हिमाचल में बारिश न होने के कारण सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं। कुल्लू व लाहौल स्पीति जिला की बात करें तो यहां बीते 4 महीने से आसमान से पानी की एक बूंद भी नहीं बरसी है। जिला कुल्लू में जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी घटित हो रही हैं जिससे वन संपदा के नुकसान के साथ-साथ जीव जंतु भी काल का ग्रास बन रहे हैं। लोग अब देवी देवताओं के द्वार पहुंच कर बारिश की गुहार लगा रहे हैं। देवभूमि जागरण मंच ने किया भोलेनाथ का जलाभिषेक
कुल्लू में बारिश जल्द हो इसको लेकर देवभूमि जागरण मंच और अन्य हिंदू संगठनों की ओर से कुल्लू जिला मुख्यालय के साथ लगते भूतनाथ मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया गया। इसको लेकर जलछाई का आयोजन हुआ। ब्यास नदी से पानी इकट्ठा करके भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया गया। देवभूमि जागरण मंच के उपाध्यक्ष रोहित राणा ने कहा कि करीब 30 से 35 साल पहले भी इस तरह का कार्यक्रम आयोजित हुआ था। जब घाटी में बारिश नहीं होने के चलते भगवान भोलेनाथ से गुहार लगाई गई, उसके बाद यहां पर बारिश हुई थी। लाहौल में जमें पानी के सोर्स व नाले
लाहौल घाटी में पानी के सोर्स जमने के कारण पीने के पानी का संकट भी पैदा हो गया है। यहां ऊंचाई वाले स्थानों में तापमान माइनस डिग्री में पहुंच गया है व सोर्स जम गए हैं जिस कारण जल शक्ति विभाग को पीने की सप्लाई सुचारु रखने के लिए नालों का पानी टैंकों में जोड़ना पड़ रहा है। हालांकि नाले भी जमने की कगार पर पहुंच गए हैं। सोर्स में कम पानी होने के कारण पानी नालियों में जम जाता है। नाले का पानी जो इसी सोर्स से आता है व साफ होता है उसे खोखसर पंचायत में पानी की कमी के कारण जल शक्ति विभाग ने पानी के टैंको में जोड़ दिया है। हिमाचल में बारिश न होने के कारण सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं। कुल्लू व लाहौल स्पीति जिला की बात करें तो यहां बीते 4 महीने से आसमान से पानी की एक बूंद भी नहीं बरसी है। जिला कुल्लू में जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी घटित हो रही हैं जिससे वन संपदा के नुकसान के साथ-साथ जीव जंतु भी काल का ग्रास बन रहे हैं। लोग अब देवी देवताओं के द्वार पहुंच कर बारिश की गुहार लगा रहे हैं। देवभूमि जागरण मंच ने किया भोलेनाथ का जलाभिषेक
कुल्लू में बारिश जल्द हो इसको लेकर देवभूमि जागरण मंच और अन्य हिंदू संगठनों की ओर से कुल्लू जिला मुख्यालय के साथ लगते भूतनाथ मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया गया। इसको लेकर जलछाई का आयोजन हुआ। ब्यास नदी से पानी इकट्ठा करके भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया गया। देवभूमि जागरण मंच के उपाध्यक्ष रोहित राणा ने कहा कि करीब 30 से 35 साल पहले भी इस तरह का कार्यक्रम आयोजित हुआ था। जब घाटी में बारिश नहीं होने के चलते भगवान भोलेनाथ से गुहार लगाई गई, उसके बाद यहां पर बारिश हुई थी। लाहौल में जमें पानी के सोर्स व नाले
लाहौल घाटी में पानी के सोर्स जमने के कारण पीने के पानी का संकट भी पैदा हो गया है। यहां ऊंचाई वाले स्थानों में तापमान माइनस डिग्री में पहुंच गया है व सोर्स जम गए हैं जिस कारण जल शक्ति विभाग को पीने की सप्लाई सुचारु रखने के लिए नालों का पानी टैंकों में जोड़ना पड़ रहा है। हालांकि नाले भी जमने की कगार पर पहुंच गए हैं। सोर्स में कम पानी होने के कारण पानी नालियों में जम जाता है। नाले का पानी जो इसी सोर्स से आता है व साफ होता है उसे खोखसर पंचायत में पानी की कमी के कारण जल शक्ति विभाग ने पानी के टैंको में जोड़ दिया है। हिमाचल | दैनिक भास्कर