ऊना के लालसिंगी में नेशनल हाईवे 503 में मंगलवार को बस और बाइक के बीच टक्कर हो गई, जिसमें दो सगे भाइयों की दर्दनाक मौत हो गई। मृतक की पहचान 60 वर्षीय धर्मपाल और 63 वर्षीय ज्ञान चंद के रूप में हुई है। दाेनों कोटलाखुर्द गांव के रहने वाले थे, जो सेवानिवृत्त कर्मचारी बताए जा रहे हैं। पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए यहां क्षेत्रीय अस्पताल भेज दिया है। हादसा कैसे हुआ पुलिस उसके कारणों की जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि कोटलाखुर्द के धर्मपाल और ज्ञानचंद पर बाइक पर आ रहे थे। जैसे ही लालसिंगी के पास नेशनल हाईवे के कट से टर्न करने लगे तो ऊना की तरफ से आ रही बस के साथ बाइक की टक्कर हो गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों भाई गंभीर रूप से घायल हो गए। जिन्हें गंभीर हालत में क्षेत्रीय अस्पताल ऊना ले जाया गया, जहां दोनों को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलने पर ऊना पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों शवों को अपने कब्जे में लिया। इसके अलावा पुलिस मौके पर सड़क हादसे के संबंध में जानकारी जुटा रही है। दोनों शवों को क्षेत्रीय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। ऊना के लालसिंगी में नेशनल हाईवे 503 में मंगलवार को बस और बाइक के बीच टक्कर हो गई, जिसमें दो सगे भाइयों की दर्दनाक मौत हो गई। मृतक की पहचान 60 वर्षीय धर्मपाल और 63 वर्षीय ज्ञान चंद के रूप में हुई है। दाेनों कोटलाखुर्द गांव के रहने वाले थे, जो सेवानिवृत्त कर्मचारी बताए जा रहे हैं। पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए यहां क्षेत्रीय अस्पताल भेज दिया है। हादसा कैसे हुआ पुलिस उसके कारणों की जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि कोटलाखुर्द के धर्मपाल और ज्ञानचंद पर बाइक पर आ रहे थे। जैसे ही लालसिंगी के पास नेशनल हाईवे के कट से टर्न करने लगे तो ऊना की तरफ से आ रही बस के साथ बाइक की टक्कर हो गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों भाई गंभीर रूप से घायल हो गए। जिन्हें गंभीर हालत में क्षेत्रीय अस्पताल ऊना ले जाया गया, जहां दोनों को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलने पर ऊना पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों शवों को अपने कब्जे में लिया। इसके अलावा पुलिस मौके पर सड़क हादसे के संबंध में जानकारी जुटा रही है। दोनों शवों को क्षेत्रीय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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शिमला के संजौली कॉलेज में 5 छात्र नेता निष्कासित:शैक्षणिक माहौल खराब-प्रोसेसर को धमकियां देने का आरोप, आज फिर परिसर में प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कॉलेज संजौली में प्रशासन ने 5 छात्र नेताओं को निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई बीते शुक्रवार को कॉलेज परिसर में हुए हंगामे के बाद की गई। कॉलेज प्रशासन ने छात्र नेताओं को अनिश्चित काल के लिए निष्कासित कर कैंपस में प्रवेश पर रोक लगा दी है। इससे गुस्साए छात्र संजौली कॉलेज में फिर से प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्र संगठन SFI का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है, जबकि कॉलेज प्रशासन SFI के छात्र नेताओं पर कॉलेज का शैक्षिक माहौल खराब करने का आरोप लगा रहा है। इन छात्रों को किया गया निष्कासित इसे देखते हुए कॉलेज प्रिंसिपल ने स्टाफ काउंसिल और कॉलेज के वूमेन सेल की सिफारिश पर 5 छात्र नेताओं को निष्कासित किया है। इनमें बीए तृतीय वर्ष के अंशुल मिन्हास, प्रवेश, बीनस रितांश व सुहानी और बीएस द्वितीय वर्ष के आर्यन ठाकुर शामिल है। प्रिंसिपल ऑफिस से जारी आदेशों के अनुसार ये अब कॉलेज के छात्र नहीं है। कोई भी प्रोसेसर इनकी हाजिरी नहीं लगाएगा और इन्हें कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। SFI