भास्कर न्यूज | यमुनानगर डिजिटल युग में साइबर ठग लोगों के के खून-पसीने की गाढ़ी कमाई पर नजर गड़ाए हुए हैं। रोजाना नए-नए तरीके से लोगों को ठग रहे हैं। कम पढ़े लिखे ही नहीं, अधिकारी भी साइबर ठगों के निशाने पर हैं। कब, कौन और कैसे इनका शिकार हो जाए, कहना मुश्किल है। अकेले साइबर थाने में इस साल शुक्रवार तक दर्ज हुए 75 मुकदमों में ठगी की रकम करोड़ों में पहुंच चुकी है। गनीमत रही कि साइबर विशेषज्ञों की कोशिश से इसमें करीब एक करोड़ की रकम को पुलिस प्रयास कर होल्ड करवा चुकी है और कई लाख रुपए वापस भी दिलवा चुकी है। बाकी रकम साइबर ठग हजम कर गए। बता दें कि इन दिनों सीबीआई, ईडी के नाम पर डिजिटल अरेस्ट और ट्रेडिंग के नाम पर साइबर ठग ठगी कर रहे हैं। सवाल : साइबर फ्रॉड से बचने के लिए सबसे ज्यादा क्या सावधानी बरतें। जवाब: साइबर ठगी से बचने के लिए सबसे पहले तो लोगों को ही सजग होना पड़ेगा। अनजान को फोन पर पर्सनल जानकारी न दें। सवाल : यदि ठग ऑनलाइन कैश ट्रांसफर करा लें तो सर्वप्रथम क्या करें। जवाब: किसी भी तरह की साइबर ठगी होने पर साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज करवाएं और तत्काल पुलिस की मदद लें। सवाल : क्या पुलिस डिजिटल गिरफ्तार भी करती है, क्योंकि आज कल इसी तरह का भय दिखा कर ठगी हो रही है। जवाब: साइबर ठग इन दिनों डिजिटल गिरफ्तारी दिखा कर ठगी के नए फार्मूले पर काम कर रहे हैं। जबकि पुलिस ऐसा कभी नहीं करती है। सवाल : क्या बैंक या अन्य एजेंसी फोन पर पर्सनल जानकारी ले सकती है। जवाब: बैंक की ओर से बात-बार जागरूक करने के लिए वीडियो मैसेज हों या फिर टैक्स मैसेज भेजकर बताती रहती है कि बैंक कभी भी मोबाइल नंबर से कॉल कर जानकारी नहीं लेता है। सेक्टर 17 के रहने वाले सेवानिवृत्त प्रोफेसर अनिल कुमार गुप्ता के मोबाइल पर अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने ने बताया कि आपके नाम से एक पार्सल मुंबई से ईरान भेजा जा रहा है। जिसमें पांच एक्सपायरी पासपोर्ट, तीन डेबिट कार्ड, लैपटॉप, कुछ डॉलर है, जो गैर कानूनी है। ये सुनकर अनिल कुमार घबरा गए। जिसके बाद ठग ने उन्हें अपनी बातों में बहलाकर उनसे 87 लाख रुपए अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिए। अनिल कुमार के दामाद हरियाणा की ही एक जेल में डीएसपी हैं। जीएसटी विभाग के इंस्पेक्टर विजय कुमार को वाट्सएप कॉल कर उनके अधिवक्ता बेटे की गिरफ्तारी होने की बात बताकर फर्जी सीबीआई टीम ने ऑनलाइन 60 हजार रुपए ट्रांसफर करा लिए थे। घटना चार सितंबर की है। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताया था। हालांकि जब विजय को ठगी का अहसास हुआ तो उन्होंने ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई। इस पर लखनऊ की एक बैंक के अकाउंट से पैसे निकाले जाने से पहले ही उसे होल्ड करा दिया गया। अब रकम की सुपुर्दगी के लिए विजय ने कोर्ट की शरण ली है। अब कोई ऐसा क्षेत्र नहीं बचा है, जिसके नाम पर ठगी का यह खेल ना खेला गया हो। पुलिस से लेकर सरकार तक साइबर के बढ़ते अपराधों को लेकर चिंतित है। इसके लिए तो तीन साल पहले हरियाणा के अन्य जिलों की तर्ज पर ही यहां भी साइबर थाना खोला गया। जिले में चल रहे साइबर क्राइम थाने की बात करें तो रोजमर्रा ट्रेडिंग और डिजिटल अरेस्ट के नए-नए किस्से सामने आ रहे हैं। इस साल थाने में अब तक 75 साइबर ठगी से जुड़े केस दर्ज हुए हैं। इनमें एक अनुमान के मुताबिक करीब दो करोड़ से ज्यादा की धनराशि की हेराफेरी की गई है। साइबर क्राइम थाना पुलिस दावा करती है कि इसमें से करीब एक करोड़ रुपए साइबर ठगों की जेब से बाहर निकाल कर होल्ड कराए हैं। ठगों का नाता सैकड़ों किलोमीटर दूर तमिलनाडु, कोलकाता, झारखंड, बिहार आदि राज्यों से जुड़ा था। अधिकांश बैंक खाते फर्जी आईडी पर खुले होने के कारण पुलिस के साइबर विशेषज्ञ रकम तो होल्ड कराने में सफल रहे, लेकिन ठगों तक नहीं पहुंच पाए। भास्कर न्यूज | यमुनानगर डिजिटल युग में साइबर ठग लोगों