भास्कर न्यूज | अमृतसर छेहर्टा इलाके में लोहड़ी का त्यौहार मना रहे चार युवकों ने मौज-मस्ती करते हुए नीचे पक्की जमीन पर गोली चला दी। इस दौरान गोली एक साथी राजबीर सिंह राजा को लग गई, जिसे निजी अस्पताल में दाखिल करवाया गया। जिसके बाद राजबीर की हालत अभी स्थिर है। डीएसपी शिवदर्शन ने कहा कि छेहर्टा पुलिस एसएचओ विनोद कुमार को गोली चलने की सूचना मिली। इस संबंध में राजबीर की ओर से कोई शिकायत नहीं दी गई है न ही कोई पुलिस को बयान दिया है। पुलिस की ओर से जांच की जा रही है। वहीं पुलिस ने बताया कि युवकों के खिलाफ बनती कार्रवाई की जाएगी। मामले की जांच की जा रही है। भास्कर न्यूज | अमृतसर छेहर्टा इलाके में लोहड़ी का त्यौहार मना रहे चार युवकों ने मौज-मस्ती करते हुए नीचे पक्की जमीन पर गोली चला दी। इस दौरान गोली एक साथी राजबीर सिंह राजा को लग गई, जिसे निजी अस्पताल में दाखिल करवाया गया। जिसके बाद राजबीर की हालत अभी स्थिर है। डीएसपी शिवदर्शन ने कहा कि छेहर्टा पुलिस एसएचओ विनोद कुमार को गोली चलने की सूचना मिली। इस संबंध में राजबीर की ओर से कोई शिकायत नहीं दी गई है न ही कोई पुलिस को बयान दिया है। पुलिस की ओर से जांच की जा रही है। वहीं पुलिस ने बताया कि युवकों के खिलाफ बनती कार्रवाई की जाएगी। मामले की जांच की जा रही है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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एनजीटी के आदेशों के बावजूद तुंग ढाब नाला प्रदूषित:अमृतसर में जहरीला पानी सेहत के लिए खतरा; शोधकर्ता बोले-11 लाख लोगों के लिए समाधान जरूरी
एनजीटी के आदेशों के बावजूद तुंग ढाब नाला प्रदूषित:अमृतसर में जहरीला पानी सेहत के लिए खतरा; शोधकर्ता बोले-11 लाख लोगों के लिए समाधान जरूरी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों के बावजूद गुरदासपुर से अमृतसर होते हुए रावी में गिरने वाले तुंग ढाब नाले की स्थिति वैसी की वैसी है। नगर निगम इसके गंदे पानी को साफ करने के लिए संघर्ष कर रहा है। यह बदनाम नाला, जो जल प्रदूषण को रोकने में प्रशासनिक और राजनीतिक विफलता का उदाहरण बन गया है और अमृतसर शहर की 11 लाख आबादी की सेहत के लिए भी खतरा बना हुआ है। तुंग ढाब नाले की महत्ता को जानने के लिए इसके इतिहास को जानना जरूरी है। ये ड्रेन है, जिसे माझा के महत्वपूर्ण शहर अमृतसर को बाढ़ जैसी स्थिति से बचाने के लिए 1955 में खोदा गया था, ताकि अधिक बारिश या बाढ़ जैसी स्थिति में अमृतसर को बचाया जा सके। ये ड्रेन गुरदासपुर से शुरू होकर अमृतसर शहर से होते हुए लाहौर के हुडियारा नाले में गिरता है, जो आगे जाकर रावी नदी में मिल जाता है। समस्या यह है कि इसमें औद्योगिक कचरा, सीवरेज और गंदा पानी बहाया जा रहा है, जिससे यह जहरीला हो चुका है। प्रतिदिन 130 मिलियन लीटर (MLD) से अधिक सीवेज वेस्ट इसमें गिराया जा रहा है। समाजसेवी संस्थाएं कई बार जिला प्रशासन के समक्ष उठा चुके मुद्दा अमृतसर विकास मंच, वॉयस ऑफ अमृतसर और अन्य गैर सरकारी संगठनों ने जिला प्रशासन और नगर निगम पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि वे औद्योगिक कचरे और अन्य गंदगी को नाले में जाने से रोकने में नाकाम रहे हैं। बताया जा रहा है कि हर दिन 40 मिलियन लीटर से ज्यादा गंदा पानी नाले में बहा दिया जाता है। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. दलबीर सिंह सोगी का कहना है कि जल प्रदूषण की निगरानी के लिए एक इंडिपेंडेंट संगठन बनाया जाना चाहिए, जो प्रदूषण के स्तर और पानी के बहाव की मात्रा की निगरानी कर सके और इसका डेटा जनता के साथ साझा करे। हैरानी की बात है कि इस ड्रेन के पानी के फ्लो को जांचने के प्रयास ही नहीं किए गए और ना ही कोई आंकड़ा उपलब्ध है। पर्यावरण के लिए सही नहीं है ये ड्रेन डॉ. दलबीर सिंह सोगी ने जब अपनी सहयोगी डॉ. भट्टी के साथ मिलकर इस पर रिसर्च शुरू की तो पता चला कि प्रदूषित पानी के कारण भूमिगत जल में भारी धातुओं का स्तर खतरनाक लेवल तक बढ़ गया है और इससे क्षेत्र की वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पिछले दो दशकों में नाले के आसपास बड़े पैमाने पर शहरीकरण भी हुआ है। होली सिटी, रंजीत एवेन्यू, डिफेंस एन्क्लेव और गोबिंद एवेन्यू सहित कई कॉलोनियां इस क्षेत्र में बस गई हैं। नाले के प्रभाव पर किए गए विभिन्न शोध से पता चला है कि सल्फर डाइऑक्साइड सल्फ्यूरिक एसिड में बदल जाता है जो एसी, रेफ्रिजरेटर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सर्किट की तांबे की सतहों को नष्ट कर देता है, जिससे वे खराब हो जाते हैं। इन घरेलू उपकरणों के अलावा गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी व ड्रेन के आसपास बने कंटोनमेंट एरिया में आर्मी के इक्विपमेंट भी इस ड्रेन के प्रभाव से खराब हो रहे हैं। प्रदूषण के गंभीर प्रभाव जल और वायु प्रदूषण – प्रदूषित पानी के कारण भूमिगत जल में भारी धातुओं का स्तर बढ़ गया है, जिससे यह पानी सेहत के लिए खतरनाक हो गया है। शहरीकरण का प्रभाव – पिछले दो दशकों में नाले के आसपास बड़े पैमाने पर कॉलोनियां बस गई हैं, जैसे होली सिटी, रंजीत एवेन्यू, डिफेंस एन्क्लेव और गोबिंद एवेन्यू। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नुकसान – नाले से निकलने वाली गैसें AC, फ्रिज और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सर्किट को नष्ट कर देती हैं, जिससे वे जल्दी खराब हो जाते हैं। सेहत पर असर – एक शोध में पाया गया कि नाले के पास रहने वाले लोगों के डीएनए में बदलाव आया है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। क्या उपाय किए जाने चाहिए? सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर्याप्त नहीं – डॉ. सोगी ने कहा कि इस नाले में सर्वाधिक वेस्ट इंडस्ट्री, खासकर डाई इंडस्ट्री का है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट कोई स्थायी समाधान नहीं है, क्योंकि जब तक प्रदूषकों का बहाव पूरी तरह बंद नहीं होगा, तब तक प्रदूषण जारी रहेगा। इसके लिए ईएफपी तकनीक लगाई जानी चाहिए, जो सीवरेज के पानी को ट्रीट कर सकें। निगरानी केंद्र की जरूरत – उन्होंने तुंग ढाब प्रदूषण निगरानी केंद्र स्थापित करने की सिफारिश की है, ताकि इसके फ्लो की स्थिति पर आंकड़ा इकट्ठा करने में मुश्किल ना हो। औद्योगिक कचरे का समाधान – सांसद गुरजीत औजला ने हाल ही में इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि शहर की 170 डेयरियों और अन्य औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले 550 किलोलीटर (KLD) कचरे का सही तरीके से ट्रीट किया जाना चाहिए। पाइप बिछा पानी को दूर फेंका जाए- डॉ. सोगी के अनुसार इस ड्रेन के प्रदूषित होने का सबसे बड़ा कारण इसमें इंडस्ट्रीयल वेस्ट का गिरना है। अगर इंडस्ट्रीयल वेस्ट को डायरेक्ट इसमें गिराने की जगह, पाइप बिछा शहर से दूर इस नाले में फेंका जाए तो शहर की 11 लाख जनता इसके प्रभाव से बच जाएगी।

