भारतीय सेना के ‘अग्निवीर’ अजय कुमार सिंह के परिवार को अब जल्द ही मुआवजा मिलने की उम्मीद जगी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा किया गया सत्यापन पूरा हो चुका है। जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा मौत के कारणों का सत्यापन न किए जाने के कारण लुधियाना के एक गांव में रहने वाले अग्निवीर के परिवार को 67.30 लाख रुपये का मुआवजा नहीं मिल पाया। अग्निवीर अजय कुमार सिंह 18 जनवरी को राजौरी में हुए माइन विस्फोट में शहीद हो गए थे। 13 फरवरी को परिवार को 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया। यह बैंक द्वारा अग्निवीर को दी गई बीमा राशि थी। इसके बाद 10 जून को अग्निवीर के परिवार को सरकार द्वारा ली गई बीमा पॉलिसी से 48 लाख रुपये भी मिल गए। लेकिन, सत्यापन प्रमाण पत्र के कारण शहीद सैनिक के परिवार को करीब 67 लाख रुपए पाने के लिए चक्कर लगाने पड़े। इस राशि में 44 लाख रुपए अनुग्रह राशि, 13 लाख रुपए चार साल के कार्यकाल का वेतन, 8 लाख रुपए सेना कल्याण कोष और 2.30 लाख रुपए सेवा निधि पैकेज शामिल है। एक सप्ताह तक चर्चा का कारण बनी रही अग्निवीर की शहादत पिछले सप्ताह मुआवजे का पूरा भुगतान न मिलने पर राजनीतिक तूफान मचा था। मृतक के पिता चरणजीत सिंह ने 3 जुलाई को एक टिप्पणी की थी। जिसमें दावा किया गया था कि परिवार को कोई मुआवजा नहीं मिला है। एक दिन बाद पिता ने अपना बयान बदलते हुए कहा कि उन्हें बीमा की राशि मिल गई है। सेना को देनी पड़ी सफाई लोकसभा सत्र के दौरान विपक्षी नेता राहुल गांधी ने चरणजीत सिंह के बयान पर कहा था कि सैनिक को कोई मुआवजा नहीं दिया गया। राहुल गांधी के बयान के बाद भारतीय सेना ने बुधवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अग्निवीर अजय कुमार के परिवार को मुआवजा न दिए जाने के दावों को खारिज किया और कहा कि 98.39 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। सफाई में कहा गया कि दी जाने वाली कुल राशि करीब 1.65 करोड़ रुपए होगी। भारतीय सेना के ‘अग्निवीर’ अजय कुमार सिंह के परिवार को अब जल्द ही मुआवजा मिलने की उम्मीद जगी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा किया गया सत्यापन पूरा हो चुका है। जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा मौत के कारणों का सत्यापन न किए जाने के कारण लुधियाना के एक गांव में रहने वाले अग्निवीर के परिवार को 67.30 लाख रुपये का मुआवजा नहीं मिल पाया। अग्निवीर अजय कुमार सिंह 18 जनवरी को राजौरी में हुए माइन विस्फोट में शहीद हो गए थे। 13 फरवरी को परिवार को 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया। यह बैंक द्वारा अग्निवीर को दी गई बीमा राशि थी। इसके बाद 10 जून को अग्निवीर के परिवार को सरकार द्वारा ली गई बीमा पॉलिसी से 48 लाख रुपये भी मिल गए। लेकिन, सत्यापन प्रमाण पत्र के कारण शहीद सैनिक के परिवार को करीब 67 लाख रुपए पाने के लिए चक्कर लगाने पड़े। इस राशि में 44 लाख रुपए अनुग्रह राशि, 13 लाख रुपए चार साल के कार्यकाल का वेतन, 8 लाख रुपए सेना कल्याण कोष और 2.30 लाख रुपए सेवा निधि पैकेज शामिल है। एक सप्ताह तक चर्चा का कारण बनी रही अग्निवीर की शहादत पिछले सप्ताह मुआवजे का पूरा भुगतान न मिलने पर राजनीतिक तूफान मचा था। मृतक के पिता चरणजीत