लुधियाना की ईश्वर कॉलोनी में जागो समारोह के दौरान दो पक्षों में विवाद हो गया। विवाद के बाद एक पक्ष के युवकों ने दूसरे पक्ष पर फायरिंग कर दी। हमले में एक युवक घायल हो गया। उसे तुरंत सिविल अस्पताल लाया गया, जहां उसके हाथ में गोली लगने के कारण उसे भर्ती कर लिया गया। घायल युवक की पहचान गुरु अंगद कॉलोनी निवासी 26 वर्षीय बलविंदर सिंह के रूप में हुई। अस्पताल में उपचाराधीन बलविंदर सिंह ने बताया कि वह कारपेंटर का काम करता है। वह अपने एक गरीब दोस्त के घर जागो समारोह में शामिल होने गया था, जहां समारोह में आए दो अन्य युवकों से किसी बात को लेकर उसकी कहासुनी हो गई। समारोह के बाद भगदड़ विवाद के बाद एक युवक ने उस पर गोली चला दी। हमले में बलविंदर सिंह गंभीर रूप से घायल होकर गिर पड़ा। फायरिंग के बाद समारोह में भगदड़ मच गई। घायल युवक को समारोह में आए लोगों ने तुरंत सिविल अस्पताल पहुंचाया। वहां उसे भर्ती कराया गया और सदर थाने की पुलिस को घटना की जानकारी दी गई। फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। लुधियाना की ईश्वर कॉलोनी में जागो समारोह के दौरान दो पक्षों में विवाद हो गया। विवाद के बाद एक पक्ष के युवकों ने दूसरे पक्ष पर फायरिंग कर दी। हमले में एक युवक घायल हो गया। उसे तुरंत सिविल अस्पताल लाया गया, जहां उसके हाथ में गोली लगने के कारण उसे भर्ती कर लिया गया। घायल युवक की पहचान गुरु अंगद कॉलोनी निवासी 26 वर्षीय बलविंदर सिंह के रूप में हुई। अस्पताल में उपचाराधीन बलविंदर सिंह ने बताया कि वह कारपेंटर का काम करता है। वह अपने एक गरीब दोस्त के घर जागो समारोह में शामिल होने गया था, जहां समारोह में आए दो अन्य युवकों से किसी बात को लेकर उसकी कहासुनी हो गई। समारोह के बाद भगदड़ विवाद के बाद एक युवक ने उस पर गोली चला दी। हमले में बलविंदर सिंह गंभीर रूप से घायल होकर गिर पड़ा। फायरिंग के बाद समारोह में भगदड़ मच गई। घायल युवक को समारोह में आए लोगों ने तुरंत सिविल अस्पताल पहुंचाया। वहां उसे भर्ती कराया गया और सदर थाने की पुलिस को घटना की जानकारी दी गई। फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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अयोध्या राम मंदिर के स्थापना दिवस की पहली वर्षगांठ पर शहर के मंदिरों में धार्मिक समारोह भास्कर न्यूज | अमृतसर अयोध्या राम मंदिर के स्थापना दिवस की पहली वर्षगांठ पर शहर के कई मंदिरों में धार्मिक समारोह का आयोजन किया गए। वहीं दुर्ग्याणा तीर्थ में कमेटी की तरफ से पालकी यात्रा निकाली गई। मुख्य श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में शाम 6 बजे निकाली पालकी यात्रा सरोवर किनारे सारे मंदिरों में पहुंची। मंदिर के मुख्य पुजारी ओम प्रकाश की ओर से अन्य पंडितों को साथ लेकर प्रभु श्री राम जी की पालकी फूलों से सजाई। शाम की आरती के बाद प्रभु राम जी की प्रतिमा को पालकी में विराजमान करके यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में दुर्ग्याणा कमेटी के महासचिव अरुण खन्ना और संकीर्तन चेयरमैन संजीव खन्ना समेत कई पदाधिकारी शामिल हुए। भगवान श्री राम के जयकारों के साथ ही श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर से पालकी यात्रा शुरू की गई। बैंड बाजे के साथ शुरू की पालकी यात्रा के पीछे भक्तजन संकीर्तन करते चल रहे थे। मंदिर से शुरू होकर पालकी यात्रा श्री सत्यनारायण मंदिर, शनिदेव मंदिर, गोस्वामी तुलसीदास मंदिर से वेदकथा भवन पहुंची। पालकी यात्रा जिन मंदिरों में पहुंची वहां के पुजारियों ने भगवान पर फूलों की वर्षा करके स्वागत करके आरती उतारी। वहीं उन्हें फलों और मिष्ठान का भोग लगाया। यात्रा में श्री लक्ष्मी