<p style=”text-align: justify;”><strong>Ganga Dashara:</strong> आरा में एक बड़ा हादसा की सूचना आ रही है. मिली जानकारी के अनुसार गंगा दशहरा के दिन (16 जून) गंगा नदी में नहाने के दौरान चार लोग लापता हो गए. मौके पर एसडीआरएफ की टीम रवाना हो गई है. भोजपुर के डीएम राजकुमार ने इस घटना की पुष्टि है. कई अन्य पदाधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं. मौके पर राहत और बचाव कार्य जारी है. घटना बहोरनपुर थाना के शिवपुर गंगा घाट की है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Ganga Dashara:</strong> आरा में एक बड़ा हादसा की सूचना आ रही है. मिली जानकारी के अनुसार गंगा दशहरा के दिन (16 जून) गंगा नदी में नहाने के दौरान चार लोग लापता हो गए. मौके पर एसडीआरएफ की टीम रवाना हो गई है. भोजपुर के डीएम राजकुमार ने इस घटना की पुष्टि है. कई अन्य पदाधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं. मौके पर राहत और बचाव कार्य जारी है. घटना बहोरनपुर थाना के शिवपुर गंगा घाट की है.</p> बिहार राजस्थान में स्वास्थ्य विभाग के बड़े फैसले, 87 ART बैंक निरस्त, 30 जून को चलेगा पोलियो अभियान
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‘रावण इस गांव का बेटा है, राक्षस नहीं’:नोएडा के बिसरख में नहीं मनाते दशहरा, पुतला दहन से होने लगते हैं हादसे
‘रावण इस गांव का बेटा है, राक्षस नहीं’:नोएडा के बिसरख में नहीं मनाते दशहरा, पुतला दहन से होने लगते हैं हादसे ‘रावण इस गांव का बेटा है, राक्षस नहीं…यहां कभी रामलीला नहीं होती, न ही पुतला जलाया जाता है। जब-जब ऐसा हुआ, कुछ न कुछ अनिष्ट हुआ। दुर्घटनाएं होने लगीं। लोग मरे, बीमारी फैलने लगी।’ ऐसा नोएडा से 17 किमी दूर बिसरख गांव के लोगों का कहना है। इस गांव का नाम लंकापति रावण के पिता विश्रवा के नाम पर रखा गया था। मान्यता है कि यहीं रावण, कुंभकर्ण, विभीषण और शूर्पणखा ने जन्म लिया। इनसे पहले कुबेर भी यहां जन्मे, जिन्होंने सोने की लंका बनाई। तब, रावण अपने परिवार के साथ वहां चला गया। रावण के जन्मस्थान होने की वजह से यह गांव बिसरख धाम के नाम से प्रसिद्ध हुआ। दशहरे से पहले दैनिक भास्कर की टीम बिसरख गांव पहुंची। यहां हमने लोगों से बात की। यहां की मान्यता क्या है? रावण के जन्मस्थान के साक्ष्य क्या हैं? पंडित-पुरोहित क्या बताते हैं? मंदिर का इतिहास क्या है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… दशहरे तक छाया रहता है सन्नाटा
हम सुबह करीब 10 बजे बिसरख गांव पहुंचे। यहां अजीब-सा सन्नाटा पसरा था। घरों के दरवाजे बंद थे। सड़कें सूनी थीं। पेड़ की छांव में कुछ लोग बैठे थे। पूछने पर कहते हैं- भैया, दशहरे तक गांव का माहौल ऐसा ही रहेगा। यहां की हवा ही कुछ ऐसी है। दशहरे के बाद अपने आप ही लोगों का मिलना-जुलना बढ़ जाएगा। ये कोई नई बात नहीं है। हर साल ऐसा ही माहौल रहता है। गांव के लोग बाहर भी मेला या रामलीला देखने नहीं जाते। जिस दिन रावण दहन होता है, गांव में शोक जैसा माहौल रहता है। हमारे यह सवाल पूछने पर कि ऐसा क्यों? जवाब मिलता है- यह रावण का गांव है। उनके पिता विश्रवा यहीं रहते थे। गांव में उनका मंदिर है। यह जानने के बाद हम उस मंदिर की ओर चल पड़े। गांव में ज्यादा घनी आबादी नहीं है। लोग अपना काम करते दिखे। गांव में थोड़ा अंदर चलते ही दूर से ही मंदिर दिखा दिया। मंदिर के पुजारी और महंत ने रावण से जुड़ी कुछ जानकारियां बताईं। यहीं विश्रवा की कैकसी से शादी हुई
मंदिर के बाहर 10 सिर वाला रावण और शिवलिंग पर सिर काटकर चढ़ाते हुए दृश्य अंकित हैं। मंदिर के अंदर शिवलिंग है, जिसको हजारों साल पुराना बताया जाता है। मंदिर के पंडित विनय भारद्वाज बताते हैं- यह अष्टभुजा धारी शिवलिंग रावण के बाबा यानी पुलस्त्य ऋषि ने स्थापित किया था। यही शिवलिंग ही रावण की जन्मभूमि का प्रत्यक्ष प्रमाण है। शिवलिंग की खास बात यह है कि वह जिस पत्थर का है, वो आज कहीं नहीं मिलेगा। इस गांव में रावण के पिता ने राक्षसी राजकुमारी कैकसी से शादी की। यहीं रावण-कुंभकर्ण, विभीषण और शूर्पणखा का जन्म हुआ। शिवलिंग कितने साल पुराना है?