सिंह ने 3 जुलाई को एक टिप्पणी की थी। जिसमें दावा किया गया था कि परिवार को कोई मुआवजा नहीं मिला है। एक दिन बाद पिता ने अपना बयान बदलते हुए कहा कि उन्हें बीमा की राशि मिल गई है। सेना को देनी पड़ी सफाई लोकसभा सत्र के दौरान विपक्षी नेता राहुल गांधी ने चरणजीत सिंह के बयान पर कहा था कि सैनिक को कोई मुआवजा नहीं दिया गया। राहुल गांधी के बयान के बाद भारतीय सेना ने बुधवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अग्निवीर अजय कुमार के परिवार को मुआवजा न दिए जाने के दावों को खारिज किया और कहा कि 98.39 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। सफाई में कहा गया कि दी जाने वाली कुल राशि करीब 1.65 करोड़ रुपए होगी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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आतंकी चौड़ा की हिटलिस्ट में था बादल परिवार:गुरदासपुर में जन्मा, 1984 में खालिस्तानियों से जुड़ा; पूर्व CM बेअंत सिंह के हत्यारे जेल से भगाए
आतंकी चौड़ा की हिटलिस्ट में था बादल परिवार:गुरदासपुर में जन्मा, 1984 में खालिस्तानियों से जुड़ा; पूर्व CM बेअंत सिंह के हत्यारे जेल से भगाए पंजाब के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर सिंह बादल पर बुधवार को गोल्डन टेंपल के गेट पर फायरिंग की गई। हालांकि, वह बाल-बाल बच गए। उन पर फायरिंग करने वाला गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक का रहने वाला आतंकी नारायण सिंह चौड़ा है। नारायण सिंह चौड़ा की हिटलिस्ट में बादल परिवार पहले से ही था। वह बादल परिवार को दल पंथ का गद्दार मानता था। चौड़ा आतंकियों के साथ जेल काट चुका है और खुद भी आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है। फिलहाल वह खालिस्तानी आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा से जुड़ा हुआ है। आज फायरिंग के बाद पुलिस ने उसका फोन जब्त कर लिया है। पुलिस सूत्र बताते हैं कि उसके फोन से कुछ संदिग्ध नंबर मिले हैं। पुलिस के रिकॉर्ड में नारायण सिंह का पता… अब नारायण सिंह चौड़ा के बारे में पढ़िए…. पाकिस्तान से हथियारों की तस्करी करने लगा
नारायण सिंह चौड़ा का जन्म 4 अप्रैल 1956 को डेरा बाबा नानक (गुरदासपुर) के चौड़ा गांव में हुआ था। वह पंजाब में आतंकवाद के समय से ही काफी एक्टिव था। चौड़ा साल 1984 में पाकिस्तान गया था। वहां उसकी मुलाकात कई आतंकी संगठनों से हुई। चौड़ा ने आतंकवाद के शुरुआती चरण के दौरान पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी शुरू कर दी। उस दौरान पंजाब में हुई आतंकी गतिविधियों में नारायण सिंह की अहम भूमिका रही। उसने पाकिस्तान में रहते हुए गुरिल्ला वॉर और देशद्रोही साहित्य पर किताब लिखी थी। 2010 में UAPA का केस दर्ज
चौड़ा के खिलाफ 8 मई 2010 को अमृतसर के सिविल लाइन थाने में विस्फोटक अधिनियम के तहत करीब एक दर्जन मामले दर्ज किए गए थे। वह अमृतसर, तरनतारन और रोपड़ जिले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) का आरोपी है। अमृतसर की कोर्ट से वह विस्फोटक अधिनियम के एक मामले में बरी भी हो चुका है। साल 2013 में गिरफ्तार हुआ
