भोले बाबा उर्फ सूरजपाल गुरुवार को लखनऊ में न्यायिक आयोग के सामने पेश हुआ। उसके साथ भाजपा के पीलीभीत से विधायक बाबूराम पासवान भी थे। वो पूछताछ के दौरान भी बाबा के साथ रहे। बाबा और भाजपा विधायक के बीच कनेक्शन की दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। जिसमें पता चला- भोले बाबा से विधायक का आध्यात्मिक संबंध है, राजनीतिक नहीं। विधायक बाबूराम अपने हर चुनाव से पहले बाबा का सत्संग करवाते हैं। सत्संग को अपनी जीत का मंत्र बताते हैं। बाबा से उनका 7 साल पुराना संबंध है। बाबा में उनको श्री कृष्ण दिखते हैं विधायक बाबूराम पासवान के राजनीतिक गुरु का कहना है, भोले बाबा के लिए विधायक पासवान कुछ भी कर सकता है। बाबूराम भोले बाबा के सबसे करीबी भक्तों में गिने जाते हैं। विधायक अपने समर्थकों से कहते हैं कि उन्हें भोले बाबा में श्री कृष्ण दिखते हैं। लगता है, भोले बाबा के सिर के पीछे चक्र घूम रहा है। खबर में आगे बढ़ने से पहले जानिए पूरा मामला- 3 जुलाई 2024 को हाथरस में भोले बाबा का सत्संग हुआ, ऐसा बताया गया है कि सत्संग के बाद बाबा के पैरों की धूल लेने के लिए अचानक से भीड़ दौड़ पड़ी। जिसके बाद भगदड़ मची और 121 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे के 3 महीने बाद भोले बाबा उर्फ सूरजपाल न्यायिक आयोग के सामने पेश होने के लिए लखनऊ पहुंचा। बाबा के पीछे-पीछे चल रहे थे बीजेपी विधायक बाबा के साथ पीलीभीत से भाजपा विधायक बाबूराम पासवान भी न्यायिक आयोग पहुंचे। फॉर्च्यूनर गाड़ी भी भाजपा विधायक की थी। न्यायिक आयोग पहुंचने पर विधायक बाबा के पीछे-पीछे चल रहे थे। उन्हीं के साथ ऑफिस के अंदर चले गए। उसके बाद 2:15 घंटे चली पूछताछ के बाद बाबा और भाजपा विधायक साथ में वापस चले गए। किसी भाजपा नेता का बाबा के साथ होना कई सवाल खड़े कर रहा है। जानते हैं बाबा और भाजपा विधायक में क्या है कनेक्शन- पीलीभीत जिले की पूरनपुर विधानसभा सीट से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर विधायक बने बाबूराम पासवान और भोले बाबा के बीच गहरे संबंध हैं। दोनों को लखनऊ में साथ देखकर गुरुवार को इस रिश्ते पर मोहर भी लग गई। बाबूराम पासवान का राजनीतिक सफर भोले बाबा के सत्संगों से जुड़ा हुआ है, जिससे उन्हें काफी फायदा पहुंचा है। बाबा के सत्संग ने विधायक की राजनीति करियर को नया मोड़ दिया सूत्रों के अनुसार, विधायक बाबूराम पासवान बाबा को काफी समय से जानते हैं। अपना पहला चुनाव हार गए थे लेकिन जब वो 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे थे, तब उन्होंने भोले बाबा का एक बड़ा सत्संग आयोजित किया था। इस सत्संग में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी थी। इसे बाबूराम पासवान की चुनावी रणनीति का हिस्सा माना गया था। बाबा के इस सत्संग ने उनकी राजनीतिक करियर को नया मोड़ दिया था और चुनाव में उनकी जीत का रास्ता साफ किया। इस चुनाव में वो भारी मतों से जीते थे। विधायक हर चुनाव से पहले करवाते हैं बाबा का सत्संग ऐसा कहा जाता है कि पूरनपुर विधायक बाबूराम पासवान हर चुनाव से पहले भोले बाबा के सत्संग का आयोजन करते हैं। इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। बाबा खुद सत्संग को संबोधित करते हैं। कहा जाता है कि बाबूराम पासवान इसे अपनी चुनावी जीत का मंत्र मानते हैं। इसी से उनका वोट बैंक मजबूत होता है। भोले बाबा और बाबूराम पासवान के बीच संबंध इतने गहरे हैं कि बाबा कई बार विधायक के आवास पर भी ठहरने के लिए आते हैं। सूत्र बताते हैं कि हाथरस में हुई भगदड़ की घटना के बाद भी भोले बाबा लगातार बाबूराम पासवान के संपर्क में थे। हालांकि इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। जानिए कौन है भोले बाबा? कासगंज के कांशीराम नगर के पटियाली गांव में रहने वाले भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। वह उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुए थे। 