किरण चौधरी नहीं देंगी विधायकी से इस्तीफा:इसके पीछे हरियाणा BJP की प्लानिंग; राज्यसभा इलेक्शन में फायदा, फ्लोर टेस्ट में बहुमत में दिखेगी

किरण चौधरी नहीं देंगी विधायकी से इस्तीफा:इसके पीछे हरियाणा BJP की प्लानिंग; राज्यसभा इलेक्शन में फायदा, फ्लोर टेस्ट में बहुमत में दिखेगी

कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन करने वाली हरियाणा की तोशाम विधानसभा सीट से विधायक किरण चौधरी विधायकी से इस्तीफा नहीं देंगी। यह हरियाणा बीजेपी की मेगा प्लानिंग का हिस्सा है। इस प्लानिंग के जरिए बीजेपी राज्यसभा सीट में फायदा लेगी। इसके साथ ही यदि मानसून सत्र के दौरान विश्वास मत हासिल करने के लिए फ्लोर टेस्ट भी कराया जाता है तो भी विधानसभा में भाजपा बहुमत में दिखेगी। अभी ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि किरण चौधरी या श्रुति को भाजपा हरियाणा से हाल ही में खाली हुई एक राज्यसभा सीट के लिए आगामी कुछ दिनों में होने वाले उपचुनाव में उम्मीदवार बना सकती है। हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। किरण या श्रुति के अलावा भी पार्टी कोई अन्य उम्मीदवार बनाती है तो भी बीजेपी, कांग्रेस के मुकाबले मजबूत स्थिति में रहेगी। अब पढ़िए कैसे राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को होगा फायदा… वोटिंग के लिए व्हिप जारी नहीं कर सकती कांग्रेस
कानूनी विश्लेषक और पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकील हेमंत कुमार ने बताया कि बीजेपी ने जान-बूझ कर सोची समझी रणनीति के कारण किरण से इस्तीफा नहीं दिलवाया है। अगले कुछ दिनों में हरियाणा से खाली हुई राज्यसभा सीट के उपचुनाव में मतदान की आवश्यकता होती है तो‌ उस परिस्थिति में किरण सदन में कांग्रेस विधायक रहते हुए भी भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर सकती है। इसकी वजह यह है कि राज्यसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपने विधायकों को वोटिंग के संबंध में निर्देश देने के लिए व्हिप नहीं जारी किया जा सकता है। इसका फायदा बीजेपी राज्यसभा चुनाव की वोटिंग में उठाएगी। विधानसभा में बहुमत में आई बीजेपी
किरण चौधरी के भाजपा में आने से विधानसभा में नायब सैनी की मौजूदा सरकार की 87 सदस्यीय सदन में विधायकों की संख्या एक बढ़कर 44 (स्पीकर को मिलाकर) हो गई है। इस संख्या में बीजेपी के 41 विधायक हैं, जबकि 1 हलोपा विधायक गोपाल कांडा, किरण चौधरी और एक निर्दलीय विधायक किरण चौधरी शामिल हैं। चूंकि अभी सदन में 87 विधायक हैं, ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 44 हो गया है, जो भाजपा के पास है। यदि मानसून सत्र के दौरान विश्वास मत हासिल करने के लिए फ्लोर टेस्ट होता है तो बीजेपी यहां विपक्ष के मुकाबले बहुमत में दिखाई देगी। किरण के इस्तीफे का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी
सूत्रों का कहना है कि अगर किरण चौधरी इस्तीफा नहीं देने का फैसला करती हैं तो कांग्रेस स्पीकर को लिखित में भेज सकती है कि चौधरी ने पार्टी छोड़ दी है और सदन की उनकी सदस्यता रद्द कर दी जानी चाहिए। हालांकि इसके बाद स्पीकर को प्रतिनिधित्व मिल जाता है तो उन्हें यह तय करना होता है कि वह विधायक के रूप में बनी रह सकती हैं या नहीं। सूत्रों ने कहा कि इस संबंध में जल्द ही कोई निर्णय आने की संभावना नहीं है। किरण की तरह JJP के 2 विधायकों पर कार्रवाई लंबित
