जीजा-सरहज में प्यार, फिर सुसाइड की पूरी कहानी:झांसी में पति बोला- पत्नी ने बॉयफ्रेंड का नाम गलत बताया, बहन से पता चला

जीजा-सरहज में प्यार, फिर सुसाइड की पूरी कहानी:झांसी में पति बोला- पत्नी ने बॉयफ्रेंड का नाम गलत बताया, बहन से पता चला 9 माह पहले मेरी शादी आरती से हुई थी। थोड़ी दिन बाद वो चोरी छुपे किसी से बात करने लगी। मुझे इसका पता दो माह पहले चला, जब उसके पास मोबाइल पकड़ा गया। तब आरती ने बताया कि धर्मेंद्र से बात करती हूं। बोली अब गलती नहीं होगी। मगर, 15 दिन बाद दूसरा मोबाइल पकड़ा गया। मैं प्रेमी धर्मेंद्र को समझ रहा था, मगर 15 दिन पहले बहन का फोन आया। बोली कि आरती का प्रेमी धर्मेंद्र नहीं, तुम्हारे जीजा हैं। हमने दोनों को समझाया। मगर वे नहीं माने और घर से भागकर दोनों ने सुसाइड कर लिया। यह कहना है झांसी के धनेंद्र कुशवाहा का। जिसकी पत्नी आरती और जीजा प्यारेलाल ने एक साथ सुसाइड कर लिया। रविवार को उनके शव पेड़ पर लटके मिले थे। पढ़िए लव स्टोरी और सुसाइड की पूरी कहानी… जीजा की शादी को 9 साल हो गए
बरुआसागर निवासी प्यारेलाल कुशवाहा (32) प्लम्बर का काम करता था। उसकी शादी 9 साल पहले निवाड़ी के तरीचरकलां निवासी शगुन से हुई थी। उनके 7 साल का बेटा और 5 साल की बेटी है। करीब 9 माह पहले प्यारेलाल के साले धनेंद्र कुशवाहा की शादी आरती (26) से हुई थी। शादी में प्यारेलाल और आरती की मुलाकात हुई। ये मुलाकात जल्द ही प्यार में बदल गई। दोनों चोरी-चोरी बात करने लगे और मिलने लगे। इसके बारे में परिजनों को खबर तक नहीं थी। दामाद होने की वजह से प्यारेलाल का घर पर आना-जाना था। ऐसे में प्यारेलाल ने बात करने के लिए आरती को एक मोबाइल भी दिया था। ऐसे सामने आई लव स्टोरी धनेंद्र कुशवाहा ने बताया- शादी के कुछ समय बाद मेरी पत्नी आरती का स्वभाव बदल गया। वो चोरी छुपे किसी से बात करती थी। इसका पता दो माह पहले चला। जब मैंने उसके पास एक मोबाइल पकड़ा। पूछने पर बोली- धर्मेंद्र से बात करती हूं। मायके वालों को कुछ न बताना। अब बात नहीं करुंगी। कान पकड़कर माफी मांगी। तब मैंने समझाया और कहा कि अब ऐसा मत करना। मगर 15 दिन बाद दूसरा मोबाइल पकड़ा गया। तब मैंने अपनी सास को फोन लगाया और सबकुछ बता दिया। बहन ने पूरा भेद खोला
धनेंद्र ने आगे बताया- मैं धर्मेंद्र को पत्नी का प्रेमी समझ रहा था। एक दिन बहन का फोन आया और बोली कि परेशान मत हो। आरती तुमसे झूठ बोल रही है। वो धर्मेंद्र से नहीं, तुम्हारे जीजा प्यारेलाल से बात करती है। ये बात मुझे प्यारेलाल ने ही बताई है। तब बहन ने जीजा को समझाया कि तुम आरती से बात मत करना। मैंने आरती को समझाया तो बोली कि ठीक है अब बात नहीं करेंगे। मैंने जीजा को भी बोला तो बोले कि गलती हो गई। आज के बाद ऐसा नहीं करेंगे। कान भी पकड़े थे। बाजार जाने के लिए निकली फिर नहीं लौटी धनेंद्र ने कहा- काफी समझाने के बाद भी आरती और प्यारेलाल नहीं माने। तब मैं 22 जनवरी को आरती को उसके मायके छोड़ आया। फिर मैं 28 जनवरी को उसे लेने गया। तब सास-ससुर ने नहीं भेजा। बोले कि अभी नहीं जा रही, 5-6 दिन रुक जाओ। तब मैं घर लौट आया। जीजा प्यारेलाल झांसी में रहकर प्लम्बर का काम करते थे। दो फरवरी को बहन का कॉल आया कि जीजा घर से गायब हैं, फोन नहीं उठा रहे। आरती का पता करो। ससुराल वालों को फोन किया तो पता चला कि आरती बाजार गई है, अभी तक नहीं लौटी। रविवार को पुलिस ने बताया कि आरती और प्यारेलाल की लाश मिली है। इसके बाद हम लोग झांसी पहुंचे। 7 दिन से पेड़ पर लटके थे शव
पुलिस के अनुसार, रविवार को भगवंतपुरा में कचरा घर के पीछे जंगल में चरवाहे अपने जानवर चरा रहे थे। तभी उनको एक पेड़ पर युवक-युवती की लाश लटकी दिखी। 112 पर सूचना दी तो सदर पुलिस मौके पर पहुंच गई। दोनों दुपट्‌टा और मफलर जोड़कर एक साथ पेड़ पर लटके हुए थे। शव 6 से 7 दिन पुराने थे। पेड़ के पास ही बाइक खड़ी थी। बाइक के नंबर के आधार पर पुलिस ने घरवालों को सूचना दी। तब परिजन मौके पर पहुंचे। परिजनों ने शव की पहचान प्यारेलाल और आरती के रूप में की। पुलिस का मानना है कि घर से भागकर दोनों बाइक से सीधे जंगल में पहुंचे और यहां सुसाइड कर लिया। मौके से फोरेंसिक टीम ने भी सबूत एकत्र किए हैं। ……………………… ये खबर भी पढ़ें… यूपी के पहले डिजिटल मर्डर के 4 किरदार;छात्रों ने यूट्यूब पर ठगी के वीडियो देखकर 8 महीने मे बनाई गैंग पुलिस ने यूपी का पहला डिजिटल मर्डर केस सॉल्व कर लिया। प्रतापगढ़ के ज्ञानदास का डिजिटल मर्डर करने वाले 4 जालसाजों को कानपुर से अरेस्ट कर लिया। 4 और साथी फरार भी हो गए। इन्होंने ज्ञानदास को धमकी दी…। पढ़िए पूरी खबर

ममता कुलकर्णी का दावा- मुझसे 2 लाख रुपए मांगे:किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दिया, बोलीं- 25 साल से साध्वी, आगे भी रहूंगी