नारायण संकीर्तन मंडल, गोस्वामी तुलसीदास पारिकर, वेदकथा परिकर समेत भजन मंडलियों ने प्रभु का गुणगान किया। उन्होंने ‘राम जी की निकली सवारी राम जी की लीला न्यारी’ भजन गाया तो सारा मंदिर भजनों से गुंज उठा। अंत में पालकी यात्रा श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में पहुंचकर समाप्त हुई। वहीं मंदिर में आशा खत्री की तरफ से प्रभु जी का गुणगान किया। पंडितों ने सारा मंदिर कलियों से सजाया। इसी दौरान पुजारियों ने भगवान को कई तरह के भोग लगाए। जिसका प्रसाद भक्तों में बांटा गया। कमेटी की तरफ लंगर का खास प्रबंध किया गया। इस मौके पर सोमदेव शर्मा, हरीश खन्ना, तरुण सभ्रवाल समेत कई भक्तजन मौजूद थे।
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PSEB ने दसवीं और 12वीं की डेटशीट जारी की:वोकेशनल-NSQF विषयों के एग्जाम 27 जनवरी से शुरू; 7 लाख से अधिक छात्र देंगे परीक्षा पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (PSEB) ने कक्षा 10वीं और 12वीं वोकेशनल और NSQF विषयों के प्रैक्टिकल एग्जाम की डेटशीट जारी कर दी है। परीक्षाएं 27 जनवरी से 4 फरवरी तक आयोजित की जाएंगी। बोर्ड की तरफ से इस बारे जानकारी स्कूलों को भेज दी है। साथ ही स्कूल प्रिंसिपल को कहा है कि विद्यार्थियों को एग्जाम की डेटशीट नोट करवा दें। डेटशीट संबंधी अधिक जानकारी बोर्ड की वेबसाइट www.pseb.ac.in से हासिल की जा सकती है। इसके अलावा बोर्ड से ईमेल पर srsecconduct.pseb@punjab.gov.in पर संपर्क किया ज सकता है। करीब 7 लाख स्टूडेंट्स होंगें शामिल PSEB की दसवीं और 12वीं कक्षा के लिए पूरे पंजाब से करीब सात लाख स्टूडेंट्स परीक्षा में शामिल होंगें। परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र बैंकों के माध्यम से स्कूलों में भेजे जाएंगे। इसके अलावा परीक्षा के दौरान सिक्योरिटी कड़ी रहेगी। बोर्ड द्वारा अपनी सारी वर्किंग CBSE और इंटरनेशनल बोर्ड की तर्ज पर की जाती है। ताकि विद्यार्थियों को परीक्षा देने में किसी भी प्रकार की दिक्कत न आए। डिजीलॉकर से जारी होते हैं सर्टिफिकेट बोर्ड द्वारा अब सर्टिफिकेट की हॉर्ड कॉपी केवल उन्हीं स्टूडेंट्स को जारी की जाती है, जो कि इसके लिए अप्लाई करता है। वरना स्टूडेंट्स को डिजीलॉकर से ही यह हासिल करनी पड़ती है। हॉर्ड कंपनी के लिए फीस तय की गई है। इसका भुगतान भी पहले करना होता है। इसके अलावा बोर्ड की कोशिश रहती है कि एग्जाम का रिजल्ट पहले जारी किया जाए।
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तरनतारन के सुखजीत सुक्खा आएंगे पेरिस ओलंपिक में नजर:भारतीय हॉकी टीम में सेलेक्शन; व्हील-चेयर से मैदान तक का सफर किया पूरा तरनतारन के अधीन पड़ते मियांविंड के गांव जवंदपुर निवासी 26 वर्षीय सुखजीत सिंह सुक्खा का चयन जुलाई में पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने वाली भारतीय हॉकी टीम में हुआ है। सूचना पहुंचने के बाद से गांव में खुशी की लहर है। फिलहाल सुखजीत सिंह बेंगलुरु में चल रहे भारतीय हॉकी टीम के कैंप में है। गांववासियों ने बताया कि सुखजीत सिंह का जन्म गांव जवंदपुर में हुआ है। सुखजीत सिंह के पिता अजीत सिंह पंजाब पुलिस में हैं। उनके पिता खुद हॉकी खिलाड़ी रहे हैं, जो 25 साल पहले पंजाब पुलिस में भर्ती हुए थे। जिसके बाद परिवार को जालंधर जाना पड़ा। गांव जवंदपुर निवासी सुखजोत के चाचा भीता सिंह ने बताया कि अजीत को हॉकी खेलने का शौक था। जिसे उन्होंने अपने बेटे के साथ मिलकर पूरा किया है, बचपन से सुखजीत पर की गई मेहनत आज पूरी हुई है। 2006 में स्टेट एकेडमी में शामिल हुए चाचा भीता सिंह ने बताया कि सुखजीत की ट्रेनिंग 8 साल की उम्र में ही शुरू हो गई थी। 