18 साल नौकरी के बाद उसने VRS ले लिया था। घर लौटने के बाद वह अपने गांव में ही झोपड़ी बनाकर रहने लगे थे। नौकरी छोड़ने के कुछ दिन बाद ईश्वर से साक्षातकार का दावा करते हुए उन्होंने खुद को स्वयंभू संत घोषित कर दिया। कुछ ही दिनों में उसके चाहने वालों की लाइन लग गई। बाबा का विवादों से भी पुराना नाता है। पहले कांग्रेस फिर भाजपा में शामिल हुए विधायक बाबूराम पासवान भाजपा विधायक बाबूराम पासवान मूल रूप से पूरनपुर विधानसभा क्षेत्र के उदराहा गांव के रहने वाले हैं। साल 1990 में बाबूराम पासवान ने कांग्रेस के साथ राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। कांग्रेस में रहते हुए बाबूराम पासवान जिला पंचायत सदस्य और कोआपरेटिव सोसाइटी के डायरेक्टर रहे। साल 2012 में बाबूराम पासवान ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। पहली बार भाजपा से चुनाव लड़ते समय बाबूराम पासवान को हार का सामना करना पड़ा। समाजवादी पार्टी के नेता पीतमराम ने उन्हें हरा दिया। लेकिन साल 2017 में भाजपा ने दुबारा बाबूराम पासवान को टिकट दिया। इस बार बाबूराम पासवान ने भारी मतों से जीत दर्ज की। इसके बाद साल 2022 में एक बार फिर बाबूराम पासवान पर भाजपा ने दांव लगाया। इस बार भी बाबूराम पासवान चुनाव जीत गए। बाबा को SIT से क्लीनचिट मिल चुकी है- वकील बता दें, गुरुवार को लखनऊ में भोले बाबा ने सत्संग में शामिल 1100 लोगों का एक एफिडेविट आयोग को सौंपा है। भोले बाबा के वकील एपी सिंह ने कहा- घटना में बाबा का कोई इनवॉल्वमेंट न पहले था, न ही आज और न भविष्य में रहेगा। उन्हें SIT से क्लीनचिट मिल चुकी है। न्यायिक जांच आयोग ने भी क्लीन चिट दी है। भविष्य में उन्हें पूछताछ के लिए न बुलाने का आश्वासन दिया है। ये खबर भी पढ़ेंः- भोले बाबा से न्यायिक आयोग ने 2.15 घंटे की पूछताछ:भाजपा विधायक के साथ फॉर्च्यूनर से पहुंचा, वकील बोला- हाथरस भगदड़ में क्लीनचिट मिली हाथरस भगदड़ के 3 महीने बाद भोले बाबा उर्फ सूरजपाल न्यायिक आयोग के सामने पेश हुआ। गुरुवार को लखनऊ में बंद कमरे में 2.15 घंटे पूछताछ हुई। हाथरस भगदड़ को लेकर सवाल पूछे गए। भोले बाबा ने सत्संग में शामिल 1100 लोगों का एक एफिडेविट आयोग को सौंपा। भोले बाबा पीलीभीत से भाजपा विधायक बाबूराम पासवान के साथ फॉर्च्यूनर से न्यायिक आयोग के ऑफिस पहुंचा। इस दौरान ऑफिस के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही। पढ़ें पूरी खबर… ये खबर भी पढ़ेंः- हाथरस में सत्संग के बाद भगदड़, 122 की मौत:भास्कर रिपोर्टर ने अस्पताल के बाहर लाशें गिनीं; 22 आयोजकों पर FIR, बाबा फरार उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के बाद भगदड़ मच गई। कुचलने से 122 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं हैं। कई लोगों की हालत गंभीर है। ऐसे में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। हादसा हाथरस जिले से 47 किमी दूर फुलरई गांव में मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे हुआ। हादसे के बाद अस्पतालों में हालात भयावह हो गए। लाशों और घायलों को बस और टैंपो में भरकर सिकंदराराऊ CHC और एटा जिला अस्पताल, अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज भेजा गया। CHC के बाहर शव जमीन पर इधर-उधर बिखरे पड़े थे। भास्कर ने डॉक्टर से पूछा तो वह मौत का आंकड़ा नहीं बता पाए। इसके बाद दैनिक भास्कर रिपोर्टर मनोज महेश्वरी ने सिकंदराराऊ CHC के बाहर एक-एक करके लाशों को गिना। यहां 95 लाशें जमीन पर पड़ी थीं। पढ़ें पूरी खबर… भोले बाबा उर्फ सूरजपाल गुरुवार को लखनऊ में न्यायिक आयोग के सामने पेश हुआ। उसके साथ भाजपा के पीलीभीत से विधायक बाबूराम पासवान भी थे। वो पूछताछ के दौरान भी बाबा के साथ रहे। बाबा और भाजपा विधायक के बीच कनेक्शन की दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। जिसमें पता चला- भोले बाबा से विधायक का आध्यात्मिक संबंध है, राजनीतिक नहीं। विधायक बाबूराम अपने हर चुनाव से पहले बाबा का सत्संग करवाते