे, कि मुझे तो पता ही नहीं था कि ऐसा हो गया वैसा हो गया। कांबोज ने कहा कि जब आपको पता ही नहीं है तो सीएम किस बात का है। जब सीएम इतनी बात कह रहा है तो वह सीएम ही नहीं बल्कि रबड़ स्टैंप है। केंद्र से हुआ है जो भी कुछ हुआ। पूरा षड्यंत्र रचा गया है। आजाद लड़ेंगे या फिर टिकट पर अब कांबोज आजाद चुनाव लड़ेंगे या टिकट पर, इस सवाल पर कांबोज ने कहा कि हमने 22 सदस्यीय कमेटी बनाई है। वही तय करेगी कि चुनाव लड़ना है या फिर किसी ओर दल को समर्थन देना है। पांच साल तक भुगता खामियाजा रामकुमार कश्यप को टिकट मिलने के सवाल पर कांबोज ने कहा कि पिछली बार में कश्यप का समर्थन करने के लिए गया था, जिसका खामियाजा मुझे रादौर में भुगतना पड़ा। पांच साल तक रामकुमार कश्यप सिर्फ एक ही बात कहता रहा कि यह तो मंत्री का आदमी है। पांच साल मेरे खिलाफ ही बोलता रहा। कभी भी उसने आज तक मेरे पास कोई कॉल नहीं किया। वह किस मुंह से कह रहा है कि वह मेरा भाई है। मनोहर लाल को भी दे दिया दो टूक जवाब मनोहर लाल जी ने भी मेरे पास कॉल किया था, लेकिन उन्होंने चिकनी चुपड़ी बाते कि हम आपको कहीं ओर एडजस्ट कर देंगे। अब मैने उनको बोल दिया है कि आप अपना काम करो और मैं अपना काम करूंगा। किसी ने कोई रिजाइन नहीं दिया कर्ण देव कांबोज के इस्तीफे के सवाल पर सीएम नायब सैनी ने कहा कि किसी ने कोई इस्तीफा नहीं दिया गया है। टिकट किसी एक व्यक्ति को मिलनी होती है। शीर्ष नेतृत्व का निर्णय सर्वोपरि होता है। कांबोज जी से बात चल रही है। चूंकि हमने हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनानी है और कर्णदेव कांबोज इस जीत के मुख्य कर्णधार होंगे। हरियाणा में भाजपा के टिकट बंटवारे से खफा नेताओं ने धड़ाधड़ इस्तीफे देने शुरू कर दिए। पूर्व राज्यमंत्री कर्णदेव कांबोज ने अपने पद से इस्तीफा दिया। जिसके बाद सीएम नायब सिंह सैनी और मंत्री सुभाष सुधा यमुनानगर के रादौर में वीरवार शाम को कर्ण देव कांबोज को मनाने के लिए पहुंचे। कांबोज ने नाराजगी इतनी दिखाई कि सीएम ने कांबोज से हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन कांबोज ने उनसे हाथ तक नहीं मिलाया। जिसके बाद सीएम ने उनकी कलाई पकड़ी और पीठ पर सांत्वना वाला हाथ रख दिया। मीटिंग में की टिकट की मांग करीब डेढ़ घंटे तक मीटिंग का दौर चला। जिसमें कांबोज समाज ने कर्णदेव कांबोज के लिए टिकट की मांग की है। उधर समाज ने भी भाजपा को अल्टीमेटम दिया है कि कर्णदेव कांबोज को टिकट दिया जाए, चाहे वह रादौर से हो या फिर इंद्री से। आज सुबह आठ बजे तक कोई फैसला नहीं आता है तो कांबोज समाज उसके बाद बड़ा फैसला लेगा। पार्टी पर लगाए गंभीर आरोप आपको बता दे कि वीरवार सुबह कर्ण देव कांबोज ने अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा पर आरोप लगाए थे कि पार्टी में सच्ची नियत से सेवा करने वालों को नहीं बल्कि गद्दारों को तवज्जो दी जाती है। ओबीसी समाज की अनदेखी की गई। कांबोज इंद्री से भी तैयारी कर रहे थे और रादौर से भी, लेकिन दोनों ही जगहों से टिकट काट दिया गया। ऐसे में उनके समर्थकों के बीच भी रोष उत्पन्न हो गया। लिहाजा, कांबोज ने बगावती सुर दिखा दिए। पिछली बार भी हुआ था धोखा कांबोज ने आरोप लगाए है कि 2019 में वे इंद्री से तैयारी कर रहे थे, लेकिन ऐन वक्त पर टिकट रादौर से दे दिया गया। उन्होंने बीजेपी से सवाल किया है कि ऐसी क्या वजह थी कि 2019 में श्याम सिंह राणा का टिकट काटना पड़ा और ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि इतनी गद्दारी करने के बावजूद भी 2024 में श्याम सिंह राणा को टिकट देना पड़ गया। अगर संतोषजनक जवाब हुआ तो मैं पार्टी के साथ खड़ा होकर काम करूंगा। जिसने पार्टी के साथ गद्दारी की और पार्टी के उम्मीदवार को हराया, वह पांच साल हमें गालियां देता रहा, पीएम को भी नहीं बख्शा। लोकसभा चुनावों में उसको थोड़ी सी वोटे आई और वह दोबारा भाजपा में शामिल हो गया और फिर भी उसे टिकट दे दिया गया। वह न सिर्फ पार्टी का गद्दार है बल्कि सरकार का भी डिफाल्टर है, जिसने 2014 में सरकार के चावल देने थे। इसकी जांच होनी चाहिए। सीएम गिड़गिड़ा रहे थे, सीएम रबड़ स्टैंप कांबोज ने कहा कि मेरे पास सीएम का खुद ही कॉल आया था और वे गिड़गिड़ा रहे थे और ईधर उधर की बाते करते हुए कह रहे थे, कि मुझे तो पता ही नहीं था कि ऐसा हो गया वैसा हो गया। कांबोज ने कहा कि जब आपको पता ही नहीं है तो सीएम किस बात का है। जब सीएम इतनी बात कह रहा है तो वह सीएम ही नहीं बल्कि रबड़ स्टैंप है। केंद्र से हुआ है जो भी कुछ हुआ। पूरा षड्यंत्र रचा गया है। आजाद लड़ेंगे या फिर टिकट पर अब कांबोज आजाद चुनाव लड़ेंगे या टिकट पर, इस सवाल पर कांबोज ने कहा कि हमने 22 सदस्यीय कमेटी बनाई है। वही तय करेगी कि चुनाव लड़ना है या फिर किसी ओर दल को समर्थन देना है। पांच साल तक भुगता खामियाजा रामकुमार कश्यप को टिकट मिलने के सवाल पर कांबोज ने कहा कि पिछली बार में कश्यप का समर्थन करने के लिए गया था, जिसका खामियाजा मुझे रादौर में भुगतना पड़ा। पांच साल तक रामकुमार कश्यप सिर्फ एक ही बात कहता रहा कि यह तो मंत्री का आदमी है। पांच साल मेरे खिलाफ ही बोलता रहा। कभी भी उसने आज तक मेरे पास कोई कॉल नहीं किया। वह किस मुंह से कह रहा है कि वह मेरा भाई है। मनोहर लाल को भी दे दिया दो टूक जवाब मनोहर लाल जी ने भी मेरे पास कॉल किया था, लेकिन उन्होंने चिकनी चुपड़ी बाते कि हम आपको कहीं ओर एडजस्ट कर देंगे। अब मैने उनको बोल दिया है कि आप अपना काम करो और मैं अपना काम करूंगा। किसी ने कोई रिजाइन नहीं दिया कर्ण देव कांबोज के इस्तीफे के सवाल पर सीएम नायब सैनी ने कहा कि किसी ने कोई इस्तीफा नहीं दिया गया है। टिकट किसी एक व्यक्ति को मिलनी होती है। शीर्ष नेतृत्व का निर्णय सर्वोपरि होता है। कांबोज जी से बात चल रही है। चूंकि हमने हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनानी है और कर्णदेव कांबोज इस जीत के मुख्य कर्णधार होंगे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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76KG भारवर्ग की पहली भारतीय ओलिंपियन रीतिका हुड्डा:कॉमनवेल्थ व एशियन में हारी तो छोड़ना चाहती थी कुश्ती, माता-पिता की प्रेरणा से ओलिंपिक में पहुंची रोहतक के गांव खरकड़ा हाल अस्थल बोहर की रहने वाली कुश्ती खिलाड़ी रीतिका हुड्डा पेरिस ओलिंपिक के 76 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली खिलाड़ी हैं। जिन्होंने करीब करीब 9 साल पहले कुश्ती खेलना शुरू किया था। वहीं 2022 में ऐसा दौर आया जब कॉमनवेल्थ व एशियन खेलों में चयन नहीं हुआ तो कुश्ती खेल तक छोड़ने का फैसला ले लिया था। लेकिन माता-पिता की प्रेरणा से उन्होंने दोबारा खेलना शुरू किया। कड़ी मेहनत के बल पर वे ओलिंपिक तक का सफर तय करने में सफल रही। वहीं ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के सपने को पूरा करने के लिए वे स्पेशल रणनीति के तहत मैदान में उतरेंगी। जिसके लिए वे पेरिस के समय अनुसार हर रोज करीब 7 घंटे पसीना बहाती हैं। वहीं रीतिका ने इस ओलिंपिक के लिए फैसला लिया है कि वे दिमाग पर किसी का भी बोझ नहीं रखेंगी ओर खुलकर खेलेंगी। स्पीड वर्क व स्मार्ट वर्क पर भी फोकस
रीतिका हुड्डा ने कहा कि ओलिंपिक में चयन से वे काफी खुश हैं। वे पहली महिला हैं, जो ओलिंपिक में 76 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। ओलिंपिक के लिए कड़ा अभ्यास किया है। हार्ड वर्क के साथ-साथ स्पीड वर्क व स्मार्ट वर्क पर भी फोकस रहा है। अब तो यही सपना है कि ओलिंपिक में बेस्ट प्रदर्शन करें। यहां तक पहुंचाने में कोच व माता-पिता का अहम योगदान
रीतिका हुड्डा ने कहा कि यहां तक पहुंचने के लिए उनके कोच व माता-पिता का अहम योगदान रहा है। उनके खाने पीने का सामान व खेल संबंधित सामान है, वह पिता जगबीर हुड्डा लेकर आते हैं। वहीं उनकी मां नीलम खान-पान का ध्यान रखती हैं। मैदान में उनके कोच मंदीप अच्छे से ट्रेनिंग देते हैं। आसपास के लोग भी पूरा सहयोग करते हैं। सभी को उम्मीद है कि बेटी गोल्ड लेकर आएगी। इस पर रीतिका ने कहा कि वे ओलंपिक में अपना बेस्ट देकर आएंगी। बाकी जो भगवान देगा उसमें खुश हूं। 2015 में शुरू की थी कुश्ती
रीतिका हुड्डा ने 2015 में कुश्ती खेल की शुरूआत की थी। रीतिका ने कहा कि उस समय खुद नहीं सोचा था कि कभी ओलिंपिक में क्वालीफाई करुंगी और भारत की पहली महिला बनूंगी। आज इस मुकाम पर पहुंचकर काफी खुश हूं। भगवान ने इतना जल्दी मेहनत का रिजल्ट दिया। आज मेहनत सफल होने जा रही है। बस अब मेडल लेकर आना है। हर खिलाड़ी के लिए अलग रणनीति
रीतिका हुड्डा ने कहा कि ओलिंपिक में कई देशों के खिलाड़ी भाग लेंगे। उनको हराने के लिए अलग-अलग स्ट्रेटजी रहती है। सभी की बाउट देखी हैं और उन पर काम किया है। किसी के साथ अटैक करना है तो किसी के साथ डिफेंस। सभी के साथ अच्छा प्रदर्शन करने की तैयारी की हुई है। 2022 में कुश्ती छोड़ने का मन बना तो माता-पिता ने बढ़ाया हौसला
उन्होंने बताया कि यहां तक का सफर परेशानियों भरा रहा है। खेल के दौरान इंजरी से भी गुजरी हैं। एक समय था, जब उन्होंने हार मान ली थी। क्योंकि 2022 के दौरान कॉमनवेल्थ गेम्स की ट्रायल, सीनियर वर्ल्ड व एशियन गेम्स इन सभी में हार हो गई थी। इस हार के बाद कुश्ती नहीं करने का फैसला किया था। लेकिन परिवार वालों का पूरा सहयोग था। माता-पिता ने कहा कि अपनी प्रैक्टिस पर लगी रह, खाने-पीने का ध्यान हम रखेंगे। इसके बाद दौबारा से खेलने का मन बनाया और आज यहां तक पहुंची हैं। ओलिंपिक में खुलकर खेलेंगे रीतिका
रीतिका हुड्डा ने बताया कि ओलिंपिक में वे एक बात का विशेष ध्यान रखेंगी कि किसी को भी माइंड (दिमाग) पर हैवी नहीं होने देना। इसलिए वे किसी को भी अपने माइंड पर हैवी नहीं होने देंगी। वहीं ओलिंपिक में खुलकर खेलेंगी। उनका लक्ष्य यह है कि गोल्ड लेकर आना है। ओलिंपिक के हिसाब से उन्होंने यहां पर अभ्यास किया है। जिसके लिए वे सुबह-शाम को साढ़े 3-साढ़े 3 घंटे अभ्यास किया है। मां बोली- बेटी से गोल्ड की उम्मीद
रीतिका हुड्डा की मां नीलम हुड्डा ने कहा कि कोई भी खिलाड़ी हो, उसके लिए परिवार के सभी लोगों को संघर्ष करना पड़ता है। आज गर्व महसूस कर रहे हैं कि आज बेटी ओलिंपिक में भाग लेने जा रही है। अभी तक 76 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व कोई नहीं करता था। बेटी की महनत को देखकर हमें गोल्ड की उम्मीद है, बाकी भगवान के हाथ में हैं। रीतिका प्रैक्टिस पर विशेष ध्यान दे रही है, इसलिए अब पेरिस में जा रही हैं। अन्यथा इनके साथ की खिलाड़ी दो दिन पहले ही जा चुकी हैं। हमारा घर ज्यादा अमीर तो नहीं हैं, लेकिन रीतिका के पिता ने आर्थित परेशानी झेली। हमें तो रीतिका के पिता ने हर चीज लाकर दी है। अंडर 23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी थी रीतिका
रीतिका हुड्डा वर्ल्ड चैंपियनशिप के अंडर-23 वर्ग में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहवान हैं। उन्होंने दिसंबर 2023 में अल्बानिया की राजधानी तिराणा में आयोजित अंडर-23 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में बेहतर प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता था। जिसकी बदौलत रीतिका भारत की पहली महिला पहलवान बन गई, जिन्होंने अंडर 23 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है। इससे पहले भारत के केवल एक पुरुष पहलवान ने ही अंडर 23 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।
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आने वाली पीढ़ी को धन-दौलत नहीं अपितु स्वच्छ पर्यावरण का तोहफा दें : कै. महावीर भास्कर न्यूज | महेंद्रगढ़ गांव कोथल में पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें कैप्टन महावीर सिंह मुख्यातिथि रहे। जबकि अलग-अलग स्थानों से पहुंचे पूर्व सेना अधिकारी व कर्मचारी कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ कैप्टन महावीर सिंह व उपस्थित अधिकारियों व कर्मचारियों ने पौधारोपण कर किया। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को धन-दौलत नहीं अपितु स्वच्छ पर्यावरण का तोहफा दो ताकि वे स्वस्थ रहकर अपना भविष्य बनाते हुए देश के नवनिर्माण में अपना योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि जन्मदिन व अन्य खुशी के मौके पर इस प्रकार से पौधरोपण कर हम पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे सकते हैं। कार्यक्रम में कैप्टन ओमप्रकाश, कैप्टन महावीर, भूपसेड़ा, कैप्टन विरेन्द्र, बिकानेर, नायक सूबेदार धर्मवीर रेवाड़ी, कैप्टन मुकेश पिंयनवास, मास्टर भारतभूषण सुरजनवास, नायक सूबेदार रामोतार कोथल कलां, कैप्टन वेदप्रकाश रेवाड़ी, हवलदार जगमाल सिंह कैंटीन, कैप्टन रोहताश बिगोपुर, सूबेदार रामकिशन मानपुरा, देशराज बुढ़वाल, मा. रोशनलाल, हैफेड मैनेजर जगराम यादव, नित्यानन्द्र, राहुल, मा. मनोज कुमार, राजेन्द्र बाबुजी, सुधानंद, विकास यादव, सारांश, अर्जुन, रोहित, अर्नब, विहान यादव आदि उपस्थित रहे।