खन्ना अनाज मंडी में किसानों का धरना:लिफ्टिंग की धीमी रफ्तार, अधूरे प्रबंधों को लेकर रोष, मंत्री को काली झंडियां दिखाने की चेतावनी
खन्ना अनाज मंडी में किसानों का धरना:लिफ्टिंग की धीमी रफ्तार, अधूरे प्रबंधों को लेकर रोष, मंत्री को काली झंडियां दिखाने की चेतावनी पंजाब में धान के सीजन के दौरान कई जिलों में मंडियों के अधूरे प्रबंधों को लेकर आढ़तियों और किसानों को अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी खन्ना में अधूरे प्रबंधों को लेकर किसानों में भारी रोष पाया गया। किसानों ने मार्केट कमेटी दफ्तर के बाहर धरना लगाया और जमकर नारेबाजी की। धीमी लिफ्टिंग को लेकर ज्यादा रोष पाया गया। 24 घंटे में प्रबंध ठीक न करने पर खन्ना से विधायक एवं पंजाब के कैबिनेट मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंध को काली झंडियां दिखाने की चेतावनी दी गई। मंडियों में परेशान हो रहे किसान किसान नेता राजिंदर सिंह बैनीपाल ने कहा कि मंडियों में प्रबंध अधूरे हैं। किसानों को फसल रखने को जगह नहीं बची है। नमी की मात्रा का बहाना बनाकर बोली नहीं लगाई जा रही है। धान के अंबार लग गए हैं। लिफ्टिंग नहीं हो रही है। किसान कई दिनों से मंडियों में परेशान बैठे हैं। बैनीपाल ने कहा कि सरकार ने सभी अफसर पंचायती चुनावों में लगा रखे हैं। धान के सीजन की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। बैनीपाल ने कहा कि उन्हें किसी आढ़ती ने बताया है कि मंडियों में बोरियों में पड़े धान का नुकसान भी किसानों को झेलना पड़ रहा है। फसल बिकने के बाद किसान की जिम्मेदारी खत्म आढ़ती एसोसिएशन खन्ना के अध्यक्ष हरबंस सिंह रोशा ने कहा कि अनाज मंडी में प्रबंध मुकम्मल हैं। फसल की बोली लगने के बाद सारी जिम्मेदारी आढ़ती और सरकारी एजेंसी की होती है। किसानों को जो थोड़ी बहुत परेशानी है वो शैलरों की अलॉटमेंट में देरी की वजह से है। अलाटमेंट हो चुकी है। जल्द ही लिफ्टिंग तेज हो जाएगी। मार्केट कमेटी सचिव मनजिंदर सिंह मान ने बताया कि खन्ना मंडी में 15 हजार मीट्रिक टन धान की आमद हो चुकी है। इसमें से 10 हजार 400 मीट्रिक टन की खरीद हो गई है। 2 हजार मीट्रिक टन की लिफ्टिंग हो चुकी है।

अबोहर में युवती ने की आत्महत्या:पानी की डिग्गी में लगाई छलांग; बीमारी के कारण थी मानसिक परेशान
अबोहर में युवती ने की आत्महत्या:पानी की डिग्गी में लगाई छलांग; बीमारी के कारण थी मानसिक परेशान अबोहर में बीमारी से परेशान युवती ने डिग्गी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। पता चलने पर परिजनों ने युवती के शव को बाहर निकाला। थाना बहाववाला पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम करवाने के बाद परिजनों को सौंप दिया है। मामला बाजीदपुरा भोमा गांव का है। मृतक युवती की पहचान 22 वर्षीय रमनदीप कौर के तार पर हुई है। जो पिछले काफी समय से बीमारी से पीड़ित थी। इस कारण मानसिक रूप से परेशान रहती थी। सूचना मिलते की मौके पर पहुंची परिजन सुबह उसने गांव के ही वाटर वर्क्स की डिग्गी में छलांग लगा दी। इस दौरान वहां से गुजर रहे एक व्यक्ति ने इसकी सूचना परिजनों को दी। जिन्होंने तुरंत मौके पर पहुंच कर युवती को बाहर निकाला। लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।