ममता कुलकर्णी का दावा- मुझसे 2 लाख रुपए मांगे:किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दिया, बोलीं- 25 साल से साध्वी, आगे भी रहूंगी किन्नर अखाड़े में विवाद के बीच ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर पद छोड़ दिया है। इस बात की घोषणा उन्होंने इंस्टाग्राम पर वीडियो पोस्ट करके की है। ममता ने कहा, आज किन्नर अखाड़े में मुझे लेकर विवाद है। उसके चलते इस्तीफा दे रही हूं। मैं 25 साल से साध्वी हूं और आगे भी साध्वी रहूंगी। ममता को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर योग गुरु बाबा रामदेव, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने विरोध जताया था। ममता पर 10 करोड़ देकर पदवी लेने के आरोप लग रहे थे। हालांकि अब ममता ने दावा किया कि उनसे 2 लाख रुपए मांगे गए थे, जो महामंडलेश्वर जय अंबा गिरी ने अपने हाथों से अखाड़े की आचार्य पंडित लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को दिए थे। प्रयागराज महाकुंभ में 24 जनवरी को उन्हें महामंडलेश्वर बनाया गया था। अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनका पिंडदान और पट्‌टाभिषेक कराया था। ममता को नया नाम श्रीयामाई ममता नंद गिरि मिला था। करीब 7 दिन तक वह महाकुंभ में ही रहीं। ममता बोलीं- मैं दो अखाड़ों के बीच फंस गई
ममता कुलकर्णी ने वीडियो में कहा, मैं महामंडलेश्वर यामाई ममता नंद गिरि अपनी पोस्ट से इस्तीफा दे रही हूं। आज किन्नर अखाड़े में मुझे लेकर समस्याएं हो रही हैं। मैं 25 साल से एक साध्वी थी और हमेशा साध्वी रहूंगी। मुझे महामंडलेश्वर का सम्मान दिया गया था, लेकिन ये कुछ लोगों के लिए आपत्तिजनक हो गया था। चाहें वो शंकराचार्य हों या कोई और हों। मैंने तो बॉलीवुड को 25 साल पहले ही छोड़ दिया था। मेकअप और बॉलीवुड से इतना दूर कौन रहता है, लेकिन मैंने 25 साल तपस्या की। मैं खुद गायब रही। मुझे लेकर लोग प्रतिक्रिया देते हैं कि मैं ये क्यों करती हूं या वो क्यों करती हूं। नारायण तो सब सम्पन्न हैं। वो सब प्रकार के आभूषण पहनकर, धारण करके महायोगी हैं, भगवान हैं। कोई देवी देवता आप देखोगे किसी प्रकार के श्रृंगार से कम नहीं और मेरे सामने सब आए थे, सब इसी श्रृंगार में आ गए थे। मेरे गुरु की बराबरी में कोई और नहीं
ममता कहती हैं, एक शंकराचार्य ने कहा कि ममता कुलकर्णी दो अखाड़ों के बीच में फंस गई, लेकिन मेरे गुरु स्वामी चैतन्य गगन गिरी महाराज हैं। जिनके सानिध्य में मैंने 25 साल तपस्या की है। उनकी बराबरी में मुझे कोई और नहीं दिखता। मेरे गुरु बहुत ऊंचे हैं। सब में अहंकार है। आपस में झगड़ रहे हैं। मुझे किसी कैलाश या हिमालय में जाने की कोई जरूरत नहीं है। सब ब्रह्मांड मेरे सामने है। महामंडलेश्वर जय अंबा गिरी ने मेरी तरफ से दो लाख दिए थे
ममता कुलकर्णी ने कहा, आज मेरे महामंडलेश्वर बनने से जिनको आपत्ति हुई है, चाहें वो हिमांगी हों या कोई और, मैं उनके बारे में कुछ नहीं कहूंगी। इन लोगों को ब्रह्म विद्या के बारे में कुछ भी नहीं पता है। मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि मैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का सम्मान करती हूं। मैं हिमांगी उमांगी को नहीं जानती हूं। ये सब कौन हैं? जहां तक पैसे की लेन-देन की बात है, तो मुझसे दो लाख रुपए मांगे गए थे, लेकिन मैंने कमरे के अंदर महामंडलेश्वर और जगदगुरुओं के सामने कहा था कि मेरे पास दो लाख रुपए नहीं हैं। तब वहां पर बैठी हुईं महामंडलेश्वर जय अंबा गिरी ने अपनी जेब से दो लाख रुपए लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को दिए थे। इसके ऊपर चार करोड़ और तीन करोड़ देने वाली बाते हैं, लेकिन मैंने कुछ नहीं किया। मैंने 25 साल चंडी की आराधना की है। उसी ने मुझे संकेत दिया कि मुझे इन सबसे बाहर होना चाहिए। ममता किन्नर अखाड़ा में थीं, हैं और रहेंगी- लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डाॅ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा, ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़ा की अंग थीं, हैं और रहेंगी। किस वजह से और कैसे यह बातें सामने आई हैं उस बारे में महामंडलेश्वर स्वामी यामाई ममतानंद गिरी से वार्ता हो रही है। मैं आज दिल्ली में हूं। मंगलवार की देर शाम महाकुंभ स्थित अपने शिविर में वापस लौटूंगी। ममता कुलकर्णी के किन्नर अखाड़ा में महामंडलेश्वर बनने से कुछ लोग ज्यादा परेशान हैं। जबकि यही ममता कुलकर्णी अगर इस्लाम में चली जाती तो धर्म के तथाकथित ठेकेदार तब क्या करते? इस बारे में तब कोई कुछ नहीं बोलता। आज सनातन धर्म के बहुत से लोग इस्लाम और क्रिश्चियन बन रहे हैं, इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसको रोकने के लिए किन्नर अखाड़ा व्यापक स्तर पर काम कर रहा है। ममता कुलकर्णी के पट्‌टाभिषेक की तस्वीरें… बाबा रामदेव, पंडित धीरेंद्र शास्त्री, हिमांगी सखी ने किया था विरोध
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और योग गुरु बाबा रामदेव समेत कई संतों ने इसका विरोध किया। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा था- किसी भी तरह के बाहरी प्रभाव में आकर किसी को भी संत या महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? पदवी उसी को दी जानी चाहिए, जिसके अंदर संत या साध्वी के भाव हों। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा था, कोई एक दिन में संतत्व को उपलब्ध नहीं हो सकता। उसके लिए सालों की साधना लगती है। आजकल तो मैं देख रहा हूं कि किसी की भी मुंडी पकड़कर महामंडलेश्वर बना दिया। ऐसा नहीं होता है। वहीं, किन्नर जगद्गुरु हिमांगी सखी और खुद को किन्नर अखाड़े का संस्थापक होने का दावा करने वाले ऋषि अजय दास भी विरोध में उतर आए थे। अजय दास ने दावा किया था- मैंने लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी और अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है। ममता को महामंडलेश्वर बनाने में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, जिस पर (ममता पर) देशद्रोह का आरोप हो। उसे महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? दास ने ये भी कहा था कि ये कोई बिग बॉस का शो नहीं है, जिसको कुंभ के दौरान एक महीने चला दिया जाए। लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को मैंने किन्नर समाज के उत्थान और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए आचार्य महामंडलेश्वर बनाया था, लेकिन वह भटक गईं। ऐसे में मुझे एक्शन लेना पड़ा। भस्म शृंगार की दो फोटो… विवादों में रही ममता, मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया शाहरुख खान, सलमान खान, अजय देवगन, अनिल कपूर जैसे बड़े स्टार्स से साथ स्क्रीन शेयर करने वाली ममता, उस वक्त विवादों में आई जब उन्होंने साल 1993 में स्टारडस्ट मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया था। वहीं, डायरेक्टर राजकुमार संतोषी ने ममता को फिल्म ‘चाइना गेट’ में बतौर लीड एक्ट्रेस लिया था। शुरुआती अनबन के बाद संतोषी, ममता को फिल्म से बाहर निकालना चाहते थे। खबरों के मुताबिक, अंडरवर्ल्ड से प्रेशर बढ़ने के बाद, उन्हें फिल्म में रखा गया। हालांकि, फिल्म फ्लॉप साबित हुई और बाद में ममता ने संतोषी पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप भी लगाया। ड्रग माफिया से रचाई शादी, साध्वी बनीं ममता पर आरोप लगा कि उन्होंने दुबई के रहने वाले अंडरवर्ल्ड ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी की थी। हालांकि ममता ने अपनी शादी की खबरों को हमेशा ही अफवाह बताया। ममता का कहना था कि मैंने कभी किसी से शादी नहीं की थी। यह सही है कि मैं विक्‍की से प्‍यार करती हूं, लेकिन उसे भी पता होगा कि अब मेरा पहला प्‍यार ईश्‍वर हैं। ममता ने 2013 में अपनी किताब ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगिनी’ रिलीज की थी। इस दौरान फिल्‍मी दुनिया को अलविदा कहने की वजह बताते हुए कहा था, ‘कुछ लोग दुनिया के कामों के लिए पैदा होते है, जबकि कुछ ईश्‍वर के लिए पैदा होते हैं। मैं भी ईश्‍वर के लिए पैदा हुई हूं।’ तमिल फिल्म से शुरू किया करियर ममता कुलकर्णी का जन्म 20 अप्रैल 1972 को मुंबई में हुआ था। ममता ने 1991 में अपने करियर की शुरुआत तमिल फिल्म ‘ननबरगल’ से की। साल 1991 में ही उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘मेरा दिल तेरे लिए’ रिलीज हुई। वेबसाइट आईएमडीबी के मुताबिक एक्ट्रेस ने अपने करियर में कुल 34 फिल्में की हैं। ममता को साल 1993 में फिल्म ‘आशिक आवारा’ के लिए बेस्ट डेब्यू एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था। इसके बाद वे ‘वक्त हमारा है’, ‘क्रांतिवीर’, ‘करण अर्जुन’, ‘बाजी’ जैसी फिल्मों में नजर आईं। उनकी लास्ट फिल्म ‘कभी तुम कभी हम’ साल 2002 में रिलीज हुई थी। महामंडलेश्वर बनने की यह है प्रक्रिया ———————————- महाकुंभ से जुड़ी ये भी खबर पढ़िए… महाकुंभ में 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन:11 एकड़ में भारत के नक्शे पर बना; 22 आर्टिस्ट ने स्क्रैप से तैयार किया शिवालय पार्क महाकुंभ आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र शिवालय पार्क है। एक ही जगह पर 12 ज्योतिर्लिंग और सभी बड़े शिवालय के दर्शन हो रहे हैं। काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति भी यहां बनाई गई है। यह पार्क पूरी तरह से स्क्रैप से तैयार किया गया है। इसरो की सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में भी दिखता है। पढ़ें पूरी खबर…

KGMU में रोबोटिक सर्जरी जल्द शुरू होगी:सालभर में 25 हजार ऑपेरशन, सर्जरी विभाग को रोबोट और नई बिल्डिंग मिली

