हरियाणा के जींद जिले के जुलाना क्षेत्र में बुआना गांव में इंस्टाग्राम पर हथियार के साथ फोटो डालकर दहशत फैलाने के आरोप में पुलिस ने मामला दर्ज किया है। पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि बुआना गांव निवासी बिट्टू ने अपनी इंस्टाग्राम आईडी पर अवैध हथियार के साथ फोटो डाली है और दहशत फैलाने का प्रयास किया है। पुलिस ने सूचना के आधार पर आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हरियाणा के जींद जिले के जुलाना क्षेत्र में बुआना गांव में इंस्टाग्राम पर हथियार के साथ फोटो डालकर दहशत फैलाने के आरोप में पुलिस ने मामला दर्ज किया है। पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि बुआना गांव निवासी बिट्टू ने अपनी इंस्टाग्राम आईडी पर अवैध हथियार के साथ फोटो डाली है और दहशत फैलाने का प्रयास किया है। पुलिस ने सूचना के आधार पर आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हिसार पुष्प मेले का दूसरा दिन आज:100 से ज्यादा किस्म के फूल, एलईडी लाइट पर फल-सब्जियां उगाने का कॉन्सेप्ट; 10 हजार लोग पहुंचेंगे
हिसार पुष्प मेले का दूसरा दिन आज:100 से ज्यादा किस्म के फूल, एलईडी लाइट पर फल-सब्जियां उगाने का कॉन्सेप्ट; 10 हजार लोग पहुंचेंगे हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गेट नंबर 4 पर पुष्प मेले का आज दूसरा दिन है। शुक्रवार 3 जनवरी से मेले की शुरुआत हुई जो 5 जनवरी तक चलेगा। इस बार मेले को संडे तक बढ़ाया गया है जो 3 दिन रहेगा। इस बार टारगेट रखा गया है कि मेले में 10 हजार से ज्यादा लोग आएंगे। 100 से ज्यादा फूलों की किस्में मेले में रखी गई है। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में घर में उठाई जा सकने वाली सब्जियों व फलों के पौधों को यहां प्रदर्शित किया गया है। मेले में एग्री टूरिज्म को बढ़ावा दिया गया है। इसमें बताया गया कि हम कम जगह, बिना मिट्टी व कम पानी उपलब्ध होने के बावजूद वर्टिकल खेती, हाइड्रोपोनिक जैसे नए प्रबंधनों की मदद से हम घर में भी फल-सब्जियां उगा सकते हैं। यह सरल व सहज विधि है, जिसकी मदद से हम घर के बाहर किसी छोटे से बगीचे, छत पर या बालकनी पर यह विधि अपनाकर फूल-सब्जियां प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही कमरे के अंदर वर्टिकल गार्डन भी बना सकते हैं। इतना ही नहीं कमरे के अंदर एलईडी लाइटों से फल-सब्जियां उगाई जा सकती हैं। पुष्प उत्सव में फूलों संग फोटो खिचवातीं बहनें… कुलपति ने किया उत्सव का शुभारंभ
एचएयू के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने उत्सव का शुभारंभ किया। प्रो. काम्बोज ने हर्बल गार्डन, औषधीय पौधों, नवग्रह वाटिका, नर्सरियां, बगीचों सहित अन्य बागवानी अनुभागों का अवलोकन किया। वीसी ने कहा कि युवाओं को पारम्परिक खेती के साथ-साथ फूल, फल और सब्जियों की खेती को भी प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि वे अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकें। उन्होंने बताया कि पहले यह उत्सव दो दिवसीय आयोजित किया जाता था लेकिन आमजन की मांग को मद्देनजर रखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे तीन दिवसीय कर दिया है। ट्यूलिप, आइस प्लांट भी देख सकते हैं एचएयू में होर्डिकल्चर विभाग के प्रोफेसर डॉ. अरविंद मलिक ने बताया कि मेले में शहरी खेती के बारे में प्रदर्शनी लगाई गई है। बोटेनिकल गार्डन में प्रतियोगिताएं रखी गई हैं। इस बार गुलदाउदी की 13 किस्में प्रदर्शित की गई है। हमने ट्यूलिप, आइस प्लांट लगाया हुआ है जिसमें फरवरी तक फूल आएंगे। हमने मेले में हर सब्जी के आगे नाम लिखे हैं और उसके क्या गुण हैं इसके बारे में भी लोगों को बताया है। एचएयू में पुष्प उत्सव से जुड़ीं PHOTOS… पुष्प उत्सव के दौरान बोटेनिकल गार्डन से बाहर आते लोग… पुष्प उत्सव के दौरान फूलों को मोबाइल कैमरे में कैद करती युवती… मेले में लगाए गए विभिन्न तरह के फूल… ट्रैक्टर पर डीजे लगाया गया है…एग्री टूरिजम को बढ़ावा
अंबाला में पिता कांग्रेस प्रत्याशी और बेटी बागी:निर्मल सिंह ने चित्रा के नामांकन से झाड़ा पल्ला, बोल- वो शादीशुदा-उसका खुद का फैसला
अंबाला में पिता कांग्रेस प्रत्याशी और बेटी बागी:निर्मल सिंह ने चित्रा के नामांकन से झाड़ा पल्ला, बोल- वो शादीशुदा-उसका खुद का फैसला हरियाणा के अंबाला में कांग्रेस नेत्री चित्रा सरवारा के आजाद नॉमिनेशन करने पर पिता निर्मल सिंह ने पल्ला झाड़ लिया है। चित्रा के पिता निर्मल सिंह को कांग्रेस ने अंबाला सिटी से टिकट दिया है, जबकि चित्रा भी टिकट के इंतजार में थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। जिसके बाद चित्रा सरवारा बगावती तेवर दिखाते हुए इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर मैदान में उतर गई, और अंबाला कैंट सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया। बता दें कि बीते जनवरी माह में दोनों ने आम आदमी पार्टी को अलविदा कहकर कांग्रेस में वापसी कर ली थी। वहीं चित्रा के आजाद प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करने पर पिता ने अपना पक्ष रखा और अपना बचाव करते हुए कहा कि उनकी बेटी शादीशुदा है और ये उसका खुद का फैसला है। ऐसे में जहां कांग्रेस ने बेटी के पिता को टिकट दिया, वहीं बेटी ने टिकट न मिलने पर तेवर तल्ख कर लिए। पिता-पुत्री की राजनीति ने अंबाला के गलियारों में हलचल मचा दी है और हर तरफ इसी की चर्चा है। 5 जनवरी को छोड़ दी थी AAP कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले निर्मल सिंह ने अपनी बेटी चित्रा के साथ कांग्रेस छोड़ने के बाद करीब 2 साल तक आम आदमी पार्टी में अपनी सेवाएं दी। लेकिन बीती 5 जनवरी को उन्होंने AAP को अलविदा कह दिया और भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदय भान के नेतृत्व में कांग्रेस जॉइन कर ली थी। AAP छोड़ने का दोनों ने निजी कारण बताया था। सूत्रों के हवाले से कारण सामने आए थे कि निर्मल सिंह ने AAP की सीनियर लीडरशिप से इसी साल होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में 2 सीटों की डिमांड की थी। वह खुद अंबाला सिटी से चुनाव लड़ना चाहते थे और बेटी चित्रा सरवारा के लिए अंबाला कैंट सीट से टिकट चाहते थे। पार्टी इसके हक में नहीं थी। AAP की सीनियर लीडरशिप चाहती थी कि निर्मल सिंह विधानसभा चुनाव की जगह लोकसभा चुनाव लड़ें। पार्टी ने उन्हें इसके लिए तैयारी करने को भी कह दिया था। नंगल की सीट से 4 बार के विधायक रहे चुके है निर्मल निर्मल सिंह कांग्रेस के टिकट पर अंबाला की नंगल सीट से 4 बार विधायक रह चुके हैं। निर्मल सिंह को अंबाला जिले में ‘प्रधानजी’ के नाम से बुलाया जाता है। निर्मल सिंह लंबे समय तक कांग्रेस में रहे हैं, इसलिए उनके दिल्ली में बैठे कांग्रेस के आला नेताओं के साथ-साथ हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी अच्छे संबंध हैं। इन्हीं संबंधों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली थी। 