वर्कर परिसर में माहौल खराब कर रहे: प्रिंसिपल कॉलेज प्रिंसिपल भारती भांगड़ा ने कहा कि कॉलेज परिसर में हंगामा करने वाले छात्रों की अगुआई कर रहे छात्र संगठन SFI के 5 छात्रों को निष्कासित किया है। उन्होंने बताया ये छात्र नेता लगातार परिसर में माहौल खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। शिक्षकों के साथ बदतमीजी और कॉलेज प्रोफेसर को धमकियां देने में दोषी पाए गए हैं। प्रिंसिपल ने बताया, आज से कॉलेज कक्षाएं नियमित चलेगी। कॉलेज परिसर में कोई हंगामा न हो सके। इसके लिए पुलिस बुलाई गई है। पहचान पत्र चेक कर करने के बाद ही परिसर में प्रवेश मिलेगा। जाने पूरा मामला क्या है? SFI का दावा है कि संजौली कॉलेज की एक छात्रा ने लड़के पर उसको लेकर झूठी अफवाह फैलाने और छेड़ने का आरोप लगाते हुए वूमेन सेल से बीते वीरवार को शिकायत की थी, जिसके बाद कॉलेज प्रिंसिपल ने मामले की छानबीन करने का आश्वासन दिया और जांच रिपोर्ट आने तक इंतजार करने को कहा। कल शिक्षकों ने किया कक्षाओं का बहिष्कार इसे लेकर बीते कल कॉलेज में प्रदर्शन किया। इसके बाद शिक्षकों ने कक्षाओं का बहिष्कार किया। कॉलेज में बिगड़े माहौल को शांत करने के लिए कैंपस में पुलिस बुलानी पड़ी। इसके बाद पुलिस ने कॉलेज कैंपस को खाली करवाया। देर शाम तक कॉलेज प्रशासन ने 5 छात्र नेताओं को निष्कासित करने के आदेश जारी किए। वहीं कॉलेज प्रिंसिपल के अनुसार, छात्रा से शिकायत का मामला छेड़छाड़ का नहीं है। इस मामले को परिसर के बाहर सुलझा दिया गया था। फिर भी SFI के कार्यकर्ता इसे बेवजह तूल दे रहे हैं। SFI ने मामले को दबाने का आरोप SFI इकाई अध्यक्ष प्रवेश ने कहा कि कॉलेज परिसर में लड़की से हुई छेड़छाड़ मामले को लेकर SFI का एक प्रतिनिधिमंडल कॉलेज प्रशासन से मिला। मामले पर वूमेन सेल द्वारा निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की। मगर प्रशासन इसे दबाने का प्रयास कर रहा है।
खट्टर आवास एवं शहरी विकास और ऊर्जा मंत्री बने:नड्डा स्वास्थ्य मंत्री, बिट्टू रेल व फूड प्रोसेसिंग राज्यमंत्री, राव को प्लानिंग, गुर्जर सहकारिता राज्यमंत्री
खट्टर आवास एवं शहरी विकास और ऊर्जा मंत्री बने:नड्डा स्वास्थ्य मंत्री, बिट्टू रेल व फूड प्रोसेसिंग राज्यमंत्री, राव को प्लानिंग, गुर्जर सहकारिता राज्यमंत्री मोदी 3.0 कैबिनेट में मंत्रियों को विभागों का बंटवारा कर दिया गया है। हरियाणा से कैबिनेट मंत्री बनाए मनोहर लाल खट्टर को आवास एवं शहरी विकास और ऊर्जा मंत्री लगाया गया है। खट्टर करनाल से सांसद हैं। वह 2 बार हरियाणा के CM रह चुके हैं। हरियाणा से राज्य मंत्री राव इंद्रजीत को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन और योजना मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। इसके अलावा संस्कृति मंत्रालय में राव कैबिनेट मंत्री गजेंद्र शेखावत के साथ बतौर राज्यमंत्री काम करेंगे। राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर को सहकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री लगाया गया है। वे कैबिनेट मंत्री अमित शाह के साथ इस विभाग में काम करेंगे। पंजाब से राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू को रेलवे और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज का राज्य मंत्री लगाया गया है। रेलवे में वे कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव और फूड प्रोसेसिंग में कैबिनेट मंत्री चिराग पासवान के साथ काम करेंगे। खास बात यह है कि जब पंजाब से अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल केंद्र में मंत्री थी तो उन्हें फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज मंत्रालय दिया गया था। हिमाचल प्रदेश से इकलौते मंत्री जेपी नड्डा को स्वास्थ्य एवं परिवार भलाई विभाग और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय सौंपा गया है। अब पढ़िए… मोदी 3.0 में हरियाणा से 3 मंत्री क्यों बनाए?