KGMU में रोबोटिक सर्जरी जल्द शुरू होगी:सालभर में 25 हजार ऑपेरशन, सर्जरी विभाग को रोबोट और नई बिल्डिंग मिली यूपी के सबसे बड़े चिकित्सा विश्वविद्यालय में बहुत जल्द रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत होगी। इसके लिए KGMU कैंपस में रोबोटिक मशीन आ चुकी है। कमिशनिंग का काम पूरा होते ही बहुत जल्द मरीजों की सर्जरी भी शुरू हो सकेगी। ये कहना है KGMU के जनरल सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. अभिनव अरुण सोनकर का उन्होंने बताया कि पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन की पहल से मिलने वाले इस रोबोटिक मशीन की कीमत करीब 12 करोड़ है। मशीन के जरिए ओरल कैंसर के अलावा पेट, लिवर जैसे कई अहम बॉडी ऑर्गन से जुड़ी सर्जरी बेहद आसानी से की जा सकेंगी। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 112वें एपिसोड में KGMU के जनरल सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ.अभिनव अरुण सोनकर से विभाग के 113वें स्थापना दिवस पर खास बातचीत… KGMU के जनरल सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ.अभिनव अरुण सोनकर ने बताया कि इस साल विभाग की ओपीडी में कुल 63 हजार 658 मरीज पहुंचे है। इनमें 8976 को भर्ती किया गया। इस दौरान 4 हजार 796 मेजर ऑपरेशन और 21 हजार 665 माइनर ऑपरेशन किए गए। नया बिल्डिंग ब्लॉक बनने से मिलेगी बड़ी राहत प्रो.अभिनव अरुण ने बताया कि बहुत जल्द सर्जरी विभाग को उसका एक नया बिल्डिंग ब्लॉक मिलने जा रहा है। इस नए हाईटेक बिल्डिंग ब्लॉक में कई खूबियां होंगी। हाई एंड मॉड्यूलर OT के साथ मरीजों, तीमारदारों के अलावा मेडिकल स्टूडेंट्स को डॉक्टर्स के लिए भी कई सुविधा मौजूद रहेंगी।

कुंभ में बिछड़ों को मिला रहा भारत सेवा दल:1946 के कुंभ में हुई थी शुरुआत, इस बार डिजिटल केंद्र के साथ तालमेल कर दे रहा सेवाएं

कुंभ में बिछड़ों को मिला रहा भारत सेवा दल:1946 के कुंभ में हुई थी शुरुआत, इस बार डिजिटल केंद्र के साथ तालमेल कर दे रहा सेवाएं 60 साल के अखिलेश अपनी पत्नी आशा के साथ महाकुंभ मेला आए। पत्नी ने स्नान किया और वापस आ गई। अखिलेश स्नान करने नदी में उतरे, इधर भीड़ बढ़ गई। पुलिस ने लोगों को जल्दी से घाट छोड़ने को कहा। अफरा-तफरी के बीच अखिलेश और आशा बिछड़ गए। अखिलेश के शरीर पर नाममात्र ही कपड़े थे। दूसरी तरफ आशा झोला उठाकर उन्हें इधर से उधर खोज रही थीं। आशा अपने पति को खोजते हुए दोपहर 3 बजे भारत सेवा दल के खोया-पाया केंद्र पहुंचीं। सामने अखिलेश मिले, तो खुशी से आशा की आंखें भर आईं। अखिलेश की आंखें भी डबडबा गईं। आंसू बहने लगे। महाकुंभ में असल में यह कोई एक कहानी नहीं है। हर दिन दर्जनों लोग अपनों से बिछड़ते हैं और मिलने पर भावुक हो जाते हैं। महाकुंभ मेले में दो तरह के भूले-भटके शिविर हैं। एक डिजिटल खोया-पाया केंद्र, जिसकी मेले में कुल 10 शाखाएं हैं। दूसरा भारत सेवा दल का खोया-पाया केंद्र, जिसकी दो शाखाएं हैं। दोनों की मुख्य शाखाएं सेक्टर-4 में त्रिवेणी मार्ग पर हैं। भारत सेवा दल का खोया-पाया केंद्र अभी डिजिटल नहीं हुआ है, लेकिन प्रभाव आज भी कम नहीं है। दैनिक भास्कर की टीम ने एक दिन भूले-भटके शिविर में गुजारा। इस दौरान करीब 200 केस सामने आए। जो कुछ दिखा, आइए उसे जानते हैं। फिर खोया-पाया केंद्रों के बारे में जानेंगे… रोते बुजुर्गों को अपनों की तलाश
प्रयागराज महाकुंभ के सेक्टर-4 में त्रिवेणी मार्ग पर भारत सेवा दल का भूले-भटके शिविर है। 1946 में पहली बार इसी जगह पर इस शिविर की शुरुआत हुई थी। कोई ताम-झाम नहीं। आज भी काउंटर लगाकर 2 लोग बैठ जाते हैं। हाथ में कलम और पर्ची होती है। जो लोग खोए हैं उनका नाम लिखकर पुकारा जाता है। बुलाया जाता है कि फला व्यक्ति आपका इंतजार कर रहे हैं, जहां कहीं भी हों भूले-भटके शिविर पर चले आएं। हम इस शिविर पर पहुंचे। कुछ महिलाएं बाहर बैठी थीं तो कुछ अंदर लेटी हुई थीं। सबकी निगाहें गेट की तरफ थीं, उन्हें किसी अपने का इंतजार था। जिसके साथ वह मेले में आए हैं, वह आएगा और उन्हें ले जाएगा। ऐसे ही हमारी मुलाकात बिहार से आए अखिलेश से हुई। अखिलेश एक चड्ढी में कुछ लोगों के साथ बैठे थे। जो साथ में थे उनके शरीर पर भी कपड़े नहीं थे। हमने वजह जाननी चाही। अखिलेश कहते हैं, बिहार से संगम स्नान के लिए आए थे। पत्नी आशा देवी के अलावा कई और लोग साथ थे। संगम घाट पर सब नहाने के लिए गए तो हम कपड़ा देखने के लिए रुक गए। वो लोग नहाकर आए और कपड़ा चेंज करने लगे, तब हम नहाने के लिए गए। नदी के अंदर उतर गए, लेकिन तभी भीड़ आ गई। पुलिस लोगों से घाट खाली करने को कहने लगी। अखिलेश से बात करने के बाद हम वहीं, बैठकर बाकी चीजें देखने लगे। अखिलेश लगातार गेट की तरफ देख रहे थे। इसी बीच उनकी पत्नी आशा आ गईं। आशा ने आते ही अखिलेश का हाथ पकड़ लिया। अखिलेश की आंखें भर गई। हमने तुरंत कैमरा ऑन किया और आशा से पूछा कि सुबह 7 बजे से 3 बजे तक कहां-कहां खोजा? वह कहती हैं, ‘हम पूरे घाट पर खोजते रहे। फिर सेक्टर-3 में जाकर अनाउंस करवाया। सुबह 8 बजे से 2 बजे तक हम खोजते ही रहे।’ पति के मिलने के बाद आशा ने पहले उन्हें कपड़ा पहनाया और फिर हाथ पकड़कर अपने साथ ले गईं। बेहद परेशान नजर आए अपनों को ढूंढते लोग
