साजिश यूपी सरकार के खिलाफ थी, खुद फंसे माननीय:म्यूजिक डायरेक्टर वाले विधायक की तलाश, साहब से पहले मंत्री परेशान थे…अब अफसर

साजिश यूपी सरकार के खिलाफ थी, खुद फंसे माननीय:म्यूजिक डायरेक्टर वाले विधायक की तलाश, साहब से पहले मंत्री परेशान थे…अब अफसर

लोकभवन के प्रथम तल पर हाल ही में एक नए साहब आए हैं। जिले के अफसर इन साहब के पास तक जाने से डर रहे। कारण यह कि ये साहब पहले जिस विभाग में रहे, वहां के मंत्री तक को लेटर लिखकर इन्हें हटवाना पड़ा। लेकिन, साहब पर ऊपर का आशीर्वाद बना हुआ है। जौनपुर के बदलापुर के एक माननीय भी खूब चर्चा में हैं। उनका वीडियो वायरल हुआ तो लगा सरकार घिर जाएगी। साजिश बड़ी थी, लेकिन उल्टे शिकार बदलापुर के माननीय हो गए? पढ़िए सुनी-सुनाई में ऐसे ही 5 मामले, जिनकी राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है… 1- साजिश बड़ी थी, उल्टा पड़ा दांव कुछ दिन पहले की बात है, जौनपुर के एक माननीय का वीडियो वायरल हुआ। इसमें माननीय सरकार के काम करने के तरीके पर सवाल खड़े करते दिख रहे थे। अब पता चला, माननीय तो केवल मोहरा थे। साजिश बड़ी थी। जिस जगह वीडियो बनाया गया, वहां भगवा दल के 6 माननीय और भी थे। सभी बाबा से खफा थे। तय हुआ, सरकार पर सवाल उठाते और बेकाबू अफसरों की शिकायत करते हुए वीडियो बनाया जाए। सभी माननीय अपने-अपने मोबाइल से वीडियो आलाकमान को भेजेंगे। सभी विधायकों ने अपने-अपने मोबाइल से वीडियो बनवाए। लेकिन, बदलापुर के माननीय का वीडियो कोको पेट्रोल पंप चलाने वाले युवा नेता ने अपने मोबाइल से बनाया। उसने माननीय को वीडियो भेजने के बाद उनके सामने अपने मोबाइल से वीडियो डिलीट कर दिया। लेकिन, बाद में रिसाइकिल बिन से वीडियो रिकवर कर लिया। उस वीडियो को बालू-मौरंग खनन करने वाले एक माननीय के कहने से वायरल कर दिया। साजिश तो सरकार के खिलाफ थी, जो सफल नहीं हो सकी। दूसरी साजिश बदलापुर के माननीय के खिलाफ हो गई, जो सफल हो गई। माननीय अब किनारे लगाए जा रहे हैं। 2- दिखा दी दिल्ली की ताकत सरकार की सोशल मीडिया टीम की कमान संभाल रहे सज्जन को हटाने की बात तय हो गई। कारण यह, सरकार और संगठन के मुखिया खुले मंच से मान रहे कि लोकसभा चुनाव में हार की बड़ी वजह सोशल मीडिया पर कमजोर परफॉर्मेंस है। तय हो गया उन सज्जन की जगह किसी योग्य और अनुभवी को कमान दी जाए। लेकिन वह सज्जन भी कहां कमजोर थे। उन्होंने दिल्ली से एक ही फोन कराया और सूबे के कर्णधार ने अपनी सूची में फिर उन्हीं का नाम ‘अंकित’ कर दिया। हालांकि, उनका कद हल्का करके काम बांट दिया है। लेकिन, पद पर बने रखकर सज्जन ने बता दिया कि दिल्ली की ताकत उनके पास है। 3-म्यूजिक डायरेक्टर बने विधायक जी से टिकट की आस इन दिनों लाल टोपी वाले दल में म्यूजिक डायरेक्टर की चर्चा खूब हो रही है। उपचुनाव में टिकट के लिए एक नेता म्यूजिक डायरेक्टर को ढूंढते हुए पार्टी ऑफिस पहुंच गए। उन्हें बताया गया था, म्यूजिक डायरेक्टर पार्टी मुखिया के बेहद करीब हैं। वो चाहेंगे, तो टिकट हो जाएगा। दरअसल, हुआ ये कि पश्चिमी यूपी के एक जिले से विधायक पार्टी के लिए कई गाने लिखवा चुके हैं। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में वह गाना गाने वाले को लेकर पार्टी ऑफिस पहुंचे। कार्यक्रम शुरू हुआ, तो विधायक जी सामने नजर नहीं आए। पार्टी मुखिया बोले- अरे भाई, कहां गए हमारे म्यूजिक डायरेक्टर? इतना सुनते ही विधायक जी सामने आए और कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद से लोग विधायक जी को अपनी पार्टी के म्यूजिक डायरेक्टर के नाम से पहचानने लगे। चर्चा बाहर तक फैल गई। इसी दौरान टिकट की जुगत में टहल रहे एक नेता से पार्टी के ही किसी नेता ने बोल दिया कि तुम्हारा टिकट म्यूजिक डायरेक्टर करा सकते हैं। उसके बाद से टिकट के तलबगार नेता जी म्यूजिक डायरेक्टर को तलाश रहे हैं। 4- मंत्रियों को नापसंद, अब अफसर भी कन्नी काटने लगे जिलों में बैठे अधिकारियों में चर्चा है कि लोक भवन के प्रथम तल पर उनकी एंट्री बंद हो गई है। क्योंकि, प्रथम तल वाले साहब तो किसी की सुनते ही नहीं। अभी तक ये अफसर पंचम तल तक नहीं जाते थे। पहले तल से ही अपने काम कर लेते थे। अब उनकी समझ में नहीं आ रहा कि अपनी गुहार कहां और किससे लगाएं…? अब तो अपनी पीड़ा बताने के लिए जो जाएगा, अपना ही बेड़ा गर्क करके आएगा। दरअसल, जिलों में तैनात ऐसे कई आईएएस और पीसीएस अफसर हैं, जिनकी पहुंच पंचम तक नहीं है। ये पहले तल से ही अपना जिला बदलवा लेते थे। या अपनी समस्याओं से छुटकारा पा लेते थे। लेकिन हाल ही में हुए ट्रांसफर में अधिकारियों के लिए प्रथम तल के दरवाजे भी बंद कर दिए गए। प्रथम तल पर जिसे गार्जियन के तौर पर बैठाया गया, उसके पास बहुत बड़ा रिकॉर्ड है कर्मचारियों-अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक को परेशान करने का। जब जिस विभाग में गए, उस विभाग के मंत्री ने पत्र लिखकर इनको अपने यहां से हटाने को कहा। इनको अपने विभाग से हटवाने के लिए एक डिप्टी सीएम को पूरी ताकत झोंकनी पड़ी थी। इतनी शिकायतें हुईं कि प्रदेश के मुखिया ने उनको अपने ही विभाग में जगह दे दी। 5-साहब को केंद्र से नहीं मिली प्रोटेक्शन शासन के गलियारों में आजकल चर्चा हो रही है कि जो यूपी में सबको प्रोटक्शन देता था, उसे केंद्र से ही कोई प्रोटेक्शन नहीं मिली। दरअसल, केंद्र सरकार की तरफ से तमाम बड़े विभागों में सचिव की तैनाती की गई। यूपी के एक खलीफा भी इस तैनाती के इंतजार में थे, लेकिन उन्हें तैनाती नहीं दी गई। साहब को यह जरूर लग रहा था कि केंद्र के गृह विभाग में जगह मिल जाएगी। अगर गृह नहीं मिला, तो इंडस्ट्री पक्का है। केंद्र की तरफ से इनको पोस्टिंग न देकर मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल, प्रदेश में नए मुख्य सचिव के आने से साहब का गुमान तो घटा ही है। अब सबको प्रोटेक्शन देने वाले खुद की साख बचाने में लगे हुए हैं। दिल्ली वालों के दरवाजे पर दस्तक देते नजर आ रहे हैं। ये भी पढ़ें… माई की कृपा वाले को नहीं मिला ऊपर