फरीदाबाद में दो थानों के स्टाफ पर FIR:मामला पुलिस कस्टडी में युवक की मौत का; परिजनों ने तीसरे दिन उठाया शव
फरीदाबाद में दो थानों के स्टाफ पर FIR:मामला पुलिस कस्टडी में युवक की मौत का; परिजनों ने तीसरे दिन उठाया शव हरियाणा के फरीदाबाद में 8 जुलाई को पुलिस कस्टडी में हुई युवक की मौत के मामले में पुलिस ने सेक्टर- 65 सीआईए टीम और दो नंबर पुलिस चौकी स्टाफ पर केस दर्ज कर लिया है। इससे पहले भीम आर्मी के युवाओं ने सेक्टर 21 पुलिस कमिश्नर कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान कमिश्नर राकेश कुमार आर्य ने केस दर्ज करने का आश्वासन दिया था। केस दर्ज होने के बाद परिजन अमित का शव लेने को राजी हुए। ये था मामला फरीदाबाद पुलिस की कस्टडी में मरा अमित (27) मूल रूप से पलवल के रैदासका गांव का रहने वाला था। हाल फिलहाल फरीदाबाद में गाजीपुर डबुआ कॉलोनी इलाके में किराए के मकान में रह रहा था। अमित ने अपने दोस्त हरीश से 50 हजार रुपए लेने थे। रुपयों के लेनदेन के चलते दोनों में 5 जुलाई को फरीदाबाद के दा माल की बेसमेंट में झगड़ा हो गया था। इसमें चाकू से हरीश का गला कट गया था और अमित को भी पेट में चाकू लगा था। पुलिस ने बाद में हरीश के भाई मंजीत की शिकायत पर अमित को आरोपी बनाते हुए बीएनएस की धारा 115,118 (1)351 (1) के तहत मुकदमा दर्ज किया था। उसे चाकू की बरामदगी के लिए सेक्टर 65 क्राइम ब्रांच को सौंपा गया था। वहां 8 जुलाई को उसकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाए कि पुलिस की पिटाई से अमित की मौत हुई है। वे पुलिस कर्मियों पर केस दर्ज करने की मांग कर रहे थे। बुधवार को मृतक अमित के परिजनों के साथ भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने फरीदाबाद के सेक्टर 21 पुलिस कमिश्नर कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। भीम आर्मी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष धर्मवीर परवल, हरियाणा प्रदेश प्रभारी एवं आजाद समाज पार्टी प्रभारी हिमांशु वाल्मीकि ,लीगल सेल राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट एस आर्य और फरीदाबाद के भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष सुशील ने सीआईए सेक्टर 65 और दो नंबर चौकी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अमित का पैसों के लेनदेन के चलते उसके दोस्त हरीश से झगड़ा हुआ था। इसमें हरीश और अमित को दोनों को चाकू लगे थे। हरीश को पुलिस ने एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था, जबकि अमित को बीके अस्पताल में इलाज के लाया गया। वहां पर पुलिस ने अमित का सही से इलाज नहीं होने दिया और उसे अपने साथ पूछताछ के लिए ले गई। सीआईए- 65 में पिटाई के चलते ही अमित की मौत हुई है। पुलिस ने लोगों के बढ़ते रोष को देखते हुए बुधवार काे सेक्टर- 65 सीआईए टीम और दो नंबर पुलिस चौकी स्टाफ पर केस दर्ज कर लिया है। एफआईआर दर्ज करने के बाद परिजनों ने अमित के शव को उसके परिजनों ने ले लिया है। थाना आदर्श नगर में मृतक के भाई सुमित की शिकायत पर बीएस की धारा 3 एससी एसटी एक्ट 1989,103(1) 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।