इस भूले-भटके शिविर में काम कर रहे ज्यादातर लोग बड़ी जिम्मेदारी और गंभीरता के साथ अपना काम कर रहे हैं। अशोक तिवारी गुमशुदा की एंट्री लिखने का काम करते हैं। अपनों को ढूंढते हुए आ रहे लोग बेहद परेशान नजर आते हैं। अशोक उनसे कहते हैं, ‘चिल्लाओ मत, धीरे-धीरे बोलो, जब घर से चली या चले थे तब तुम्हारे साथ बिटिया-बेटवा-दामाद चला था? उसका नाम बताओ। इनका गउना (गांव) का नाम बताओ। और जो जानकारी है वह बताओ।’ अशोक यह सब पूछते हैं और एक पर्ची पर लिखते चले जाते हैं। उनके हाथ में ऐसी ही करीब 10 पर्चियां थीं। जो लोग अपना नाम दर्ज करवा लेते, वह इस इंतजार में रहते कि जल्द ही मेले में लगे लाउड स्पीकर से उनके अपने लोगों का नाम पुकारा जाएगा। इस इंतजार में करीब 20 महिलाएं और 10 से ज्यादा पुरुष मौके पर थे। सभी बुजुर्ग थे। ज्यादातर के पास अपने लोगों का मोबाइल नंबर नहीं था। 2 घंटे में 5 मिनट का वक्त मिल रहा
डिजिटल खोया-पाया केंद्र के चलते इन्हें लाउड-स्पीकर से खोए हुए लोगों को पुकारने का जो वक्त मिलता है वह अब कम हो गया है। हमने यही काम करने वाले कमलेश तिवारी से बात की। वह कहते हैं, ‘मैं लोगों को मिलाने के लिए ही दिल्ली से यहां आया हूं। पहले हम लोगों का नाम पर्ची में लिखते हैं, फिर उनका नाम पुकारते हैं।’ हमने पूछा कि डिजिटल वाले पर अगर कोई आकर खड़ा है तो उसे कैसे पता चलेगा कि वह जिसे खोज रहा है वह आपके खोया-पाया केंद्र पर है? कमलेश कहते हैं, हम बीच-बीच में अपने वॉलंटियर्स वहां भेजते हैं, वह पर्ची लेकर जाते हैं और वहां के लोगों से मिलान करते हैं, अगर कोई मिलता है तो उसे बताते हैं कि आप जिसे खोज रहे हैं, वह हमारे यहां के शिविर में इंतजार कर रहा है। शिविर में खाने-पीने की भी व्यवस्था उपलब्ध
इस भूले-भटके शिविर की शुरुआत आज से 79 साल पहले 1946 के कुंभ मेले में शुरू हुई थी। उस वक्त पंडित राजाराम तिवारी ने इसकी शुरुआत की थी। अब इसकी जिम्मेदारी उनके बेटे उमेश चंद्र तिवारी संभाल रहे हैं। हमने पूछा कि डिजिटल खोया-पाया केंद्र बन जाने से क्या आपके सामने चुनौती आई? उमेश कहते हैं, इस बार थाने-चौकी बढ़ गए। सभी मिलकर खोए हुए लोगों को अपने लोगों से मिला रहे हैं। बाकी मेला प्रशासन जो भी फैसला करे वह ठीक है। हमने डिजिटल के बारे में पूछा तो वह कहते हैं, उनके सभी 10 खोया पाया केंद्र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कोई एक खोता है तो सभी 10 स्थानों पर दिख जाता है। इसलिए हम लोग भी पर्ची लेकर उनके पास भेजते हैं, अगर कोई व्यक्ति अपनों को खोजते हुए किसी और सेंटर पर पहुंच गया है तो वहां से वह पता कर पाएगा कि फला व्यक्ति कहां है। बाकी हमारे यहां हर व्यक्ति के लिए रहने-खाने की व्यवस्था है। डिजिटल और मैनुअल खोया-पाया केंद्र में अंतर क्या है? आइए इसे समझते हैं… मेले में अगर कोई व्यक्ति बिछड़ जाता है। अगर वह डिजिटल खोया-पाया केंद्र पर जाता है और एंट्री दर्ज करवाता है तो मेले में सभी 10 खोया-पाया केंद्रों पर उसकी डिटेल पहुंच जाती है। जैसे ही वह व्यक्ति किसी दूसरे खोया-पाया केंद्र पर पहुंचता है उसे सूचित कर दिया जाता है कि आपको खोजने वाले किस केंद्र पर हैं। सेक्टर-4 में इसका मुख्यालय बनाया गया है, लोगों के ठहरने की व्यवस्था यहीं की गई है। खोया-पाया केंद्र का जो पुराना सिस्टम भारत सेवा दल चला रहा है वह भी प्रभावी है। इसमें होता यह है कि जैसे ही कोई व्यक्ति बिछड़ जाता है और इस शिविर पर आकर अपना नाम दर्ज करवाता है। उसका नाम पुकारा जाता है, कई बार वह थोड़ी ही देर में मिल जाता है। कई बार जब साथ के लोग चले जाते हैं तो यह शिविर उन लोगों को उनके घर तक भी पहुंचाता है। इसके लिए वह उस जिले की ट्रेन पर बैठा देता है, संबंधित अधिकारी वहां उसे उतार लेते हैं। —————– ये खबर भी पढ़ें… महामंडलेश्वर बनीं विश्वेश्वरी भारती ने कहा- बेटियों को गीता व रामायण की चौपाइयां सुनाएं माताएं प्रयागराज के महाकुंभ में बड़ी संख्या में इस बार महिलाओं को महामंडलेश्वर व महंत बनाया गया है। इसमें गुजरात की रहने वाली विश्वेश्वरी भारती भी एक हैं। इस बार महाकुंभ में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने यहां पर महामंडलेश्वर बनाया है। करीब एक महीने तक महाकुंभ में रहने के बाद अब वह गुजरात वापस जा रही हैं। पढ़ें पूरी खबर…

