हरियाणा के रेवाड़ी जिले की सियासत के लिए आज बड़ा दिन होने वाला हैं। कोसली से टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज बीजेपी के पूर्व मंत्री बिक्रम ठेकेदार ने रविवार को अपने समर्थकों की मीटिंग बुलाई हैं। इस मीटिंग में ठेकेदार चुनाव को लेकर बड़ी घोषणा कर सकते हैं। इधर रेवाड़ी सीट से टिकट नहीं मिलने पर पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव और प्रशांत उर्फ सन्नी ने भी बड़ी मीटिंग बुलाई हैं। सन्नी पहले ही निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। उनके पैतृक गांव बुढ़पुर में होने वाली पंचायत में औपचारिक ऐलान संभव हैं। वहीं सतीश यादव के भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावनाएं हैं। उन्होंने ने भी अपने कार्यालय पर आज कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई हुई हैं। टिकट वितरण के बाद रेवाड़ी जिले के भाजपा नेताओं में असंतोष पैदा हो गया था। पीपीपी के स्टेट कोआर्डिनेटर सतीश खोला निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला वापस ले चुके हैं। पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास से सीएम नायब सैनी के अलावा अन्य सीनियर नेताओं ने बात की हैं। उन्हें भी मनाने की कोशिशें की जा रही है। इसके अलावा पर्यटन निगम के पूर्व चेयरमैन डॉ. अरविंद यादव भी टिकट नहीं मिलने से मायूस हैं। उन्हें मनाने के लिए खुद रेवाड़ी से प्रत्याशी बनाए गए लक्ष्मण सिंह यादव उनके घर पहुंचे थे। हालांकि डॉ. अरविंद यादव की तरफ से अभी किसी तरह का कोई बयान नहीं दिया गया हैं। वह नाराज जरूर हैं, लेकिन उनके बगावती होने की संभावनाएं बहुत कम है। 2014 में पहली बार विधायक बने थे बिक्रम ठेकेदार पूर्व मंत्री बिक्रम ठेकेदार 2014 में पहली बार कोसली सीट से बीजेपी की टिकट पर विधायक बने थे। उन्हें राव इंद्रजीत सिंह की पैरवी के चलते टिकट मिली थी और राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर ही मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली पहली सरकार में राज्यमंत्री भी बनाया गया था। हालांकि बिक्रम ठेकेदार का मंत्री के रूप में कार्यकाल मात्र डेढ़ साल रहा। इसके बाद 2019 में उनकी टिकट कट गई। राव इंद्रजीत सिंह से लगातार दूरियां बढ़ती चली गई। 2024 में एक बार फिर बीजेपी से टिकट मांग रहे थे। लेकिन टिकट नहीं मिलने पर अब नाराज हैं। सतीश और सन्नी दोनों निर्दलीय चुनाव लड़ दिखा चुके ताकत रेवाड़ी सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव 2009 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर रेवाड़ी से चुनाव लड़े थे। अपने पहले ही चुनाव में सतीश ने 35 हजार से ज्यादा वोट हासिल की थी। 2014 में वह इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़े और फिर से 35 हजार से ज्यादा वोट मिले। लेकिन दोनों बार जीत नसीब नहीं हो पाई। 2019 के चुनाव में सतीश ने रणधीर सिंह कापड़ीवास का समर्थन किया था। रणधीर सिंह ने भी 36 हजार से ज्यादा वोट हासिल की। भले ही खुद नहीं जीत पाए लेकिन बीजेपी के कैंडिडेट सुनील मुसेपुर की हार में उनका अहम रोल था। कापड़ीवास ने मुसेपुर को टिकट मिलने पर बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। इसी तरह पूर्व जिला पार्षद प्रशांत उर्फ सन्नी दो बार 2014 और 2019 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुके हैं। युवा चेहरे के तौर पर दोनों चुनाव में सन्नी ने 20 हजार से ज्यादा वोट लिए। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सन्नी ने बीजेपी ज्वाइन कर ली। उन्हें भी इस बार टिकट की उम्मीद थी, लेकिन बीजेपी ने इग्नोर कर दिया। जिसके चलते वह निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। हरियाणा के रेवाड़ी जिले की सियासत के लिए आज बड़ा दिन होने वाला हैं। कोसली से टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज बीजेपी के पूर्व मंत्री बिक्रम ठेकेदार ने रविवार को अपने समर्थकों की मीटिंग बुलाई हैं। इस मीटिंग में ठेकेदार चुनाव को लेकर बड़ी घोषणा कर सकते हैं। इधर रेवाड़ी सीट से टिकट नहीं मिलने पर पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव और प्रशांत उर्फ सन्नी ने भी बड़ी मीटिंग बुलाई हैं। सन्नी पहले ही निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। उनके पैतृक गांव बुढ़पुर में