भास्कर न्यूज | कुरुक्षेत्र शहर के थीम पार्क में इस बार दशहरा मेले को लेकर पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा और मौजूदा विधायक अशोक अरोड़ा गुट में िचंगारी ठंडी होकर फिर सुलग पड़ी। गुरुवार को लंबी कसरत के बाद दोनों पक्षों के बीच एक ही दशहरा मनाने को लेकर सहमति बनी थी। शुक्रवार को फिर से कमेटी बैनर को लेकर खींचतान हो गई। इसके बाद फिर से सहमति के प्रयास हुए। शाम को फिर एक ही दशहरा मनाने को लेकर रजामंदी हो गई। बता दें िक थीम पार्क में 6 दशकों से हर साल कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी द्वारा मेला लगाया जाता है। लंबे समय तक इसके संरक्षक जहां मौजूदा विधायक अशोक अरोड़ा रहे। वहीं िपछले 10 सालों से राज्यमंत्री सुभाष सुधा बतौर अतिथि पहुंचते थे। कमेटी में सुधा और अरोड़ा, दोनों के समर्थक शामिल हैं। गुरुवार को पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने थीम पार्क में अलग से दशहरा उत्सव मनाने का ऐलान कर दिया। सुधा समर्थक कुछ सदस्यों को सक्रिय न होने पर कमेटी से बाहर कर िदया था। इससे सुधा नाराज हो गए। कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी भी थीम पार्क में ही मेला लगाने पर अड़ गई। गुरुवार को दिनभर दोनों पक्षों को राजी करने के िलए कसरत हुई। तय हुआ कि िबना बैनर के कार्यक्रम होगा। सुधा और अरोड़ा, दोनों बतौर अतिथि शामिल नहीं होंगे। सांझी कमेटी कार्यक्रम करेगी, िजसमें दोनों के 20-20 सदस्य होंगे। बिना बैनर के ही होगा कार्यक्रम शुक्रवार को इसे लेकर समर्थकों में फिर खींचतान हो गई। अरोड़ा समर्थक कमेटी सदस्य इस बात पर अड़ गए िक आयोजन कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी के नाम से होगा। बैनर भी लगाए जाएंगे। इसके बाद फिर से पटरी से उतरी सहमति को दोबारा बनाने के प्रयास हुए। खैर इसमें शाम को कामयाबी मिली। कमेटी सदस्य धीरज गुलाटी के मुताबिक बिना बैनर के ही कार्यक्रम होगा। दोनों अतिथि के तौर पर नहीं आएंगे। पार्क में शाम को 55 फुट के रावण के पुतले का दहन होगा। भास्कर न्यूज | कुरुक्षेत्र शहर के थीम पार्क में इस बार दशहरा मेले को लेकर पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा और मौजूदा विधायक अशोक अरोड़ा गुट में िचंगारी ठंडी होकर फिर सुलग पड़ी। गुरुवार को लंबी कसरत के बाद दोनों पक्षों के बीच एक ही दशहरा मनाने को लेकर सहमति बनी थी। शुक्रवार को फिर से कमेटी बैनर को लेकर खींचतान हो गई। इसके बाद फिर से सहमति के प्रयास हुए। शाम को फिर एक ही दशहरा मनाने को लेकर रजामंदी हो गई। बता दें िक थीम पार्क में 6 दशकों से हर साल कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी द्वारा मेला लगाया जाता है। लंबे समय तक इसके संरक्षक जहां मौजूदा विधायक अशोक अरोड़ा रहे। वहीं िपछले 10 सालों से राज्यमंत्री सुभाष सुधा बतौर अतिथि पहुंचते थे। कमेटी में सुधा और अरोड़ा, दोनों के समर्थक शामिल हैं। गुरुवार को पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने थीम पार्क में अलग से दशहरा उत्सव मनाने का ऐलान कर दिया। सुधा समर्थक कुछ सदस्यों को सक्रिय न होने पर कमेटी से बाहर कर िदया था। इससे सुधा नाराज हो गए। कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी भी थीम पार्क में ही मेला लगाने पर अड़ गई। गुरुवार को दिनभर दोनों पक्षों को राजी करने के िलए कसरत हुई। तय हुआ कि िबना बैनर के कार्यक्रम होगा। सुधा और अरोड़ा, दोनों बतौर अतिथि शामिल नहीं होंगे। सांझी कमेटी कार्यक्रम