हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी रविवार सुबह पंचकूला में राहगीरी कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे। सीएम ने यहां बच्चों, खिलाड़ियों के साथ समय व्यतीत किया। साथ ही यहां चल विभिन्न इवेंट का आनंद लिया। बच्चों के करतब भी उन्होंने देखे और इसकी सराहना की। मुख्यमंत्री ने राहगीरी कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा, “यह एक बेहतरीन कार्यक्रम है, जिसमें हर व्यक्ति को अपनी अलग-अलग प्रतिभाओं का प्रदर्शन करने का मौका मिलता है। पंचकूला पहुंचे मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि बच्चों को योगा, शूटिंग, वॉलीबॉल समेत विभिन्न खेलों और गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्यक्रम में सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाएं भी सक्रिय भागीदारी निभाती हैं। सीएम ने कहा, “सुबह जल्दी उठने से नई ऊर्जा का संचार होता है और यह बेहतर स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।” इस कार्यक्रम की थीम ‘एक पेड़ मां के नाम’ है, जिसे प्रधानमंत्री ने शुरू किया था। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य युवाओं को शुद्ध वायु प्रदान करना और प्रदूषण को कम करना है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में वन मित्रों की भर्ती की गई है और एनजीओ या अन्य संस्थाओं के लोगों से कहा गया है कि यदि वे पेड़ों की सुरक्षा करते हैं, तो उन्हें इसके लिए 10 रुपए दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने जोर देते हुए कहा, “इस अभियान के तहत हमने 50 लाख पेड़ लगाए हैं और प्रदेश में हम डेढ़ करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाने का लक्ष्य रखते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलता है, बल्कि समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर बेहतर जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा भी मिलती है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी रविवार सुबह पंचकूला में राहगीरी कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे। सीएम ने यहां बच्चों, खिलाड़ियों के साथ समय व्यतीत किया। साथ ही यहां चल विभिन्न इवेंट का आनंद लिया। बच्चों के करतब भी उन्होंने देखे और इसकी सराहना की। मुख्यमंत्री ने राहगीरी कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा, “यह एक बेहतरीन कार्यक्रम है, जिसमें हर व्यक्ति को अपनी अलग-अलग प्रतिभाओं का प्रदर्शन करने का मौका मिलता है। पंचकूला पहुंचे मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि बच्चों को योगा, शूटिंग, वॉलीबॉल समेत विभिन्न खेलों और गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्यक्रम में सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाएं भी सक्रिय भागीदारी निभाती हैं। सीएम ने कहा, “सुबह जल्दी उठने से नई ऊर्जा का संचार होता है और यह बेहतर स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।” इस कार्यक्रम की थीम ‘एक पेड़ मां के नाम’ है, जिसे प्रधानमंत्री ने शुरू किया था। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य युवाओं को शुद्ध वायु प्रदान करना और प्रदूषण को कम करना है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में वन मित्रों की भर्ती की गई है और एनजीओ या अन्य संस्थाओं के लोगों से कहा गया है कि यदि वे पेड़ों की सुरक्षा करते हैं, तो उन्हें इसके लिए 10 रुपए दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने जोर देते हुए कहा, “इस अभियान के तहत हमने 50 लाख पेड़ लगाए हैं और प्रदेश में हम डेढ़ करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाने का लक्ष्य रखते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलता है, बल्कि समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर बेहतर जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा भी मिलती है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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बीरेंद्र सिंह के गढ़ में दुष्यंत चौटाला का पत्ता साफ:भाजपा को भी हार मिली, पूर्व मंत्री की विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी
बीरेंद्र सिंह के गढ़ में दुष्यंत चौटाला का पत्ता साफ:भाजपा को भी हार मिली, पूर्व मंत्री की विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट के तहत आते उचाना कलां में कांग्रेस की जीत से चौधरी बीरेंद्र सिंह का कद कांग्रेस में बढ़ा है। उचाना में कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी की अच्छे वोटों से लीड मिली। जिसके कारण वह हिसार से जीतने में कामयाब हो सके। उचाना कलां से जयप्रकाश को 82204 वोट मिले, जबकि रणजीत चौटाला को 44885 वोट ही मिल पाए। जयप्रकाश को यहां से 37,309 वोट की लीड मिली। वहीं उचाना के विधायक पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला को यहां से मात्र 4210 वोट मिले। उचाना की जनता ने एक तरफा होकर कांग्रेस के पक्ष में वोट डाले। बीरेंद्र सिंह और उनका परिवार इस चुनाव से पहले भाजपा में था, लेकिन चुनाव से ठीक पहले पाला बदल लिया। बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह हिसार लोकसभा सीट से 2019 में भाजपा के टिकट पर सांसद बने थे। बृजेंद्र सिंह कांग्रेस में जाने के बाद हिसार से लोकसभा से टिकट मांग रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने जयप्रकाश को उम्मीदवार बनाया। इस बात से बीरेंद्र सिंह, भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनकी करीबी जयप्रकाश से खफा थे। कांग्रेस के पक्ष में मतदान करवाया
उचाना में चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस कैंडिडेट जयप्रकाश के लिए प्रचार नहीं किया। मगर अपने कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के ही पक्ष में मतदान करने की अपील की। जयप्रकाश से नाराजगी के बावजूद बीरेंद्र ने अपने समर्थकों से कांग्रेस के पक्ष में मतदान करवाया। इसका फायदा आगामी विधानसभा में बीरेंद्र सिंह को मिलेगा। इसका कारण यह है कि जजपा अब पूरी तरह से कमजोर हो चुकी है और भाजपा के पास कोई स्थानीय चेहरा उचाना कलां में नहीं है। बीरेंद्र सिंह अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को विधानसभा का टिकट देकर अपनी हरियाणा में भविष्य की राजनीति में अपने पांव जमाना चाह रहे हैं। 2009 से 2014 तक रहा इनेलो का वर्चस्व
वर्ष 2009 से 2014 तक लोकसभा चुनावों में यहां इनेलो का वर्चस्व रहा। 2009 में इनेलो के संपत सिंह को 47 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। इसके बाद 2014 में हिसार से इनेलो कैंडिडेट रहे दुष्यंत चौटाला को 87,243 वोट मिले थे। उस दौरान कांग्रेस, हजकां, बसपा समेत सभी उम्मीदवारों को मिले कुल वोटों की संख्या भी दुष्यंत के वोटों से कम थी। कुल मतदान के 57 प्रतिशत वोट दुष्यंत को मिले थे। मगर दुष्यंत द्वारा भाजपा सरकार को समर्थन के बाद से ही उनकी पकड़ हलके में कमजोर होती गई। वहीं बाकी कसर किसान आंदोलन और सत्ता विरोधी लहर ने पूरी कर दी। जानिए, इस चुनाव में उचाना में कैसे हुआ उलटफेर 1. नैना चौटाला को 77 बूथों पर मिले 10 से कम वोट
हिसार संसदीय क्षेत्र के उचाना विधानसभा क्षेत्र को पहले इनेलो, उसके बाद बीरेंद्र सिंह और अब तक दुष्यंत चौटाला का गढ़ माना जा रहा था, लेकिन अब दुष्यंत के इस गढ़ में जयप्रकाश उर्फ जेपी ने सेंधमारी कर डाली है। वर्तमान में विधायक दुष्यंत चौटाला की पार्टी से प्रत्याशी उनकी मां नैना चौटाला को 77 बूथों पर तो 10 वोट भी नहीं मिल पाए हैं। बूथ नंबर 83 और 181 पर तो जजपा का खाता भी नहीं खुला। 102 नंबर बूथ पर केवल एक वोट आया। विधानसभा के 66 गांवों में से 59 गांवों में जयप्रकाश और छह गांवों में रणजीत सिंह को बढ़त मिली। वहीं डूमरखां कलां में दोनों कैंडिडेट बराबरी पर रहे। हलके के गांव खांडा के बूथ नंबर 192 और 194 को छोड़ दें तो बाकी किसी भी बूथ पर जेपी के वोटों की संख्या 100 से नीचे नहीं आई। 2. खांडा समेत छह गांवों में ही रणजीत को मिली लीड, 59 में जेपी आगे
