हिमाचल प्रदेश के छराबड़ा स्थित राष्ट्रपति निवास ‘द रिट्रीट’ में इन दिनों जीर्णोद्वार कार्य चल रहा है। शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवर ने जीर्णोद्वार कार्य पर आपत्ति जताई है और इसकी शिकायत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की है। टिकेंद्र ने राष्ट्रपति के लिए एक पत्र और कुछ फोटो राष्ट्रपति को भेजे हैं, इसमें कहा कि ‘द रिट्रीट’ में जो जीर्णोद्वार का काम चल रहा है, उसे देखकर निराश है। उन्होंने कहा कि रिट्रीट के मुख्य द्वार के पास स्टील का स्ट्रक्चर खड़ा किया जा रहा है, यह परेशान करने वाला है। उन्होंने कहा कि 185 वर्ष पहले लड़की व पत्थर से बने रिट्रीट की ऐतिहासिक इमारत के साथ स्टील का स्ट्रक्चर खड़ा करना इसके सौंदर्य व सद्भाव को बाधित करेगा। इससे रिट्रीट का ऐतिहासिक महत्व भी कम होगा और पर्यावरण को भी नुकसान करने वाला है। आंतरिक जीर्णोद्धार कार्य पर भी सवाल उठाए टिकेंद्र ने आगे लिखा की रिट्रीट के अंदर भी आंतरिक जीर्णोद्धार कार्य में भी हेरिटेज मानकों का पालन नहीं किया गया। पारंपरिक लकड़ी की पॉलिश के बजाय सफेद रंग का उपयोग इमारत के आंतरिक चरित्र को कमजोर करता है। यह स्पष्ट है कि जीर्णोद्धार प्रयासों में शायद एक विरासत वास्तुकार (हेरिटेज आर्किटेक्ट) को शामिल नहीं किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे निर्णय लिए गए हैं। ऐतिहासिक स्थल में जीर्णोद्वार कार्य पर पुनर्विचार करें: टिकेंद्र पूर्व डिप्टी मेयर ने इस ऐतिहासिक रिट्रीट को जनता के लिए खोलने के निर्णय का स्वागत किया, लेकिन रिट्रीट में चल रहे जीर्णोद्वार कार्य पर पुनर्विचार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि द रिट्रीट को इसकी वास्तुकला विरासत, ऐतिहासिक मूल्य और पारिस्थितिक अखंडता के लिए उचित सम्मान के साथ संरक्षित किया जाए। हिमाचल प्रदेश के छराबड़ा स्थित राष्ट्रपति निवास ‘द रिट्रीट’ में इन दिनों जीर्णोद्वार कार्य चल रहा है। शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवर ने जीर्णोद्वार कार्य पर आपत्ति जताई है और इसकी शिकायत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की है। टिकेंद्र ने राष्ट्रपति के लिए एक पत्र और कुछ फोटो राष्ट्रपति को भेजे हैं, इसमें कहा कि ‘द रिट्रीट’ में जो जीर्णोद्वार का काम चल रहा है, उसे देखकर निराश है। उन्होंने कहा कि रिट्रीट के मुख्य द्वार के पास स्टील का स्ट्रक्चर खड़ा किया जा रहा है, यह परेशान करने वाला है। उन्होंने कहा कि 185 वर्ष पहले लड़की व पत्थर से बने रिट्रीट की ऐतिहासिक इमारत के साथ स्टील का स्ट्रक्चर खड़ा करना इसके सौंदर्य व सद्भाव को बाधित करेगा। इससे रिट्रीट का ऐतिहासिक महत्व भी कम होगा और पर्यावरण को भी नुकसान करने वाला है। आंतरिक जीर्णोद्धार कार्य पर भी सवाल उठाए टिकेंद्र ने आगे लिखा की रिट्रीट के अंदर भी आंतरिक जीर्णोद्धार कार्य में भी हेरिटेज मानकों का पालन नहीं किया गया। पारंपरिक लकड़ी की पॉलिश के बजाय सफेद रंग का उपयोग इमारत के आंतरिक चरित्र को कमजोर करता है। यह स्पष्ट है कि जीर्णोद्धार प्रयासों में शायद एक विरासत वास्तुकार (हेरिटेज आर्किटेक्ट) को शामिल नहीं किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे निर्णय लिए गए हैं। ऐतिहासिक स्थल में जीर्णोद्वार कार्य पर पुनर्विचार करें: टिकेंद्र पूर्व डिप्टी मेयर ने इस ऐतिहासिक रिट्रीट को जनता के लिए खोलने के निर्णय का स्वागत किया, लेकिन रिट्रीट में चल रहे जीर्णोद्वार कार्य पर पुनर्विचार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि द रिट्रीट को इसकी वास्तुकला विरासत, ऐतिहासिक मूल्य और पारिस्थितिक अखंडता के लिए उचित सम्मान के साथ संरक्षित किया जाए। हिमाचल | दैनिक भास्कर
