श्री अकाल तख्त साहिब पर 5 सिख साहिबों की बैठक के बाद तनखैया घोषित सुखबीर सिंह बादल आज अमृतसर पहुंच गए हैं। पूर्व अकाली मंत्री दलजीत सिंह चीमा, गुलज़ार सिंह रणिके और शरणजीत सिंह ढिल्लों भी साथ हैं। अनुमान है कि श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से आदेश दिए जाने के बाद वे अपना स्पष्टीकरण व माफीनामा लेकर पहुंचे हैं। सुखबीर सिंह बादल श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे। कल, जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब के समक्ष अपना जवाब देने के लिए कहा था, क्योंकि उन्हें तनखैया (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया गया था। सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब में जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह के कार्यालय पहुंचे। लेकिन उनकी अनुपस्थिति में स्टाफ को अपना स्पष्टीकरण सौंपा। इसके बाद वे श्री अकाल तख्त साहिब पर माथा टेकने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करने से साफ मना कर दिया और वापस लौट गए। डॉ. दलजीत ने कहा- सुखबीर बादल के स्पष्टीकरण से वे सहमत पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि उन्होंने और सभी ने अपना लिखित स्पष्टीकरण आज श्री अकाल तख्त साहिब पर सौंपा है। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह मौजूद नहीं थे, इसलिए स्पष्टीकरण स्टाफ को सौंपा गया है। अपना स्पष्टीकरण का मेन हिस्सा सांझा करते हुए उन्होंने कहा कि- दास, श्री अकाल तख्त साहिब के हुक्म अनुसार आज पेश हो रहे हैं। 2007 से 2014 तक मुख्यमंत्री का सलाहकार व उसके बाद शिक्षा मंत्री रहे हैं। 24 जुलाई को पत्र नंबर 236 जो सुखबीर बादल खुद लेकर श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे थे, वही उनका स्पष्टीकरण भी है। वे उनसे सहमत हैं। फैसले सभी की सहमति से लिए जाते हैं। बिना किसी सवाल जवाब के अपनी गलती मानता हूं। विश्वास दिलाता हूं कि वे गुरुमत के अनुसार हर हुक्म होगा, उसे माना जाएगा। भूंदड़ के प्रधान बनने पर किसी को ऐतराज नहीं डॉ. चीमा ने कहा कि प्रधान के इस्तीफे की प्रक्रिया काफी लंबी होती है। इसलिए सर्वसम्मति के साथ बलविंदर सिंह भूंदड़ को प्रधान नियुक्त किया गया है। उनके प्रधान नियुक्त किए जाने पर किसी को ऐतराज नहीं है, वे सीनियर पार्टी लीडर हैं और अन्य किसी को उनके प्रधान बनाए जाने पर ऐतराज होना नहीं चाहिए। जल्द श्री अकाल तख्त साहिब पर बुलाई जाएगी बैठक सुखबीर बादल व अन्य पूर्व अकाली मंत्री आज श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश हो गए हैं। जहां वे अपनी गलती की माफी मांगेंगे। सिख बुद्धिजीवियों का कहना है कि अब जल्द ही श्री अकाल तख्त साहिब पर एक और बैठक बुलाई जाएगी। जिसमें पांचों तख्तों के जत्थेदार एक बार फिर उपस्थित होंगे। इस बैठक में सुखबीर बादल व अन्य मंत्रियों के लिए धार्मिक सजा निर्धारित की जाएगी। अगर सुखबीर बादल व अन्य पूर्व मंत्री श्री अकाल तख्त साहिब पर आदेशों के अनुसार 15 दिन में उपस्थित ना होते तो उनके खिलाफ पंथ से छेके जाने की प्रक्रिया भी चल सकती थी। आदेश के बाद निमाने सिख की तरह श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे अकाली दल के निर्वाचित कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ का कहना है कि श्री अकाल तख्त साहिब से आदेश पारित होने के बाद ही सुखबीर बादल ने निमाने सिख की तरह माफी मांगने की बात कह दी थी। आदेश मिलने के अगले ही दिन सुखबीर बादल आज श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंच गए हैं। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुनाई थी सजा सुखबीर बादल को बीते कल शुक्रवार धार्मिक सजा सुना दी गई है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर को तनखैया करार दिया था। सुखबीर बादल पर उनकी सरकार के वक्त डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने के अलावा सुमेध सैनी को DGP नियुक्त करने और श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगा था। फैसला सुनाते हुए अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा था- ”अकाली दल प्रधान और डिप्टी CM रहते हुए सुखबीर बादल ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप के अक्स को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ। 2007 से 2017 वाले सिख कैबिनेट मंत्री भी अपना स्पष्टीकरण दें।” बागी गुट कल से शुरू करेगा अकाली दल बचाओ लहर वहीं, चंडीगढ़ में बागी गुट ने अकाली दल बचाओ लहर को आगे बढ़ाने की घोषणा कर दी है। बागी गुट के नेताओं का कहना है कि 1 सितंबर से अकाली दल बचाओ लहर को गांव गांव तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 30 अगस्त को श्री अकाल तख्त साहिब पर सिंह साहिबों की बैठक बुलाई गई थी, जिसके चलते बागी गुट की तरफ से लहर को रोक दिया गया था। अब जब बैठक हो चुकी है तो अकाली दल बचाओ लहर को भी आगे बढ़ाने का काम भी शुरू कर दिया जाएगा। वहीं, दूसरी तरफ बागी गुट के प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जगीर कौर, परमिंदर सिंह ढींढसा ने एक बार फिर सुखबीर बादल से इस्तीफे की मांग रखी है। अकाली दल के बागी गुट ने सौंपा था माफीनामा अकाली दल का बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था। इस दौरान जत्थेदार को माफीनामा सौंपा गया था। जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई- 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। 14 जुलाई को स्पष्टीकरण मांगा, 24 को बंद लिफाफे में जवाब दिया इसके बाद 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई। जिसमें 15 दिन के अंदर सुखबीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। जिसके बाद 24 जुलाई को सुखबीर बादल ने बंद लिफाफे में श्री अकाल तख्त साहिब को स्पष्टीकरण दिया था। सुखबीर बादल के स्पष्टीकरण को सार्वजनिक करने की मांग उठने लगी। जिसके बाद 5 जुलाई को स्पष्टीकरण सार्वजनिक किया गया। जाने क्या लिखा था स्पष्टीकरण में सुखबीर बादल द्वारा श्री अकाल तख्त पर बंद लिफाफे में दिए गए स्पष्टीकरण के साथ दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का भी एक पुराना पत्र वायरल किया, जो बेअदबी की घटनाओं के बाद लिखा गया था। इसमें प्रकाश सिंह बादल ने अपने दिल का दर्द बयां किया था। प्रकाश सिंह बादल द्वारा अक्टूबर 2015 में श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को दिए गए पत्र में बेअदबी की घटनाओं पर अपना दुख व्यक्त किया था। सितंबर 2015 में बेअदबी की बड़ी घटनाएं हुईं। उस वक्त आरोपियों को पकड़ न पाने के प्रदर्शन के लिए तत्कालीन अकाली सरकार की आलोचना हुई थी। 17 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेका और श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को एक पत्र सौंपा था। इसमें उन्होंने लिखा था कि पंजाब का प्रशासनिक मुखिया होने के नाते मुझे इस तरह की अप्रत्याशित घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी है। मैंने सौंपे गए कर्तव्यों का पूरी लगन और परिश्रम से पालन करने की कोशिश की है, लेकिन अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते समय कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है, जो अचानक घटित होता है। इससे आपका मन गहरी पीड़ा से गुजरता है और आप आत्मिक रूप से परेशान हो जाते हैं। इस मामले में हमारी पश्चाताप की भावना प्रबल है। ऐसे समय में वे आंतरिक पीड़ा से भी गुजर रहे हैं, ऐसी भावना के साथ, वे गुरु को नमन कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि गुरु साहिब शक्ति