पंडित विनय बताते हैं- सन, शताब्दी तो चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने शुरू किया था। यह कलयुग की गणना है। इससे पहले माया कैलंडर होता था, जिसे आज तक कोई पढ़ नहीं पाया। इसलिए असली समय तो बता पाना मुश्किल है। अगर इस मंदिर को देखा जाए, तो पता चलता है कि रावण ने 28 हजार साल तक राज किया। उससे पहले कुबेर ने राज किया। आप अंदाजा लगाइए कि रावण यहां पैदा हुए, कुबेर यहां पैदा हुए, तो यह मंदिर कितने साल पुराना हो सकता है। पंडित ने बताया कि यहां के लोग भगवान राम की पूजा करते हैं और उनके आदर्शों को मानते हैं। लेकिन, रावण को भी गलत नहीं मानते। उसे भी विद्वान पंडित मानते हैं। यही वजह है, गांव में रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता। दो बार रामलीला का आयोजन, दोनों बार मौत
बिसरख गांव के लोग रामलीला का आयोजन नहीं करते। इस परंपरा के पीछे गांव का इतिहास जुड़ा है। यहां दो बार रावण दहन किया गया, लेकिन दोनों ही बार रामलीला के दौरान किसी न किसी की मौत हो गई। बिसरख में शिव मंदिर के पुजारी महंत रामदास ने बताया- 60 साल पहले गांव में पहली बार रामलीला का आयोजन किया गया था। जिस व्यक्ति के घर के सामने यह आयोजन हुआ, उसी का बेटा मर गया। रावण की आत्मा की शांति के लिए होता है यज्ञ
कुछ समय बाद गांव वालों ने फिर से रामलीला रखी। इस बार उसमें हिस्सा लेने वाले एक पात्र की मौत हो गई। इसके बाद से यहां दशहरे पर रावण का पुतला नहीं दहन होता, न ही रामलीला होती है। यहां रावण की आत्मा की शांति के लिए यज्ञ-हवन किए जाते हैं। साथ ही नवरात्रि के दौरान शिवलिंग पर बलि भी चढ़ाई जाती है। 1984 में की गई खुदाई
1984 में तांत्रिक चंद्रास्वामी ने शिवलिंग की खुदाई कराई थी। 20 फीट खुदाई के बाद भी शिवलिंग का छोर नहीं मिला था। इस दौरान एक गुफा मिली थी। वह पास में बने खंडहरों में जाकर निकली। खुदाई के दौरान एक 24 मुखी शंख भी निकला था। जिसे चंद्रास्वामी अपने साथ ले गए थे। शिवपुराण में भी इस धाम का जिक्र
बिसरख गांव का जिक्र शिव पुराण में भी किया गया है। कहा जाता है, त्रेता युग में इस गांव में ऋषि विश्रव का जन्म हुआ था। यह शिवलिंग बाहर से देखने में महज 2.5 फीट का है, लेकिन जमीन के नीचे इसकी लंबाई करीब 8 फीट है। इस गांव में अब तक 25 शिवलिंग मिले हैं। मंदिर के महंत रामदास ने बताया- खुदाई के दौरान त्रेता युग के नर कंकाल, बर्तन और मूर्तियों के अलावा कई अवशेष मिले। लेकिन अब वह उनके पास नहीं हैं। रामदास कहते हैं- उस समय टूटी-फूटी मूर्तियां मिली थीं। साथ ही भांग घोंटने वाला बर्तन और भैरो की मूर्ति भी थी। वो सब पुरातत्व विभाग वाले ले गए। लेकिन, आज भी यहां जिस जगह खुदाई होगी, जरूर पुराने अवशेष मिलेंगे। अब तक नहीं बन सकी रावण की प्रतिमा
महंत रामदास ने बताया- मंदिर में 24 भुजा रावण की प्रतिमा थी, जिसे अराजक तत्वों ने खंडित कर दिया। नई मूर्ति राजस्थान में बन रही है, जो करीब 7 फीट की है। उसे यहां स्थापित किया जाएगा। अभी 4 फीट की एक सिर वाली मूर्ति बनी है, जिसे लाया जा रहा है। उसे राम मंदिर के साथ यहां स्थापित किया जाएगा। मंदिर के विकास को लेकर कई बार लिखा गया, लेकिन किसी ने भी सुध नहीं ली। यह खबर भी पढ़ें वेश्यालय से भीख में मांगकर लाई मिट्टी, कानपुर में मां दुर्गा की मूर्ति का किया निर्माण; 82 साल से चली आ रही परंपरा कानपुर में एक अनोखी दुर्गा पूजा आयोजित की जाती है। जहां वेश्यालय से भिक्षा मांगकर पहले मिट्टी लाई जाती है। फिर उसी मिट्टी से मां दुर्गा की मूर्ति का निर्माण कराया जाएगा। आज यानी बुधवार से दुर्गा पूजा शुरू हो रही है। कोलकाता की तर्ज पर पारंपरिक रूप से दुर्गा पूजा नारी सशक्तिकरण थीम पर शुरू की जा रही है। पढ़ें पूरी खबर…
NDA सरकार में नंबर 1 और नंबर 2 यूपी से, जितिन प्रसाद, जयंत, अनुप्रिया, पंकज ने ली शपथ
NDA सरकार में नंबर 1 और नंबर 2 यूपी से, जितिन प्रसाद, जयंत, अनुप्रिया, पंकज ने ली शपथ <p style=”text-align: justify;”><strong>PM Modi Oath Ceremony: </strong>राष्ट्रपति <a title=”द्रौपदी मुर्मू” href=”https://www.abplive.com/topic/droupadi-murmu” data-type=”interlinkingkeywords”>द्रौपदी मुर्मू</a> ने 18वीं लोकसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए सरकार को शपथ दिलाई. राष्ट्रपति भवन में संपन्न हुए शपथ ग्रहण समारोह में उत्तर प्रदेश से चुने गए 8 सांसदों और 2 राज्यसभा सांसदों को शपथ दिलाई गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मौजूदा सरकार में नंबर 1 और नंबर 2 उत्तर प्रदेश से ही सांसद चुने गए हैं. <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और वह तीसरी बार वाराणसी से सांसद चुने गए हैं. इसके अलावा लखनऊ से सांसद चुने गए राजनाथ सिंह ने मोदी के बाद शपथ ली. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यूपी से ही राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी, पीलीभीत से सांसद चुने गए जितिन प्रसाद, महाराजगंज से सांसद- पंकज चौधरी, अपना दल सोने लाल की नेता और मीरजापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल, आगरा से सांसद एसपी सिंह बघेल, गोंडा से सांसद कीर्तिवर्धन सिंह, राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा और बासगांव से सांसद कमलेश पासवान को राष्ट्रपति ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/pm-narendra-modi-swearing-in-ceremony-rld-chief-jayant-chaudhary-takes-oath-as-union-minister-of-state-2711340″><strong>PM Modi Oath Ceremony: सफेद कुर्ता-हरा गमछा के साथ जयंत चौधरी ने ली अंग्रेजी में शपथ, सभी को किया हैरान</strong></a></p>
पंजाब में 1158 असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती को राहत:HC की डबल बेंच ने प्रक्रिया को हरी झंडी दी, सरकार ने दी थी चुनौती
पंजाब में 1158 असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती को राहत:HC की डबल बेंच ने प्रक्रिया को हरी झंडी दी, सरकार ने दी थी चुनौती पंजाब सरकार को 1158 असिस्टेंट प्रोफेसर और लाइब्रेरियन की भर्ती प्रक्रिया मामले में पंजाब एंड हरियाणा से बड़ी राहत मिली है।अदालत की डबल बेंच ने भर्ती प्रक्रिया को हरी झंडी दे दी है। साथ ही सिंगल बेच के फैसले को बदल दिया है। इससे साफ है कि अब उस भर्ती प्रक्रिया में शामिल लोगों को नौकरी मिल पाएगी। हालांकि पहले भर्ती प्रक्रिया को डिसमिस कर दिया था। साथ ही कहा था कि भर्ती प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया गया है।