चौड़ा को 28 फरवरी 2013 को तरनतारन के जलालाबाद गांव से गिरफ्तार किया गया था। उसी दिन सुखदेव सिंह और गुरिंदर सिंह को पंडोरी गांव से गिरफ्तार किया गया। तीनों से पूछताछ के बाद पुलिस ने मोहाली जिले के कुराली गांव में छापा मारा था। वहां से पुलिस को RDX और हथियारों का जखीरा बरामद हुआ। इसका केस चलता रहा, लेकिन चौड़ा जमानत पर बाहर आ गया था। बुड़ैल जेलब्रेक का मास्टरमाइंड रहा है चौड़ा
नारायण सिंह चौड़ा पर आरोप है कि वह 2004 में हुए चंडीगढ़ की बुड़ैल जेलब्रेक कांड का मास्टरमाइंड था। चौड़ा फरार होने वाले आरोपियों से नियमित मिलने जाता था। वह खालिस्तानी समर्थक कैदियों से मिलता था और उन्हें खाना पीना, कपड़ा और अन्य जरूरत के सामान भी उपलब्ध करवाता था। जब पुलिस को इसका पता चला तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में सामने आया कि पगड़ी देने की बात कहकर चौड़ा उनसे मिलता था। पगड़ी वाले कपड़े की मदद से ही आरोपियों ने बुड़ैल जेल ब्रेक की थी और उसी से बाहर निकले थे। बुड़ैल जेल से भागने वाले कैदियों की मदद के लिए चौड़ा ने ही जेल की बिजली गुल की थी। इससे आरोपियों को जेल से फरार होने में कोई दिक्कत नहीं हुई। बता दें कि जेल से फरार होने वाले आरोपियों में पंजाब के पूर्व CM बेअंत सिंह के हत्यारे जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिंह भ्यौरा, जगतार सिंह तारा भी शामिल थे। तब पुलिस की जांच में पता चला था कि उक्त आरोपियों के लिंक पाकिस्तान में बैठे कुछ आतंकियों के साथ भी थे। सुरंग खोदने में की थी बेअंत सिंह के हत्यारों की मदद
पंजाब के पूर्व CM बेअंत सिंह हत्याकांड में दोषी जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिंह भ्यौरा, जगतार सिंह तारा और एक अन्य दोषी देवी सिंह ने जेल से भागने के लिए महीनों तक जेल में सुरंग खोदी थी। चौड़ा ने भी सुरंग खोदने में इनकी मदद की थी। देवी सिंह भी जेल की सुरंग से फरार हो गया था। उसे पुलिस ने भगौड़ा घोषित किया हुआ है, लेकिन अभी तक पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी है। पुलिस यह भी नहीं जान सकी कि वह जिंदा है फिर उसकी मौत हो गई है। इन सभी आरोपियों को बैरक नंबर-7 में रखा गया था। बुड़ैल जेल ब्रेक मामले में साल 2005 में चौड़ा जेल से बाहर आया था। जेल से बाहर आने के बाद चौड़ा फिर से आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हो गया। उस समय चौड़ा इंग्लैंड में रह रहे आतंकी जोगा सिंह के लिंक में आया था। चौड़ा की हिटलिस्ट में था बादल परिवार
बता दें कि नारायण सिंह चौड़ा के निशाने पर बादल परिवार काफी समय से था। चौड़ा ने एक लोकल अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि बादल दल पंथ के गद्दार हैं। चौड़ा का आरोप था कि भाई जसपाल सिंह सिधवां चौड़ सहित कई सिंहों की हत्याएं और गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करवाने में बादलों का हाथ था। पुलिस की छानबीन के अनुसार, साल 2013 के जनवरी माह में केंद्र सरकार की इंटेलिजेंस ब्यूरो की ओर से पंजाब सरकार को एक लेटर भेजा गया था, जिसमें दावा किया गया था कि आतंकी नारायण सिंह पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल को टारगेट कर सकता है। इसके बाद पंजाब के तत्कालीन DGP सुमेध सैनी ने दोनों की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। हालांकि, तब से उन पर कोई हमला नहीं हुआ। लेकिन, इस साल सुखबीर बादल ने अपनी गलतियां मानीं तो उन पर यह हमला हुआ। रणधीर सिंह के नाम से सक्रिय था चौड़ा
चौड़ा का असली नाम नारायण सिंह है, लेकिन वह रणधीर सिंह के नाम से खालिस्तान समर्थकों के बीच सक्रिय था। चौड़ा ने डेरा बाबा नानक (गुरदासपुर) में एक ठिकाना बनाया था, वहीं से वह गतिविधियों को अंजाम देता था। चौड़ा ने खालिस्तान लिबरेशन आर्मी की स्थापना की थी और खुद को धार्मिक प्रचारक के रूप में पेश किया। पुलिस जो जब उसके ठिकाने की जानकारी मिली तो छापा मारा गया। वहां से पुलिस को कंप्यूटर, पेन ड्राइव, और अन्य संदिग्ध सामग्री मिली। बब्बर खालसा इंटरनेशनल के साथ चौड़ा के लिंकों का पता पुलिस को तभी लगा था। ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ये खबर भी पढ़ें… पंजाब के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर बादल पर फायरिंग:बाल-बाल बचे, गोल्डन टेंपल के बाहर सेवा कर रहे थे; हमलावर खालिस्तानी आतंकी गिरफ्तार अमृतसर स्थित गोल्डन टेंपल में बुधवार को पंजाब के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर सिंह बादल पर खालिस्तानी आतंकी ने फायरिंग की। सुखबीर बादल गोल्डन टेंपल के गेट पर सेवादार बनकर बैठे थे। डेरा सच्चा सौदा के मुखी राम रहीम को माफी देने को लेकर सिखों की सर्वोच्च अदालत अकाल तख्त ने उन्हें यह सजा दी है। पूरी खबर पढ़ें…
अमृतसर पहुंचे पंजाब के चीफ सेक्रेटरी:गोल्डन टेंपल और श्री दुर्गियाणा मंदिर में टेका माथा, बोले- जिम्मेदारी को सेवा की तरह निभाएंगे
अमृतसर पहुंचे पंजाब के चीफ सेक्रेटरी:गोल्डन टेंपल और श्री दुर्गियाणा मंदिर में टेका माथा, बोले- जिम्मेदारी को सेवा की तरह निभाएंगे पंजाब के नवनियुक्त मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने आज (रविवार) अमृतसर में श्री दरबार साहिब और दुर्गियाणा मंदिर में माथा टेका। इस अवसर पर शिरोमणि कमेटी और दुर्गियाणा मंदिर कमेटी की ओर से मुख्य सचिव को सम्मानित भी किया गया। मुख्य सचिव सिन्हा ने कहा कि नए पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद वह गुरुघर का आशीर्वाद लेने और राज्य के लोगों की सेवा के लिए आभार व्यक्त करने आए हैं। उन्होंने कहा कि भगवान ने उन्हें पंजाब के लोगों की ईमानदारी और समर्पण के साथ सेवा करने का आशीर्वाद दिया है। उन्होंने कहा कि वह अपनी जिम्मेदारी को सेवा के तौर पर निभाएंगे। इस अवसर पर डिप्टी कमिश्नर अमृतसर साक्षी साहनी, एसडीएम मनकंवल सिंह चहल और डीसीपी हरप्रीत सिंह मंडेर भी मौजूद थे।
संतुलन बिगड़ने से अनियंत्रित हुई कार, ग्रिल से जा टकराई
संतुलन बिगड़ने से अनियंत्रित हुई कार, ग्रिल से जा टकराई भास्कर न्यूज | जालंधर लम्मा पिंड चौक पर एक तेज रफ्तार काले रंग की कार अनियंत्रित होने से हाईवे की ग्रिल से टकरा गई। उक्त हादसा सोमवार तड़के तीन बजे के करीब हुआ। हालांकि गनीमत रही कि समय रहते कार के एयर बैग खुल गए तो चालक को मामूली चोटें ही आईं हैं। कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। हालांकि हादसे में कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। जानकारी के अनुसार, तड़के तीन बजे के करीब कार पठानकोट चौक की तरफ से लम्मा पिंड चौक की ओर जा रही थी। कार की रफ्तार बहुत तेज थी। इस कारण संतुलन बिगड़ने से सड़क पर लगी लोहे की ग्रिल से कार टकरा गई और सर्विस लेन पर पलटी खा गई।