किन्नौर में सेब की खेती को बढ़ावा:18 पंचायतों में 25 उन्नत किस्मों का वितरण, उच्च मूल्य वाली फसलें अपनाने की सलाह

किन्नौर में सेब की खेती को बढ़ावा:18 पंचायतों में 25 उन्नत किस्मों का वितरण, उच्च मूल्य वाली फसलें अपनाने की सलाह

किन्नौर में कृषि विज्ञान केंद्र सेब की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल कर रहा है। केंद्र जनजातीय उप-योजना के तहत जिले की 18 पंचायतों में सेब की 25 नई उन्नत किस्मों का वितरण कर रहा है। इस योजना में दूरस्थ पंचायतों को विशेष प्राथमिकता दी गई है। यहां सेब की बागवानी अभी शुरुआती दौर में है। किसानों को काट-छांट और सिदाई के बुनियादी सिद्धांतों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे वे अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त सेब की किस्मों की पहचान कर सकेंगे। वैज्ञानिक तरीके से छत्र प्रबंधन का प्रशिक्षण निचार पंचायत में आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम में डॉ. अरुण कुमार ने किसानों को वैज्ञानिक तरीके से छत्र प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने किसानों को पारंपरिक एकल फसल प्रणाली से हटकर जापानी फल और कीवी जैसी उच्च मूल्य वाली फसलें अपनाने की सलाह दी। पेड़ों में कैंकर रोग और अनियमित फलन की समस्या वैज्ञानिकों ने किसानों को सावधान किया कि गलत तरीके से की गई प्रूनिंग से पेड़ों में कैंकर रोग और अनियमित फलन की समस्या हो सकती है। इस क्षेत्र में उच्च नमी के कारण पेड़ों पर लाइकेन का अधिक विकास हो रहा है। इससे बचने के लिए पेड़ों की संरचना खुली रखने और उनमें हवा व प्रकाश का संचार बढ़ाने की सलाह दी गई। कार्यक्रम में ग्राम पंचायत प्रधान राज पाल नेगी और प्रगतिशील बागवान नरेंद्र नेगी ने भी हिस्सा लिया। इस पहल से प्राप्त डेटा समान भौगोलिक परिस्थितियों वाले अन्य क्षेत्रों के लिए भी मार्गदर्शक साबित होगा। किन्नौर में कृषि विज्ञान केंद्र सेब की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल कर रहा है। केंद्र जनजातीय उप-योजना के तहत जिले की 18 पंचायतों में सेब की 25 नई उन्नत किस्मों का वितरण कर रहा है। इस योजना में दूरस्थ पंचायतों को विशेष प्राथमिकता दी गई है। यहां सेब की बागवानी अभी शुरुआती दौर में है। किसानों को काट-छांट और सिदाई के बुनियादी सिद्धांतों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे वे अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त सेब की किस्मों की पहचान कर सकेंगे। वैज्ञानिक तरीके से छत्र प्रबंधन का प्रशिक्षण निचार पंचायत में आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम में डॉ. अरुण कुमार ने किसानों को वैज्ञानिक तरीके से छत्र प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने किसानों को पारंपरिक एकल फसल प्रणाली से हटकर जापानी फल और कीवी जैसी उच्च मूल्य वाली फसलें अपनाने की सलाह दी। पेड़ों में कैंकर रोग और अनियमित फलन की समस्या वैज्ञानिकों ने किसानों को सावधान किया कि गलत तरीके से की गई प्रूनिंग से पेड़ों में कैंकर रोग और अनियमित फलन की समस्या हो सकती है। इस क्षेत्र में उच्च नमी के कारण पेड़ों पर लाइकेन का अधिक विकास हो रहा है। इससे बचने के लिए पेड़ों की संरचना खुली रखने और उनमें हवा व प्रकाश का संचार बढ़ाने की सलाह दी गई। कार्यक्रम में ग्राम पंचायत प्रधान राज पाल नेगी और प्रगतिशील बागवान नरेंद्र नेगी ने भी हिस्सा लिया। इस पहल से प्राप्त डेटा समान भौगोलिक परिस्थितियों वाले अन्य क्षेत्रों के लिए भी मार्गदर्शक साबित होगा।   हिमाचल | दैनिक भास्कर