Maharashtra: ‘पिछली महायुति सरकार में 6,740 किसानों ने की आत्महत्या’, अंबादास दानवे का बड़ा दावा

Maharashtra: ‘पिछली महायुति सरकार में 6,740 किसानों ने की आत्महत्या’, अंबादास दानवे का बड़ा दावा

<p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Farmers Suicide News: </strong>महाराष्ट्र विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने मंगलवार (17 दिसंबर) को बताया कि महायुति की पिछली सरकार के ढाई साल के कार्यकाल के दौरान राज्य में 6,740 किसानों ने आत्महत्या की थी. अंबादास दानवे ने दावा किया कि एक जुलाई 2022 से 30 नवंबर 2024 के बीच 6,740 किसानों ने आत्महत्या की और सबसे ज्यादा नागपुर और अमरावती जिले में किसानों ने जान दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधानपरिषद के सदस्य दानवे ने राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के अभिभाषण पर हुई चर्चा में शामिल होने के दौरान यह बयान दिया है. उन्होंने किसानों की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए भारतीय जनता पार्टी नीत महायुति सरकार पर किसानों के मुद्दों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अंबादास दानवे ने दावा किया कि राज्य सरकार ने कपास के लिए 6,000 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने का वादा किया है, लेकिन किसानों को अभी तक यह राशि नहीं मिली है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर क्या बोले अंबादास?<br /></strong>न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, अंबादास दानवे ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे देश में लोकतंत्र को खत्म कर एक हुकुम शाही लागू करने जैसा बताया. उन्होंने कहा, “इसका मतलब लोकतंत्र को खत्म कर हुकुम शाही लाने जैसा है. अगर एक ही चुनाव होता है, तो एक ही सरकार पांच साल तक सत्ता में बनी रहेगी और कोई दूसरी सरकार नहीं आ सकेगी.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “महाराष्ट्र में प&zwj;िछले पांच सालों में तीन बार सरकार बदल चुकी है. अगर वन नेशन, वन इलेक्शन होता, तो क्या होता? यही वजह है कि वह इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, मंगलवार को लोकसभा में इस विधेयक को पेश करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दावा किया था कि यह देश के चुनावी खर्च को कम करने और चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.</p>
<div id=”article-hstick-inner” class=”abp-story-detail “>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:&nbsp;</strong><strong><a title=”Pune: कोर्ट के आदेश के बाद मिली टीपू सुल्तान की जयंती पर जुलूस की इजाजत, पुलिस ने किया था इनकार” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/pune-news-permission-granted-for-procession-on-tipu-sultan-birth-anniversary-bombay-high-court-2844418″ target=”_self”>Pune: कोर्ट के आदेश के बाद मिली टीपू सुल्तान की जयंती पर जुलूस की इजाजत, पुलिस ने किया था इनकार</a></strong></p>
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<p style=”text-align: justify;”>शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधानपरिषद के सदस्य दानवे ने राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के अभिभाषण पर हुई चर्चा में शामिल होने के दौरान यह बयान दिया है. उन्होंने किसानों की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए भारतीय जनता पार्टी नीत महायुति सरकार पर किसानों के मुद्दों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अंबादास दानवे ने दावा किया कि राज्य सरकार ने कपास के लिए 6,000 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने का वादा किया है, लेकिन किसानों को अभी तक यह राशि नहीं मिली है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर क्या बोले अंबादास?<br /></strong>न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, अंबादास दानवे ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे देश में लोकतंत्र को खत्म कर एक हुकुम शाही लागू करने जैसा बताया. उन्होंने कहा, “इसका मतलब लोकतंत्र को खत्म कर हुकुम शाही लाने जैसा है. अगर एक ही चुनाव होता है, तो एक ही सरकार पांच साल तक सत्ता में बनी रहेगी और कोई दूसरी सरकार नहीं आ सकेगी.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “महाराष्ट्र में प&zwj;िछले पांच सालों में तीन बार सरकार बदल चुकी है. अगर वन नेशन, वन इलेक्शन होता, तो क्या होता? यही वजह है कि वह इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, मंगलवार को लोकसभा में इस विधेयक को पेश करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दावा किया था कि यह देश के चुनावी खर्च को कम करने और चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.</p>
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