महाकुंभ में 44 दिन में 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आए। ऐसे में कई शहरों से बड़ा बाजार यहां सजा। इस बाजार में दिल्ली-कानपुर का नकली माल भी बड़े पैमाने पर खपाया गया। यहां तक कि पानी की बोतलें भी बिना कंपनी का लेबल लगाए उतार दी गईं। करोड़ों लोगों की सबसे अहम जरूरत पानी को भी ब्लैक में बेचा गया। महाकुंभ शुरू होने से पहले प्रयागराज और श्रावस्ती में नकली नोटों के गिरोह पकड़े गए थे। इन नकली नोटों को महाकुंभ में खपाने की तैयारी थी। कोलकाता से नकली रुद्राक्ष लाए गए, तो मुंबई के मार्केट से नामी कंपनियों के बैग, पर्स लाकर बेचे गए। मेले में मिठाई की 7000 से ज्यादा दुकानें सजीं, इसमें नकली खोया (मावा) सप्लाई हुआ। होली पर जांच करने निकलने वाली टीमें महाकुंभ के बाजार में नजर नहीं आईं। ब्रांड के जूते-चप्पल, चश्मे और कपड़ों की कॉपी बिकीं। महाकुंभ में 8 से ज्यादा दुकानें मेला प्राधिकरण ने अलॉट की थीं, लेकिन इससे ज्यादा लोगों ने दुकानें लगाईं। दैनिक भास्कर की टीम ने इसे ग्राउंड पर उतरकर देखा। इसमें सामने आया कि इस बार महाकुंभ में स्थानीय स्तर पर बनने वाले प्रोडक्ट्स की आड़ में नकली ब्रांडेड सामान धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। हमने कई दुकानों और ठेलों पर जाकर पड़ताल की, दुकानदारों से बात की और सामान की जांच कराई। पढ़िए सिलसिलेवार… पहले ही नकली नोटों को खपाने की तैयारी थी
28 जुलाई, 2024 को प्रयागराज में नकली नोट महाकुंभ में खपाने का बड़ा मामला खुला था। 100-100 की जाली करेंसी मदरसे के अंदर छापने वाले शातिर प्रयागराज में जनवरी, 2025 से लगने वाले महाकुंभ को लेकर खास तैयारी में थे। शातिर अखबारों, टीवी चैनलों पर देखते रहे हैं कि इस बार महाकुंभ में 50 करोड़ लोग प्रयागराज आएंगे। ऐसे में करोड़ों की भीड़ के बीच प्रयागराज में जाली करेंसी खपाना आसान होगा। डेढ़ महीने के मेले में ही वह कई करोड़ रुपए कमाने की फिराक में थे। ऐसे में पहले से ही बड़े पैमाने पर नोट छापने वाले पेपर यानी शीट का इंतजाम करने लगे थे। इसमें मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिद-ए-आजम का प्रिंसिपल मोहम्मद तफसीर उल आरिफीन समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मदरसा संचालक ने कई करोड़ के जाली नोट खपाने की बात कबूल की थी। इसके बाद श्रावस्ती में एक गैंग पकड़ा गया। उसने कबूला कि जाली करेंसी महाकुंभ में खपाने वाले थे। जानिए कौन-कौन से सामान बेचे गए नकली 1. नकली घी : महाकुंभ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान के बाद भंडारे और प्रसाद के लिए शुद्ध घी और दूध सामग्री खरीदते हैं, लेकिन यहां नकली दूध का धंधा बड़े स्तर पर चला। एक दुकानदार से बातचीत में पता चला कि ब्रांडेड देसी घी के नाम पर नकली पैकेट बेचे जा रहे हैं। इनमें वनस्पति घी या सस्ता तेल मिलाकर पैकिंग की जाती है। एक दुकानदार ने ऑफ रिकॉर्ड बताया- भैया, असली घी तो 700-800 रुपए किलो है, लेकिन लोग सस्ता मांगते हैं। इसलिए ये 300-400 रुपए में ‘ब्रांडेड’ घी मिल जाता है। 