भाजपा उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला को हलके के केवल छह गांवों खांडा, बिघाना, भगवानपुरा, उचाना मंडी, कसूहन और जीवनपुर में ही लीड मिली। बाकी 59 गांवों में जेपी को ज्यादा वोट मिले। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के गांव डूमरखां कलां में मुकाबला बराबरी पर रहा। जयप्रकाश की सबसे बड़ी जीत छात्तर गांव में 2700 से अधिक मतों से रही तो रणजीत चौटाला की सबसे अधिक जीत खांडा गांव में 1061 मतों की रही। 3. दुष्यंत चौटाला के लिए वोट रिकवरी बनेगी चुनौती
वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में दुष्यंत सिंह चौटाला ने 47 हजार वोटों की रिकॉर्ड जीत प्राप्त की थी। विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला को 92 हजार वोट मिले थे। अब आगामी विधानसभा चुनावों में वोटों की रिकवरी करना दुष्यंत चौटाला के लिए बड़ी चुनौती रहेगी। क्योंकि इस बार भी दुष्यंत चौटाला का सामना बीरेंद्र सिंह के परिवार से ही होगा। अगर बीरेंद्र परिवार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ता है तो फिर उनका खुद का वोट बैंक के अलावा कांग्रेस से जुड़े वोटों का साथ रहेगा। हालांकि जयप्रकाश उर्फ जेपी के समर्थन में बीरेंद्र सिंह खुलकर नहीं आए थे, इसके बावजूद जेपी को क्षेत्र के हर गांव से अच्छे मत मिले।
हरियाणा में दिग्गज वोटिंग कराने में पिछड़े:इनमें खट्टर का भी नाम, राज्यमंत्री की स्थिति सबसे खराब; जेपी दलाल, विज सबसे बेहतर
हरियाणा में दिग्गज वोटिंग कराने में पिछड़े:इनमें खट्टर का भी नाम, राज्यमंत्री की स्थिति सबसे खराब; जेपी दलाल, विज सबसे बेहतर हरियाणा में लोकसभा चुनाव में दिग्गजों के विधानसभा हलकों में वोटरों ने वोट करने में ज्यादा रूचि नहीं दिखाई। यहीं कारण रहा कि इनकी विधानसभाओं में 5 से 18% तक वोटिंग प्रतिशत में गिरावट आई है। हालांकि कुछ ऐसे भी मंत्री और विधायक हैं, जिनके यहां 2019 के मुकाबले स्थिति बेहतर रही है। इनमें कैबिनेट मंत्री जेपी दलाल, पूर्व गृह मंत्री अनिल विज का नाम शामिल हैं। वहीं 2019 के मुकाबले राज्य मंत्री अभय यादव की विधानसभा में 18% वोटिंग घटी है। कैबिनेट मंत्री जेपी दलाल के लोहारू और अनिल विज के अंबाला कैंट में सबसे कम सिर्फ 0.40 % मतदान घटा है। कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारी लाल की विधानसभा बावल में 12%से कम वोटिंग हुई है। राज्यमंत्री संजय सिंह की विधानसभा सोहना, बिशंभर वाल्मीकि की सीट बवानीखेड़ा, कमल गुप्ता की सीट हिसार, महिपाल ढांडा की पानीपत ग्रामीण, सुभाष सुधा की थानेसर सीट पर भी 5 प्रतिशत के करीब वोटिंग कम हुई है। जबकि खुद लोकसभा चुनाव लड़ रहे बिजली मंत्री रणजीत सिंह के रानियां हलके में 6.60 % मतदान घटा है। विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के क्षेत्र पंचकूला में 6% कम मतदान हुआ है। सरकार से संगठन करेगा समीक्षा
दिग्गजों के यहां गिरे वोटिंग प्रतिशत को लेकर सरकार के साथ भाजपा संगठन भी चिंतित है। इसके लिए सरकार के साथ ही संगठन स्तर पर रिव्यू मीटिंग बुलाई गई है। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा की चुनाव प्रबंधन समिति के चेयरमैन और राज्यसभा सांसद सुभाष बराला ने कहा है कि इसको लेकर जल्द ही रिव्यू मीटिंग बुलाई जाएगी। हालांकि कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि हम हरियाणा के लोगों के द्वारा की गई वोटिंग प्रतिशत को लेकर संतुष्ट हैं, हालांकि हम एक रिव्यू मीटिंग कर चुके हैं, जल्द ही चंडीगढ़ में दूसरी मीटिंग बुलाई जाएगी। वोटिंग में 6 विधायक पिछड़े
हरियाणा में भाजपा की 40 सीटें हैं। इनमें 11 सीटों पर 65% से अधिक मतदान हुआ हैं। हालांकि 6 विधानसभा सीटें ऐसी भी हैं, जिन पर 55 % भी वोटिंग नहीं हुई है। वहीं कांग्रेस पार्टी के पास 30 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 8 सीटों पर 65% से अधिक तो 3 पर 55 % से कम मतदान हुआ। वहीं जजपा की 10 में से 2, निर्दलीयों की 3, इनेलो की 1 सीट पर 65% से ज्यादा वोटिंग हुई है। जजपा MLA बबली की विधानसभा में हाल खराब
मंत्रियों, विधायकों के बाद हरियाणा क दूसरे दिग्गज नेताओं के यहां भी वोटिंग का बुरा हाल रहा। जजपा विधायक देवेंद्र बबली के हलके टोहाना में 17% वोटिंग प्रतिशत गिरा। भाजपा विधायक कमलेश ढांडा के कलायत में 15%, अनूप धानक की उकलाना विधानसभा में 10.80%, भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई की आदमपुर 9.90 %, पूर्व खेल मंत्री संदीप सिंह के पिहोवा में 8.80%, पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के उचाना में 7.80%, पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के किलोई में 7.55%, सीएम नायब सैनी के नारायणगढ़ में 5.58%, ओपी यादव के नारनौल में 4.65%, अभय चौटाला के ऐलनाबाद में 4% अनिल विज के अंबाला कैंट 0.40% कम वोटिंग हुई है।
डीपी वत्स ने बढ़ाई हांसी विधायक भ्याणा की चिंता:हांसी से ठोकी दावेदारी, अयोध्या में जिंदल का प्लेन लेकर पूरी कैबिनेट ले गए थे
डीपी वत्स ने बढ़ाई हांसी विधायक भ्याणा की चिंता:हांसी से ठोकी दावेदारी, अयोध्या में जिंदल का प्लेन लेकर पूरी कैबिनेट ले गए थे राज्यसभा के पूर्व सांसद रह चुके रिटायर्ड जरनल डीपी वत्स ने हांसी के विधायक विनोद भ्याणा की चिंता बढ़ा दी है। डीपी वत्स ने कहा कि अगर पार्टी ने आदेश दिया तो वह हांसी से चुनाव लड़ने को तैयार हैं। उनकी हमेशा से तैयारी रहती है। हांसी विधानसभा उनका अपना इलाका है। वह हांसी के रहने वाले हैं। वत्स ने कहा कि भाजपा में टिकट मांगनी नहीं पड़ती पार्टी का केंद्रीय बोर्ड तय करता है किसे उतारा जाए किसे नहीं। पार्टी जिसकी निष्ठा और जितने वाले पर दांव लगाती है। वत्स ने कहा कि राज्यसभा में जाने से पहले उन्होंने हांसी से विधानसभा का टिकट मांगा था मगर टिकट तो नहीं मिला मगर राज्यसभा में मुझे भेज दिया गया। भाजपा में कई बार मांग से भी ज्यादा मिल जाता है। मगर आपकी पार्टी में निष्ठा, वफादारी और योग्यता दिखनी चाहिए। बता दें कि डीसी वत्स हांसी के थुराना गांव के रहने वाले हैं। उनकी खापों व ग्रामीण इलाकों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। अयोध्या में जिंदल के प्लेन से गई थी कैबिनेट वत्स ने बताया कि हाल ही में अयोध्या में हरियाणा सरकार गई थी। इसमें तमाम मंत्री गण थे। वत्स ने बताया कि इस दर्शन के लिए नवीन जिंदल ने पर्सनल जहाज भेजा था। वह खुद दिल्ली से जहाज लेकर चंडीगढ़ गए थे। इसके बाद सभी ने दर्शन किए थे। वत्स ने कहा कि भाजपा पार्टी में अंदर सेना की तरह अनुशासन है इसलिए भाजपा उनको सबसे अधिक प्रिय लगती है। कांग्रेस ने संविधान बदलने की अफवाह फैलाकर लिए वोट डीपी वत्स ने कहा कि भाजपा की सीटें घटने का कारण कांग्रेस द्वारा किया गया झूठा प्रचार है। कांग्रेस ने यह प्रचार किया कि भाजपा आई तो संविधान बदल देगी और आरक्षण खत्म कर देगी। इससे जनता में भ्रम फैल गया। इस कारण लोगों ने कम वोट भाजपा को दिए। मगर 10 साल तक शासन में राज करने के बाद भी अगर पार्टी केंद्र में दोबारा सरकार बना रही है तो यह बहुत बड़ी बात है। यह देश में दूसरी बार हुआ है। कुरूक्षेत्र का प्रभारी बनाया हम जीते डीपी वत्स ने कहा कि हिसार लोकसभा की सीट चाहे हम हार गए हों मगर मैंने कुरूक्षेत्र लोकसभा का काम देखा था। मुझे पार्टी ने बतौर कुरुक्षेत्र प्रभारी की जिम्मेदारी थी। इस चुनाव में हमारा कैंडिडेट नवीन जिंदल विजयी होकर निकला है। यह मेरे लिए सुखद अनुभव रहा है। पार्टी अब कहीं भी कोई भी जिम्मेदारी देगी वह पूरी करेंगे। अगर पार्टी हांसी विधानसभा से लड़ने को कहेगी तो वह लड़ने को भी तैयार हैं। कौन है जनरल डीपी वत्स डीपी वत्स यानि देवेंद्र पाल वत्स एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल हैं। वह कांग्रेस सरकार में हरियाणा लोक सेवा आयोग के पूर्व प्रमुख भी रह चुके हैं। वह एक प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं और महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज, अग्रोहा, हिसार में सलाहकार और सीईओ के पद पर रह चुके हैं। उन्होंने 1975 में आर्मी मेडिकल कोर में शामिल होने से पहले रोहतक में पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से अपनी शिक्षा पूरी की थी। उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली से अपनी चिकित्सा प्रशिक्षण पूरा किया था। डीपी वत्स को 1999 में विशिष्ट सेवा पदक , 2003 में सेना पदक और 2011 में परम विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है । वह सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज पुणे में निदेशक और कमांडेंट के रूप में कार्यरत थे और 30 अप्रैल 2011 को सेवानिवृत्त हुए।