करेगी, िजसमें दोनों के 20-20 सदस्य होंगे। बिना बैनर के ही होगा कार्यक्रम शुक्रवार को इसे लेकर समर्थकों में फिर खींचतान हो गई। अरोड़ा समर्थक कमेटी सदस्य इस बात पर अड़ गए िक आयोजन कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी के नाम से होगा। बैनर भी लगाए जाएंगे। इसके बाद फिर से पटरी से उतरी सहमति को दोबारा बनाने के प्रयास हुए। खैर इसमें शाम को कामयाबी मिली। कमेटी सदस्य धीरज गुलाटी के मुताबिक बिना बैनर के ही कार्यक्रम होगा। दोनों अतिथि के तौर पर नहीं आएंगे। पार्क में शाम को 55 फुट के रावण के पुतले का दहन होगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts

सिरसा के धवल कांडा की शादी में पहुंचे सीएम:पूर्व मंत्री गोपाल कांडा के भतीजे हैं धवल कांडा, मनोहर लाल भी आए
सिरसा के धवल कांडा की शादी में पहुंचे सीएम:पूर्व मंत्री गोपाल कांडा के भतीजे हैं धवल कांडा, मनोहर लाल भी आए हरियाणा के पूर्व गृह राज्य मंत्री और सिरसा के पूर्व विधायक गोपाल कांडा के छोटे भाई वरिष्ठ भाजपा नेता गोबिंद कांडा के बेटे धवल कांडा का शादी समारोह वीरवार रात को दिल्ली में एयरपोर्ट के पास स्थित पुष्पांजलि फार्म में धूमधाम से मनाया गया। इस समारोह में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल, हरियाणा विधानसभा के स्पीकर हरविंदर कल्याण, हरियाणा के कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव तरुण भंडारी सहित कई दिग्गजों ने शिरकत की। गौरतलब है कि धवल कांडा की शादी उत्तर प्रदेश के कानपुर के जौहरी कारोबारी राजेंद्र अग्रवाल की बेटी नंदिता अग्रवाल के साथ हुई है। शादी समारोह के लिए पूरा परिवार कई दिनों से दिल्ली में ही रुका हुआ है। इस शाही समारोह में दो हजार से भी अधिक मेहमानों ने शिरकत की। सिरसा से पहुंचे 500 से अधिक मेहमान इस समारोह में भाग लेने के लिए सिरसा से भी 500 से अधिक मेहमान दिल्ली पहुंचे। इन मेहमानों में कांडा बंधुओं के रिश्तेदार, मित्रगण और शहर के राजनीतिक व सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल रहे। जानकारी के अनुसार, दिल्ली में शादी की रस्में संपन्न होने के बाद सिरसा में भी कांडा परिवार की ओर से रिसेप्शन पार्टी की जाएगी। कांडा बंधुओं ने किया मेहमानों का स्वागत शादी समारोह में पहुंचे मेहमानों का पूर्व मंत्री गोपाल कांडा, उनके भाई गोबिंद कांडा, उनके बेटे धैर्य कांडा व परिवार के अन्य सदस्यों ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।

नारनौंद में लगी भीषण आग:खेतों की सिंचाई के लिए आए पाइप जले, 11 हजार केवी लाइन की स्पार्किंग से हुआ हादसा
नारनौंद में लगी भीषण आग:खेतों की सिंचाई के लिए आए पाइप जले, 11 हजार केवी लाइन की स्पार्किंग से हुआ हादसा हिसार जिले के नारनौंद के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में खेतों में सिंचाई के लिए पाइप लाइन दबाने के लिए रखे रबड़ के पाइपों में शुक्रवार शाम अचानक आग लग गई। आसपास के लोगों ने अपने ही अपने स्तर पर आग बुझाने का प्रयास किया लेकिन आग इतनी भयंकर थी कि आज पर काबू नहीं पाया जा सका। सूचना के बाद नारनौंद और हांसी से फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियां मौके पर पहुंची। जिन्होंने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। मौके पर मौजूद लोगों ने आग का कारण ऊपर से गुजरने वाली 11 हजार की बिजली की लाइन में स्पार्किंग से बताया है। लाखों रुपए के पाइप जले बाला जी बिल्डर के मालिक सुशील बेरवाल ने बताया कि उनकी कंपनी की