से आशीर्वाद:यूपी में बागियों के लिए गेट खोलने वाला नहीं मिल रहा, भगदड़ मचने वाली है, इंतजार करिए लोकभवन के प्रथम तल पर हाल ही में एक नए साहब आए हैं। जिले के अफसर इन साहब के पास तक जाने से डर रहे। कारण यह कि ये साहब पहले जिस विभाग में रहे, वहां के मंत्री तक को लेटर लिखकर इन्हें हटवाना पड़ा। लेकिन, साहब पर ऊपर का आशीर्वाद बना हुआ है। जौनपुर के बदलापुर के एक माननीय भी खूब चर्चा में हैं। उनका वीडियो वायरल हुआ तो लगा सरकार घिर जाएगी। साजिश बड़ी थी, लेकिन उल्टे शिकार बदलापुर के माननीय हो गए? पढ़िए सुनी-सुनाई में ऐसे ही 5 मामले, जिनकी राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है… 1- साजिश बड़ी थी, उल्टा पड़ा दांव कुछ दिन पहले की बात है, जौनपुर के एक माननीय का वीडियो वायरल हुआ। इसमें माननीय सरकार के काम करने के तरीके पर सवाल खड़े करते दिख रहे थे। अब पता चला, माननीय तो केवल मोहरा थे। साजिश बड़ी थी। जिस जगह वीडियो बनाया गया, वहां भगवा दल के 6 माननीय और भी थे। सभी बाबा से खफा थे। तय हुआ, सरकार पर सवाल उठाते और बेकाबू अफसरों की शिकायत करते हुए वीडियो बनाया जाए। सभी माननीय अपने-अपने मोबाइल से वीडियो आलाकमान को भेजेंगे। सभी विधायकों ने अपने-अपने मोबाइल से वीडियो बनवाए। लेकिन, बदलापुर के माननीय का वीडियो कोको पेट्रोल पंप चलाने वाले युवा नेता ने अपने मोबाइल से बनाया। उसने माननीय को वीडियो भेजने के बाद उनके सामने अपने मोबाइल से वीडियो डिलीट कर दिया। लेकिन, बाद में रिसाइकिल बिन से वीडियो रिकवर कर लिया। उस वीडियो को बालू-मौरंग खनन करने वाले एक माननीय के कहने से वायरल कर दिया। साजिश तो सरकार के खिलाफ थी, जो सफल नहीं हो सकी। दूसरी साजिश बदलापुर के माननीय के खिलाफ हो गई, जो सफल हो गई। माननीय अब किनारे लगाए जा रहे हैं। 2- दिखा दी दिल्ली की ताकत सरकार की सोशल मीडिया टीम की कमान संभाल रहे सज्जन को हटाने की बात तय हो गई। कारण यह, सरकार और संगठन के मुखिया खुले मंच से मान रहे कि लोकसभा चुनाव में हार की बड़ी वजह सोशल मीडिया पर कमजोर परफॉर्मेंस है। तय हो गया उन सज्जन की जगह किसी योग्य और अनुभवी को कमान दी जाए। लेकिन वह सज्जन भी कहां कमजोर थे। उन्होंने दिल्ली से एक ही फोन कराया और सूबे के कर्णधार ने अपनी सूची में फिर उन्हीं का नाम ‘अंकित’ कर दिया। हालांकि, उनका कद हल्का करके काम बांट दिया है। लेकिन, पद पर बने रखकर सज्जन ने बता दिया कि दिल्ली की ताकत उनके पास है। 3-म्यूजिक डायरेक्टर बने विधायक जी से टिकट की आस इन दिनों लाल टोपी वाले दल में म्यूजिक डायरेक्टर की चर्चा खूब हो रही है। उपचुनाव में टिकट के लिए एक नेता म्यूजिक डायरेक्टर को ढूंढते हुए पार्टी ऑफिस पहुंच गए। उन्हें बताया गया था, म्यूजिक डायरेक्टर पार्टी मुखिया के बेहद करीब हैं। वो चाहेंगे, तो टिकट हो जाएगा। दरअसल, हुआ ये कि पश्चिमी यूपी के एक जिले से विधायक पार्टी के लिए कई गाने लिखवा चुके हैं। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में वह गाना गाने वाले को लेकर पार्टी ऑफिस पहुंचे। कार्यक्रम शुरू हुआ, तो विधायक जी सामने नजर नहीं आए। पार्टी मुखिया बोले- अरे भाई, कहां गए हमारे म्यूजिक डायरेक्टर? इतना सुनते ही विधायक जी सामने आए और कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद से लोग विधायक जी को अपनी पार्टी के म्यूजिक डायरेक्टर के नाम से पहचानने लगे। चर्चा बाहर तक फैल गई। इसी दौरान टिकट की जुगत में टहल रहे एक नेता से पार्टी के ही किसी नेता ने बोल दिया कि तुम्हारा टिकट म्यूजिक डायरेक्टर करा सकते हैं। उसके बाद से टिकट के तलबगार नेता जी म्यूजिक डायरेक्टर को तलाश रहे हैं। 4- मंत्रियों को नापसंद, अब अफसर भी कन्नी काटने लगे जिलों में बैठे अधिकारियों में चर्चा है कि लोक भवन के प्रथम तल पर उनकी एंट्री बंद हो गई है। क्योंकि, प्रथम तल वाले साहब तो किसी की सुनते ही नहीं। अभी तक ये अफसर पंचम तल तक नहीं जाते थे। पहले तल से ही अपने काम कर लेते थे। अब उनकी समझ में नहीं आ रहा कि अपनी गुहार कहां और किससे लगाएं…? अब तो अपनी पीड़ा बताने के लिए जो जाएगा, अपना ही बेड़ा गर्क करके आएगा। दरअसल, जिलों में तैनात ऐसे कई आईएएस और पीसीएस अफसर हैं, जिनकी पहुंच पंचम तक नहीं है। ये पहले तल से ही अपना जिला बदलवा लेते थे। या अपनी समस्याओं से छुटकारा पा लेते थे। लेकिन हाल ही में हुए ट्रांसफर में अधिकारियों के लिए प्रथम तल के दरवाजे भी बंद कर दिए गए। प्रथम तल पर जिसे गार्जियन के तौर पर बैठाया गया, उसके पास बहुत बड़ा रिकॉर्ड है कर्मचारियों-अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक को परेशान करने का। जब जिस विभाग में गए, उस विभाग के मंत्री ने पत्र लिखकर इनको अपने यहां से हटाने को कहा। इनको अपने विभाग से हटवाने के लिए एक डिप्टी सीएम को पूरी ताकत झोंकनी पड़ी थी। इतनी शिकायतें हुईं कि प्रदेश के मुखिया ने उनको अपने ही विभाग में जगह दे दी। 5-साहब को केंद्र से नहीं मिली प्रोटेक्शन शासन के गलियारों में आजकल चर्चा हो रही है कि जो यूपी में सबको प्रोटक्शन देता था, उसे केंद्र से ही कोई प्रोटेक्शन नहीं मिली। दरअसल, केंद्र सरकार की तरफ से तमाम बड़े विभागों में सचिव की तैनाती की गई। यूपी के एक खलीफा भी इस तैनाती के इंतजार में थे, लेकिन उन्हें तैनाती नहीं दी गई। साहब को यह जरूर लग रहा था कि केंद्र के गृह विभाग में जगह मिल जाएगी। अगर गृह नहीं मिला, तो इंडस्ट्री पक्का है। केंद्र की तरफ से इनको पोस्टिंग न देकर मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल, प्रदेश में नए मुख्य सचिव के आने से साहब का गुमान तो घटा ही है। अब सबको प्रोटेक्शन देने वाले खुद की साख बचाने में लगे हुए हैं। दिल्ली वालों के दरवाजे पर दस्तक देते नजर आ रहे हैं। ये भी पढ़ें… माई की कृपा वाले को नहीं मिला ऊपर से आशीर्वाद:यूपी में बागियों के लिए गेट खोलने वाला नहीं मिल रहा, भगदड़ मचने वाली है, इंतजार करिए   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर