<p style=”text-align: justify;”><strong>Jamui Nagi Dam:</strong> बिहार के नागी डैम पक्षी अभयारण्य से दोहरी धारी वाले कलहंस (एक तरह का पक्षी) एक महीने से अधिक की लंबी यात्रा के बाद तिब्बत की आर्द्रभूमि तक पहुंच गए हैं, जिसका पता उन पर लगाए गए सौर ऊर्जा चालित जीएसएम-जीपीएस ट्रांसमीटर से चला है. राज्य के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन (डीईएफसीसी) मंत्री सुनील कुमार ने यह जानकारी दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रवासी पक्षियों पर लगाया गया जीपीएस-जीएसएम</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>‘बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस)’ ने 22 फरवरी को जमुई जिले के नागी डैम पक्षी अभयारण्य में ‘गगन’ और ‘वायु’ नामक दो कलहंसों पर सौर ऊर्जा संचालित जीपीएस-जीएसएम टैग (ट्रांसमीटर) लगाए. यह पहली बार था जब सबसे ऊंची उड़ान भरने वाले इन प्रवासी पक्षियों पर जीपीएस-जीएसएम लगाया गया ताकि उनकी आवाजाही पर सटीक नजर रखी जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मंत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “दोनों हंस प्रवास मार्गों, ठहराव स्थलों और उनके व्यवहार पैटर्न पर महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेंगे. यह हमें आर्द्रभूमि संरक्षण रणनीतियों को और मजबूत करने में मदद करेगा. यह पहली बार है जब बिहार में प्रवासी पक्षियों पर इस तरह की ट्रैकिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”>मंत्री ने बताया, “नवीनतम जानकारी के अनुसार, दोनों अलग-अलग घूम रहे हैं, लेकिन तिब्बत की आर्द्रभूमि में हैं. गगन आर्द्रभूमि परिसर के उत्तर-पश्चिम की ओर है- नागरज़े काउंटी और यमझो युमको में जबकि वायु दक्षिण तिब्बत में है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कलहंस की यात्रा को समझने के लिए लगाया गया जीएसएम</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सुनील कुमार ने कहा कि यह डेटा मध्य एशियाई उड़ान क्षेत्र में गैर-प्रजनन क्षेत्रों से उनके प्रजनन क्षेत्रों तक कलहंस की यात्रा को समझने में भी सहायक होगा. नागी पक्षी अभयारण्य बिहार के जमुई जिले में 200 हेक्टेयर में फैली हुई आर्द्रभूमि है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह आर्द्रभूमि अक्टूबर से अप्रैल तक सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों के लिए एक प्रमुख स्थान है. इसे 1984 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था. इसे ‘बर्डलाइफ इंटरनेशनल’ के जरिए एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (आईबीए) के रूप में भी नामित किया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/ram-navami-2025-crowds-of-devotees-gathered-in-patna-mahavir-mandir-2919599″>Ram Navami 2025: पटना में रामनवमी पर मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, गूंज रहे ‘जय श्रीराम’ के नारे</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jamui Nagi Dam:</strong> बिहार के नागी डैम पक्षी अभयारण्य से दोहरी धारी वाले कलहंस (एक तरह का पक्षी) एक महीने से अधिक की लंबी यात्रा के बाद तिब्बत की आर्द्रभूमि तक पहुंच गए हैं, जिसका पता उन पर लगाए गए सौर ऊर्जा चालित जीएसएम-जीपीएस ट्रांसमीटर से चला है. राज्य के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन (डीईएफसीसी) मंत्री सुनील कुमार ने यह जानकारी दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रवासी पक्षियों पर लगाया गया जीपीएस-जीएसएम</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>‘बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस)’ ने 22 फरवरी को जमुई जिले के नागी डैम पक्षी अभयारण्य में ‘गगन’ और ‘वायु’ नामक दो कलहंसों पर सौर ऊर्जा संचालित जीपीएस-जीएसएम टैग (ट्रांसमीटर) लगाए. यह पहली बार था जब सबसे ऊंची उड़ान भरने वाले इन प्रवासी पक्षियों पर जीपीएस-जीएसएम लगाया गया ताकि उनकी आवाजाही पर सटीक नजर रखी जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मंत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “दोनों हंस प्रवास मार्गों, ठहराव स्थलों और उनके व्यवहार पैटर्न पर महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेंगे. यह हमें आर्द्रभूमि संरक्षण रणनीतियों को और मजबूत करने में मदद करेगा. यह पहली बार है जब बिहार में प्रवासी पक्षियों पर इस तरह की ट्रैकिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”>मंत्री ने बताया, “नवीनतम जानकारी के अनुसार, दोनों अलग-अलग घूम रहे हैं, लेकिन तिब्बत की आर्द्रभूमि में हैं. गगन आर्द्रभूमि परिसर के उत्तर-पश्चिम की ओर है- नागरज़े काउंटी और यमझो युमको में जबकि वायु दक्षिण तिब्बत में है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कलहंस की यात्रा को समझने के लिए लगाया गया जीएसएम</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सुनील कुमार ने कहा कि यह डेटा मध्य एशियाई उड़ान क्षेत्र में गैर-प्रजनन क्षेत्रों से उनके प्रजनन क्षेत्रों तक कलहंस की यात्रा को समझने में भी सहायक होगा. नागी पक्षी अभयारण्य बिहार के जमुई जिले में 200 हेक्टेयर में फैली हुई आर्द्रभूमि है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह आर्द्रभूमि अक्टूबर से अप्रैल तक सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों के लिए एक प्रमुख स्थान है. इसे 1984 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था. इसे ‘बर्डलाइफ इंटरनेशनल’ के जरिए एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (आईबीए) के रूप में भी नामित किया गया है.</p>
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