हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद इसके कारणों को जानने के लिए प्रदेश कांग्रेस ने एक 8 सदस्यीय कमेटी बनाई है। यह कमेटी के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने बनाई है और इसका अध्यक्ष पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण सिंह दलाल को बनाया गया है। आज मंगलवार को दोपहर 12 बजे इस कमेटी की पहली मीटिंग होगी। इस मीटिंग में तय होगा कि यह कमेटी काम कैसे करेगी, और हरियाणा में कांग्रेस की हार के कारणों का कैसे पता लगाएगी। 90 विधानसभाओं में कांग्रेस के विधायकों और प्रत्याशियों से मुलाकात की जाएगी। सभी मेंबर एक साथ एक टीम के रूप में विधानसभाओं में जाएंगे या विधानसभा क्षेत्र की रिपोर्ट के लिए अलग-अलग मेंबर जाएंगे, यह सब मीटिंग में ही तय होगा। बता दें कि कांग्रेस हाईकमान की भेजी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी पहले ही हार के कारणों पर सभी नेताओं से वन टू वन बात कर चुकी है। हालांकि, उसकी रिपोर्ट सामने नहीं आई है। EVM से जुड़े मुद्दों पर फोकस करेगी कमेटी
अब यह नई 8 मेंबरी कमेटी विशेष रूप से EVM से जुड़े मुद्दों पर फोकस करेगी, जोकि देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके अलावा कांग्रेस ने माना है कि कुछ आंतरिक पार्टी विरोधी गतिविधियों ने भी पार्टी को नुकसान पहुंचाया है, जिन पर समिति की ओर से विचार किया जाएगा। समिति उन सभी विधायकों से बातचीत करेगी, जो चुनाव में जीतकर आए हैं और उन प्रत्याशियों से भी चर्चा करेगी, जो चुनाव हार गए। इसके साथ ही पार्टी में संगठन निर्माण में देरी और विपक्षी दल के प्रति जनता के असंतोष के मुद्दों पर भी समिति द्वारा विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह समिति एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद पार्टी की ओर से आवश्यक कदम उठाए जाने की उम्मीद है। कमेटी में 5 हारे हुए नेता
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से बनाई कमेटी में करण सिंह दलाल अध्यक्ष हैं। कमेटी के सदस्यों में पार्टी के लीगल सेल के अध्यक्ष केसी भाटिया और नूंह के विधायक आफताब अहमद के अलावा चुनाव हारने वाले 5 नेता शामिल हैं। इनमें घरौंडा सीट से कैंडिडेट रहे वीरेंद्र राठौड़, बड़खल से कैंडिडेट रहे विजय प्रताप सिंह, पानीपत सिटी से चुनाव हारे वीरेंद्र बुल्ले शाह, दादरी सीट से उम्मीदवार रहीं डॉ. मनीषा सांगवान और सोनीपत जिले की खरखौदा सीट से चुनाव हारे पूर्व विधायक जयवीर वाल्मीकि शामिल हैं। कमेटी के सदस्य वीरेंद्र राठौड़ ने बताया है कि EVM का मुद्दा पूरे देश में है। इस मुद्दे पर कमेटी का विशेष फोकस रहेगा। इसमें डाटा फाइल अपलोड करने का एक महत्वपूर्ण विषय है। दूसरा, कांग्रेस में कांग्रेस के ही लोगों ने पार्टी नेताओं का नुकसान किया। ऐसे मुद्दों पर एक विस्तृत रिपोर्ट कमेटी तैयार करेगी। राठौड़ बोले- 14 सीटों के रिजल्ट को मैन्युपुलेट किया गया
राठौड़ का कहना है कि हरियाणा की जनता बदलाव चाहती थी। हालांकि, अब यह बात कहना ठीक नहीं लगेगा, क्योंकि चुनावी परिणाम आ चुके हैं, लेकिन कुछ मुद्दे जरूर हैं जिन पर चर्चा होना जरूरी है। राठौड़ ने एक वॉट्सऐप मैसेज का जिक्र करते हुए कहा कि काउंटिंग शुरू होने से पहले मैसेज मिला, जिसमें लिखा था कि 14 ऐसी सीटें हैं, जिन्हें कांग्रेस जीत रही है, लेकिन डेटा फाइल्स को अपलोड कर इन 14 सीटों के रिजल्ट को मैन्युपुलेट कर दिया। हालांकि, मैं यह नहीं कह रहा कि इसमें पूरी सच्चाई है, लेकिन यह एक ऐसा प्रश्न चिह्न जरूर खड़ा करता है कि किसी भी व्यक्ति को गिनती शुरू होने से पहले उन 14 सीटों की जानकारी कैसे हुई कि यही 14 सीटें कांग्रेस हारेगी? यही 14 सीटें कांग्रेस हारी भी और इन्हीं सीटों की वजह से कांग्रेस की सरकार नहीं बन पाई। कहीं न कहीं सबूत इस तरफ इशारा जरूर कर रहे है। हालांकि, इस बात को साबित करना मुश्किल है, लेकिन सोचने पर जरूर मजबूर किया जा रहा है। ऐसा क्या हुआ कि इस प्रकार के नतीजे आए? भाजपा की कैबिनेट ही चुनाव हार गई