और दया प्रदान करें। श्री अकाल तख्त साहिब पर 5 सिख साहिबों की बैठक के बाद तनखैया घोषित सुखबीर सिंह बादल आज अमृतसर पहुंच गए हैं। पूर्व अकाली मंत्री दलजीत सिंह चीमा, गुलज़ार सिंह रणिके और शरणजीत सिंह ढिल्लों भी साथ हैं। अनुमान है कि श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से आदेश दिए जाने के बाद वे अपना स्पष्टीकरण व माफीनामा लेकर पहुंचे हैं। सुखबीर सिंह बादल श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे। कल, जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब के समक्ष अपना जवाब देने के लिए कहा था, क्योंकि उन्हें तनखैया (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया गया था। सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब में जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह के कार्यालय पहुंचे। लेकिन उनकी अनुपस्थिति में स्टाफ को अपना स्पष्टीकरण सौंपा। इसके बाद वे श्री अकाल तख्त साहिब पर माथा टेकने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करने से साफ मना कर दिया और वापस लौट गए। डॉ. दलजीत ने कहा- सुखबीर बादल के स्पष्टीकरण से वे सहमत पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि उन्होंने और सभी ने अपना लिखित स्पष्टीकरण आज श्री अकाल तख्त साहिब पर सौंपा है। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह मौजूद नहीं थे, इसलिए स्पष्टीकरण स्टाफ को सौंपा गया है। अपना स्पष्टीकरण का मेन हिस्सा सांझा करते हुए उन्होंने कहा कि- दास, श्री अकाल तख्त साहिब के हुक्म अनुसार आज पेश हो रहे हैं। 2007 से 2014 तक मुख्यमंत्री का सलाहकार व उसके बाद शिक्षा मंत्री रहे हैं। 24 जुलाई को पत्र नंबर 236 जो सुखबीर बादल खुद लेकर श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे थे, वही उनका स्पष्टीकरण भी है। वे उनसे सहमत हैं। फैसले सभी की सहमति से लिए जाते हैं। बिना किसी सवाल जवाब के अपनी गलती मानता हूं। विश्वास दिलाता हूं कि वे गुरुमत के अनुसार हर हुक्म होगा, उसे माना जाएगा। भूंदड़ के प्रधान बनने पर किसी को ऐतराज नहीं डॉ. चीमा ने कहा कि प्रधान के इस्तीफे की प्रक्रिया काफी लंबी होती है। इसलिए सर्वसम्मति के साथ बलविंदर सिंह भूंदड़ को प्रधान नियुक्त किया गया है। उनके प्रधान नियुक्त किए जाने पर किसी को ऐतराज नहीं है, वे सीनियर पार्टी लीडर हैं और अन्य किसी को उनके प्रधान बनाए जाने पर ऐतराज होना नहीं चाहिए। जल्द श्री अकाल तख्त साहिब पर बुलाई जाएगी बैठक सुखबीर बादल व अन्य पूर्व अकाली मंत्री आज श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश हो गए हैं। जहां वे अपनी गलती की माफी मांगेंगे। सिख बुद्धिजीवियों का कहना है कि अब जल्द ही श्री अकाल तख्त साहिब पर एक और बैठक बुलाई जाएगी। जिसमें पांचों तख्तों के जत्थेदार एक बार फिर उपस्थित होंगे। इस बैठक में सुखबीर बादल व अन्य मंत्रियों के लिए धार्मिक सजा निर्धारित की जाएगी। अगर सुखबीर बादल व अन्य पूर्व मंत्री श्री अकाल तख्त साहिब पर आदेशों के अनुसार 15 दिन में उपस्थित ना होते तो उनके खिलाफ पंथ से छेके जाने की प्रक्रिया भी चल सकती थी। आदेश के बाद निमाने सिख की तरह श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे अकाली दल के निर्वाचित कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ का कहना है कि श्री अकाल तख्त साहिब से आदेश पारित होने के बाद ही सुखबीर बादल ने निमाने सिख की तरह माफी मांगने की बात कह दी थी। आदेश मिलने के अगले ही दिन सुखबीर बादल आज श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंच गए हैं। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुनाई थी सजा सुखबीर बादल को बीते कल शुक्रवार धार्मिक सजा सुना दी गई है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर को तनखैया करार दिया था। सुखबीर बादल पर उनकी सरकार के वक्त डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने के अलावा सुमेध सैनी को DGP नियुक्त करने और श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगा था। फैसला सुनाते हुए अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा था- ”अकाली दल प्रधान और डिप्टी CM रहते हुए सुखबीर बादल ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप के अक्स को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ। 2007 से 2017 वाले सिख कैबिनेट मंत्री भी अपना स्पष्टीकरण दें।” बागी गुट कल से शुरू करेगा अकाली दल बचाओ लहर वहीं, चंडीगढ़ में बागी गुट ने अकाली दल बचाओ लहर को आगे बढ़ाने की घोषणा कर दी है। बागी गुट के नेताओं का कहना है कि 1 सितंबर से अकाली दल बचाओ लहर को गांव गांव तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 30 अगस्त को श्री अकाल तख्त साहिब पर सिंह साहिबों की बैठक बुलाई गई थी, जिसके चलते बागी गुट की तरफ से लहर को रोक दिया गया था। अब जब बैठक हो चुकी है तो अकाली दल बचाओ लहर को भी आगे बढ़ाने का काम भी शुरू कर दिया जाएगा। वहीं, दूसरी तरफ बागी गुट के प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जगीर कौर, परमिंदर सिंह ढींढसा ने एक बार फिर सुखबीर बादल से इस्तीफे की मांग रखी है। अकाली दल के बागी गुट ने सौंपा था माफीनामा अकाली दल का बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था। इस दौरान जत्थेदार को माफीनामा सौंपा गया था। जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई- 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। 14 जुलाई को स्पष्टीकरण मांगा, 24 को बंद लिफाफे में जवाब दिया इसके बाद 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई। जिसमें 15 दिन के अंदर सुखबीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। जिसके बाद 24 जुलाई को सुखबीर बादल ने बंद लिफाफे में श्री अकाल तख्त साहिब को स्पष्टीकरण दिया था। सुखबीर बादल के स्पष्टीकरण को सार्वजनिक करने की मांग उठने लगी। जिसके बाद 5 जुलाई को स्पष्टीकरण सार्वजनिक किया गया। जाने क्या लिखा था स्पष्टीकरण में सुखबीर बादल द्वारा श्री अकाल तख्त पर बंद लिफाफे में दिए गए स्पष्टीकरण के साथ दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का भी एक पुराना पत्र वायरल किया, जो बेअदबी की घटनाओं के बाद लिखा गया था। इसमें प्रकाश सिंह बादल ने अपने दिल का दर्द बयां किया था। प्रकाश सिंह बादल द्वारा अक्टूबर 2015 में श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को दिए गए पत्र में बेअदबी की घटनाओं पर अपना दुख व्यक्त किया था। सितंबर 2015 में बेअदबी की बड़ी घटनाएं हुईं। उस वक्त आरोपियों को पकड़ न पाने के प्रदर्शन के लिए तत्कालीन अकाली सरकार की आलोचना हुई थी। 17 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेका और श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को एक पत्र सौंपा था। इसमें उन्होंने लिखा था कि पंजाब का प्रशासनिक मुखिया होने के नाते मुझे इस तरह की अप्रत्याशित घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी है। मैंने सौंपे गए कर्तव्यों का पूरी लगन और परिश्रम से पालन करने की कोशिश की है, लेकिन अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते समय कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है, जो अचानक घटित होता है। इससे आपका मन गहरी पीड़ा से गुजरता है और आप आत्मिक रूप से परेशान हो जाते हैं। इस मामले में हमारी पश्चाताप की भावना प्रबल है। ऐसे समय में वे आंतरिक पीड़ा से भी गुजर रहे हैं, ऐसी भावना के साथ, वे गुरु को नमन कर 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