यूपी-बिहार बॉर्डर पर शराब तस्करी में नौकरी से ज्यादा पैसा:गंगा-घाघरा के किनारे स्टार्टअप बना शराब तस्करी, सरकार की कमाई 8 गुना बढ़ी

यूपी-बिहार बॉर्डर पर शराब तस्करी में नौकरी से ज्यादा पैसा:गंगा-घाघरा के किनारे स्टार्टअप बना शराब तस्करी, सरकार की कमाई 8 गुना बढ़ी मैं 16 साल की उम्र से शराब तस्करी कर रहा हूं। इस धंधे में हमने कई लोगों को खड़ा किया। कुछ लोग तो जेल में हैं, लेकिन हम कभी जेल नहीं गए। जब से शराबबंदी हुई है, हमने खूब पैसा कमाया। ये कहना है 22 साल के शराब तस्कर सनी साहनी का। उसने आगे कहा- यूपी-बिहार बॉर्डर पर शराब की तस्करी ने हम जैसे बेरोजगारों को कमाई का जरिया दिया। रोजाना 50 पेटी शराब बिहार बॉर्डर तक पहुंचाता हूं। एक पेटी पर 1 हजार तक कमाई है। रोजाना 35 से 50 हजार रुपए इनकम हो जाती है, यानी महीने की 10 से 15 लाख रुपए। सिर्फ सनी साहनी ही नहीं, यूपी-बिहार बॉर्डर से लगे 7 जिलों के युवा तस्करों की यही कहानी है। वह अब नौकरी नहीं करना चाहते, क्योंकि कॉर्पोरेट नौकरी से भी ज्यादा कमाई होने लगी है। बिहार में शराबबंदी के बाद से कैसे बॉर्डर पर बसे यूपी के गांव की इकोनॉमी बदल रही है, इसकी इन्वेस्टिगेशन के लिए हम बलिया और बिहार बॉर्डर पर पहुंचे। 10 हजार से ज्यादा युवाओं ने शराब तस्करी को धंधा बनाया
यूपी से बिहार की लगभग 483 किमी की सीमा लगती है। बॉर्डर पर दोनों तरफ 1200 से ज्यादा गांव हैं। अकेले यूपी के साढ़े पांच सौ गांव हैं। तस्करों और जानकारों से बातचीत में एक बात निकलकर आई कि हर गांव से 5 से लेकर 15 युवा इसमें शामिल हैं। इस तरह सभी गांवों को मिलाकर शराब तस्करी में शामिल युवाओं की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। सिर्फ बलिया पुलिस ने ही जनवरी 2024 से लेकर 15 दिसंबर 2024 तक 1266 शराब तस्कर गिरफ्तार किए। इनमें 30 साल से कम उम्र वालों की संख्या ज्यादा है। यूपी के 7 जिलों से एक हजार करोड़ की शराब तस्करी
यूपी में सरकारी दुकान पर एक पव्वा वाली टेट्रा पैक पेटी (48 पीस) 5760 रुपए की आती है। यूपी के तस्कर यह एक पेटी घाट तक 6760 रुपए में पहुंचाते हैं। इस तरह से एक पेटी पर यूपी का तस्कर एक हजार रुपए कमाता है। इस धंधे में लिप्त लोगों का कहना है कि हर साल बलिया समेत बिहार बॉर्डर वाले 7 जिलों से करीब एक हजार करोड़ से ज्यादा की शराब तस्करी होती है। इनमें से अकेले बलिया से यह अवैध कारोबार 300 करोड़ का है। इस धंधे में शामिल दोनों तरफ के तस्कर हर साल 1 हजार करोड़ रुपए कमा रहे हैं, क्योंकि इस शराब की कीमत बिहार पहुंचकर दो गुना से ज्यादा हो जाती है। कमाई का बड़ा हिस्सा बिहार के तस्करों का भी रहता है। तस्कर ने किया कमाई का खुलासा, 22 की उम्र में लाखों कमाई
तस्कर सनी साहनी ने बातचीत में अपनी कमाई का खुलासा किया। उसने बताया इस धंधे में उतरने के बाद कमाई कैसे होती है। सनी की उम्र सिर्फ 22 साल है। अब पढ़िए सनी से बातचीत… रिपोर्टर: कितने साल से शराब तस्करी कर रहे हो?
सनी साहनी: बहुत पहले से कर रहे हैं। 16 साल के थे, तभी स्टार्ट किए थे। शुरुआत में हम लोग माल बिकवाते थे। एक ट्रक माल तक बिकवा देते थे। रिपोर्टर: कभी जेल-वेल भी जाना पड़ा?
सनी साहनी: हम कभी पकड़े नहीं गए। एक बार माल पिकअप से पकड़ा गया, हम नहीं थे। दूसरा मनीष नाम का लड़का था। रिपोर्टर: कितनी कमाई हो सकती है?
सनी साहनी: दो साल धंधा चल जाए तो इतना पैसा हो जाएगा, क्या बताएं आपसे। रिपोर्टर: साल में 10-20 लाख तो कमाए ही होगे?
सनी साहनी: महीने का इतना कमाते हैं। बहुत पैसा बनाए हैं। जब से शराबबंदी हुई, खूब पैसा कमाए, दोस्तों को भी दिए हैं। खूब उड़ाए भी हैं। रिपोर्टर: गांव में तुम अकेले हो या और भी लोग शराब तस्करी से जुड़े हैं?
सनी साहनी: गांव में तीन लोग करते हैं। हम हैं, एक अशोक है… एक और है। रिपोर्टर: यह गलत काम है? क्या परिवार वाले रोकते नहीं हैं?
तस्कर: (हंसते हुए)… परिवार वाले भी सभी करते हैं। रिपोर्टर: क्या रेट माल लोगे?
तस्कर: हम माल बिकवाएंगे। नाव पर माल का 6000 मिल जाएगा। वैसे गोदाम पर माल का 5000- 5200 मिल जाएगा। ज्यादा माल हुआ तो 5000 का मिल जाएगा, पेटी पर एक हजार की बचत हो जाएगी। हमने बलिया की एक बीयर शॉप के सेल्समैन से बिहार के शराब तस्कर बनकर बात की। सेल्समैन से तस्करी को लेकर बातचीत की, फिर उसके पारिवारिक हालात जानें। रिपोर्टर: अभी तुम्हारी ज्यादा उम्र तो होगी नहीं, 20 साल के होगे?
सेल्समैन: नहीं 21वां चल रहा है, घर की जिम्मेदारी बहुत बढ़ गई थी। पिताजी किसान थे। उनकी तबीयत बहुत बिगड़ने लगी, तभी सब डिस्टर्ब हो गया। कुछ काम तो करना पड़ेगा भाई, घर कैसे चलेगा। रिपोर्टर: तुम अकेले हो?
सेल्समैन: नहीं तीन भाई हैं। एक नीचे दुकान में बैठा है। एक कंपनी में काम करता है। रिपोर्टर: कब से शराब तस्करी कर रहे हो?
सेल्समैन: हमको काम करते 4 साल हो गए। 3 साल से बलिया में कर रहे हैं। रिपोर्टर: सेटिंग वाले काम में कब से हो। शुरू में तो बड़ा अजीब भी लगा होगा, डर भी लगा होगा?
सेल्समैन: अजीब क्या, पहले बलिया में थे। पहले खाना बनाने, कपड़ा धोने, बर्तन धोने के रोज के सिर्फ 50 रुपए मिलते थे। आज 6 हजार रुपए सैलरी मिलती है। जीने के वास्ते कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा। हर महीने कमाई का हिसाब-किताब
इस काम में बड़े शराब माफियाओं को बड़ी संख्या में लेबर की जरूरत होती है। ऐसे में जो सीमा से सटे गांव में बेरोजगार युवा हैं, वह इस शराब तस्करी में रोजाना के काम से जुड़ जाते हैं। बड़े पैमाने पर तस्करी की वजह
इसकी दो वजह हैं, पहली- गरीबी और दूसरी- बेरोजगारी। बलिया के सीतलदवनी निवासी सीनियर वकील कैश सिंह के मुताबिक, बलिया का बांसडीह क्षेत्र 3 तरफ से नदियों से घिरा है। यहां पर यूपी और बिहार की सीमा लगती है। यहां की अधिकतर आबादी खेती पर निर्भर है। खेतों के जोत छोटे हैं। 5 बीघे का किसान फसल में कम से कम 10 से 20 हजार की कमाई कर पाता है। वहीं, मजदूरों की एक दिन की दिहाड़ी 400 से 500 रुपए तक है। कैश सिंह बताते हैं, साल 2016 में बिहार में शराब बंदी हुई थी। उस समय यहां मजदूरी आज की अपेक्षा आधी (200 से 300 रुपए प्रति दिन) थी। यहां का युवा वर्ग रोजगार न मिलने पर शहरों का रुख करता था। शराब बंदी होने के बाद बेरोजगारी की मार से जूझ रहा युवा, यूपी-बिहार बॉर्डर पर होने के कारण शराब तस्करी में लिप्त हो गया। इस वजह से उसकी अच्छी इनकम होने लगी। इस बात की तस्दीक बलिया के बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष निर्भय नारायण सिंह भी करते हैं। वह कहते हैं, उनके क्षेत्र में युवाओं का शराब तस्करी के कारोबार से जुड़ने का मुख्य कारण सुरक्षित रोजगार का न मिल पाना है। वहीं, स्टार्टअप के लिए युवाओं को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। युवा वर्ग साल 2016 से पहले रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करता था, आज भी पलायन का दौर जारी है। पुलिस-माननीयों की शह पर हो रही शराब तस्करी
बलिया और बिहार बॉर्डर के सीनियर जर्नलिस्ट मनोरंजन सिंह कहते हैं- बैरिया शराब तस्करी का हब इसलिए बन गया है, क्योंकि यहां दो नदियों का संगम है। इस इलाके में घाघरा और गंगा का संगम है। मांझी में संगम होता है। गंगा के किनारे आरा बक्सर और सरयू के किनारे छपरा सीवान जिला लग जाता है। यहां बड़े पैमाने पर तस्करी होती है। इस पूरे नेक्सस में नेताओं और पुलिस की मिलीभगत रहती है। बिना पुलिस और नेता के तस्कर बड़े पैमाने पर शराब बिहार नहीं भेज सकते। तस्करी के कारण बॉर्डर के जिलों में खपत 8 गुना
बलिया में सरकारी शराब की खपत लगातार बढ़ रही है। 8 साल में 8 गुना शराब की खपत बढ़ी है। बिहार में शराबबंदी (2016–17) के समय 139.60 करोड़ रुपए की शराब बिकी थी। वर्ष 2023-24 में 712.34 करोड़ की शराब बिकी। इस साल टारगेट 857.92 करोड़ रुपए का है। हमने बलिया में बढ़ती शराब की खपत को लेकर आबकारी अधिकारियों से भी बातचीत की। शराब तस्करी को लेकर कोई भी अफसर खुलकर बोलने को तैयार नहीं था। भास्कर इन्वेस्टिगेशन पार्ट- 1 भी पढ़िए… UP में नाव से शराब तस्करी, घाट से शराब लादते और उस पार बिहार में उतार लेते, 1 लाख में थाना सेट शाम का वक्त है, अंधेरा होने को है…। तेजी से एक स्कॉर्पियो आकर रुकती है। एक-एक कर 5 युवक उतरते हैं। वे गाड़ी से शराब की पेटियां निकाल कर घाघरा नदी में तैयार खड़ी नाव पर रख देते हैं। मुश्किल से 5 मिनट हुए होंगे…। जैसे ही आखिरी पेटी रखी, नाव बिहार की ओर चल पड़ी। यह तस्वीर -UP बॉर्डर के बलिया जिले के बैरिया क्षेत्र की है। पढ़ें पूरी खबर… —————————— —————————— यह खबर भी पढ़िए… महाकुंभ भगदड़ में 35 से 40 मौतें:यूपी सरकार बोली- 30 लोग मारे गए, 25 की शिनाख्त; 60 घायल प्रयागराज महाकुंभ में संगम तट मंगलवार और बुधवार की आधी रात को हुई भगदड़ में 35 से 40 लोग मारे गए हैं। हादसे के 17 घंटे बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 30 लोगों की मौत की पुष्टि की। शाम 6.30 बजे मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और DIG वैभव कृष्णा ने 3 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस की। DIG वैभव कृष्ण ने कहा- भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हुई। 60 लोग घायल हैं। 25 शवों की पहचान कर ली गई है। पढ़ें पूरी खबर…

महाकुंभ में डुबकी के लिए मनमानी वसूली:संगम पहुंचाने का 2 से 5 हजार ले रहे नाव वाले; दरोगा बोला- पैसे नहीं तो पैदल जाओ