हैं। सत्संग को अपनी जीत का मंत्र बताते हैं। बाबा से उनका 7 साल पुराना संबंध है। बाबा में उनको श्री कृष्ण दिखते हैं विधायक बाबूराम पासवान के राजनीतिक गुरु का कहना है, भोले बाबा के लिए विधायक पासवान कुछ भी कर सकता है। बाबूराम भोले बाबा के सबसे करीबी भक्तों में गिने जाते हैं। विधायक अपने समर्थकों से कहते हैं कि उन्हें भोले बाबा में श्री कृष्ण दिखते हैं। लगता है, भोले बाबा के सिर के पीछे चक्र घूम रहा है। खबर में आगे बढ़ने से पहले जानिए पूरा मामला- 3 जुलाई 2024 को हाथरस में भोले बाबा का सत्संग हुआ, ऐसा बताया गया है कि सत्संग के बाद बाबा के पैरों की धूल लेने के लिए अचानक से भीड़ दौड़ पड़ी। जिसके बाद भगदड़ मची और 121 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे के 3 महीने बाद भोले बाबा उर्फ सूरजपाल न्यायिक आयोग के सामने पेश होने के लिए लखनऊ पहुंचा। बाबा के पीछे-पीछे चल रहे थे बीजेपी विधायक बाबा के साथ पीलीभीत से भाजपा विधायक बाबूराम पासवान भी न्यायिक आयोग पहुंचे। फॉर्च्यूनर गाड़ी भी भाजपा विधायक की थी। न्यायिक आयोग पहुंचने पर विधायक बाबा के पीछे-पीछे चल रहे थे। उन्हीं के साथ ऑफिस के अंदर चले गए। उसके बाद 2:15 घंटे चली पूछताछ के बाद बाबा और भाजपा विधायक साथ में वापस चले गए। किसी भाजपा नेता का बाबा के साथ होना कई सवाल खड़े कर रहा है। जानते हैं बाबा और भाजपा विधायक में क्या है कनेक्शन- पीलीभीत जिले की पूरनपुर विधानसभा सीट से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर विधायक बने बाबूराम पासवान और भोले बाबा के बीच गहरे संबंध हैं। दोनों को लखनऊ में साथ देखकर गुरुवार को इस रिश्ते पर मोहर भी लग गई। बाबूराम पासवान का राजनीतिक सफर भोले बाबा के सत्संगों से जुड़ा हुआ है, जिससे उन्हें काफी फायदा पहुंचा है। बाबा के सत्संग ने विधायक की राजनीति करियर को नया मोड़ दिया सूत्रों के अनुसार, विधायक बाबूराम पासवान बाबा को काफी समय से जानते हैं। अपना पहला चुनाव हार गए थे लेकिन जब वो 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे थे, तब उन्होंने भोले बाबा का एक बड़ा सत्संग आयोजित किया था। इस सत्संग में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी थी। इसे बाबूराम पासवान की चुनावी रणनीति का हिस्सा माना गया था। बाबा के इस सत्संग ने उनकी राजनीतिक करियर को नया मोड़ दिया था और चुनाव में उनकी जीत का रास्ता साफ किया। इस चुनाव में वो भारी मतों से जीते थे। विधायक हर चुनाव से पहले करवाते हैं बाबा का सत्संग ऐसा कहा जाता है कि पूरनपुर विधायक बाबूराम पासवान हर चुनाव से पहले भोले बाबा के सत्संग का आयोजन करते हैं। इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। बाबा खुद सत्संग को संबोधित करते हैं। कहा जाता है कि बाबूराम पासवान इसे अपनी चुनावी जीत का मंत्र मानते हैं। इसी से उनका वोट बैंक मजबूत होता है। भोले बाबा और बाबूराम पासवान के बीच संबंध इतने गहरे हैं कि बाबा कई बार विधायक के आवास पर भी ठहरने के लिए आते हैं। सूत्र बताते हैं कि हाथरस में हुई भगदड़ की घटना के बाद भी भोले बाबा लगातार बाबूराम पासवान के संपर्क में थे। हालांकि इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। जानिए कौन है भोले बाबा? कासगंज के कांशीराम नगर के पटियाली गांव में रहने वाले भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। वह उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुए थे। 