हरियाणा विधानसभा चुनाव में करीब 4 महीने बाकी हैं, भाजपा को समर्थन करने वाले 2 जेजेपी विधायक सदन के सदस्य बने हुए हैं। अगर मानसून सत्र के दौरान विश्वास मत लाया जाता है तो वे भाजपा का समर्थन करेंगे। जेजेपी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्पीकर को एक ज्ञापन दिया है, जो स्पीकर के पास लंबित है। उम्मीद है कि किरण चौधरी के खिलाफ कांग्रेस का ज्ञापन विधानसभा स्पीकर के खिलाफ पेश किया जाएगा। कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन करने वाली हरियाणा की तोशाम विधानसभा सीट से विधायक किरण चौधरी विधायकी से इस्तीफा नहीं देंगी। यह हरियाणा बीजेपी की मेगा प्लानिंग का हिस्सा है। इस प्लानिंग के जरिए बीजेपी राज्यसभा सीट में फायदा लेगी। इसके साथ ही यदि मानसून सत्र के दौरान विश्वास मत हासिल करने के लिए फ्लोर टेस्ट भी कराया जाता है तो भी विधानसभा में भाजपा बहुमत में दिखेगी। अभी ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि किरण चौधरी या श्रुति को भाजपा हरियाणा से हाल ही में खाली हुई एक राज्यसभा सीट के लिए आगामी कुछ दिनों में होने वाले उपचुनाव में उम्मीदवार बना सकती है। हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। किरण या श्रुति के अलावा भी पार्टी कोई अन्य उम्मीदवार बनाती है तो भी बीजेपी, कांग्रेस के मुकाबले मजबूत स्थिति में रहेगी। अब पढ़िए कैसे राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को होगा फायदा… वोटिंग के लिए व्हिप जारी नहीं कर सकती कांग्रेस
कानूनी विश्लेषक और पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकील हेमंत कुमार ने बताया कि बीजेपी ने जान-बूझ कर सोची समझी रणनीति के कारण किरण से इस्तीफा नहीं दिलवाया है। अगले कुछ दिनों में हरियाणा से खाली हुई राज्यसभा सीट के उपचुनाव में मतदान की आवश्यकता होती है तो‌ उस परिस्थिति में किरण सदन में कांग्रेस विधायक रहते हुए भी भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर सकती है। इसकी वजह यह है कि राज्यसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपने विधायकों को वोटिंग के संबंध में निर्देश देने के लिए व्हिप नहीं जारी किया जा सकता है। इसका फायदा बीजेपी राज्यसभा चुनाव की वोटिंग में उठाएगी। विधानसभा में बहुमत में आई बीजेपी
किरण चौधरी के भाजपा में आने से विधानसभा में नायब सैनी की मौजूदा सरकार की 87 सदस्यीय सदन में विधायकों की संख्या एक बढ़कर 44 (स्पीकर को मिलाकर) हो गई है। इस संख्या में बीजेपी के 41 विधायक हैं, जबकि 1 हलोपा विधायक गोपाल कांडा, किरण चौधरी और एक निर्दलीय विधायक किरण चौधरी शामिल हैं। चूंकि अभी सदन में 87 विधायक हैं, ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 44 हो गया है, जो भाजपा के पास है। यदि मानसून सत्र के दौरान विश्वास मत हासिल करने के लिए फ्लोर टेस्ट होता है तो बीजेपी यहां विपक्ष के मुकाबले बहुमत में दिखाई देगी। किरण के इस्तीफे का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी
सूत्रों का कहना है कि अगर किरण चौधरी इस्तीफा नहीं देने का फैसला करती हैं तो कांग्रेस स्पीकर को लिखित में भेज सकती है कि चौधरी ने पार्टी छोड़ दी है और सदन की उनकी सदस्यता रद्द कर दी जानी चाहिए। हालांकि इसके बाद स्पीकर को प्रतिनिधित्व मिल जाता है तो उन्हें यह तय करना होता है कि वह विधायक के रूप में बनी रह सकती हैं या नहीं। सूत्रों ने कहा कि इस संबंध में जल्द ही कोई निर्णय आने की संभावना नहीं है। किरण की तरह JJP के 2 विधायकों पर कार्रवाई लंबित
हरियाणा विधानसभा चुनाव में करीब 4 महीने बाकी हैं, भाजपा को समर्थन करने वाले 2 जेजेपी विधायक सदन के सदस्य बने हुए हैं। अगर मानसून सत्र के दौरान विश्वास मत लाया जाता है तो वे भाजपा का समर्थन करेंगे। जेजेपी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्पीकर को एक ज्ञापन दिया है, जो स्पीकर के पास लंबित है। उम्मीद है कि किरण चौधरी के खिलाफ कांग्रेस का ज्ञापन विधानसभा स्पीकर के खिलाफ पेश किया जाएगा।   हरियाणा | दैनिक भास्कर