हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की आई 31 केंडिडेट्स की लिस्ट पर घमासान मचा हुआ है। दो बड़े नेताओं के बाद अब पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी जीता हुड्डा ने बगावत कर दी है। बरोदा विधानसभा सीट पर कांग्रेस की टिकट पर दावा ठोंक रहे जीता हुड्डा ने उनकी राजनीतिक हत्या का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि टिकट को लेकर मेरी बात भूपेंद्र हुड्डा से नहीं हुई थी, मैं उनको बाप की तरह मानता हूं। मैं उनके सामने कम ही बात करता हूं, वह इसलिए क्योंकि, वह मेरे पिता के अच्छे मित्र थे। मैं दीपेंद्र हुड्डा को अपना भाई मानता था, लेकिन इस चुनाव में भाई का गला काटने का काम दीपेंद्र हुड्डा ने किया है। हरियाणा बीजेपी ने कसा तंज… अब यहां पढ़िए क्यों जीता हुड्डा भड़के… दरअसल, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव को लेकर 31 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में बरोदा सीट से कांग्रेस ने इंदूराज सिंह नरवाल को टिकट दी है। जबकि जीता हुड्डा यहां से टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन उनकी जगह पार्टी ने नरवाल को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। कौन हैं जीता हुड्डा जीता हुड्डा, श्रीकृष्ण हुड्डा के बेटे हैं। श्रीकृष्ण हुड्डा हरियाणा की किलोई और बरोदा विधानसभा से 6 बार विधायक रह चुके हैं। 1987, 1996 व 2005 में वह किलोई से विधायक रहे। इसके बाद श्रीकृष्ण हुड्डा ने 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए किलोई सीट को छोड़ दिया। फिर वह बरोदा विधानसभा सीट से 2009, 2014, 2019 में विधायक बनने की हैट्रिक लगाई। श्रीकृष्ण हुड्डा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बहुत ही अच्छे मित्र और करीबी रहे हैं। यही वजह है कि जीता हुड्डा बरोदा से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। हरियाणा बीजेपी ने कसा तंस हरियाणा में टिकट वितरण में मचे घमासान को लेकर हरियाणा भाजपा ने तंज कसा है। पार्टी ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखा है, “जीता हुड्डा का ज़मीर जाग गया है। इनके पिता स्व.कृष्ण हुड्डा ने 2005 में भूपिंदर हुड्डा के लिए किलोई की सीट खाली की थी, बड़ा त्याग किया था। लेकिन बाबू-बेटे ने धोखा किया और जीता हुड्डा की बजाय सिर्फ भालू पर ही भरोसा किया। हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की आई 31 केंडिडेट्स की लिस्ट पर घमासान मचा हुआ है। दो बड़े नेताओं के बाद अब पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी जीता हुड्डा ने बगावत कर दी है। बरोदा विधानसभा सीट पर कांग्रेस की टिकट पर दावा ठोंक रहे जीता हुड्डा ने उनकी राजनीतिक हत्या का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि टिकट को लेकर मेरी बात भूपेंद्र हुड्डा से नहीं हुई थी, मैं उनको बाप की तरह मानता हूं। मैं उनके सामने कम ही बात करता हूं, वह इसलिए क्योंकि, वह मेरे पिता के अच्छे मित्र थे। मैं दीपेंद्र हुड्डा को अपना भाई मानता था, लेकिन इस चुनाव में भाई का गला काटने का काम दीपेंद्र हुड्डा ने किया है। हरियाणा बीजेपी ने कसा तंज… अब यहां पढ़िए क्यों जीता हुड्डा भड़के… दरअसल, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव को लेकर 31 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में बरोदा सीट से कांग्रेस ने इंदूराज सिंह नरवाल को टिकट दी है। जबकि जीता हुड्डा यहां से टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन उनकी जगह पार्टी ने नरवाल को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। कौन हैं जीता हुड्डा जीता हुड्डा, श्रीकृष्ण हुड्डा के बेटे हैं। श्रीकृष्ण हुड्डा हरियाणा की किलोई और बरोदा विधानसभा से 6 बार विधायक रह चुके हैं। 1987, 1996 व 2005 में वह किलोई से विधायक रहे। इसके बाद श्रीकृष्ण हुड्डा ने 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए किलोई सीट को छोड़ दिया। फिर वह बरोदा विधानसभा सीट से 2009, 2014, 2019 में विधायक बनने की हैट्रिक लगाई। श्रीकृष्ण हुड्डा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बहुत ही अच्छे मित्र और करीबी रहे हैं। यही वजह है कि जीता हुड्डा बरोदा से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। हरियाणा बीजेपी ने कसा तंस हरियाणा में टिकट वितरण में मचे घमासान को लेकर हरियाणा भाजपा ने तंज कसा है। पार्टी ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखा है, “जीता हुड्डा का ज़मीर जाग गया है। इनके पिता स्व.कृष्ण हुड्डा ने 2005 में भूपिंदर हुड्डा के लिए किलोई की सीट खाली की थी, बड़ा त्याग किया था। लेकिन बाबू-बेटे ने धोखा किया और जीता हुड्डा की बजाय सिर्फ भालू पर ही भरोसा किया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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करनाल में सुशासन दिवस पर जिला स्तरीय कार्यक्रम आज:कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा करेंगे शिरकत, सरकारी सेवाओं को सरल बनाना उद्देश्य करनाल में सुशासन दिवस के अवसर पर आज जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित होगा। डीआईपीआरओ ऑफिस की ओर मिली जानकारी के अनुसार, यह कार्यक्रम स्थानीय लघु सचिवालय के सभागार में सुबह 10 बजे से शुरू होगा। इसमें हरियाणा के लोक निर्माण एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री रणबीर गंगवा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। सुशासन दिवस हर साल 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दिवस 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है। जनता को बेहतर सेवाएं देने पर जोर
सुशासन दिवस का मुख्य उद्देश्य सरकारी सेवाओं को सरल, सुलभ और पारदर्शी बनाना है। इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों को नागरिकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने और सुशासन के महत्व को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस अवसर पर जिले में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें लोगों को सरकार की योजनाओं और नीतियों की जानकारी दी जाएगी। साथ ही, सुशासन के लिए किए जा रहे प्रयासों को साझा किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान जिले के अधिकारियों और कर्मचारियों की सक्रिय भागीदारी देखी जाएगी।
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दो डंपरों की टक्कर और आग के बाद मौके पर हड़कंप मच गया। लोगों की भारी भीड़ लग गई। सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाने का प्रयास शुरू किया। आग बुझाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस बीच डंपर में केबिन में जांच की गई। तब तक एक ड्राइवर की जिंदा जलने से मौत हो गई थी। मौके पर पहुंचे बेरी थाना एसएचओ अमित ने कहा कि मृतक ड्राइवर की पहचान के प्रयास हो रहे हैं। पुलिस हादसे को लेकर छानबीन में लगी है। ये खबर भी पढ़ें… करनाल में फॉर्च्यूनर और ट्रक की टक्कर, अचानक ब्रेक लगाए जाने से हुआ हादसा हरियाणा में करनाल के नमस्ते चौक पर एक सड़क हादसा हो गया। शिमला से दिल्ली जा रही फॉर्च्यूनर कार ट्रक से जा टकराई। ट्रक चालक द्वारा अचानक ब्रेक लगाए जाने के कारण हादसा हुआ। हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। गाड़ी में सवार पति-पत्नी को राहगीरों ने कार से बाहर निकाला और इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया। जहां पर प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें घर भेज दिया। (पूरी खबर पढ़ें)
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