जालंधर | श्री श्याम परिवार की ओर से 14 दिसंबर को श्री श्याम बाबा खाटू वाले का भव्य संकीर्तन और भंडारा श्रीराम मंदिर सूर्या एनक्लेव में करवाया जाएगा। संस्था के मुख्य सेवादार पवन कुमार ने बताया कि संकीर्तन शाम 7 बजे विधिवत पूजन करके शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रंग-बिरंगे फूलों से खाटू बाबा का भव्य हार शृंगार किया जाएगा। जालंधर | श्री श्याम परिवार की ओर से 14 दिसंबर को श्री श्याम बाबा खाटू वाले का भव्य संकीर्तन और भंडारा श्रीराम मंदिर सूर्या एनक्लेव में करवाया जाएगा। संस्था के मुख्य सेवादार पवन कुमार ने बताया कि संकीर्तन शाम 7 बजे विधिवत पूजन करके शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रंग-बिरंगे फूलों से खाटू बाबा का भव्य हार शृंगार किया जाएगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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लुधियाना निगम नतीजे के 9 दिन बाद भी मेयर नहीं:लॉबिंग के बाद भी पार्टियां नहीं जुटा पा रहीं बहुमत, कांग्रेस बोली- नए साल पर फेरबदल होगा
लुधियाना निगम नतीजे के 9 दिन बाद भी मेयर नहीं:लॉबिंग के बाद भी पार्टियां नहीं जुटा पा रहीं बहुमत, कांग्रेस बोली- नए साल पर फेरबदल होगा पंजाब के लुधियाना में 21 दिसंबर को नगर निगम चुनाव हुए थे। इन चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। इसके चलते सभी पार्टियां लॉबिंग में जुटी हैं। पहले कांग्रेस और भाजपा के बीच गठबंधन की चर्चाएं चल रही थीं, लेकिन केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने इस पर विराम लगा दिया। अब कांग्रेस जिला हाईकमान गठबंधन की तैयारी में जुटी है। बिट्टू ने कहा था कि भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत अभियान चल रहा है, इसलिए किसी भी हालत में कांग्रेस से गठबंधन नहीं किया जा सकता। बिट्टू के इस बयान के बाद आम आदमी पार्टी निर्दलीय प्रत्याशी और शिअद से भी प्रत्याशी तोड़ने में जुटी थी, लेकिन अभी दो दिन पहले ही कांग्रेस जिला अध्यक्ष संजय तलवार ने अपने फेसबुक पर शेयर किया था कि – ज्यादा खुश मत होइए, अभी बहुत कुछ होना बाकी है मेयर? तलवार ने कहा था कि अगले दो दिन में बड़ा राजनीतिक फेरबदल होगा। पहले दिन आम आदमी पार्टी में शामिल हुए शिअद पार्षद चतरवीर सिंह की शिअद में घर वापसी हो गई। एक दिन पहले तलवार ने फेसबुक पर लिखा था – नए साल पर शहरवासियों को मेयर मिलेगा। आप के विरुद्ध एकजुटता की कोशिश वहीं अब पता चला है कि कांग्रेस मेयर बनाने के लिए जोड़-तोड़ में जुटी है। कांग्रेस के जिला हाईकमान की शिअद,आजाद और भाजपा के कुछ पार्षदों के साथ अंदरखाने बातचीत चल रही है। अंदेशा है कि कांग्रेस आप के विरुद्ध सभी पार्टियों को एकजुट कर मेयर बना सकती है।

पंजाब में बिजली कर्मचारियों ने स्ट्राइक 17 सितंबर तक बढ़ाई:मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी, फॉल्ट आने पर नहीं करेंगे ठीक
पंजाब में बिजली कर्मचारियों ने स्ट्राइक 17 सितंबर तक बढ़ाई:मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी, फॉल्ट आने पर नहीं करेंगे ठीक पंजाब के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों के साथ-साथ बिजली विभाग के कर्मचारियों ने भी अपनी हड़ताल को आगे बढ़ा दिया है। 17 सितंबर तक वे सभी सामूहिक छुट्टी पर चले गए हैं। ज्वाइंट फोरम पंजाब, बिजली कर्मचारी एकता मंच और जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने सरकार पर मांगें ना मानने व उनकी मांगों को गंभीरता से ना लेने के आरोप लगाए हैं। परिणाम ये होगा कि अगर कहीं फाल्ट हुआ तो वे जल्दी ठीक नहीं होगा और उपभोक्ताओं को परेशान होना पड़ेगा। संगठनों के नेताओं की बिजली मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ, बिजली सचिव पंजाब और प्रबंधन के साथ बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन वे विफल रही। नेताओं का कहना है कि पंजाब सरकार और प्रबंधन उन्हें कुछ भी देने को तैयार नहीं है। सिर्फ बातें कर रहे हैं। इस बार जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती, हड़ताल जारी रहेगी। बिजली कर्मचारी जो काम करते हुए अपनी कीमती जान गंवा देते हैं, उन्हें शहीद का दर्जा और करोड़ों रुपए की आर्थिक सहायता तक देने को सरकार तैयार नहीं है। 30 सितंबर तक वर्क टू रूल बिजली संगठनों का कहना है कि अगर इन मांगों का जल्द समाधान नहीं किया गया तो 30 सितंबर तक वर्क टू रूल लागू रहेगा। कोई भी एक्स्ट्रा काम नहीं करेगा। इसके अलावा सभी कर्मचारी 17 सितंबर तक सामूहिक अवकाश लेंगे और काम नहीं करेंगे। ये हैं बिजली कर्मचारियों की मांगें