होने वाली पंचायत में औपचारिक ऐलान संभव हैं। वहीं सतीश यादव के भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावनाएं हैं। उन्होंने ने भी अपने कार्यालय पर आज कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई हुई हैं। टिकट वितरण के बाद रेवाड़ी जिले के भाजपा नेताओं में असंतोष पैदा हो गया था। पीपीपी के स्टेट कोआर्डिनेटर सतीश खोला निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला वापस ले चुके हैं। पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास से सीएम नायब सैनी के अलावा अन्य सीनियर नेताओं ने बात की हैं। उन्हें भी मनाने की कोशिशें की जा रही है। इसके अलावा पर्यटन निगम के पूर्व चेयरमैन डॉ. अरविंद यादव भी टिकट नहीं मिलने से मायूस हैं। उन्हें मनाने के लिए खुद रेवाड़ी से प्रत्याशी बनाए गए लक्ष्मण सिंह यादव उनके घर पहुंचे थे। हालांकि डॉ. अरविंद यादव की तरफ से अभी किसी तरह का कोई बयान नहीं दिया गया हैं। वह नाराज जरूर हैं, लेकिन उनके बगावती होने की संभावनाएं बहुत कम है। 2014 में पहली बार विधायक बने थे बिक्रम ठेकेदार पूर्व मंत्री बिक्रम ठेकेदार 2014 में पहली बार कोसली सीट से बीजेपी की टिकट पर विधायक बने थे। उन्हें राव इंद्रजीत सिंह की पैरवी के चलते टिकट मिली थी और राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर ही मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली पहली सरकार में राज्यमंत्री भी बनाया गया था। हालांकि बिक्रम ठेकेदार का मंत्री के रूप में कार्यकाल मात्र डेढ़ साल रहा। इसके बाद 2019 में उनकी टिकट कट गई। राव इंद्रजीत सिंह से लगातार दूरियां बढ़ती चली गई। 2024 में एक बार फिर बीजेपी से टिकट मांग रहे थे। लेकिन टिकट नहीं मिलने पर अब नाराज हैं। सतीश और सन्नी दोनों निर्दलीय चुनाव लड़ दिखा चुके ताकत रेवाड़ी सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव 2009 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर रेवाड़ी से चुनाव लड़े थे। अपने पहले ही चुनाव में सतीश ने 35 हजार से ज्यादा वोट हासिल की थी। 2014 में वह इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़े और फिर से 35 हजार से ज्यादा वोट मिले। लेकिन दोनों बार जीत नसीब नहीं हो पाई। 2019 के चुनाव में सतीश ने रणधीर सिंह कापड़ीवास का समर्थन किया था। रणधीर सिंह ने भी 36 हजार से ज्यादा वोट हासिल की। भले ही खुद नहीं जीत पाए लेकिन बीजेपी के कैंडिडेट सुनील मुसेपुर की हार में उनका अहम रोल था। कापड़ीवास ने मुसेपुर को टिकट मिलने पर बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। इसी तरह पूर्व जिला पार्षद प्रशांत उर्फ सन्नी दो बार 2014 और 2019 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुके हैं। युवा चेहरे के तौर पर दोनों चुनाव में सन्नी ने 20 हजार से ज्यादा वोट लिए। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सन्नी ने बीजेपी ज्वाइन कर ली। उन्हें भी इस बार टिकट की उम्मीद थी, लेकिन बीजेपी ने इग्नोर कर दिया। जिसके चलते वह निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
हरियाणा में 10 नवंबर से CET के लिए आवेदन:दिसंबर में एग्जाम संभव; सामाजिक आर्थिक आधार पर नहीं मिलेंगे 5 अंक
हरियाणा में 10 नवंबर से CET के लिए आवेदन:दिसंबर में एग्जाम संभव; सामाजिक आर्थिक आधार पर नहीं मिलेंगे 5 अंक हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) द्वारा कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) जल्द ही करवाया जाएगा। बताया जा रहा है कि आयोग इसके लिए जल्द ही नोटिफिकेशन जारी कर सकता है। इसके बाद 10 नवम्बर 2024 से आवेदन लेने शुरू कर दिए जाएंगे। जल्द ही जारी होने वाले नोटिफिकेशन में फार्म भरने से लेकर परीक्षा तक की सभी जानकारियां दी जाएंगी। राज्य में काफी युवा ऐसे हैं, जो CET परीक्षा न देने व क्वालीफाई नहीं होने के कारण HSSC की भर्ती प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पा रहे थे। HSSC द्वारा निकाली जा रही भर्तियों में वही युवा ही भाग ले सकते हैं, जिन्होंने CET क्वालीफाई कर रखा है। इसके अलावा, अन्य युवा भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने से पहले ही बाहर हो जाते हैं। इसलिए जो युवा CET क्वालीफाई नहीं हैं, वे CET परीक्षा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। दिसंबर-जनवरी में हो सकती है CET की परीक्षा
HSSC द्वारा अब सबसे पहले CET परीक्षा को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। जो 5-7 नवंबर के बीच में जारी होने की संभावना है। वहीं 10 नवंबर से CET परीक्षा के लिए युवा फार्म भर पाएंगे। वहीं दिसंबर के अंत व जनवरी की शुरूआत में CET की परीक्षा हो सकती है। इसके बाद जो युवा CET परीक्षा में पास होंगे, वे HSSC द्वारा की जाने वाली भर्तियों में आवेदन करके शामिल हो पाएंगे। CET का प्रपोजल सरकार को भेजा जाएगा
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन हिम्मत सिंह ने हाल ही में कहा था कि CET को लेकर प्रपोजल तैयार किया जा रहा है। यह प्रपोजल सरकार को भेजा जाएगा। इसमें सरकार से पूछा जाएगा कि CET को एक दिन में कराया जाए या ज्यादा दिनों में। सरकार की अनुमति मिलने के बाद तिथि निर्धारित होगी। CET तीन साल के लिए मान्य होगा। यह हर साल करवाने की तैयारी है। यदि किसी का स्कोर कम है तो वह हर साल परीक्षा देकर रिजल्ट सुधार सकता है। उसके अधिकतम अंक का स्कोर मान्य होगा। CET को लेकर एजेंसी भी तय करनी है। पहले यह नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की ओर से कराया था। CET में सामाजिक आर्थिक आधार पर नहीं मिलेंगे 5 अंक
CET में इस बार सामाजिक आर्थिक आधार के 5 अंकों का लाभ नहीं दिया जाएगा। ऐसे में जो मेरिट में आएंगे, उन उम्मीदवारों का चयन होगा। CET परीक्षा को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को पत्र लिखा गया है। पत्र मिलने के बाद आयोग ने तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा ने सत्ता में आने से पहले प्रदेश में 2 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था।
करनाल में ट्रक ड्राइवर का अमानवीय कृत्य:दिव्यांग को कुचलने के बाद पत्थर के नीचे दबाया; ग्रामीणों ने किया मामले का खुलासा
करनाल में ट्रक ड्राइवर का अमानवीय कृत्य:दिव्यांग को कुचलने के बाद पत्थर के नीचे दबाया; ग्रामीणों ने किया मामले का खुलासा हरियाणा के करनाल के काछवा गांव के पास इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। जिसमें एक ट्रक चालक ने एक दिव्यांग व्यक्ति को अपने ट्रक से कुचल दिया। यह हादसा तब और भी भयावह हो गया जब ट्रक चालक ने पुलिस को सूचना देने की बजाय शव को पत्थरों के नीचे छिपा दिया। ग्रामीणों ने जब पलटे हुए ट्रक को देखा तो मामले की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की तो ट्रक चालक की यह करतूत सामने आई। पुलिस ने साक्ष्य जुटाने के लिए एफएसएल टीम को भी मौके पर बुलाया। उसके बाद शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के शवगृह में भेज दिया। चालक को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ शुरू कर दी गई है। यूपी को रहने वाला था मृतक मृतक की पहचान 30 वर्षीय शीशपाल के रूप में हुई है, जो सुबह की सैर के लिए निकला था। शीशपाल, जो उत्तर प्रदेश का मूल निवासी था, पिछले 15 वर्षों से काछवा गांव में अपनी मां के साथ रह रहा था। शीशपाल एक हाथ से दिव्यांग था अब तक उसकी शादी नहीं हुई थी। घटना की जानकारी मिलते ही उसकी मां मौके पर पहुंची और अपने बेटे के शव को देखकर बुरी तरह बिलखने लगीं। ट्रक चालक ने इंसानियत को शर्मसार गांव के पूर्व सरपंच बिट्टू ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि ट्रक चालक ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। उन्होंने बताया कि ट्रक पलटने के बाद, चालक ने घायल कंडक्टर को तो अस्पताल भेज दिया, लेकिन शीशपाल के शव को पत्थरों के नीचे दबा दिया ताकि किसी को पता न चल सके। ट्रक में चीनी की बोरियां थीं, जिन्हें बचाने के लिए चालक ने तिरपाल से ढक दिया था। चालक ने ट्रक सीधा करवाने के लिए मजदूरों को बुलाया था, लेकिन जब उन्होंने शव को पत्थरों के नीचे दबा हुआ पाया, तो उन्होंने ट्रक सीधा करने से इनकार कर दिया। ग्रामीणों ने की ड्राइवर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग इस घटना ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है। ग्रामीणों ने मृतक के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। शीशपाल की मृत्यु से उसकी मां और परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, और गांव के लोग इस कठिन समय में उनके साथ खड़े हैं। पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है और दोषी को जल्द ही न्याय के कटघरे में लाने का आश्वासन दिया है। पुलिस कर रही मामले की जांच सूचना के बाद मौके पर पहुंचे सदर थाना के SHO राजपाल ने बताया कि ट्रक ड्राइवर ने शीशपाल को कुचलने के बाद पुलिस को सूचित करने की बजाय शव को छुपाने की कोशिश की। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि वास्तव में हादसा कैसे हुआ और ट्रक चालक ने इस अमानवीय कृत्य को क्यों अंजाम दिया।
हरियाणा में बढ़ी सियासी हलचल:JJP के बागी 2 MLA सैनी के डिनर में पहुंचे; जजपा दोनों के खिलाफ दलबदलू याचिका दे चुकी
हरियाणा में बढ़ी सियासी हलचल:JJP के बागी 2 MLA सैनी के डिनर में पहुंचे; जजपा दोनों के खिलाफ दलबदलू याचिका दे चुकी हरियाणा में लोकसभा चुनाव होते ही सियासी हलचल बढ़ गई है। 3 निर्दलियों के समर्थन वापस लेने के बाद अल्पमत में चल रही भाजपा सरकार एक्टिव हो गई है। बुधवार देर रात सीएम नायब सैनी के पार्टी विधायकों के डिनर में पहुंचे जजपा के बागी 2 विधायकों ने सबको चौंका दिया। यहां इन्होंने मुख्यमंत्री नायब सैनी, पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर से एक घंटे से ज्यादा चर्चा की। जेजेपी के विधायक जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजा खेड़ा ने कहा कि हम बीजेपी के साथ खड़े हैं। लोकसभा चुनाव में भी दोनों जेजेपी विधायकों ने बीजेपी को ही समर्थन दिया था। दोनों विधायकों ने सार्वजनिक मंच से भाजपा के पक्ष में प्रचार करने का ऐलान किया था। क्यों एक्टिव हुई भाजपा हरियाणा में लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के साथ ही विधानसभा का गुणा-गणित बदल चुका है। CM नायब सैनी के करनाल विधानसभा का उप चुनाव जीतने के बाद भी भाजपा सदन में बहुमत से दूर हो गई है। हालांकि अभी भाजपा के 41 विधायक पूरे हो चुके हैं। हलोपा के गोपाल कांडा और एक निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत का साथ होने के बाद भी बहुमत के आंकड़े से 1 नंबर दूर दिखाई दे रही है। इधर, सदन में कांग्रेस-जजपा और INLD यदि साथ आ गए तो सैनी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यहां पढ़िए मुलाकात के सियासी मायने जजपा के बागी विधायकों जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा की सीएम नायब सैनी और पूर्व सीएम खट्टर से मुलाकात के कई सियासी मायने लगाए जा रहे हैं। जजपा ने अभी इन दोनों विधायकों के खिलाफ विधानसभा में एक याचिका डाली हुई है। इस याचिका में दोनों विधायकों के द्वारा बीजेपी के समर्थन के ऐलान पर दलबदलू कानून के तहत सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है। इसके सबूत भी जजपा की ओर से दिए गए हैं। यदि स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता इन दोनों विधायकों की सदस्यता रद्द कर देते हैं तो सरकार के खिलाफ विपक्ष के विधायकों की संख्या 2 कम हो जाएगी। जिसका फायदा यदि विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है उसमें भाजपा को मिलेगा। सदन में ये है राजनीतिक दलों का नंबर अभी हरियाणा की भाजपा सरकार के पास अपने 41, एक निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत एवं हलोपा के इकलौते विधायक गोपाल कांडा का समर्थन है, जिससे उसके पास 43 विधायक बनते हैं जो बहुमत से एक कम है। वहीं विपक्ष के पास कुल 44 विधायक हैं, जिसमें कांग्रेस के 29 ( वरुण चौधरी को छोड़कर) जजपा के 10, 4 निर्दलीय और 1 इनेलो के अभय चौटाला शामिल हैं। अगर JJP के 2 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है तो फिर पक्ष और विपक्षी विधायकों की संख्या गिरकर 42 हो जाएगी, जो भाजपा से एक कम है। लोकसभा चुनाव के बाद ये है दलीय स्थिति लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा के नंबरों में बदलाव हो गया है। 90 विधायकों वाली विधानसभा में अब 87 विधायक ही बचे हैं। सिरसा की रानियां विधानसभा से रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफे, बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक राकेश दौलताबाद के निधन से और अंबाला लोकसभा सीट से मुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी के अंबाला लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह स्थिति बनी है। 87 सदस्यीय इस विधानसभा में अब बहुमत का आंकड़ा 46 से गिरकर 44 हो गया है।