18 साल नौकरी के बाद उसने VRS ले लिया था। घर लौटने के बाद वह अपने गांव में ही झोपड़ी बनाकर रहने लगे थे। नौकरी छोड़ने के कुछ दिन बाद ईश्वर से साक्षातकार का दावा करते हुए उन्होंने खुद को स्वयंभू संत घोषित कर दिया। कुछ ही दिनों में उसके चाहने वालों की लाइन लग गई। बाबा का विवादों से भी पुराना नाता है। पहले कांग्रेस फिर भाजपा में शामिल हुए विधायक बाबूराम पासवान भाजपा विधायक बाबूराम पासवान मूल रूप से पूरनपुर विधानसभा क्षेत्र के उदराहा गांव के रहने वाले हैं। साल 1990 में बाबूराम पासवान ने कांग्रेस के साथ राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। कांग्रेस में रहते हुए बाबूराम पासवान जिला पंचायत सदस्य और कोआपरेटिव सोसाइटी के डायरेक्टर रहे। साल 2012 में बाबूराम पासवान ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। पहली बार भाजपा से चुनाव लड़ते समय बाबूराम पासवान को हार का सामना करना पड़ा। समाजवादी पार्टी के नेता पीतमराम ने उन्हें हरा दिया। लेकिन साल 2017 में भाजपा ने दुबारा बाबूराम पासवान को टिकट दिया। इस बार बाबूराम पासवान ने भारी मतों से जीत दर्ज की। इसके बाद साल 2022 में एक बार फिर बाबूराम पासवान पर भाजपा ने दांव लगाया। इस बार भी बाबूराम पासवान चुनाव जीत गए। बाबा को SIT से क्लीनचिट मिल चुकी है- वकील बता दें, गुरुवार को लखनऊ में भोले बाबा ने सत्संग में शामिल 1100 लोगों का एक एफिडेविट आयोग को सौंपा है। भोले बाबा के वकील एपी सिंह ने कहा- घटना में बाबा का कोई इनवॉल्वमेंट न पहले था, न ही आज और न भविष्य में रहेगा। उन्हें SIT से क्लीनचिट मिल चुकी है। न्यायिक जांच आयोग ने भी क्लीन चिट दी है। भविष्य में उन्हें पूछताछ के लिए न बुलाने का आश्वासन दिया है। ये खबर भी पढ़ेंः- भोले बाबा से न्यायिक आयोग ने 2.15 घंटे की पूछताछ:भाजपा विधायक के साथ फॉर्च्यूनर से पहुंचा, वकील बोला- हाथरस भगदड़ में क्लीनचिट मिली हाथरस भगदड़ के 3 महीने बाद भोले बाबा उर्फ सूरजपाल न्यायिक आयोग के सामने पेश हुआ। गुरुवार को लखनऊ में बंद कमरे में 2.15 घंटे पूछताछ हुई। हाथरस भगदड़ को लेकर सवाल पूछे गए। भोले बाबा ने सत्संग में शामिल 1100 लोगों का एक एफिडेविट आयोग को सौंपा। भोले बाबा पीलीभीत से भाजपा विधायक बाबूराम पासवान के साथ फॉर्च्यूनर से न्यायिक आयोग के ऑफिस पहुंचा। इस दौरान ऑफिस के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही। पढ़ें पूरी खबर… ये खबर भी पढ़ेंः- हाथरस में सत्संग के बाद भगदड़, 122 की मौत:भास्कर रिपोर्टर ने अस्पताल के बाहर लाशें गिनीं; 22 आयोजकों पर FIR, बाबा फरार उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के बाद भगदड़ मच गई। कुचलने से 122 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं हैं। कई लोगों की हालत गंभीर है। ऐसे में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। हादसा हाथरस जिले से 47 किमी दूर फुलरई गांव में मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे हुआ। हादसे के बाद अस्पतालों में हालात भयावह हो गए। लाशों और घायलों को बस और टैंपो में भरकर सिकंदराराऊ CHC और एटा जिला अस्पताल, अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज भेजा गया। CHC के बाहर शव जमीन पर इधर-उधर बिखरे पड़े थे। भास्कर ने डॉक्टर से पूछा तो वह मौत का आंकड़ा नहीं बता पाए। इसके बाद दैनिक भास्कर रिपोर्टर मनोज महेश्वरी ने सिकंदराराऊ CHC के बाहर एक-एक करके लाशों को गिना। यहां 95 लाशें जमीन पर पड़ी थीं। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
जम्मू-कश्मीर में शुरू होगी मंत्रिमंडल की लड़ाई? उमर अब्दुल्ला ने बताया- शपथ ग्रहण में लगेगा समय
जम्मू-कश्मीर में शुरू होगी मंत्रिमंडल की लड़ाई? उमर अब्दुल्ला ने बताया- शपथ ग्रहण में लगेगा समय <p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir Politics News:</strong> जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और उमर अब्दुल्ला ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह को लेकर सस्पेंस अभी भी बरकरार है. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा, “सरकार गठन में दो-तीन दिन का समय लगेगा. यह एक लंबी प्रक्रिया होगी, क्योंकि यहां केंद्र का शासन है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, “उपराज्यपाल पहले राष्ट्रपति भवन और फिर गृह मंत्रालय को दस्तावेज भेजेंगे. हमें बताया गया है कि इसमें दो से तीन दिन का समय लगेगा, इसलिए अगर यह मंगलवार से पहले होता है, तो हम बुधवार को शपथ ग्रहण समारोह करेंगे.” हालांकि, गठबंधन सहयोगियों के बीच मंत्रिमंडल का बंटवारा और साझा कार्यक्रम अभी तय होना बाकी है. गठबंधन में शामिल कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और सीपीआईएम की अब तक कोई संयुक्त बैठक नहीं हुई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कांग्रेस ने क्या कहा?</strong><br />वहीं चार निर्दलीय और आप उम्मीदवार के शामिल होने से मंत्रिमंडल में जगह के लिए भी लड़ाई शुरू हो सकती है. इस बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने समर्थन पत्र सौंपने के बाद कहा, “कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर कोई दबाव नहीं डाला है और कैबिनेट पदों की संख्या कोई मुद्दा नहीं है.” हालांकि, क्रेरी से पार्टी विधायक इरफान हाफिज ने अकेले ही कैबिनेट में अधिक पदों के लिए दावा पेश करते हुए कहा, “गठबंधन बीजेपी को दूर रखने के लिए किया गया था और जीती गई सीटों की संख्या के आधार पर नहीं गिना जाएगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री के अलावा सिर्फ नौ मंत्री हो सकते हैं. जबकि कांग्रेस द्वारा दो कैबिनेट पद और स्पीकर के पद की मांग के साथ बातचीत कठिन हो सकती है. सूत्रों का कहना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने स्पीकर और एक कैबिनेट मंत्री का पद कांग्रेस को देने पर सहमति जताई है, जबकि वह जम्मू क्षेत्र से कम से कम एक निर्दलीय को भी शामिल करना चाहती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें अब तक मंत्रियों की संभावित सूची में नेशनल कॉन्फ्रेंस से अब्दुल रहीम राथर, अली मोहम्मद सागर, डॉ बशीर वीरी और सुरेंद्र चौधरी और कांग्रेस से तारिक हमीद कर्रा और गुलाम अहमद मीर शामिल हैं. सीपीआईएम मोहम्मद यूसुफ तारिगामी और एक निर्दलीय भी मैदान में हैं, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार का चयन करना भी एक मुश्किल काम हैय</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>निर्दलीय विधायकों में कौन-कौन?</strong><br />नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा जीती गई 42 सीटों में से केवल दो हिंदू चेहरे हैं, जिसमें नौशेरा सीट से सुरिंदर चौधरी और रामबन सीट से अर्जुन सिंह राजू हैं. वहीं कांग्रेस के सभी हिंदू उम्मीदवार हार गए. वहीं जम्मू क्षेत्र से जीत पांच निर्दलीय उम्मीदवारों में सतीश शर्मा (छंब), डॉ. रोमेश्वर सिंह (बनी), प्यारे लाल शर्मा (इंदरवाल), चौधरी मोहम्मद अकरम (सूरनकोट) और मुजफ्फर खान (थन्नामंडी) का नाम शामिल है.</p>
<div id=”article-hstick-inner” class=”abp-story-detail “>
<p><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
<p><strong><a title=”दिल्ली जैसा CM-LG का झगड़ा श्रीनगर में भी होगा? उमर अब्दुल्ला ने साफ की तस्वीर” href=”https://www.abplive.com/states/jammu-and-kashmir/jammu-kashmir-assembly-election-results-2024-national-conference-omar-abdullah-statement-over-fight-with-cm-and-lg-2801139″ target=”_self”>दिल्ली जैसा CM-LG का झगड़ा श्रीनगर में भी होगा? उमर अब्दुल्ला ने साफ की तस्वीर</a></strong></p>
</div>
फरीदाबाद में गंदे पानी से निकलने को मजबूर लोग:3-3 मंत्री होने के बावजूद विकास नहीं, अंतिम संस्कार में भी परेशानी
फरीदाबाद में गंदे पानी से निकलने को मजबूर लोग:3-3 मंत्री होने के बावजूद विकास नहीं, अंतिम संस्कार में भी परेशानी हरियाणा के फरीदाबाद जिले से एक शर्मनाक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस वीडियो में गहरे गंदे पानी से होकर लोग कंधे पर शव रखकर गुजरते दिखाई दे रहे है। यह वीडियो फरीदाबाद के नवादा गांव की है। जो एनआईटी 86 विधानसभा में आता है। फिलहाल इस विधानसभा से कांग्रेस के विधायक नीरज शर्मा मौजूदा विधायक हैं। जिले में 3-3 मंत्री होने के बाद भी ये हालात है। गंदे पानी से निकलने को मजबूर है लोग