2. नकली रुद्राक्ष और चंदन की धोखाधड़ी: संगम में पूजा-पाठ के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में रुद्राक्ष और चंदन खरीदते हैं। इसमें भी नकली माल बिका। हमने खुद 500 रुपए में एक दुकानदार से ‘प्रामाणिक’ रुद्राक्ष खरीदा। जब इसे एक्सपर्ट को दिखाया तो पता चला कि यह प्लास्टिक का बना था, ऊपर से हल्की-सी पॉलिश कर दी गई थी। इसी तरह चंदन की लकड़ी के नाम पर पीले रंग से रंगी हुई आम की लकड़ी बिकी। एक स्थानीय दुकानदार ने कबूल किया कि असली चंदन की खुशबू लाने के लिए कई बार नकली एसेंस का इस्तेमाल किया जाता है। 3. ब्रांडेड जूते-चप्पल और कपड़ों की नकल : महाकुंभ में कई लोग सस्ते में ब्रांडेड कपड़े और जूते-चप्पल खरीदने की उम्मीद में बाजारों में घूमते हैं। हमने कुछ स्टॉलों पर जाकर पड़ताल की। देखा, यहां कई नामी कंपनियों के नकली जूते 500-600 रुपए में बिक रहे हैं। ‘Nike’, ‘Puma’, ‘Adidas’ जैसे बड़े ब्रांड के लोगो वाले ये जूते असल में लोकल कंपनियों द्वारा बनाए गए सस्ते उत्पाद होते हैं। जब हमने एक दुकानदार से पूछा कि ये असली हैं या नहीं, तो उसने हंसते हुए कहा… भैया, जो दिखता है, वही बिकता है। असली तो 5000 का आता है, यहां 500 में ब्रांड कौन बेचेगा? 4. नकली ब्रांडेड बैग : महाकुंभ में कई श्रद्धालु एचपी, अमेरिकन टूरिस्टर, स्काई बैग जैसे कई ब्रांडेड बैग खरीदते हैं, लेकिन ये भी ठगी का बड़ा जरिया बने। हमने कुछ स्टॉलों पर ये नकली बैग की पड़ताल की। इसमें पता चला कि इन बैग्स को लोकल दुकानदार डुप्लीकेट लोगो लगाकर बेच रहे हैं। इनमें कोई असली बैग नहीं था। इसको लेकर हमने दिल्ली से आए एक दुकानदार राजा से बात की। उसने बताया- लेदर बेचना मेले में बैन है, इसलिए रैक्सिन वाले बैग बेच रहा हूं। ये बैग सस्ता भी होता है। ओरिजिनल बैग की कीमत तो 700-800 रुपए होती है, कोई खरीदेगा ही नहीं। यही वजह है कि सस्ते और डुप्लीकेट बैग्स बेच रहा हूं। हर दुकान की जांच करना मुश्किल
हमने जब इस मामले पर स्थानीय प्रशासन से बात करनी चाही तो कोई ठोस जवाब नहीं मिला। हालांकि एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमें शिकायतें मिलती हैं, लेकिन इतने बड़े मेले में हर दुकान की जांच करना मुश्किल है। ————————- ये खबर भी पढ़ें… हर्षा रिछारिया ने सुसाइड की धमकी दी, बोलीं- AI से मेरे वीडियो एडिट कर बदनाम कर रहे धर्म विरोधी, नाम लिखकर जान दूंगी महाकुंभ में पेशवाई के रथ पर बैठने से चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने सुसाइड की धमकी दी है। रोते हुए उन्होंने कहा- कुछ धर्म विरोधी लोग AI से मेरे वीडियो एडिट कर बदनाम कर रहे हैं। मुझे महादेव ने जिस हद तक हिम्मत दी है। उस हद तक मैं लड़ूंगी। मैं सामना करूंगी, लेकिन जिस दिन मैं टूट गई, उस दिन सबका नाम लिखकर जान दूंगी। पढ़ें पूरी खबर… महाकुंभ में 44 दिन में 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आए। ऐसे में कई शहरों से बड़ा बाजार