भाजपा ने मोदी 3.0 सरकार में हरियाणा के 5 लोकसभा सांसदों में से 3 को मंत्री बनाकर सबको चौंका दिया। लोकसभा चुनाव में BJP राज्य की 10 में से 5 सीटें हार गई और 5 ही जीत पाई। इसके बावजूद केंद्रीय कैबिनेट में करनाल के सांसद मनोहर लाल खट्टर, गुरुग्राम के राव इंद्रजीत सिंह और फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर को जगह दी गई। ऐसे में सब जानना चाहते हैं कि आखिर BJP और नरेंद्र मोदी की क्या राजनीति है, जो हरियाणा में पार्टी की सीटें घटने के बावजूद पिछली टर्म के मुकाबले मंत्रियों की संख्या 2 से बढ़ाकर 3 कर दी गई। इसकी सबसे बड़ी वजह 5 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। 3 सांसदों को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल कर भाजपा ने हरियाणा के पंजाबी, अहीर व गुर्जर समुदाय के साथ-साथ जीटी रोड और अहीरवाल बेल्ट को साधते हुए 90 सीटों वाली विधानसभा में 46 के बहुमत वाले आंकड़े के जुगाड़ की कोशिश की है। पहले जानिए, हरियाणा से 3 मंत्री क्यों बनाए? 1. विधानसभा चुनाव की मजबूरी
भाजपा लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 10 में से 5 सीटें ही जीत पाई। 2019 में पार्टी ने क्लीन स्वीप किया था। अब 5 महीने बाद, राज्य विधानसभा के चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों को विधानसभा चुनाव से पहले का ट्रेलर माना जा रहा है और इससे भाजपा डरी हुई है। लोकसभा चुनाव नतीजों का अगर विधानसभा सीटवाइज एनालिसिस करें तो राज्य की 90 सीटों में से 46 पर कांग्रेस और 44 पर BJP आगे रही। ऐसे में भाजपा नेतृत्व विधानसभा चुनाव को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। 2. क्षेत्रीय संतुलन साधा, नॉन जाट राजनीति बरकरार
मोदी 3.0 में BJP ने हरियाणा को लेकर क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश की है। खट्टर के जरिए जीटी रोड बेल्ट और राव इंद्रजीत के जरिए दक्षिण हरियाणा को साधने का प्रयास किया गया है। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इन्हीं दोनों बेल्ट से राज्य में सबसे ज्यादा सीटें मिली। इसके साथ ही BJP ने एक तरह से ये भी क्लियर कर दिया कि वह हरियाणा में अपनी नॉन-जाट की राजनीति के सहारे ही आगे बढ़ेगी। जाट बिरादरी से आने वाले BJP सांसद चौधरी धर्मबीर भी इस बार मंत्रिपद के दावेदार थे लेकिन लगातार तीसरी बार जीतने के बावजूद उन्हें मिनिस्टर नहीं बनाया गया। हरियाणा में गैरजाट की राजनीति की शुरुआत भाजपा ने 2014 में ही पंजाबी समुदाय के मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाकर कर दी थी। 2019 में भी खट्टर ही सीएम बने। 3. ओवर कॉन्फिडेंस से तौबा हरियाणा में BJP साढ़े 9 साल से सत्ता में है। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ओवर-कॉन्फिडेंस का शिकार थी और सभी 10 लोकसभा सीटें जीत लेने का दम भर रही थी। मगर, चुनाव नतीजे आए तो रोहतक और सिरसा सीट बड़े अंतर से हार गई। गुरुग्राम में राव इंद्रजीत और कुरुक्षेत्र में नवीन जिंदल आखिर तक करीबी मुकाबले में फंसे नजर आए। पांच सीटें पार्टी के हाथ से निकल गईं। जब रिजल्ट की समीक्षा की गई तो पता चला कि पार्टी ने अपने गढ़ रहे जीटी रोड बेल्ट और अहीरवाल जैसे इलाकों को कुछ समय में तरजीह देना बंद कर दिया था। यही कारण है कि भाजपा अब राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए अपने गढ़ को सुरक्षित कर लेने की कोशिश करती दिख रही है। 4. मोदी मैजिक दिखाने की तैयारी
लोकसभा चुनाव में भाजपा इस बार अपने बूते बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटें नहीं जीत पाई और 240 पर सिमट गई। ऐसे में न केवल केंद्र में JDU और TDP से गठबंधन मजबूरी बन गया बल्कि नरेंद्र मोदी की साख भी दांव पर लग गई। मोदी ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अपने नाम पर वोट मांगे थे। अगर भाजपा 5 महीने बाद होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत जाती है तो फिर से माहौल बन सकेगा कि भले ही भाजपा को लोकसभा में बहुमत नहीं मिला लेकिन हिंदी बेल्ट में मोदी मैजिक बरकरार है। इससे गठबंधन में मोदी और पार्टी की पोजिशन मजबूत होगी। NDA में