बांके बिहारी मंदिर में बने तोशाखाना में आज दूसरे दिन खजाना खोला जा रहा है। खजाने के मुख्य दरवाजे को ग्राइंडर से काटा जा रहा है। इसके बाद सीढ़ियों के जरिए नीचे तहखाने में जाने की कोशिश की जाएगी। इससे पहले, कल बांके बिहारी मंदिर के खजाने के दरवाजे के अंदर एक और कमरा मिला था। इस कमरे के नीचे तहखाना मिला था। वहां सीढ़ियां बनी हुई थीं। टीम कल 15 से 20 फीट नीचे ही जा पाई थी। मंदिर परिसर में दिनेश गोस्वामी ने बताया- जो कल प्रक्रिया रह गई थी, उसे आज वहीं से शुरू करके आगे बढ़ाया जा रहा है। वापस फोटोग्राफी करके सील को दिखाते हुए वेल्डिंग को ग्राइंडर से काटा जा रहा है। अब मैं आगे की प्रक्रिया के लिए अंदर जा रहा हूं। खजाना खोले जाने से जुड़े पल-पल अपडेट के लिए LIVE ब्लॉग से गुजर जाइए… बांके बिहारी मंदिर में बने तोशाखाना में आज दूसरे दिन खजाना खोला जा रहा है। खजाने के मुख्य दरवाजे को ग्राइंडर से काटा जा रहा है। इसके बाद सीढ़ियों के जरिए नीचे तहखाने में जाने की कोशिश की जाएगी। इससे पहले, कल बांके बिहारी मंदिर के खजाने के दरवाजे के अंदर एक और कमरा मिला था। इस कमरे के नीचे तहखाना मिला था। वहां सीढ़ियां बनी हुई थीं। टीम कल 15 से 20 फीट नीचे ही जा पाई थी। मंदिर परिसर में दिनेश गोस्वामी ने बताया- जो कल प्रक्रिया रह गई थी, उसे आज वहीं से शुरू करके आगे बढ़ाया जा रहा है। वापस फोटोग्राफी करके सील को दिखाते हुए वेल्डिंग को ग्राइंडर से काटा जा रहा है। अब मैं आगे की प्रक्रिया के लिए अंदर जा रहा हूं। खजाना खोले जाने से जुड़े पल-पल अपडेट के लिए LIVE ब्लॉग से गुजर जाइए… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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‘मेरा बेटा मेरी सूरत नहीं देखना चाहता’:बुजुर्ग शकुंतला बोलीं- बच्चों ने घर से निकाल दिया, अब तो वृद्धाश्रम में मनाएंगे दिवाली जिस बेटे को आंखों का तारा बना कर रखा उसी ने बुढ़ापे में बेघर कर दिया। अब ना तो बेटा हमारा रहा और ना ही घर। भगवान ऐसे दिन किसी को ना दिखाएं। अब कभी याद भी नहीं करता है। ये दर्द है रामलाल वृद्धाश्रम में रहने वाली बुजुर्ग शकुंतला देवी के। वह अकेली महिला नहीं हैं जिसे अपनों का इंतजार हैं। यहां आश्रम में रहने वाले कई बुजुर्ग हैं जिन्हें अपनों ने ठुकराया है। लेकिन अब वह यहां खुशी हैं लेकिन आंखों में आंसू जरूर त्योहारों पर छलक उठते हैं। आश्रम में इस दीपावली बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान तो थी, लेकिन दिल में गहरी उदासी थी। बुजुर्ग शकुंतला देवी ने कहा- बेटा शराब का आदी है। मुझे और मेरे पति श्यामलाल खंडेलवाल को 2-2 दिन तक भूखा प्यासा रखता था। खाना नहीं देता था। हमें घर से निकाल दिया। और बोला- अपनी सूरत भी मत दिखाना। अब तो वह हमें याद तक नहीं करता। उन्होंने कहा- मैं और मेरे पति श्यामलाल अब काम बहुत मुश्किल से कर पाते हैं। अब दर्द को नहीं सह पाते हैं। अब तो यहीं परिवार लगने लगा है राजेश ने कहा- मुझे और मेरी पत्नी को कोई उम्मीद नहीं है कि हमारा बेटा आएगा। हमें नहीं लगता कि उसे हमारी याद आती है। इसलिए इस दीपावली हम अपने साथी आश्रमवासियों के साथ ही त्योहार मनाएंगे। यही अब हमारा परिवार है। 12 साल से अपनों के आने का कर रही हूं इंतजार राधारानी गोयल ने कहा- 12 सालों में कोई आया नहीं तो अब क्या आएंगे। अब तो ये ही है हमारा परिवार। वृद्धाश्रम में मौजूद बुजुर्गों ने मिलकर दीये जलाए। एक-दूसरे को “शुभ दीपावली” की शुभकामनाएं दीं और अपनापन महसूस किया। लगभग 350 बुजुर्ग इस साल आश्रम में ही दीपावली मना रहे हैं।

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