आंदोलन पर डटे किसानों को बजट से आस:किसानी के लिए रिजर्व बजट की मांग; 13 फरवरी को एक साल होगा पूरा
आंदोलन पर डटे किसानों को बजट से आस:किसानी के लिए रिजर्व बजट की मांग; 13 फरवरी को एक साल होगा पूरा दातासिंह वाला-खनौरी किसान मोर्चे पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन आज 67वें दिन भी जारी रहा। वहीं, शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर के नेतृत्व में किसान डटे हुए हैं। किसानों ने उम्मीद जताई है कि शुक्रवार से शुरू हुए बजट सत्र में केंद्र सरकार किसानों और कृषि के लिए विशेष बजट आवंटित करेगी। केंद्र सरकार ने 14 फरवरी को बातचीत का निमंत्रण दिया है, जबकि 13 फरवरी को किसान आंदोलन का एक वर्ष पूरा होने पर बड़ा इकट्ठ करने जा रहे हैं। सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसान आंदोलन-2 को एक साल पूरा हो जाएगा। इसके देखते हुए बड़ी गिनती में किसान शंभू बॉर्डर पर इकट्ठा होंगे। लेकिन इससे पहले केंद्र को चाहिए कि बजट किसानों पर केंद्रित रहे। सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार को लगता है, उनकी पॉलिसी ठीक है। अगर ऐसा है तो रुपया लगातार क्यों गिर रहा है और अपने न्यूनतम वेल्यू पर क्यो हैं। मानें वादों को बजट में करें पेश किसान और मजदूर अपनी जायज मांगों को लेकर शंभू, खनौरी और रत्नपुरा बॉर्डर पर आंदोलनरत हैं। किसानों ने मांग रखी है कि केंद्र सरकार ने जिन मांगों को लागू करने का लिखित वादा किया था और जिसे मोदी सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया था, को बजट में जोड़ा जाए। एमएसपी खरीद गारंटी कानून लागू करे केंद्र किसान नेताओं ने बताया कि एमएसपी खरीद गारंटी कानून, डॉ. स्वामीनाथन आयोग के C²+50 के फार्मूले के अनुसार फसलों के दाम, किसानों-मजदूरों की संपूर्ण कर्ज मुक्ति जैसी मांगों को लागू करवाने के लिए यह आंदोलन चल रहा है। इसलिए, केंद्र सरकार को चालू बजट सत्र में कृषि क्षेत्र की इन मांगों के लिए बजट में कोटा आरक्षित रखना चाहिए। यदि सरकार इस बजट में किसानों और मजदूरों के कल्याण के लिए कोटा निर्धारित नहीं करती है, तो यह बजट भी किसानों के लिए केवल खानापूर्ति ही साबित होगा। मृतक किसान के लिए मुआवजे की मांग सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि एक और किसान, प्रगट सिंह पुत्र त्रिलोक सिंह, गांव कक्कड़ तहसील लोपोके, जिला अमृतसर, शंभू मोर्चे पर अपनी जायज मांगों के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए। किसान संगठन मांग करते हैं कि परिवार को 5 लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को योग्यता के आधार पर नौकरी दी जाए। डल्लेवाल की शरीर अभी भी कमजोर साथ ही 11 फरवरी से 13 फरवरी तक होने वाली तीन किसान महापंचायतों को सफल बनाने के लिए किसान नेता पूरी रणनीति में जुटे हुए हैं। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन आज (शनिवार) 67वें दिन में प्रवेश कर गया है। हालांकि भूख हड़ताल के कारण डल्लेवाल का शरीर कमजोर हो गया है। इसके कारण उन्हें बुखार आ गया है, वह जरा सी भी हरकत बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। तीन प्वाइंटों से समझे किसानों की अगली स्ट्रेटजी 1. 14 फरवरी को केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में किसानों के साथ बैठक करने का फैसला किया है। इससे पहले किसान बॉर्डर पर बड़ी संख्या में जुटकर यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि आंदोलन को भले ही एक साल हो गया है। लेकिन उनके हौसले अभी भी बुलंद हैं। साथ ही वे लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। 2. दूसरी बात यह कि किसान बिल्कुल भी आक्रामकता नहीं दिखा रहे हैं। वे बिल्कुल शांतिपूर्ण तरीके से मोर्चे पर डटे हुए हैं। वहीं, जिस तरह से डल्लेवाल का अनशन चल रहा है। उसने सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है। डल्लेवाल ने खुद लोगों को संदेश भेजकर इस आंदोलन में शामिल होने को कहा है। 3. किसानों का फोकस इस आंदोलन को पंजाब से बाहर ले जाने पर है। ऐसे में अब हरियाणा और राजस्थान पर फोकस बढ़ा दिया गया है। इसी प्लानिंग के तहत पहले हरियाणा से किसानों के जत्थे लगातार खनौरी पहुंच रहे थे। वहीं, अब महापंचायत और ट्रैक्टर मार्च इसका हिस्सा हैं। क्योंकि जैसे ही दूसरे राज्यों के किसान इसमें शामिल हो जाएंगे, उसके बाद सरकार पर भी दबाव बनेगा।