वीरेंद्र राठौर ने भाजपा के पक्ष में आए चुनावी नतीजों को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा कैबिनेट ने अच्छा काम किया होता तो अनिल विज को छोड़कर सभी कैबिनेट मंत्री क्यों चुनाव हारते? अगर विधायकों ने काम अच्छा काम किया होता तो 11 उम्मीदवारों की जमानत जब्त न होती। भाजपा 89 सीटों पर चुनाव लड़ी और 89 में से 10 कैबिनेट मंत्री चुनाव हारे और 11 लोगों की जमानत जब्त हो गई। फिर बचीं 69 सीटें। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि ऐसी कौन सी आंधी भाजपा की चल रही थी कि 69 में से 48 सीटें भाजपा जीत गई? आज भी लोग इस नतीजे को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। विकसित देश EVM का इस्तेमाल नहीं करते
राठौड़ ने कहा कि किसी भी चीज को साबित करने के लिए सबूत चाहिए, लेकिन जब टेक्नोलॉजी से फ्रॉड किए जाते हैं तो उन्हें साबित करना आसान नहीं होता। आज टेक्नोलॉजी उस लेवल पर है, जहां डेटा को मैन्युपुलेट करना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन लोगों का विश्वास इलेक्शन कमीशन और EVM पर होना जरूरी है। देश की जनता कह रही है कि बैलट से इलेक्शन करवाए जाएं। विकसित देश EVM का इस्तेमाल नहीं करते। जाट और नॉन-जाट पॉलिटिक्स पर राठौड़ ने कहा कि यह सोशल मीडिया के माध्यम से प्रोपेगेट कर समाज को बांटने का काम भाजपा करती है। यहां वोटर बीजेपी के खिलाफ था। जो लोग BJP से त्रस्त थे, छोटा व्यापारी BJP की नीतियों से परेशान था। यहां जाट और नॉन-जाट का सवाल बेमाना है। वहीं, कांग्रेस के संगठन और नेता प्रतिपक्ष को लेकर राठौड़ करते हैं कि विपक्ष का नेता तो पार्टी हाईकमान ही तय करेगी। और संगठन भी जल्दी बन जाना चाहिए। बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हवा होने के बाद भी पार्टी को 37 सीटें मिली हैं। वहीं, भाजपा 48 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब रही। हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद इसके कारणों को जानने के लिए प्रदेश कांग्रेस ने एक 8 सदस्यीय कमेटी बनाई है। यह कमेटी के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने बनाई है और इसका अध्यक्ष पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण सिंह दलाल को बनाया गया है। आज मंगलवार को दोपहर 12 बजे इस कमेटी की पहली मीटिंग होगी। इस मीटिंग में तय होगा कि यह कमेटी काम कैसे करेगी, और हरियाणा में कांग्रेस की हार के कारणों का कैसे पता लगाएगी। 90 विधानसभाओं में कांग्रेस के विधायकों और प्रत्याशियों से मुलाकात की जाएगी। सभी मेंबर एक साथ एक टीम के रूप में विधानसभाओं में जाएंगे या विधानसभा क्षेत्र की रिपोर्ट के लिए अलग-अलग मेंबर जाएंगे, यह सब मीटिंग में ही तय होगा। बता दें कि कांग्रेस हाईकमान की भेजी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी पहले ही हार के कारणों पर सभी नेताओं से वन टू वन बात कर चुकी है। हालांकि, उसकी रिपोर्ट सामने नहीं आई है। EVM से जुड़े मुद्दों पर फोकस करेगी कमेटी
अब यह नई 8 मेंबरी कमेटी विशेष रूप से EVM से जुड़े मुद्दों पर फोकस करेगी, जोकि देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके अलावा कांग्रेस ने माना है कि कुछ आंतरिक पार्टी विरोधी गतिविधियों ने भी पार्टी को नुकसान पहुंचाया है, जिन पर समिति की ओर से विचार किया जाएगा। समिति उन सभी विधायकों से बातचीत करेगी, जो चुनाव में जीतकर आए हैं और उन प्रत्याशियों से भी चर्चा करेगी, जो चुनाव हार गए। इसके साथ ही पार्टी में संगठन निर्माण में देरी और विपक्षी दल के प्रति जनता के असंतोष के मुद्दों पर भी समिति द्वारा विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह समिति एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद पार्टी की ओर से आवश्यक कदम उठाए जाने की उम्मीद है। कमेटी में 5 हारे हुए नेता