इसी गांव के रहने वाले चौधरी महेंद्र प्रताप भी पूर्व की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके है और पूर्व में इनेलो की टिकट चुनाव जीतकर बीजेपी का दामन थामने वाले नागेंद्र भड़ाना भी इसी गांव से आते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी कहा जाता है। लेकिन फरीदाबाद में एक नहीं 3-3 मंत्री होने के बावजूद भी इस फरीदाबाद का यह हाल है। जिसके चलते फरीदाबाद नर्क सिटी बन चुका है। जहां पर लोगों को आज भी गहरे गंदे पानी में शव कंधे पर रखकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ता है। जिले में 3-3 मंत्री होने पर नहीं है विकास तीनों मंत्रियों की बात की जाए तो केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर फरीदाबाद के एमपी और केंद्र सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। वहीं हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा जो बल्लभ विधानसभा से आते हैं, वह भी मौजूदा मंत्री हैं और बड़खल विधानसभा में रहने वाली सीमा त्रिखा भी हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री हैं। जरा सोचिए की 3-3 मंत्रियों के होने के बावजूद आज भी नवादा गांव में ना केवल दलितों को बल्कि विशेष समुदाय के लोगों को इसी पानी से गुजरना पड़ता है। फिलहाल सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस वीडियो को जिसने भी देखा उसने फरीदाबाद में 3-3 मंत्रियों के होने के बावजूद ऐसे हालत होने की कड़ी निन्दा की । 26 जुलाई का है वीडियो बता दें की बीते 26 जुलाई को नवादा गांव के ही रहने वाले लगभग 29 वर्षीय एक युवक को पड़ोस में वाशिंग मशीन ठीक करते समय करंट लग गया था। जिसके चलते उसकी मौत हो गई थी। यह तस्वीर उसी मृतक जितेंद्र के अंतिम संस्कार के लिए ले जाते वक्त की है जब लोगों को जितेंद्र के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाते समय गहरे गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ा था।
यूपी में हिंदू-मुस्लिम आबादी का गणित:भाजपा से ‘तुम्हारा राज खत्म हो जाएगा’ कहने वाले सपा विधायक का दावा सच के कितना करीब?
यूपी में हिंदू-मुस्लिम आबादी का गणित:भाजपा से ‘तुम्हारा राज खत्म हो जाएगा’ कहने वाले सपा विधायक का दावा सच के कितना करीब? ‘मुस्लिम आबादी बढ़ गई है। तुम्हारा (भाजपा का) राज खत्म हो जाएगा। मुगलों ने देश में 800 साल राज किया। जब वो नहीं रहे, तो तुम क्या रहोगे? 2027 में तुम जाओगे जरूर, हम आएंगे जरूर।’ ये बयान अमरोहा से सपा विधायक महबूब अली ने 29 सितंबर को बिजनौर में दिया। महबूब अली के इस बयान ने ऐसा तूल पकड़ा कि अगले ही दिन बिजनौर पुलिस ने संज्ञान लिया। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। सपा विधायक के बयान के बाद ये बहस तेज हो गई है कि क्या सचमुच मुस्लिम आबादी बढ़ गई? विधायक के दावे का सच क्या है? बीते कुछ साल में कितनी मुस्लिम आबादी बढ़ी? मुस्लिम और बाकी धर्मों की प्रजनन दर की स्थिति क्या है? भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए इन सवालों के जवाब- सबसे पहले भारत की कुल आबादी की स्थिति जानिए
भारत को 1947 में आजादी मिलने के बाद से अब तक कुल आबादी तीन गुना बढ़ चुकी है। 1947 में आजादी और विभाजन के बाद 1951 में हुई जनगणना के मुताबिक यह 36.1 करोड़ थी। इसके बाद आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई। इसके मुताबिक देश की आबादी करीब 120 करोड़ थी। चूंकि 2011 के बाद 2021 की जनगणना अब तक नहीं हो पाई है तो यह आंकड़े 13 साल पुराने हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की भारत की जनसंख्या को लेकर रिपोर्ट की मानें तो हर महीने 10 लाख की आबादी बढ़ रही है। साल 2023 में यूनाइटेड नेशंस बाकायदा इस बात की तस्दीक कर चुका है कि भारत अब दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। देश ने यह ओहदा चीन की जनसंख्या को पछाड़कर हासिल किया है। जनसंख्या में मुस्लिमों की क्या स्थिति है?