के के खून-पसीने की गाढ़ी कमाई पर नजर गड़ाए हुए हैं। रोजाना नए-नए तरीके से लोगों को ठग रहे हैं। कम पढ़े लिखे ही नहीं, अधिकारी भी साइबर ठगों के निशाने पर हैं। कब, कौन और कैसे इनका शिकार हो जाए, कहना मुश्किल है। अकेले साइबर थाने में इस साल शुक्रवार तक दर्ज हुए 75 मुकदमों में ठगी की रकम करोड़ों में पहुंच चुकी है। गनीमत रही कि साइबर विशेषज्ञों की कोशिश से इसमें करीब एक करोड़ की रकम को पुलिस प्रयास कर होल्ड करवा चुकी है और कई लाख रुपए वापस भी दिलवा चुकी है। बाकी रकम साइबर ठग हजम कर गए। बता दें कि इन दिनों सीबीआई, ईडी के नाम पर डिजिटल अरेस्ट और ट्रेडिंग के नाम पर साइबर ठग ठगी कर रहे हैं। सवाल : साइबर फ्रॉड से बचने के लिए सबसे ज्यादा क्या सावधानी बरतें। जवाब: साइबर ठगी से बचने के लिए सबसे पहले तो लोगों को ही सजग होना पड़ेगा। अनजान को फोन पर पर्सनल जानकारी न दें। सवाल : यदि ठग ऑनलाइन कैश ट्रांसफर करा लें तो सर्वप्रथम क्या करें। जवाब: किसी भी तरह की साइबर ठगी होने पर साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज करवाएं और तत्काल पुलिस की मदद लें। सवाल : क्या पुलिस डिजिटल गिरफ्तार भी करती है, क्योंकि आज कल इसी तरह का भय दिखा कर ठगी हो रही है। जवाब: साइबर ठग इन दिनों डिजिटल गिरफ्तारी दिखा कर ठगी के नए फार्मूले पर काम कर रहे हैं। जबकि पुलिस ऐसा कभी नहीं करती है। सवाल : क्या बैंक या अन्य एजेंसी फोन पर पर्सनल जानकारी ले सकती है। जवाब: बैंक की ओर से बात-बार जागरूक करने के लिए वीडियो मैसेज हों या फिर टैक्स मैसेज भेजकर बताती रहती है कि बैंक कभी भी मोबाइल नंबर से कॉल कर जानकारी नहीं लेता है। सेक्टर 17 के रहने वाले सेवानिवृत्त प्रोफेसर अनिल कुमार गुप्ता के मोबाइल पर अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने ने बताया कि आपके नाम से एक पार्सल मुंबई से ईरान भेजा जा रहा है। जिसमें पांच एक्सपायरी पासपोर्ट, तीन डेबिट कार्ड, लैपटॉप, कुछ डॉलर है, जो गैर कानूनी है। ये सुनकर अनिल कुमार घबरा गए। जिसके बाद ठग ने उन्हें अपनी बातों में बहलाकर उनसे 87 लाख रुपए अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिए। अनिल कुमार के दामाद हरियाणा की ही एक जेल में डीएसपी हैं। जीएसटी विभाग के इंस्पेक्टर विजय कुमार को वाट्सएप कॉल कर उनके अधिवक्ता बेटे की गिरफ्तारी होने की बात बताकर फर्जी सीबीआई टीम ने ऑनलाइन 60 हजार रुपए ट्रांसफर करा लिए थे। घटना चार सितंबर की है। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताया था। हालांकि जब विजय को ठगी का अहसास हुआ तो उन्होंने ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई। इस पर लखनऊ की एक बैंक के अकाउंट से पैसे निकाले जाने से पहले ही उसे होल्ड करा दिया गया। अब रकम की सुपुर्दगी के लिए विजय ने कोर्ट की शरण ली है। अब कोई ऐसा क्षेत्र नहीं बचा है, जिसके नाम पर ठगी का यह खेल ना खेला गया हो। पुलिस से लेकर सरकार तक साइबर के बढ़ते अपराधों को लेकर चिंतित है। इसके लिए तो तीन साल पहले हरियाणा के अन्य जिलों की तर्ज पर ही यहां भी साइबर थाना खोला गया। जिले में चल रहे साइबर क्राइम थाने की बात करें तो रोजमर्रा ट्रेडिंग और डिजिटल अरेस्ट के नए-नए किस्से सामने आ रहे हैं। इस साल थाने में अब तक 75 साइबर ठगी से जुड़े केस दर्ज हुए हैं। इनमें एक अनुमान के मुताबिक करीब दो करोड़ से ज्यादा की धनराशि की हेराफेरी की गई है। साइबर क्राइम थाना पुलिस दावा करती है कि इसमें से करीब एक करोड़ रुपए साइबर ठगों की जेब से बाहर निकाल कर होल्ड कराए हैं। ठगों का नाता सैकड़ों किलोमीटर दूर तमिलनाडु, कोलकाता, झारखंड, बिहार आदि राज्यों से जुड़ा था। अधिकांश बैंक खाते फर्जी आईडी पर खुले होने के कारण पुलिस के साइबर विशेषज्ञ रकम तो होल्ड कराने में सफल रहे, लेकिन ठगों तक नहीं पहुंच पाए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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