2006 में उसे मोहाली में स्थापित राज्य सरकार द्वारा संचालित हॉकी एकेडमी में भर्ती कराया गया। सुखजीत का प्रभाव उनके परिवार पर भी पड़ा। चाचा भीता सिंह के दो बेटे हैं और दोनों ही हॉकी खिलाड़ी हैं। एक एसजीपीसी द्वारा संचालित एकेडमी का हिस्सा है, जबकि दूसरा मोहाली की एकेडमी में खेलता है। सुखजीत की मेहनत सफल हुई सुखजीत के चाचा भीता सिंह के अलावा गांव जवंदपुर के सरपंच एसपी सिंह, गांव घसीटपुर निवासी हॉकी कोच बलकार सिंह, मियांविंड के सरपंच दीदार सिंह व क्षेत्र के अन्य लोगों का मानना है कि सुखजीत सिंह द्वारा की गई मेहनत सफल हुई है। जिस तरह से उसने 8 साल की उम्र में हॉकी को अपनाया और कड़ी मेहनत की, आज उसे उसका फल मिला है। फिलहाल सुखजीत बेंगलुरु में आयोजित कैंप में मौजूद हैं। सुखजीत का सपना ओलंपिक तक पहुंचना था। अब अगर हॉकी ने एक बार फिर ओलंपिक में कमाल कर दिया तो पूरे गांव का नाम रोशन होगा। सुखजीत के व्हीलचेयर से मैदान तक की कहानी 8 साल की उम्र से हॉकी टीम में पहुंचने का सपना देखने वाले सुखजीत के लिए 2018 से पहले संभव नहीं था। ये वे दौर था, जब सुखजीत व्हीलचेयर पर थे। परिवार व सुखजीत उस समय हॉकी करियर के खत्म होने का शोक मना रहे थे। सभी को यही लगता था कि सुखजीत का करियर अब खत्म है। लोग कहते हैं कि चमत्कार होते हैं, सुखजीत के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। समय 2018 का है। अजीत पहली बार भारतीय हॉकी टीम के लिए चुना गया था। उम्र मात्र 21 साल थी। तीन चार दिन के बाद ऐसी घटना घटी कि सुखजीत व्हीलचेयर पर आ गए। प्रो लीग के दौरान भारतीय टीम बेल्जियम में थी। नए माहौल के बीच सुखजीत बीमार हो गया। सुखजीत ने यहां अपने आप को नहीं देखा और अपनी प्रैक्टिस को जारी रखा। इसी बीच सुखजीत के पीठ में दर्द होना शुरू हो गया। सुखजीत ने इससे भी निपटने की कोशिश की। सुखजीत ने विदेश में एक फिजियो से मदद मांगी। फिजियो ऑस्ट्रेलिया से थे। इसी दौरान फिजियो ने एक नस दबा दी और समस्या बहुत गंभीर हो गई। सुखजीत का दाहिना हिस्सा लकवा ग्रस्त हो गया। व्हील-चेयर पर भारत लौटा तो लगा करियर खत्म एक इंटरव्यू में सुखजीत ने बताया था कि वे व्हील चेयर पर भारत लौटे थे। पिता अजीत सिंह ने उन्हें उठाया और कार में बैठाया। लगा, करियर खत्म हो गया। वापस आते ही संदेश भी मिल गया कि अब वे भारतीय हॉकी कैंप का हिस्सा नहीं रहे। हालत ऐसे थे कि खुद बिस्तर से उठ नहीं सकते थे, वॉशरूम नहीं जा सकते थे और खाना नहीं खा सकते थे। अजीत हॉकी में इतने अच्छे थे कि उन्हें पंजाब पुलिस में स्पोर्ट्स कोटा की नौकरी मिल गई, लेकिन वे इतने अच्छे नहीं थे कि राष्ट्रीय टीम में जगह बना सकें। सुखजीत कहते हैं, “इसलिए उन्होंने मुझे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनाने के लिए अपनी पूरी कोशिश की।” पिता ने प्रेरित कर किया पैरों पर खड़ा खेलने की उम्मीद छोड़ दी गई। लेकिन पिता अजीत के लिए हार मानना कोई विकल्प नहीं था। पिता अजीत सिंह ने सुखजीत को दौबारा खड़ा करने के लिए कोशिशें शुरू कर दी। उसकी मालिश करते, डॉक्टर के पास ले जाते। 6 महीने की मेहनत रंग लाई। सुखजीत अपने पैरों पर खड़ा हो गया। अब लक्ष्य दौबारा भारतीय टीम में पहुंचना था। वह फिर से हॉकी स्टिक पकड़ सकता था। शुरुआती सालों में अजीत ने उसे जो मजबूत बुनियादी बातें सिखाई थीं, वे सुखजीत के काम आईं क्योंकि उसे एहसास हुआ कि उसने अपनी मांसपेशियों की याददाश्त नहीं खोई है। 2019 के अंत तक, वह घरेलू हॉकी में वापस आ गया। इसी बीच कोविड का दौर शुरू हो गया। लेकिन सुखजीत ने हिम्मत नहीं हारी। इस दौरान उसने अपनी मांसपेशियों की ताकत को वापस पाने की कोशिश की। आज उसकी मेहनत रंग लाई है।