यहां सजा। इस बाजार में दिल्ली-कानपुर का नकली माल भी बड़े पैमाने पर खपाया गया। यहां तक कि पानी की बोतलें भी बिना कंपनी का लेबल लगाए उतार दी गईं। करोड़ों लोगों की सबसे अहम जरूरत पानी को भी ब्लैक में बेचा गया। महाकुंभ शुरू होने से पहले प्रयागराज और श्रावस्ती में नकली नोटों के गिरोह पकड़े गए थे। इन नकली नोटों को महाकुंभ में खपाने की तैयारी थी। कोलकाता से नकली रुद्राक्ष लाए गए, तो मुंबई के मार्केट से नामी कंपनियों के बैग, पर्स लाकर बेचे गए। मेले में मिठाई की 7000 से ज्यादा दुकानें सजीं, इसमें नकली खोया (मावा) सप्लाई हुआ। होली पर जांच करने निकलने वाली टीमें महाकुंभ के बाजार में नजर नहीं आईं। ब्रांड के जूते-चप्पल, चश्मे और कपड़ों की कॉपी बिकीं। महाकुंभ में 8 से ज्यादा दुकानें मेला प्राधिकरण ने अलॉट की थीं, लेकिन इससे ज्यादा लोगों ने दुकानें लगाईं। दैनिक भास्कर की टीम ने इसे ग्राउंड पर उतरकर देखा। इसमें सामने आया कि इस बार महाकुंभ में स्थानीय स्तर पर बनने वाले प्रोडक्ट्स की आड़ में नकली ब्रांडेड सामान धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। हमने कई दुकानों और ठेलों पर जाकर पड़ताल की, दुकानदारों से बात की और सामान की जांच कराई। पढ़िए सिलसिलेवार… पहले ही नकली नोटों को खपाने की तैयारी थी
28 जुलाई, 2024 को प्रयागराज में नकली नोट महाकुंभ में खपाने का बड़ा मामला खुला था। 100-100 की जाली करेंसी मदरसे के अंदर छापने वाले शातिर प्रयागराज में जनवरी, 2025 से लगने वाले महाकुंभ को लेकर खास तैयारी में थे। शातिर अखबारों, टीवी चैनलों पर देखते रहे हैं कि इस बार महाकुंभ में 50 करोड़ लोग प्रयागराज आएंगे। ऐसे में करोड़ों की भीड़ के बीच प्रयागराज में जाली करेंसी खपाना आसान होगा। डेढ़ महीने के मेले में ही वह कई करोड़ रुपए कमाने की फिराक में थे। ऐसे में पहले से ही बड़े पैमाने पर नोट छापने वाले पेपर यानी शीट का इंतजाम करने लगे थे। इसमें मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिद-ए-आजम का प्रिंसिपल मोहम्मद तफसीर उल आरिफीन समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मदरसा संचालक ने कई करोड़ के जाली नोट खपाने की बात कबूल की थी। इसके बाद श्रावस्ती में एक गैंग पकड़ा गया। उसने कबूला कि जाली करेंसी महाकुंभ में खपाने वाले थे। जानिए कौन-कौन से सामान बेचे गए नकली 1. नकली घी : महाकुंभ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान के बाद भंडारे और प्रसाद के लिए शुद्ध घी और दूध सामग्री खरीदते हैं, लेकिन यहां नकली दूध का धंधा बड़े स्तर पर चला। एक दुकानदार से बातचीत में पता चला कि ब्रांडेड देसी घी के नाम पर नकली पैकेट बेचे जा रहे हैं। इनमें वनस्पति घी या सस्ता तेल मिलाकर पैकिंग की जाती है। एक दुकानदार ने ऑफ रिकॉर्ड बताया- भैया, असली घी तो 700-800 रुपए किलो है, लेकिन लोग सस्ता मांगते हैं। इसलिए ये 300-400 रुपए में ‘ब्रांडेड’ घी मिल जाता है। 