हरियाणा के करनाल में जाटो गेट के सामने श्याम नगर कालोनी में आधी रात को अचानक एक मकान की छत गिर गई। पूरा परिवार मकान में सो रहा था। हादसे में एक महिला और बच्ची मलबे के नीचे दब गई। परिवार के अन्य सदस्य भी चोटिल हुए हैं। घटना की सूचना के बाद आसपास के लोग मौके पर एकत्रित हो गए और मलबे में दबी बच्ची और महिला को बाहर निकाला। अचानक से गिरी छत मकान मालिक गोल्डी ने बताया कि बीती रात करीब साढ़े 12 बजे अचानक से छत गिर गई। हम मलबे के नीचे दब गए। हम सभी दर्द से कराह रहे थे। हादसे के बाद आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और मलबे में दबे लोगों को बाहर निकाला। गोल्डी ने बताया कि उसकी पत्नी और बच्ची बुरी तरह से मलबे के नीचे दबी हुई थी। कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें भी बाहर निकाला। घर में चार लोग रहते है। जिसमें मैं, मेरी पत्नी, छोटी बच्ची और मेरी मां। सभी को सिर व अन्य जगहों पर चोटें आई है। लकड़ी की कड़ियों की छत थी। छत पर ईंटों का चट्टा भी कोने में लगा हुआ था। मलबे में दबा सामान गनीमत नहीं कि वह नहीं गिरा, अन्यथा बड़ी हानि हो सकती थी। घर का सारा सामान मलबे के नीचे दब गया। बड़ा नुकसान हुआ है। पीड़ित ने बताया कि वह 10-12 हजार रुपए की नौकरी करता है और आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। सरकार व प्रशासन से मांग है कि मुआवजा दिया जाए। मकान के लिए फॉर्म भरे, लेकिन कुछ नहीं मिला वहीं पड़ोसी राजेंद्र, पवन, सुनील व अन्य का कहना है कि रात काे अचानक जोरदार आवाज आई। जिसके बाद हम माैके पर पहुंच गए थे और मलबे में दबे लोगों को बाहर निकाला। श्याम नगर में एक नहीं बल्कि 20 घर ऐसे है, जिनकी छतें कच्ची हैं। सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान की बात तो कहती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर है। हमने पहले भी मकान के फॉर्म भरे थे। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। हरियाणा के करनाल में जाटो गेट के सामने श्याम नगर कालोनी में आधी रात को अचानक एक मकान की छत गिर गई। पूरा परिवार मकान में सो रहा था। हादसे में एक महिला और बच्ची मलबे के नीचे दब गई। परिवार के अन्य सदस्य भी चोटिल हुए हैं। घटना की सूचना के बाद आसपास के लोग मौके पर एकत्रित हो गए और मलबे में दबी बच्ची और महिला को बाहर निकाला। अचानक से गिरी छत मकान मालिक गोल्डी ने बताया कि बीती रात करीब साढ़े 12 बजे अचानक से छत गिर गई। हम मलबे के नीचे दब गए। हम सभी दर्द से कराह रहे थे। हादसे के बाद आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और मलबे में दबे लोगों को बाहर निकाला। गोल्डी ने बताया कि उसकी पत्नी और बच्ची बुरी तरह से मलबे के नीचे दबी हुई थी। कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें भी बाहर निकाला। घर में चार लोग रहते है। जिसमें मैं, मेरी पत्नी, छोटी बच्ची और मेरी मां। सभी को सिर व अन्य जगहों पर चोटें आई है। लकड़ी की कड़ियों की छत थी। छत पर ईंटों का चट्टा भी कोने में लगा हुआ था। मलबे में दबा सामान गनीमत नहीं कि वह नहीं गिरा, अन्यथा बड़ी हानि हो सकती थी। घर का सारा सामान मलबे के नीचे दब गया। बड़ा नुकसान हुआ है। पीड़ित ने बताया कि वह 10-12 हजार रुपए की नौकरी करता है और आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। सरकार व प्रशासन से मांग है कि मुआवजा दिया जाए। मकान के लिए फॉर्म भरे, लेकिन कुछ नहीं मिला वहीं पड़ोसी राजेंद्र, पवन, सुनील व अन्य का कहना है कि रात काे अचानक जोरदार आवाज आई। जिसके बाद हम माैके पर पहुंच गए थे और मलबे में दबे लोगों को बाहर निकाला। श्याम नगर में एक नहीं बल्कि 20 घर ऐसे है, जिनकी छतें कच्ची हैं। सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान की बात तो कहती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर है। हमने पहले भी मकान के फॉर्म भरे थे। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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