महाकुंभ में डुबकी के लिए मनमानी वसूली:संगम पहुंचाने का 2 से 5 हजार ले रहे नाव वाले; दरोगा बोला- पैसे नहीं तो पैदल जाओ नाव वाले भैया, संगम स्नान करवा दो, आप जितने पैसे मांगोगे मैं दे दूंगी। कुछ ऐसे गुहार लगा रही हैं त्रिवेणी संगम स्नान के लिए पहुंचीं श्रद्धालु। नाविकों पर सरकारी निगरानी ना होने के चलते मेला प्राधिकरण की रेट लिस्ट भी कोई मायने नहीं रख रही। चाहे निजी हो या सरकारी नाविक, सभी त्रिवेणी संगम स्नान कराने के लिए मनमाने तरीके से रकम वसूल रहे हैं। 2 से 5 हजार रुपए प्रति व्यक्ति किराया लिया जा रहा है। जबकि मेला प्राधिकरण ने नाव से संगम स्नान के लिए अधिकतम किराया 150 रुपए तय कर रखा है। ऐसे में दैनिक भास्कर की टीम नाव के किराए की हकीकत जानने बोट क्लब घाट और अरैल घाट पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 4 लोगों के परिवार के लिए नाव का किराया 10 से 12 हजार
बोट क्लब घाट पर पहुंचते ही हमें जम्मू-कश्मीर से आए सुभाष चंद्र शर्मा मिले। उन्होंने बताया कि संगम स्नान के लिए हमसे 4 लोगों के 8 हजार रुपए लिए। यह सिर्फ बोट क्लब से त्रिवेणी घाट का नाव का किराया है।जबकि कई नाव वाले तो 10-12 हजार रुपए मांग रहे थे। इसके बाद भास्कर टीम खुद किराया पता करने घाट पर पहुंची, लेकिन कैमरा देखकर नाविकों ने किराया बताने से इनकार कर दिया। यहां तक कि जब हम नाव पर सवार श्रद्धालुओं से किराया पूछने बोट पर चढ़े तो पीछे से नाविकों ने इशारा कर किराया बताने से मना करना शुरू कर दिया। हमें कुछ मेला प्राधिकरण की नावें भी दिखीं, जिनके नाविक 500 रुपए प्रति व्यक्ति संगम स्नान कराने का दावा करते दिखे, लेकिन यात्रियों ने कहा ये सही नहीं है, ज्यादा किराया वसूला जा रहा है। श्रद्धालु बोले- नाव का किराया चुपके से बताते हैं
सरकारी नावों पर कम किराए के दावों की पड़ताल के लिए जब हमने कैमरा छिपा कर दाम पूछा तो उन्होंने एक व्यक्ति के लिए 700 रुपए किराया बताया। इसके लिए भी लोगों को 2 से 4 घंटे तक लाइन में लगना पड़ रहा है। इसके बाद जब नाव डॉक पर आती है तो बैठने के लिए भगदड़ जैसी स्थिति बन जाती है। कई लोगों को बैठने की जगह नहीं मिल पाती। इस अव्यवस्था पर श्रद्धालुओं ने बताया कि नाविक अक्सर पैसों का लेन-देन बीच नदी में करते हैं, ताकि पकड़े जाने का खतरा न हो। नाव पर बैठने से पहले धीमी आवाज में श्रद्धालुओं को किराया बताया जाता है। तेज आवाज में पैसों की बात करने वालों को नाव पर नहीं बैठने दे रहे हैं। शिकायत करने पर श्रद्धालुओं पर भड़क उठते हैं पुलिसकर्मी
श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की दिक्कत ना हो, इसके लिए प्रशासन ने पुलिसकर्मी तैनात कर रखे हैं, लेकिन नाविकों की मनमानी को लेकर लोगों की शिकायत पर पुलिसकर्मी उल्टा श्रद्धालुओं पर ही भड़क रहे हैं। जब हमने बोट क्लब पर तैनात सब इंस्पेक्टर दिनेश कुमार मिश्र से इस बात की शिकायत की तो वे ऑन-कैमरा भड़क उठे। दैनिक भास्कर के पत्रकार को गुस्से में धक्का मारा और कहा- पैसा नहीं दे सकते, तो पैदल चले जाओ, प्राइवेट नावों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसा रवैया सिर्फ एक नहीं बल्कि वहां तैनात सभी पुलिसकर्मियों का दिखाई दिया। पुलिस के इस रवैये पर लोगों ने कहा कि पुलिस वाले खुद मिले हुए होंगे, तभी नाविकों की मनमानी पर आंख मूंद रखे हैं। नाराज श्रद्धालुओं का पुलिस पर गुस्सा फूट रहा
घाट पर मौजूद पुलिसकर्मियों के सामने हो रही लूट पर नाराज एक श्रद्धालु बोले- एक-एक व्यक्ति से 3 हजार रुपए नाव वाले ले रहे, लेकिन पुलिस ने आंख बंद कर रखी है। प्राइवेट नावों पर पुलिस कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही? 2 घंटे से घाट पर खड़ा हूं, लेकिन कोई भी नाव वाला संगम जाने को तैयार नहीं। जो ज्यादा पैसा देने के लिए तैयार हैं, सिर्फ उसे बैठा रहे। मुझसे 3 लोगों का 10 हजार रुपया मांगा जा रहा है। इस तरह से मनमाने किराए को लेकर घाट पर बहस और विवाद का सिलसिला दिनभर चल रहा है। बिना त्रिवेणी संगम स्नान किए श्रद्धालुओं को वापस लौटना पड़ रहा
बोट क्लब घाट पर जयपुर से आए जगमोहन शर्मा ने बताया कि उन्हें नाविकों की लूट के चलते पैदल संगम घाट पर स्नान करने जाना पड़ रहा है। वे सोचकर आए थे कि त्रिवेणी संगम में स्नान होगा, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं हो पा रहा। वहीं, हरियाणा के सिरसा से 12 लोगों के साथ आई एक महिला ने बताया कि नाव वाले ने त्रिवेणी संगम स्नान कराने के लिए 45 हजार रुपए की मांग रखी। उनके पास इतने पैसे नहीं होने के कारण अब संगम घाट पर ही स्नान करने जाना पड़ रहा है। स्थानीय नाविक बोले- बाहरी नाव वालों ने बढ़ाया किराया
बोट क्लब पर मिले नाविक इंद्रजीत निषाद ने बताया कि पहले 1500 नावों का रजिस्ट्रेशन था, लेकिन महाकुंभ के चलते अब 5000 नाव प्रयागराज में हैं। बाहरी नाव वालों ने किराया महंगा कर दिया है। आए दिन इन पर कार्रवाई होती है, लेकिन इनको कौन समझाए। हम लोग 200 रुपए प्रति व्यक्ति लेते हैं, वो भी सिर्फ तय रेट से 50 रुपए ज्यादा। अगर सरकारी नाव और ज्यादा होतीं तो ये समस्या नहीं आती। अधिकारी बोले- श्रद्धालु शिकायत करें, उचित कार्रवाई होगी
नाविकों के मनमाना किराया वसूलने पर हमने अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी से बात की। उन्होंने बताया कि ऐसा करना गैरकानूनी है। अगर कोई भी नाविक तय रेट से अधिक किराया वसूलता है, तो श्रद्धालु शिकायत करें। तत्काल उचित कार्रवाई की जाएगी। ———————— ये खबर भी पढ़ें… ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर पद छोड़ा:कहा- मैं बचपन से साध्वी, आगे भी रहूंगी; महाकुंभ में किन्नर अखाड़े ने 17 दिन पहले उपाधि दी थी किन्नर अखाड़े में विवाद के बीच ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर पद छोड़ दिया है। इस बात की घोषणा उन्होंने इंस्टाग्राम पर वीडियो पोस्ट करके की है। ममता ने कहा, आज किन्नर अखाड़े में मुझे लेकर विवाद है। उसके चलते इस्तीफा दे रही हूं। मैं 25 साल से साध्वी हूं और आगे भी साध्वी रहूंगी। ममता को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर योग गुरु बाबा रामदेव, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने विरोध जताया था। पढ़ें पूरी खबर…

रिटायर्ड LIC मैनेजर का परिवार 5 दिन डिजिटल अरेस्ट:नोएडा में FD तुड़वाकर 1.10 करोड़ ठगी, जेल भेजने की धमकी दी

रिटायर्ड LIC मैनेजर का परिवार 5 दिन डिजिटल अरेस्ट:नोएडा में FD तुड़वाकर 1.10 करोड़ ठगी, जेल भेजने की धमकी दी ‘तुम्हारे खिलाफ अलग-अलग जगहों पर सीबीआई में मनीलॉड्रिंग के 24 केस दर्ज हैं। तुम्हारे फोन से कॉल कर लोगों से पैसा वसूला गया है। तुम्हारे खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। तुम्हें अरेस्ट कर मुंबई साइबर क्राइम सेल के सामने पेश किया जाएगा। जहां से तुम्हें, तुम्हारी पत्नी और बेटी को जेल भेज दिया जाएगा। अगर जेल जाने से बचना चाहते हो बताए गए खाते में 2 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दो।’ यह धमकी साइबर ठगों ने नोएडा के सेक्टर-19 के ए ब्लॉक में रहने वाले चंद्रभान पालीवाल को दी। चंद्रभान एलआईसी से रिटायर्ड मैनेजर हैं। ठगों ने उन्हें, उनकी पत्नी और बेटी को 5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। जेल भेजने का डर दिखाया तो परिवार ने एफडी तुड़वाकर ठगों के बताए गए अकाउंट में 1.10 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद फोन कट गया। पीड़ित ने जब उस नंबर पर दोबारा कॉल की तो नहीं लगी। तब उन्हें ठगी का अहसास हुआ और साइबर क्राइम थाने की पुलिस से शिकायत की। पढ़िए पूरा मामला
सेक्टर-19 के ए ब्लॉक में रहने वाले चंद्रभान पालीवाल ने बताया कि एक फरवरी को दोपहर दो बजकर 40 मिनट पर उनके मोबाइल पर अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने मुझसे तुरंत ट्राई से संपर्क करने को कहा। ऐसा न करने पर दो घंटे के अंदर सिम बंद होने की धमकी दी। जब मैंने पूछा कि मैं कॉल क्यों करूं तो फोन करने वाले ने बताया कि मेरे खिलाफ मुकदमा है। जिसकी जांच मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच कर रही है। मैंने उससे पूछा कि कौन सा मुकदमा, मैंने तो कुछ ही किया ही नहीं, मुंबई तो मैं कभी गया ही नहीं। इस पर फोन करने वाले ने कहा, अभी आपके पास मुंबई से फोन आएगा। इतना कहकर उसने फोन काट दिया। चंद्रभान ने बताया कि करीब 10 मिनट बाद मुंबई के कोलावा पुलिस स्टेशन से एक व्यक्ति की वीडियो कॉल आई। उसने खुद को आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार बताया। ठग बोले- मुझ पर 24 केस हैं
कथित आईपीएस राजीव कुमार ने जो वीडियो कॉल की, उसमें ग्रेटर मुंबई पुलिस का लोगो दिखाई दे रहा था। उसने मुझसे कहा- मेरे खिलाफ अलग-अलग जगहों पर 24 केस दर्ज हैं। मुझ पर लोगों को डरा धमकाकर पैसा वसूलने का आरोप है। उसके खिलाफ सीबीआई में मनीलॉड्रिंग का केस दर्ज है। चंद्रभान ने बताया कि फोन करने वाले राजीव ने खुद को केस का जांच अधिकारी बताया। उसने कहा, मेरे नाम से केनरा बैंक मुंबई में एक बैंक खाता खोला गया है। उस बैंक से पैसा निकालकर मेरे खाते में डाला गया है। ये सारा पैसा मनीलॉन्ड्रिंग का है। जिस सिम से फोन किया वह भी तुम्हारे नाम
उसने मुझसे कहा- जिस सिम से लोगों को फोन कर पैसा वसूला गया, वो आपके नाम है। इतना सुनकर मैं और मेरा परिवार डर गया। फोन करने वाले राजीव ने कहा- अब जल्द ही तुम सभी की गिरफ्तारी की जाएगी। आप सभी को मुंबई साइबर क्राइम सेल के सामने पेश किया जाएगा। राजीव ने मुझसे कैमरे के सामने आधार कार्ड की जांच की। उसका फोटो लिया। मुझसे मेरे बैंक खातों की जानकारी ली। राजीव ने कहा- तुम्हारी जांच रिपोर्ट सीबीआई को भेज रहा हूं। इसके करीब 15 मिनट बाद एक और कॉल मेरे पास आई। फोन करने वाले ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताया। उसने कहा- मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज है। मुझे और मेरे परिवार को जेल भेजा जाएगा। इस पर मैं और भी डर गया। उसने कहा- तुम्हें अलग जेल में रखा जाएगा। जबकि तुम्हारी पत्नी और बेटी को अलग-अलग रखा जाएगा। उसने मेरी पत्नी और बेटी का नंबर भी ले लिया। उसने दोनों लोगों को अनजान और किसी अन्य व्यक्ति की कॉल जांच पूरी होने तक न उठाने की हिदायत दी। फोन करने वाले ने कहा- जेल जाने से बचना चाहते हो तो मेरे खाते में 2 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दो। पांच फरवरी को जेल जाने के डर से मैंने एफडी तुड़वाकर बताए गए खातों में 1.10 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद फोन कट गया। हर घंटे स्काइप कॉल के जरिए परिवार पर नजर रखी
पीड़ित ने बताया कि एक फरवरी से लेकर 5 फरवरी तक ठगों ने हर घंटे स्काइप कॉल के जरिए परिवार पर नजर रखी। खाने पीना भी उन्हीं के सामने हुआ। जब भी किचन में पत्नी या बेटी जाती तो फोन सामने रख कर जाने देते। घर के मेन दरवाजे को वीडियो कॉल के जरिये देखते,जब भी कोई कमरे से बाहर खाने पीने या बाथरूम जाता। 5 दिन तक मैं और मेरी पत्नी डरी सहमे रहे। पत्नी तो रात को सोती भी नहीं थी। पत्नी बेटी रोती रहती थी। …………….
ये खबर भी पढ़ें- महाकुंभ में माघ पूर्णिमा पर नया ट्रैफिक प्लान लागू:13 फरवरी तक वाहनों की नो-एंट्री; योगी बोले- जाम नहीं लगना चाहिए, 52 नए अफसर भेजे महाकुंभ का आज 30वां दिन है। 13 जनवरी से अब तक 44.74 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। 12 फरवरी को होने वाले माघ पूर्णिमा स्नान को लेकर प्रयागराज में नई ट्रैफिक व्यवस्था लागू की गई है। 10 फरवरी की रात 8 बजे से 13 फरवरी की सुबह 8 बजे तक मेले में कोई भी वाहन नहीं चलेगा। सिर्फ प्रशासनिक अधिकारियों की गाड़ी और स्वास्थ्य विभाग के वाहन चलेंगे। सीएम योगी ने सोमवार की शाम STF चीफ अमिताभ यश को विशेष विमान से प्रयागराज भेजा। 52 नए IAS , IPS और PCS अफसरों को तैनात किया गया है। सभी को तत्काल प्रयागराज पहुंचकर ड्यूटी जॉइन करने को कहा गया है। पढ़ें पूरी खबर

DGGI टीम ने कानपुर में की छापेमारी:दो कारोबारियों समेत 4 लोगों को अपने साथ ले गई टीम; 4 स्थानों पर मारा छापा

DGGI टीम ने कानपुर में की छापेमारी:दो कारोबारियों समेत 4 लोगों को अपने साथ ले गई टीम; 4 स्थानों पर मारा छापा सोमवार को दिल्ली से आई DGGI की टीम ने कानपुर में 4 स्थानों पर छापेमारी की। टीम ने कुली बाजार स्थित लोहा मंडी, परेड, यशोदा नगर में छापा मारा। व्यापक स्तर पर फर्जी बिलों के आधार पर लोहे की खरीद-फरोख्त में हुई इस कार्रवाई में दो कारोबारियों समेत चार लोगों को टीम अपने साथ ले गई। कल पूरे मामले के खुलासे की उम्मीद
हालांकि इसके बारे में देर रात तक कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। मंगलवार को मामले की सच्चाई पूरी तरह सामने आने की उम्मीद है। जानकारी के मुताबिक डीजीजीआई के करीब एक दर्जन से अधिक अफसरों ने छापा मारा। लेखाजोखा रखने वालों को भी पकड़ा
सूत्रों के मुताबिक फर्जी बिल बनाकर लोहे की खरीद-बिक्री करने के मामले में दो कारोबारी व इनकी लेखाजोखा का काम देखने वाले दो लोगों को भी पकड़ा है। बताया गया कि लेखाजोखा का काम करने वाले मामा-भांजे हैं। इनका एक रिश्तेदार एक राजनीतिक दल के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुका है। हालांकि डीजीजीआई अधिकारी सभी को अपने साथ लेकर चली गई।इसको लेकर बाजार में दिनभर तमाम चर्चाएं होती रहीं। गोपनीय रखी गई कार्रवाई
कुली बाजार में लोहा कारोबारी के ठिकानों पर छापेमारी करने से पहले डीजीजीआई ने इलाके की रेकी की। छापेमारी को पूरी तरह गोपनीय रखा गया। इस दौरान तमाम जानकारियां जुटाने के बाद कार्रवाई को अंजाम दिया गया। बताया गया कि छापेमारी को लेकर दूसरे कारोबारियों में भी दहशत बनी रही।

यूपी में क्राइम ब्रांच अफसर बनकर ‘डिजिटल मर्डर’:झूठे केस की धमकी दी; पत्नी के गहने गिरवी रखवाए, 81 हजार वसूले; युवक ने फांसी लगाई