2. नकली रुद्राक्ष और चंदन की धोखाधड़ी: संगम में पूजा-पाठ के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में रुद्राक्ष और चंदन खरीदते हैं। इसमें भी नकली माल बिका। हमने खुद 500 रुपए में एक दुकानदार से ‘प्रामाणिक’ रुद्राक्ष खरीदा। जब इसे एक्सपर्ट को दिखाया तो पता चला कि यह प्लास्टिक का बना था, ऊपर से हल्की-सी पॉलिश कर दी गई थी। इसी तरह चंदन की लकड़ी के नाम पर पीले रंग से रंगी हुई आम की लकड़ी बिकी। एक स्थानीय दुकानदार ने कबूल किया कि असली चंदन की खुशबू लाने के लिए कई बार नकली एसेंस का इस्तेमाल किया जाता है। 3. ब्रांडेड जूते-चप्पल और कपड़ों की नकल : महाकुंभ में कई लोग सस्ते में ब्रांडेड कपड़े और जूते-चप्पल खरीदने की उम्मीद में बाजारों में घूमते हैं। हमने कुछ स्टॉलों पर जाकर पड़ताल की। देखा, यहां कई नामी कंपनियों के नकली जूते 500-600 रुपए में बिक रहे हैं। ‘Nike’, ‘Puma’, ‘Adidas’ जैसे बड़े ब्रांड के लोगो वाले ये जूते असल में लोकल कंपनियों द्वारा बनाए गए सस्ते उत्पाद होते हैं। जब हमने एक दुकानदार से पूछा कि ये असली हैं या नहीं, तो उसने हंसते हुए कहा… भैया, जो दिखता है, वही बिकता है। असली तो 5000 का आता है, यहां 500 में ब्रांड कौन बेचेगा? 4. नकली ब्रांडेड बैग : महाकुंभ में कई श्रद्धालु एचपी, अमेरिकन टूरिस्टर, स्काई बैग जैसे कई ब्रांडेड बैग खरीदते हैं, लेकिन ये भी ठगी का बड़ा जरिया बने। हमने कुछ स्टॉलों पर ये नकली बैग की पड़ताल की। इसमें पता चला कि इन बैग्स को लोकल दुकानदार डुप्लीकेट लोगो लगाकर बेच रहे हैं। इनमें कोई असली बैग नहीं था। इसको लेकर हमने दिल्ली से आए एक दुकानदार राजा से बात की। उसने बताया- लेदर बेचना मेले में बैन है, इसलिए रैक्सिन वाले बैग बेच रहा हूं। ये बैग सस्ता भी होता है। ओरिजिनल बैग की कीमत तो 700-800 रुपए होती है, कोई खरीदेगा ही नहीं। यही वजह है कि सस्ते और डुप्लीकेट बैग्स बेच रहा हूं। हर दुकान की जांच करना मुश्किल
हमने जब इस मामले पर स्थानीय प्रशासन से बात करनी चाही तो कोई ठोस जवाब नहीं मिला। हालांकि एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमें शिकायतें मिलती हैं, लेकिन इतने बड़े मेले में हर दुकान की जांच करना मुश्किल है। ————————- ये खबर भी पढ़ें… हर्षा रिछारिया ने सुसाइड की धमकी दी, बोलीं- AI से मेरे वीडियो एडिट कर बदनाम कर रहे धर्म विरोधी, नाम लिखकर जान दूंगी महाकुंभ में पेशवाई के रथ पर बैठने से चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने सुसाइड की धमकी दी है। रोते हुए उन्होंने कहा- कुछ धर्म विरोधी लोग AI से मेरे वीडियो एडिट कर बदनाम कर रहे हैं। मुझे महादेव ने जिस हद तक हिम्मत दी है। उस हद तक मैं लड़ूंगी। मैं सामना करूंगी, लेकिन जिस दिन मैं टूट गई, उस दिन सबका नाम लिखकर जान दूंगी। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
दिल्ली-कानपुर का नकली सामान महाकुंभ में खपाया:नकली रुद्राक्ष, घी-चंदन से लेकर जूते-बैग तक बेचे; जाली नोट छापने वाला गैंग पकड़ाया
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