ओर से नारनौंद के हांसी रोड स्थित वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में हजारों मीटर लंबे 4 इंची पाइप रखे हुए थे। शुक्रवार शाम करीब 6 बजे इनमें भीषण आग लग गई। आग इतनी तेजी से फैली की देखते ही देखते करीब 17 हजार मीटर लंबी पाइप लाइन के आए पाइप जल गए। जिसमें करीब 69 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। पाइप लाइन को दबाने का काम शनिवार से ही शुरू होना था। फरवरी महा से रखे थे पाइप यह पाइप फरवरी माह में यहां पर आए थे और करीब डेढ़ महीने से पाइपों को जोड़ने का काम चल रहा था। क्योंकि एक पाइप 12 मीटर लंबा होता है तो उन्होंने 6 पाइपों को जोड़कर 72 मीटर का लंबा बनाया हुआ था। ताकि खेतों में दबाने में कम से कम टाइम लगे। शुक्रवार दोपहर को पाइपों को खेतों में डालने के लिए लेबर तैयारी कर रही थी। शाम के समय ऊपर से गुजर रही 11 हजार केवी लाइन में अचानक स्पार्किंग हुई और नीचे रख पाइपों में आग लग गई । आस पास के लोगों में हुआ डर प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग इतनी भयंकर थी की आसपास के गावों में भी आसमान में धुएं का गुब्बार देखा जा सकता था। इस क्षेत्र से गुजर रहे लोगों को घुटन महसूस होने लगी थी। वही वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के साथ लगते मकानों की दीवारें भी गरम हो गई। लोगों ने घरों के अंदर से गैस सिलेंडर और अन्य सामान बाहर निकलना शुरू कर दिया। वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के साथ लगते एक मकान में हल्की दरार भी आ गई। आसपास के लोगों में भय माहौल बन गया।

खट्टर के दिल्ली जाने से नहीं हो रहा डैमेज कंट्रोल:CM सिटी के 5 बड़े नेता पार्टी छोड़ गए; केवल एक को ही मना पाए सैनी
खट्टर के दिल्ली जाने से नहीं हो रहा डैमेज कंट्रोल:CM सिटी के 5 बड़े नेता पार्टी छोड़ गए; केवल एक को ही मना पाए सैनी हरियाणा के पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर के सांसद बनने पर करनाल छोड़ने से भाजपा के हाथ से जिले की पकड़ भी ढीली होती जा रही है। यहां लगातार नेताओं के इस्तीफे आ रहे हैं और पार्टी में बगावती सुर भी मुखर हो रहे हैं। मौजूदा CM नायब सैनी करनाल में डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन बात नहीं बन रही, क्योंकि पार्टी ने नायब सैनी को भी करनाल छोड़ लाडवा से उम्मीदवार बनाया है। जबकि सैनी खुद चाहते थे कि वह करनाल से ही विधानसभा चुनाव लड़ें। पार्टी की रिपोर्ट में बताया गया है कि नायब सैनी को बाहरी होने के कारण करनाल की जनता नापसंद कर रही थी, इसलिए उन्हें करनाल की बजाय लाडवा से कैंडिडेट घोषित किया गया है। जगमोहन आनंद को लोकल होने के चलते करनाल सीट पर खड़ा किया गया है, लेकिन पार्टी से अलग हुए नेता हरपाल कलामपुरा कह चुके हैं कि सैनी को पार्टी ने ही परेशान कर लाडवा भेजा है। करनाल में राजनीति के जानकार मानते हैं कि जब तक यहां से मनोहर लाल खट्टर विधायक रहे और 2 बार CM बने, तब तक पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक था। क्योंकि यहां के ज्यादातर नेता खट्टर के जरिए ही पार्टी में लाए गए, और उनसे ही इन नेताओं को विधानसभा चुनाव में टिकट दिलवाने की आशा थी। खट्टर के दिल्ली की राजनीति में इन्वॉल्व होने से करनाल के नेता टिकट से भी वंचित रह गए। इसका असर यह हुआ कि जिले के 5 बड़े नेता अब तक पार्टी छोड़ चुके हैं। करनाल में भाजपा के हालात बिगड़ने के 3 प्रमुख कारण… 1. पूर्व सीएम खट्टर की दूरी