शामिल बाकी दलों के बीच यह संदेश पहुंच जाएगा कि अगर BJP का साथ छोड़ा तो आगे की राह मुश्किल हो सकती है। जानिए, कैसे 3 मंत्री बनाकर BJP हरियाणा विधानसभा में बहुमत का जुगाड़ करने की कोशिश करती नजर आई… 1. मनोहर लाल खट्टर के जरिये जीटी रोड बेल्ट की 30 सीटों पर आंख मनोहर लाल खट्टर पंजाबी समुदाय से आते हैं। उनकी करनाल लोकसभा सीट हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट में आती है। इस बेल्ट में अंबाला, करनाल, पानीपत, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, पंचकूला और कैथल जिलों की तकरीबन 30 विधानसभा सीटें आती हैं। यहां पंजाबी वोटरों के अलावा जनरल कैटेगरी का वोट-बैंक है जो अमूमन BJP के साथ रहता है। खट्टर को केंद्रीय मंत्री बनाने की यही बड़ी वजह है। अगर यह दांव कामयाब रहा तो पार्टी जीटी रोड बेल्ट में बढ़त मिलने की उम्मीद लगा सकती है। इसके अलावा रोहतक, रेवाड़ी, फरीदाबाद और गुरुग्राम के पंजाबी वोटरों में भी अच्छा संदेश जा सकता है। 2. राव इंद्रजीत से अहीरवाल बेल्ट की 11 सीटों पर पकड़ बनाए रखने की कोशिश राव इंद्रजीत दक्षिण हरियाणा के बड़े नेता हैं। दक्षिण हरियाणा के अंदर आने वाली अहीरवाल बेल्ट में 14 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 3 मुस्लिम बाहुल्य नूंह जिले की सीटें हैं, जहां कांग्रेस का दबदबा है। इन्हें छोड़ भी दें तो 2014 में भाजपा ने अहीरवाल बेल्ट की बची हुई सभी 11 सीटें जीतकर राज्य में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी। 2019 में भाजपा को अहीरवाल बेल्ट की 11 में से 8 सीटें मिली और तब 40 विधायक होने के कारण जजपा के 10 विधायकों की मदद से सरकार बनानी पड़ी। इस लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम सीट पर कांग्रेस की ओर से पंजाबी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राजबब्बर को उतारने के बाद यहां राव इंद्रजीत को जीतने में पसीने छूट गए। ऐसे में भाजपा ने लगातार दूसरी बार राव इंद्रजीत को मंत्री बनाकर अहीरवाल बेल्ट को अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश की है। 3. कृष्णपाल गुर्जर के जरिए हरियाणा के अलावा यूपी-राजस्थान पर भी फोकस
फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर की गिनती अपने समुदाय के बड़े नेताओं में होती है। फरीदाबाद जिले की 4 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां गुर्जर समुदाय का वोट डिसाइडिंग फैक्टर है। इसके अलावा सोहना, रेवाड़ी, नांगल चौधरी और गुरुग्राम विधानसभा सीट पर भी गुर्जर वोटबैंक का अच्छा-खासा असर है। यही नहीं, फरीदाबाद से सटे वेस्ट यूपी के गाजियाबाद व नोएडा और राजस्थान से सटे इलाके भी गुर्जर बाहुल्य हैं। ऐसे में BJP ने कृष्णपाल गुर्जर को ड्रॉप करने का रिस्क न लेते हुए लगातार तीसरी बार उन्हें मंत्री बनाया है। अंत में.. 2019 के मुकाबले इस बार क्या अंतर
2019 की मोदी सरकार में BJP ने हरियाणा से 2 मंत्री बनाए थे। इनमें गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत और फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर शामिल थे। इस बार इन दोनों के अलावा पहली बार सांसद बने मनोहर लाल खट्टर को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। खास बात यह है कि BJP ने 2019 में हरियाणा की सभी 10 सीटें और 2014 में 10 में से 7 लोकसभा सीटें जीती थीं। इस बार सीटें घटने के बावजूद मंत्रियों की संख्या बढ़ गई है। मनोहर लाल खट्टर को PM नरेंद्र मोदी से करीबी का फायदा भी मिला। ये खबरें भी पढ़ें… हरियाणा से 3 मंत्री बनाने के पीछे विधानसभा चुनाव:जीटी रोड बेल्ट समेत 2 इलाके साधे, 50 विस सीटों पर नजर; नॉन जाट पॉलिटिक्स पर अडिग शूटर रहे राव तीसरी बार मोदी कैबिनेट में:मोदी के PM फेस बनने के 10 दिन बाद छोड़ी कांग्रेस, पिता से मिलने चप्पल में पहुंची थीं इंदिरा हरियाणा के कृष्णपाल लगातार तीसरी बार मंत्री बने:सियासत की शुरुआत कॉलेज से, मोदी का करीबी होने पर मिला 2014 में टिकट; बेटा भी पॉलिटिक्स में हिमाचल के नड्डा दूसरी बार बने केंद्रीय मंत्री:अनुराग के पिता से मतभेद के बाद छोड़ा हिमाचल, मोदी घर आते-जाते रहे, शाह के करीबी