चंडीगढ़ में कृषि पॉलिसी समेत आठ मुद्दों को लेकर संघर्ष पर चल रहे किसानों का मोर्चा आगे चलेगा या हटेगा। इस पर आज (शुक्रवार) को किसानों द्वारा फैसला लिया जाना है। किसानों की एक अहम मीटिंग सेक्टर-34 में सुबह 11 बजे होगी। इसमें किसानों द्वारा अपनी आगे की रणनीति की जाएगी। इससे पहले किसानों की वीरवार को सीएम भगवंत मान और अधिकारियों से तीन घंटे तक मीटिंग हुई। इसमें प्रत्येक मुद्दे पर मंथन हुआ था। लेकिन किसानों ने मोर्चे को हटाने के लिए कोई फैसला नहीं लिया था। उनका कहना था कि वह शुक्रवार को मीटिंग कर आगे का फैसला लेंगे। इन मुद्दों पर बनी थी सहमति सीएम से मीटिंग में तय हुआ कि खेती पॉलिसी का जो ड्राफ्ट तैयार हुआ है, उसे किसानों व सभी विभागों के साथ शेयर किया जाएगा। फिर किसानों व अन्य मेंबरों से मीटिंग की जाएगी। इसके बाद इसे लागू किया जाएगा। किसानों के कर्ज से जुड़े मामले में कोआपरेटिव बैंक में वन टाइम सेटलमेंट स्कीम (OTS) लेकर आएंगे। किसानों पर जो केस गत समय में दर्ज हुए हैं, उन्हें वापस लेने पर चर्चा हुई है। हालांकि कई केसों में चालान तक पेश किए जा चुके हैं। ऐसे में एडवोकेट जनरल पंजाब से राय लेकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। इसके अलावा भूमिगत जल को बचाने और और खेत के आखिरी किनारे तक नहरी पानी पहुंचाने पर मंथन हुआ। 15 साल बाद चंडीगढ़ में किसानों का मोर्चा पंजाब के यह किसान भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां ) और खेत मजदूर यूनियन के बैनर तले जुटे हैं। मानसून सेशन शुरू होने से पहले किसान चंडीगढ़ पहुंच गए थे। करीब पंद्रह साल के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हें चंडीगढ़ में मोर्चा लगाने की मंजूरी दे दी थी। किसानों ने सेक्टर-34 के दशहरा ग्राउंड में मोर्चा लगाया था। फिर किसानों की मांग थी वह सेशन के दौरान विधानसभा तक मार्च निकालेंगे। लेकिन बाद में चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हें मटका चौक तक मार्च के रूप में जाने दिया था। कृषि मंत्री गुरमीत सिंह ने मटका चौक पर पहुंचकर किसानों से मांग पत्र लिया था। साथ ही किसानों को विश्वास दिलाया था कि वह उनके वकील बनकर सीएम के समक्ष इस मामले को उठाएंगे। चंडीगढ़ में कृषि पॉलिसी समेत आठ मुद्दों को लेकर संघर्ष पर चल रहे किसानों का मोर्चा आगे चलेगा या हटेगा। इस पर आज (शुक्रवार) को किसानों द्वारा फैसला लिया जाना है। किसानों की एक अहम मीटिंग सेक्टर-34 में सुबह 11 बजे होगी। इसमें किसानों द्वारा अपनी आगे की रणनीति की जाएगी। इससे पहले किसानों की वीरवार को सीएम भगवंत मान और अधिकारियों से तीन घंटे तक मीटिंग हुई। इसमें प्रत्येक मुद्दे पर मंथन हुआ था। लेकिन किसानों ने मोर्चे को हटाने के लिए कोई फैसला नहीं लिया था। उनका कहना था कि वह शुक्रवार को मीटिंग कर आगे का फैसला लेंगे। इन मुद्दों पर बनी थी सहमति सीएम से मीटिंग में तय हुआ कि खेती पॉलिसी का जो ड्राफ्ट तैयार हुआ है, उसे किसानों व सभी विभागों के साथ शेयर किया जाएगा। फिर किसानों व अन्य मेंबरों से मीटिंग की जाएगी। इसके बाद इसे लागू किया जाएगा। किसानों के कर्ज से जुड़े मामले में कोआपरेटिव बैंक में वन टाइम सेटलमेंट स्कीम (OTS) लेकर आएंगे। किसानों पर जो केस गत समय में दर्ज हुए हैं, उन्हें वापस लेने पर चर्चा हुई है। हालांकि कई केसों में चालान तक पेश किए जा चुके हैं। ऐसे में एडवोकेट जनरल पंजाब से राय लेकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। इसके अलावा भूमिगत जल को बचाने और और खेत के आखिरी किनारे तक नहरी पानी पहुंचाने पर मंथन हुआ। 15 साल बाद चंडीगढ़ में किसानों का मोर्चा पंजाब के यह किसान भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां ) और खेत मजदूर यूनियन के बैनर तले जुटे हैं। मानसून सेशन शुरू होने से पहले किसान चंडीगढ़ पहुंच गए थे। करीब पंद्रह साल के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हें चंडीगढ़ में मोर्चा लगाने की मंजूरी दे दी थी। किसानों ने सेक्टर-34 के दशहरा ग्राउंड में मोर्चा लगाया था। फिर किसानों की मांग थी वह सेशन के दौरान विधानसभा तक मार्च निकालेंगे। लेकिन बाद में चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हें मटका चौक तक मार्च के रूप में जाने दिया था। कृषि मंत्री गुरमीत सिंह ने मटका चौक पर पहुंचकर किसानों से मांग पत्र लिया था। साथ ही किसानों को विश्वास दिलाया था कि वह उनके वकील बनकर सीएम के समक्ष इस मामले को उठाएंगे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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