केंद्रीय मंत्री बनने के बाद मनोहर लाल खट्टर की करनाल से दूरी बढ़ गई, जबकि खट्टर ही वह धागा थे, जिससे करनाल के नेता एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। उनके केंद्र में चले जाने से इन नेताओं को भाजपा का कोई अन्य बड़ा नेता संभाल नहीं पाया, जिससे पार्टी यहां कमजोर हो चली है और नेतृत्व भटकता नजर आ रहा है। 2. टिकट कटने से नाराजगी
खट्टर पंजाबी समाज से आते हैं। लोकसभा में जाने के बाद उपचुनाव में नायब सैनी को यहां से चुनाव लड़वाया गया। उस समय भी बाहरी होने का मुद्दा उठा था, लेकिन खट्टर इसे कंट्रोल कर गए। इसके चलते सैनी को उपचुनाव में जीत मिली। लोकल-बाहरी का मुद्दा इस बार न बने, इसलिए पार्टी ने सैनी को लाडवा विधानसभा भेज दिया और पंजाबी चेहरा जगमोहन आनंद को यहां से उम्मीदवार बना दिया। हालांकि, कार्यकर्ता यहां विरोध जगमोहन आनंद का भी कर रहे हैं, क्योंकि उनकी कहना है कि जगमोहन यहां एक्टिव नहीं रहे। इनके लिए पार्टी ने खट्टर के करीबी 4 नेताओं रेणु बाला गुप्ता, मुकेश अरोड़ा, अशोक सुखीजा और जय प्रकाश को दरकिनार कर दिया। 3. बागी नेताओं को नहीं मनाया गया
तीसरा मुख्य कारण यह भी माना जा रहा है कि टिकट कटने से नाराज नेताओं को मनाने के लिए न तो CM नायब सैनी पहुंचे और न ही पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर पहुंच पाए। इस कारण असंध से जिले राम शर्मा, करनाल से पूर्व मंत्री जय प्रकाश, इंद्री से कर्ण देव कंबोज, करनाल से हरपाल कलामपुरा और युवा नेता सुरेंद्र उड़ाना पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। पूर्व मेयर को मना लिया, लेकिन प्रचार से दूरी
करनाल की पूर्व मेयर रेणु बाला गुप्ता भी टिकट न मिलने से नाराज हो गई थीं, लेकिन भाजपा ने उन्हें मना लिया है। मुख्यमंत्री सैनी खुद उन्हें मनाने के लिए पहुंचे थे। मनोहर लाल खट्टर ने भी उनके घर जाकर उनसे बात की। इसके बाद रेणु बाला ने भाजपा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया और शनिवार को हुई प्रधानमंत्री की पब्लिक मीटिंग में भी शामिल हुईं। हालांकि, भाजपा कैंडिडेट जगमोहन आनंद के चुनाव प्रचार से उन्होंने दूरी बनाई हुई है, जबकि रेणु बाला को मनाने और उनका समर्थन मांगने के लिए उनके घर जगमोहन आनंद भी गए थे। करनाल से बाहर भी BJP में घमासान
इंद्री में पूर्व राज्य मंत्री और पूर्व विधायक कर्ण देव कंबोज ने BJP को ‘गद्दारों की पार्टी’ बताते हुए छोड़ दिया। उन्हें मनाने के लिए CM नायब सैनी पहुंचे थे, लेकिन कंबोज इतने नाराज थे कि उन्होंने सैनी से हाथ तक नहीं मिलाया। इसके बाद कंबोज कांग्रेस में शामिल हो गए। इंद्री में ही प्रदेश मीडिया कोआर्डिनेटर सुरेंद्र उड़ाना ने भी BJP को अलविदा कह दिया और BSP-INLD के उम्मीदवार बनकर मैदान में उतर गए। उधर, जिलेराम शर्मा ने भी पार्टी छोड़ दी। उन्होंने 6 महीने पहले ही पूर्व CM मनोहर लाल के नेतृत्व में BJP जॉइन की थी। 2014 में करनाल की पांचों सीटें जीती भाजपा
2014 के विधानसभा चुनाव में मोदी की लहर के दम पर करनाल की पांचों सीटें करनाल, इंद्री, असंध, नीलोखेड़ी और घरौंडा भाजपा ने जीती थीं। इसके बाद 2019 के चुनाव में भी भाजपा ने घरौंडा, करनाल और इंद्री में जीत का सिलसिला जारी रखा, लेकिन असंध और नीलोखेड़ी को भाजपा ने गंवा दिया। दोनों चुनाव खट्टर के नेतृत्व में ही लड़े गए। इस बार पार्टी ने करनाल और असंध सीट पर चेहरे बदले हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष बना हुआ है। इसके बीच पार्टी के लिए पिछले 2 बार जैसे प्रदर्शन को दोहराना बड़ी चुनौती होगी।