हिमाचल में नवरात्रि पर सजे मां के दरबार:24 घंटे दर्शन को खुले रहेंगे नयनादेवी मंदिर के कपाट, चिंतपूर्णी में 500 रुपए में सुलभ दर्शन चैत्र नवरात्र के लिए देवभूमि हिमाचल के शक्तिपीठ और माता के दूसरे सभी मंदिरों को शानदार ढंग से सजाया गया हैं। अगले 9 दिन तक प्रदेश के मंदिरों में मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। प्रदेश के मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं की सहूलियत और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए विशेष इंतजाम किए गए है। मंदिरों के बाहर पुलिस का पहरा बढ़ा गया है। सभी मंदिरों में CCTV की संख्या दोगुनी कर दी गई है। अलग-अलग मंदिरों के लिए हिमाचल पथ परिवहन निगम ने 80 से ज्यादा बसें चलाने का फैसला लिया है। इन राज्यों से भी देवभूमि पहुंचते हैं श्रद्धालु
प्रदेश के मंदिरों में स्थानीय लोगों के अलावा पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर से भी भक्त पहुंचते हैं। इससे देवभूमि में मां के सभी मंदिरों में एक सप्ताह तक उत्सव जैसा माहौल रहता है। चिंतपूर्णी में सुलभ दर्शन को देने होंगे 500 रुपए
ऊना के चिंतपूर्णी मंदिर में मां के सुलभ दर्शन के लिए इस बार फीस 300 रुपए से बढ़ाकर 500 रुपए की गई है। नवरात्र के दौरान श्रद्धालु 500 रुपए देकर चंद मिनटों में मां के दर्शन कर करेंगे। जो श्रद्धालु लाइन में लगकर दर्शन करना चाहेंगे, उन्हें यह शुक्ल नहीं देना पड़ेगा। वहीं दिव्यांग व बुजुर्गों को 100 रुपए में सुलभ दर्शन कराया जाएगा। इनके साथ एक व्यक्ति मुफ्त में दर्शन कर सकेगा। हिमाचल के शक्तिपीठ और दूसरे मंदिरों की मान्यता… नयना देवी में गिरे थे माता सती के नेत्र
मान्यता है कि हिमाचल के बिलासपुर स्थित मां नयना देवी मंदिर में मां सत्ती की आंख गिरी थी। इसके बाद से यह स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गया। यहां पर साल भर भक्तों का आना लगा रहता है। मगर शारदीय और चैत्र नवरात्र में पर यहां उत्सव जैसा माहौल रहता है। कहा जाता है कि नयना देवी के दर्शन से आंखों के रोग खत्म होते हैं। ज्वालाजी 51 शक्तिपीठों में से 1 प्रमुख पीठ
कांगड़ा जिला में मां ज्वाला जी का भव्य मंदिर है। यह देश के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि यहां भगवती सती की जीभ भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से कट कर गिरी थी। मंदिर में भगवती के दर्शन नवज्योति रूपों में होते हैं। यह जिला कांगड़ा के दक्षिण में 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां मां के मुख से अग्नि का प्रवाह होता है। मां के दर्शन से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। भक्तों की चिंता को हरती है मां चिंतपूर्णी
चिंतपूर्णी मंदिर हिमाचल के ऊना जिला में है। चिंतपूर्णी को मां छिन्नमस्तिका के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि चिंतपूर्णी देवी के एक बार दर्शन मात्र करने से सभी चिंताओं से मुक्ति मिलती है। यहां पर नवरात्र पर उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा श्रद्धालु पहुंचते हैं। आम दिनों में पंजाब भी बड़ी संख्या में भक्त मां के दर्शन को आते हैं। बुराई का नाश करती है मां चामुंडा
देवभूमि में एक और मशहूर मंदिर मां चामुंडा देवी का कांगड़ा के पालमपुर में स्थित है। नवरात्र पर यहां पर भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। नवरात्र पर यहां सुबह से ही सप्तचंडी का पाठ किया जाता है। कहते हैं कि मां ने यहां चंड और मुंड नामक दो असुरों का संहार किया था, इसी कारण माता का नाम चामुंडा देवी पड़ गया। माता चामुंडा को बुराई का नाश करने वाली माना जाता है। कालीबाड़ी मंदिर में भी खास इंतजाम
शिमला के मशहूर कालीबाड़ी मंदिर में भी नवरात्र के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। यहां न केवल स्थानीय लोग बल्कि देशभर से आने वाले धार्मिक पर्यटक नवरात्रि पर पूजा करने पहुंचते हैं। खासकर पश्चिम बंगाल के धार्मिक पर्यटक सालभर कालीबाड़ी पहुंचते हैं। इतने बजे खुलेंगे मंदिर के कपाट
नवरात्र के दौरान मां नयना देवी मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे खुले रहेंगे। वहीं चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट सुबह चार बजे खुलेंगे। इसी तरह नयना देवी के कपाट सुबह तीन बजे, ज्वालाजी मंदिर के सुबह पांच बजे, श्री चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के कपाट सुबह चार बजे, कांगड़ा के बज्रेश्वरी माता मंदिर के कपाट सुबह साढ़े चार कपाट खुलेंगे। देवभूमि के सभी मंदिरों में सीसीटीवी से शरारती तत्व की निगरानी की जाएगी। सभी मंदिरों में दान के ऑनलाइन स्कैनिंग का भी इंतजाम किया गया है। नवरात्र पर्व के दौरान मंदिरों में सफाई का विशेष ध्यान रखने को कहा गया है।