2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में मुस्लिमों की आबादी कुल जनसंख्या का 14.2% है। संख्या में 17.2 करोड़ मुस्लिम हैं। इसके बाद हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की जनसंख्या देश में 79.8% है। संख्या के हिसाब से कुल 96.6 करोड़ हिंदू देश में रहते हैं। जनसंख्या में इतने बड़े अंतर के बावजूद हिंदुओं के बाद देश में दूसरे नंबर पर मुस्लिमों की आबादी है। इन दोनों धर्मों के अलावा भारत में बाकी जितने धर्म हैं, उनकी आबादी कुल जनसंख्या के 1 फीसदी से भी कम है। इसमें सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और दूसरे धर्म शामिल हैं। आजादी के बाद से मुस्लिमों की जनसंख्या की बात करें तो 1951 की जनगणना के मुताबिक 3.5 करोड़ थी। 2011 की जनगणना के मुताबिक अब यह बढ़कर 17.2 करोड़ हो चुकी है। पीएम की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल की अल्पसंख्यकों को लेकर एक रिपोर्ट के मुताबिक 1950 से 2015 के बीच देश में मुस्लिम आबादी 43.15% बढ़ चुकी है। यूपी में मुस्लिम आबादी को लेकर जनगणना के आंकड़े क्या कहते हैं?
2001 की जनगणना के मुताबिक यूपी में 80.61% हिंदू आबादी और 18.50% मुस्लिम आबादी थी। दस साल बाद 2011 की जनगणना हुई। इसके मुताबिक प्रदेश में हिंदू आबादी 79.73% हो गई , जबकि मुस्लिम 19.26% हो गई। इस तरह 2001 से 2011 के 10 सालों में प्रदेश में हिंदुओं की आबादी 1.4% घट गई। वहीं, इस बीच राज्य में मुस्लिमों की आबादी 4.1% बढ़ी। संख्या में बात करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की कुल आबादी 19.98 करोड़ है। इनमें करीब 15.9 करोड़ हिंदू हैं और 3.84 करोड़ मुस्लिम हैं। जनगणना विभाग की मानें तो उत्तर प्रदेश के 57 जिलों में हिंदुओं की आबादी मुस्लिमों के मुकाबले धीमी गति से बढ़ रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यूपी के मुजफ्फरनगर में हिंदू आबादी 3.20% घट गई, जबकि मुस्लिम आबादी 3.22 फीसदी बढ़ गई। बिजनौर, कैराना, रामपुर और मुरादाबाद जैसे जिलों में यही ट्रेंड देखने को मिला। मुस्लिम आबादी को लेकर प्रजनन दर के आंकड़े क्या कहते हैं?
आबादी बढ़ी है या घटी, ये जानने के लिए प्रजनन दर यानी जन्म दर मापदंड है। जनसंख्या घट रही है या बढ़ रही है, ये जानने के लिए प्रजनन दर बढ़ रहा है या घट रहा है, ये देखा जाता है। सवाल उठता है कि प्रजनन दर है क्या? तो जवाब है 15 से 49 साल तक की प्रति एक हजार महिलाओं पर जीवित बच्चों की संख्या। साल 2019-21 की राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे यानी NFHS रिपोर्ट से पता चलता है कि मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर 2.66 है। 2015-16 में यह 3.10 थी। रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुओं की प्रजनन दर 2019-20 में 2.29 है, जबकि 2015-16 में 2.67 थी। 2019-20 की रिपोर्ट के मुताबिक सिखों की प्रजनन दर 1.45 और अन्य की 2.83 हो गई। यानी हिंदू और मुस्लिम दोनों की प्रजनन दर घट रही है। दरअसल NFSH के तहत सरकार जनसंख्या, परिवार नियोजन, बाल और मातृत्व स्वास्थ्य, पोषण, वयस्क स्वास्थ्य और घरेलू हिंसा आदि के आंकड़े जुटाती है। इसी में जन्म दर की स्थिति का भी सर्वे किया जाता है। इससे पता चलता है कि किस दर से आबादी बढ़ या घट रही है? यूपी पुलिस का दावा- नेपाल से सटे जिलों में मुस्लिम आबादी बढ़ी
साल 2022 में गृह मंत्रालय को यूपी पुलिस ने एक रिपोर्ट भेजी थी। इसमें यूपी पुलिस ने नेपाल से सटे प्रदेश के जिलों में बढ़ती मुस्लिम आबादी को लेकर चिंता जाहिर की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल बॉर्डर से लगे 7 जिलों में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है। ये जिले पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, महराजगंज, सिद्धार्थ नगर, श्रावस्ती और बहराइच हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि यहां 10 साल में बॉर्डर से सटे 1047 गांव में मुस्लिम आबादी 50 से 32% तक बढ़ गई है। पिछले 4 साल में इन गांवों में मस्जिदों और मदरसों की संख्या 25% तक बढ़ गई है। जहां पहले इनकी संख्या 1349 थी, वहीं अब ये बढ़कर 1688 हो चुके हैं। पुलिस ने रिपोर्ट में इस बढ़ते ग्राफ के पीछे घुसपैठ को वजह बताया। राजनीतिक लिहाज से राज्य में मुस्लिम आबादी की स्थिति