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से बनाई कमेटी में करण सिंह दलाल अध्यक्ष हैं। कमेटी के सदस्यों में पार्टी के लीगल सेल के अध्यक्ष केसी भाटिया और नूंह के विधायक आफताब अहमद के अलावा चुनाव हारने वाले 5 नेता शामिल हैं। इनमें घरौंडा सीट से कैंडिडेट रहे वीरेंद्र राठौड़, बड़खल से कैंडिडेट रहे विजय प्रताप सिंह, पानीपत सिटी से चुनाव हारे वीरेंद्र बुल्ले शाह, दादरी सीट से उम्मीदवार रहीं डॉ. मनीषा सांगवान और सोनीपत जिले की खरखौदा सीट से चुनाव हारे पूर्व विधायक जयवीर वाल्मीकि शामिल हैं। कमेटी के सदस्य वीरेंद्र राठौड़ ने बताया है कि EVM का मुद्दा पूरे देश में है। इस मुद्दे पर कमेटी का विशेष फोकस रहेगा। इसमें डाटा फाइल अपलोड करने का एक महत्वपूर्ण विषय है। दूसरा, कांग्रेस में कांग्रेस के ही लोगों ने पार्टी नेताओं का नुकसान किया। ऐसे मुद्दों पर एक विस्तृत रिपोर्ट कमेटी तैयार करेगी। राठौड़ बोले- 14 सीटों के रिजल्ट को मैन्युपुलेट किया गया
राठौड़ का कहना है कि हरियाणा की जनता बदलाव चाहती थी। हालांकि, अब यह बात कहना ठीक नहीं लगेगा, क्योंकि चुनावी परिणाम आ चुके हैं, लेकिन कुछ मुद्दे जरूर हैं जिन पर चर्चा होना जरूरी है। राठौड़ ने एक वॉट्सऐप मैसेज का जिक्र करते हुए कहा कि काउंटिंग शुरू होने से पहले मैसेज मिला, जिसमें लिखा था कि 14 ऐसी सीटें हैं, जिन्हें कांग्रेस जीत रही है, लेकिन डेटा फाइल्स को अपलोड कर इन 14 सीटों के रिजल्ट को मैन्युपुलेट कर दिया। हालांकि, मैं यह नहीं कह रहा कि इसमें पूरी सच्चाई है, लेकिन यह एक ऐसा प्रश्न चिह्न जरूर खड़ा करता है कि किसी भी व्यक्ति को गिनती शुरू होने से पहले उन 14 सीटों की जानकारी कैसे हुई कि यही 14 सीटें कांग्रेस हारेगी? यही 14 सीटें कांग्रेस हारी भी और इन्हीं सीटों की वजह से कांग्रेस की सरकार नहीं बन पाई। कहीं न कहीं सबूत इस तरफ इशारा जरूर कर रहे है। हालांकि, इस बात को साबित करना मुश्किल है, लेकिन सोचने पर जरूर मजबूर किया जा रहा है। ऐसा क्या हुआ कि इस प्रकार के नतीजे आए? भाजपा की कैबिनेट ही चुनाव हार गई
वीरेंद्र राठौर ने भाजपा के पक्ष में आए चुनावी नतीजों को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा कैबिनेट ने अच्छा काम किया होता तो अनिल विज को छोड़कर सभी कैबिनेट मंत्री क्यों चुनाव हारते? अगर विधायकों ने काम अच्छा काम किया होता तो 11 उम्मीदवारों की जमानत जब्त न होती। भाजपा 89 सीटों पर चुनाव लड़ी और 89 में से 10 कैबिनेट मंत्री चुनाव हारे और 11 लोगों की जमानत जब्त हो गई। फिर बचीं 69 सीटें। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि ऐसी कौन सी आंधी भाजपा की चल रही थी कि 69 में से 48 सीटें भाजपा जीत गई? आज भी लोग इस नतीजे को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। विकसित देश EVM का इस्तेमाल नहीं करते
राठौड़ ने कहा कि किसी भी चीज को साबित करने के लिए सबूत चाहिए, लेकिन जब टेक्नोलॉजी से फ्रॉड किए जाते हैं तो उन्हें साबित करना आसान नहीं होता। आज टेक्नोलॉजी उस लेवल पर है, जहां डेटा को मैन्युपुलेट करना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन लोगों का विश्वास इलेक्शन कमीशन और EVM पर होना जरूरी है। देश की जनता कह रही है कि बैलट से इलेक्शन करवाए जाएं। विकसित देश EVM का इस्तेमाल नहीं करते। जाट और नॉन-जाट पॉलिटिक्स पर राठौड़ ने कहा कि यह सोशल मीडिया के माध्यम से प्रोपेगेट कर समाज को बांटने का काम भाजपा करती है। यहां वोटर बीजेपी के खिलाफ था। जो लोग BJP से त्रस्त थे, छोटा व्यापारी BJP की नीतियों से परेशान था। यहां जाट और नॉन-जाट का सवाल बेमाना है। वहीं, कांग्रेस के संगठन और नेता प्रतिपक्ष को लेकर राठौड़ करते हैं कि विपक्ष का नेता तो पार्टी हाईकमान ही तय करेगी। और संगठन भी जल्दी बन जाना चाहिए। बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हवा होने के बाद भी पार्टी को 37 सीटें मिली हैं। वहीं, भाजपा 48 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब रही। हरियाणा | दैनिक भास्कर