2019 में हारे पिता-पुत्री वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर निर्मल सिंह ने बेटी चित्रा सरवारा के साथ कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बना ली और निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही हार गए। वर्ष 2022 में नई दिल्ली में खुद अरविंद केजरीवाल ने दोनों को आम आदमी पार्टी जॉइन करवाई। चित्रा को AAP ने अपनी हरियाणा इकाई का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया। निर्मल सिंह की गिनती भी हरियाणा में AAP के सीनियर नेताओं में होती थी, लेकिन दोनों ने अचानक पार्टी छोड़कर सबको चौंका दिया था। इस बार कांग्रेस ने निर्मल सिंह को तो टिकट दे दिया। लेकिन चित्रा का टिकट काट दिया और चित्रा ने नाराज होकर आजाद उम्मीदवार के तौर पर ही अंबाला कैंट सीट से नामांकन भर दिया।
डेयरी से करोड़पति बना हरियाणा का युवक:एक गाय 67 लीटर दूध दे रही, अमूल-नेस्ले में भी बिक्री, हर महीने 20 लाख की कमाई
डेयरी से करोड़पति बना हरियाणा का युवक:एक गाय 67 लीटर दूध दे रही, अमूल-नेस्ले में भी बिक्री, हर महीने 20 लाख की कमाई जीवन में लक्ष्य बनाकर चलें तो मुकाम हासिल हो ही जाता है, इस कहावत को करनाल के गुढा गांव का रहने वाला गुरमेश उर्फ डिम्पल दहिया (35) ने सच साबित किया है। आठवीं क्लास पास करने के बाद जब गुरमेश ने पढ़ाई छोड़ी तो कई लोगों ने उसका मजाक उड़ाया, कई लोगों ने उससे ये तक कहा कि वो जीवन में कुछ नहीं कर पाएगा, लेकिन आज गुरमेश डेयरी फार्मिंग के जरिए करोड़पति बन गए हैं। 2004 में 10 गाय से एक डेयरी की शुरूआत करने वाले गुरमेश ने आज डेयरी फार्मिंग में महारत हासिल कर ली है। उनके पास इस समय 60 गाय हैं। कभी उनकी डेयरी में महज 100 लीटर दूध का उत्पादन होता था, लेकिन आज मिल्क प्रोडक्शन 1400 से 1500 लीटर प्रतिदिन है। इस दूध को वह नेस्ले और अमूल जैसी कंपनियों को सप्लाई करते हैं। जिससे वह हर महीने 15 से 20 लाख रुपए आराम से कमा लेते हैं। गुरमेश बताते हैं कि उन्होंने पशुपालन अपने पिता से सीखा है बचपन से ही वो अपने पिता के साथ काम में लगे रहते थे और उन्हें पशुपालन में हमेशा से ही रुचि रही है। वहीं, गुरमेश के पास ऐसी गाय भी है जो रोजाना 67 लीटर दूध देती है। डेयरी का आइडिया कहां से आया?
गुरमेश बताते हैं कि उनके पिता रणधीर सिंह पशुपालन का काम करते थे। 2004 से पहले हमारे पास 10-12 पशु होते थे। जिनमें भैंसे भी ओर गाय भी होती थीं। 2004 में हमने अपने डेयरी के काम को बढ़ाया। पास के गांव शेखपुरा खालसा से 11 हजार 400 रुपए की एचएफ नस्ल की गाय ली थी। जिसके नीचे 20 लीटर दूध था, उस समय 20 लीटर दूध देने वाली गाय को टॉप गाय की कैटेगरी में माना जाता था। 2006 में फिर हमने 29 हजार की एक और गाय ली, जो 30 लीटर दूध देती थी। हम बाहर से गाय खरीदते थे, इसलिए आइडिया यह आया कि क्यों न हम अपनी ही ब्रीड तैयार करें। जिसके बाद से डेयरी फार्मिंग की तरफ ओर भी ज्यादा रुझान हो गया। शुरुआत में क्या दिक्कतें आईं?
दूध का प्रोडक्शन और ब्रीड सुधार में इतना इंटरेस्ट बना की, घर पर पशु बांधने के लिए जगह ही कम पड़ गई थी। कोई बछिया चक्की से बांधनी पड़ती थी तो किसी को चारपाई के पावे से ही बांध दिया जाता। घर पर हमारे पास 25 से ज्यादा गाय हो चुकीं थी। भैंस में खर्च ज्यादा आता है आमदनी कम
गुरमेश बताते है कि वह शुरुआत से ही गाय पालते आ रहे हैं, उनके पास 55 एचएफ नस्ल की गाय हैं और 5 जर्सी नस्ल की गाय हैं। लोग कहते भी हैं कि भैंस भी पाल लिया करो, लेकिन भैंस पालने में खर्च ज्यादा आता है और दूध का प्रोडक्शन भी गाय के मुकाबले कम होता है। इसलिए शुरू से ही गाय की तरफ रुझान है। हमारे पास 36 दूधारू, 10 हिप्पर (पहली बार गर्भवती), 15 काफ गाय हैं जो 0 से एक साल के बीच की उम्र की होती हैं। सबसे महंगी गाय कितने की और किस नस्ल की?
गुरमेश ने के पास ऐसी गाय है जो 40 लीटर से ज्यादा दूध देती है। कुछ गाय ऐसी भी हैं जो 60 लीटर से ज्यादा दूध देती हैं। इसके अलावा एक गाय वो भी है, जो 67 लीटर दूध एक ही दिन में देती है। एचएफ नस्ल की इस गाय का दिन में तीन बार दूध निकालना पड़ता है। हालांकि इस गाय को खरीदने के लिए कई लोग 5 लाख रुपए तक देने को तैयार हैं लेकिन हमने ये गाय नहीं बेची। दरअसल वो अपनी इस गाय को पशु मेलों में होने वाली प्रतियोगिताओं के लिए तैयार कर रहे हैं। ब्रीड के लिए सांड किस नस्ल का? कहां से लाए?
गुरमेश बताते हैं ब्रीडिंग के लिए वह विदेशी कंपनियों के सीमन का इस्तेमाल करते हैं। जिसमें एचएफ (होलीस्टन फ्रिजियम सीमन), यूएसए की कंपनी डब्ल्युडब्ल्युएस (वर्ल्ड वाइड सीरीज) और यूएसए की एबीएस ग्लोबल नाम की कंपनी शामिल है। इसके अलावा वो नीदरलैंड की कंपनी सीआरवी, कनाडा की कंपनी सी- मेक्स से भी सीमन मंगाते है। गुजरात की एसईजी कंपनी के सीमन का यूज भी वो करते हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि जिस तरह से डेयरी से आमदनी होती है उस हिसाब से खर्चे भी हैं। आमदनी का 60 फीसदी हिस्सा डेयरी में पशुओं पर ही खर्च हो जाता है। डेयरी फार्मिंग से कितनी कमाई होती है
गुरमेश के मुताबिक, वह अपनी डेयरी का दूध लॉकल में नहीं बेचते बल्कि अमूल और नेस्ले कंपनी को बेचते हैं। जहां पर उन्हें फैंट के हिसाब से दूध का रेट मिलता है। दूध उत्पादन भी सर्दियों और गर्मियों के अनुसार घटता बढ़ता रहता है। दूध घटने पर नुकसान होता है, लेकिन जब दूध सर्दियों में बढ़ता है तो थोड़ा फायदा होने लगता है। कंपनियों में दूध 38 रुपए से 40 रुपए के हिसाब से चला जाता है। पीक सीजन में उनकी डेयरी पर 1500 लीटर दूध का उत्पादन हो जाता है। दूध निकालने के लिए विदेशी मशीनें इस्तेमाल की जाती हैं। उनके पास 4 मशीने हैं लेकिन वह सिर्फ 2 मशीनों का इस्तेमाल करते हैं और दो घंटे में सारी गायों का दूध निकाल लेते हैं।