यूपी में 403 विधानसभा सीटें हैं। लोकसभा सीटें 80 हैं। सियासी नजरिए से मुस्लिमों की भागीदारी की बात की जाए तो जनप्रतिनिधि चुनने में इनका रोल अहम है। यानी किसी कैंडिडेट की जीत-हार में इनकी आबादी अहम भूमिका निभाती है। यूपी के करीब 15 जिलों में इनकी आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है। लेकिन प्रतिनिधित्व की जब बात आती है, तो इनकी संख्या कम है। 2007 की मायावती की सरकार से योगी 2.0 पर नजर डालें तो पता चलता है कि हर विधानसभा चुनाव में इनके विधायक घटते चले गए। योगी सरकार के पहले कार्यकाल यानी 2017 में सिर्फ 24 मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे। यह यूपी के राजनीतिक इतिहास में मुस्लिमों का विधानसभा में सबसे कम संख्या है। इससे पहले 1993 में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौर में सबसे कम मुस्लिम विधानसभा पहुंचे थे। तब भी उनकी संख्या 2017 से एक ज्यादा 25 थी। क्यों राज्य में राजनीति के केंद्र में रहती है मुस्लिम आबादी?
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम आबादी की अहम भूमिका होती है। यही वजह है कि राज्य में इन्हें लेकर वोट बैंक की राजनीति होती है। वही राजनीति जिसमें मुस्लिम धर्म की आबादी, मतदाताओं में बदल जाती है। इन्हें रिझाना राजनीतिक पार्टियों का धर्म बन जाता है। इसे कुछ आंकड़ों में समझिए। राज्य की कुल 403 में से 143 सीटों पर 20% से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। 30 सीटों पर 40% से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। 43 सीटों पर 30 से 40% मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं, 70 सीटों पर 20 से 30% मुस्लिम मतदाता हैं। राज्य में बसपा और सपा की राजनीति में मुस्लिमों का केंद्र में होना कोई नहीं बात नहीं है। सपा पर MY यानी मुस्लिम यादव के वोट के बल पर सत्ता में आने का गणित कोई छुपी बात नहीं है। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा का PDA यानी पिछड़े, अल्पसंख्यक और दलित का फॉर्मूला कौन भूल सकता है। यहां सपा के अल्पसंख्यक का मतलब सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम वोट है। बसपा भी अपने 2007 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए खुद को मुस्लिमों का हितैषी साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ती है। देश में मुस्लिम आबादी की क्या स्थिति है?
भारत में मुस्लिम आबादी करीब 20 करोड़ है। यानी देश की आबादी का करीब 14.2 फीसदी। 2011 की जनगणना के मुताबिक 10 साल में मुस्लिम आबादी करीब 24.6 फीसदी बढ़ी है। जबकि हिंदू आबादी करीब 16.8 फीसदी ही बढ़ी है। जम्मू कश्मीर में 68 फीसदी आबादी मुस्लिम है। असम में 34.22 फीसदी मुस्लिम हैं। पश्चिम बंगाल में 27.01, केरल में 26.56, यूपी में 19.26 और बिहार में 16.9 फीसदी मुस्लिम आबादी है। ये भी पढ़ें… उत्तर प्रदेश उपचुनाव के लिए सपा के 6 कैंडिडेट्स घोषित, इनमें से दो सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी थी हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के अगले ही दिन I.N.D.I.A. ब्लॉक में कांग्रेस की सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के लिए 6 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। इनमें वे दो सीटें भी शामिल हैं जिन पर कांग्रेस दावेदारी कर रही थी। उत्तर प्रदेश में कुल 10 सीटों पर उपचुनाव होना है। इनमें से पांच पर कांग्रेस की दावेदारी थी। पढ़ें पूरी खबर…