यूपी में क्राइम ब्रांच अफसर बनकर ‘डिजिटल मर्डर’:झूठे केस की धमकी दी; पत्नी के गहने गिरवी रखवाए, 81 हजार वसूले; युवक ने फांसी लगाई प्रतापगढ़ के एक युवक को साइबर ठगों ने इस कदर ब्लैकमेल किया कि उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। यूपी पुलिस ने इस केस को डिजिटल मर्डर करार दिया है। ज्ञानदास प्रयागराज के फूलपुर में पंचायत विभाग में सफाई कर्मचारी थे। जालसाजों ने क्राइम ब्रांच का अफसर बनकर उनसे 3 दिन में 81 हजार रुपए ट्रांसफर करवाए। उन्हें ड्रग्स बेचने के मुकदमे में फंसाने की धमकी देते रहे। ज्ञानदास ने जालसाजों को रुपए देने के लिए दोस्तों-रिश्तेदारों से उधार लिए। इसके बाद भी धमकी भरे कॉल आना बंद नहीं हुए तो युवक ने पत्नी के जेवर भी गिरवी रख दिए थे। आखिरकार परेशान होकर उसने सुसाइड कर लिया। जिन नंबरों से धमकी मिल रही थी, उसको ट्रेस करते हुए पुलिस ने कानपुर से चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक नाबालिग है। अब पुलिस आरोपियों की क्राइम हिस्ट्री खंगाल रही है। अब डिजिटल मर्डर की कहानी सिलसिलेवार पढ़िए… मोबाइल से पता चला कि ज्ञानदास फंस गए थे
प्रतापगढ़ के SP डॉ. अनिल कुमार ने बताया- ज्ञानदास ने 30 जनवरी को सुसाइड किया था। इसके बाद उनके भाई प्रेमदास ने पुलिस से शिकायत की थी। प्रेमदास मिर्जापुर में DPRO हैं, जबकि ज्ञानदास प्रयागराज के फूलपुर में पंचायत विभाग में सफाई कर्मचारी था। प्रेमदास ने पुलिस को बताया कि उनके भाई के सुसाइड के बाद उन्होंने उनका मोबाइल देखा। लगातार कॉलिंग हुई थी। बैक अकाउंट देखने पर पता चला कि सारा रुपया 3 दिन में अलग-अलग टाइमिंग में ट्रांसफर हुआ था। वह समझ गए कि ज्ञानदास कुछ लोगों के चंगुल में फंस गए थे। जो उन्हें लगातार ब्लैकमेलर कॉल कर रहे थे। मोबाइल नंबर ट्रेस करके पुलिस जालसाजों तक पहुंची
इसके बाद फतनपुर थाने के दरोगा शैलेश यादव को सर्विलांस जांच में एक नंबर मिला। डिटेल्स खंगाली तो सभी हैरान रह गए। मोबाइल नंबर कानपुर में भीमसेन के रहने वाले रोहित प्रजापति के नाम रजिस्टर्ड था। रोहित की लोकेशन ट्रेस की गई। छापा मारकर पुलिस ने भीमसेन से रेवरी जाने वाले रोड के किनारे खेल मैदान के पास चार संदिग्ध व्यक्तियों को दबोच लिया। जबकि चार अन्य मौके से फरार हो गए। गिरफ्तार आरोपियों में रोहित प्रजापति, अभिमत सिंह चौहान, वीर प्रताप सिंह और एक नाबालिग शामिल है। मौके से क्राइम ब्रांच की फर्जी आईडी कार्ड, कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई। इनके पास गहनों के बिल, बैंक रसीदें और 16 हजार 30 रुपए बरामद हुए। पुलिस कस्टडी में पूछताछ में बदमाशों ने बताया कि वह ज्ञानदास को धमका रहे थे कि वह लोग क्राइम ब्रांच से बोल रहे हैं। तुम नशा बेचते हो, तुम्हारे खिलाफ मुकदमा लिखकर जेल भेज देंगे। QR कोड भेजकर रुपए मंगवाते रहे
ज्ञानदास घबरा गया, उसको बदमाशों ने QR कोड भेज दिया। उसके जरिए ही रुपए मंगवाने लगे। ज्ञानदास ने पहले अपने बैंक खाते में जमा रकम को ट्रांसफर किया। जब उसके पास पैसे खत्म हो गए, तब उसको कुछ समझ नहीं आया। उसने अपनी पत्नी के जेवर को गिरवी रखा। 17 हजार रुपए अरेंज करके भेजा। दोस्तों को बताया कि मेरी पत्नी बीमार है, ICU में एडमिट है, कुछ मदद कर दो। इस तरह से 15 हजार रुपए अरेंज किए। अलग-अलग सोर्स से करीब 81 हजार रुपए अरेंज करके जालसाजों को भेज दिए। इसके बाद भी ज्ञानदास को धमकी भरे कॉल आते रहे। उसकी समझ नहीं आ रहा था कि वह अब पैसों का कहां से इंतजाम करे? ब्लैकमेलर की धमकी भरी कॉल से परेशान होकर 30 जनवरी को ज्ञानदास ने फंदे पर लटककर सुसाइड कर लिया। उनकी लाश गांव के लोगों ने सबसे पहले देखी और परिवार को जानकारी दी। —————————- यह खबर भी पढ़िए… कानपुर IIT में पीएचडी स्कॉलर ने किया सुसाइड:नोट में लिखा- यह मेरा डिसीजन, पुलिस ने दरवाजा तोड़कर शव बाहर निकाला कानपुर आईआईटी में एक बार फिर पीएचडी स्कॉलर ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। सूचना मिलते ही आईआईटी प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंची। दरवाजा तोड़कर छात्र का शव बाहर निकाला। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस को छात्र के पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है। जिसमें लिखा है- मैं क्विट कर रहा हूं। यह मेरा खुद का डिसीजन है। इसमें किसी और का दोष नहीं है। पुलिस के मुताबिक, सुसाइड की जानकारी छात्र के परिवार वालों को दी गई है। सूचना मिलते ही परिजन नोएडा से कानपुर के लिए निकल चुके हैं। पढ़ें पूरी खबर…

कानपुर IIT में पीएचडी स्कॉलर ने किया सुसाइड:नोट में लिखा- यह मेरा डिसीजन, पुलिस ने दरवाजा तोड़कर शव बाहर निकाला

कानपुर IIT में पीएचडी स्कॉलर ने किया सुसाइड:नोट में लिखा- यह मेरा डिसीजन, पुलिस ने दरवाजा तोड़कर शव बाहर निकाला कानपुर आईआईटी में एक बार फिर पीएचडी स्कॉलर ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। सूचना मिलते ही आईआईटी प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंची। दरवाजा तोड़कर छात्र का शव बाहर निकाला। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस को छात्र के पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है। जिसमें लिखा है- मैं क्विट कर रहा हूं। यह मेरा खुद का डिसीजन है। इसमें किसी और का दोष नहीं है। पुलिस के मुताबिक, सुसाइड की जानकारी छात्र के परिवार वालों को दी गई है। सूचना मिलते ही परिजन नोएडा से कानपुर के लिए निकल चुके हैं। कॉल भी नहीं रिसीव कर रहा था अंकित नोएडा के जागृति अपार्टमेंट सेक्टर-71 में रहने वाले रामसूरत यादव का बेटा अंकित यादव (24) कानपुर आईआईटी में केमिस्ट्री से पीएचडी कर रहा था। यह उसका पहला साल था। आईआईटी के सुरक्षा अधिकारी को 5 बजे सूचना मिली कि कैंपस के हॉस्टल एच-103 में छात्र का शव लटका हुआ है। छात्र के साथियों ने बताया कि वह काफी देर से कॉल नहीं उठा रहा था। दरवाजा खटखटाने पर भी रिस्पांस नहीं दिया। सूचना पर कल्याणपुर थाने की पुलिस आईआईटी कैंपस पहुंची। दरवाजा तोड़कर देखा तो छात्र का शव फंदे से लटकता मिला। अंकित होनहार छात्र थे- आईआईटी आईआईटी कानपुर ने अंकित के सुसाइड पर दुख जताया है। संस्थान की ओर से कहा गया- हम अंकित यादव के दुखद और असामयिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हैं। वह एक होनहार शोधार्थी थे, जो जुलाई 2024 में यूजीसी फेलोशिप के साथ संस्थान में शामिल हुए थे। अभी इस घटना पर किसी भी तरह की वजह साफ नहीं है। हालांकि, आईआईटी कानपुर जांच में पुलिस और फोरेंसिक टीम के साथ पूरा सहयोग कर रहा है। संस्थान ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। दुख की इस घड़ी में हम शोक संतप्त परिवार को शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं। —————————- कानपुर IIT में सुसाइड की यह खबर भी पढ़ें… कानपुर IIT की छात्रा ने ऑनलाइन रस्सी मंगाकर लगाई फांसी, नोट में लिखा- दोस्तों आपने बहुत सहयोग किया…थैंक्स 4 महीने पहले कानपुर आईआईटी की रिसर्च स्कॉलर ने अपनी जान दे दी थी। 26 साल की छात्रा का शव हॉस्टल में फंदे से लटका मिला था। मौके से मिले सुसाइड नोट में छात्रा ने लिखा था- मैं अपनी मौत की खुद जिम्मेदार हूं। दोस्तों ने मुझे बहुत को-ऑपरेट किया, थैक्स…। उसने जिस रस्सी से फंदा बनाया, उसे ऑनलाइन मंगवाया था। पूरी खबर पढ़ें…