एजुकेशन वॉलिंटियर्स पिछले 3 वर्षों से नूंह में धरना देकर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। एजुकेशन वॉलिंटियर्स ड्रॉप आउट बच्चों और जो कभी स्कूल नहीं गए हैं उनका सर्वे करते हैं और उन्हें 9 महीने का ब्रिज कोर्स करवाकर स्कूल में दाखिला दिलाते हैं। इस काम के लिए उन्हें मात्र 10 हजार रुपए मिलते हैं और अब फरवरी से 9 महीने से एजुकेशन वॉलिंटियर्स घर बैठे हैं, लेकिन सरकार उन्हें दोबारा ज्वाइन नहीं करवा रही है। एजुकेशन वॉलिंटियर्स का कहना है कि हम सभी शिक्षक जैसी योग्यता रखते हैं और हमारी भर्ती प्रक्रिया सेंटा टेस्ट के अनुसार मेरिट लिस्ट के अनुसार हुई है। सरकार हमारे साथ अन्याय कर रही एजुकेशन वॉलिंटियर्स का कहना है कि इतना कुछ होने के बाद भी सरकार हमारे साथ अन्याय कर रही है और हमारी तरफ ध्यान नहीं दे रही है। इसलिए 1125 एजुकेशन वॉलिंटियर्स ने धरने पर बैठने का फैसला किया है और जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मान लेती, तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे। सरकार सिर्फ आश्वासन देती चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि चुनाव के बाद आपकी मांगों पर अमल होगा, लेकिन सरकार सिर्फ आश्वासन देती हैं और कुछ नहीं। इसलिए धरने का फैसला एजुकेशन वॉलंटियर ने उचित समझा। एजुकेशन वालंटियर्स की मांगे निम्न है: 1 एजुकेशन वॉलंटियर का कार्यकाल 9 से बढ़ाकर 12 महीने और निरन्तर किया जाए 2 अध्यापक के समान वेतनमान दिया जाए 3 एजुकेशन वॉलंटियर की 58 साल तक जॉब और सिक्योरिटी 4 2023/24 में कार्यरत सभी एजुकेशन वॉलंटियर को शिक्षा विभाग में मर्ज किया जाए बिना किसी शर्त के एजुकेशन वॉलिंटियर्स पिछले 3 वर्षों से नूंह में धरना देकर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। एजुकेशन वॉलिंटियर्स ड्रॉप आउट बच्चों और जो कभी स्कूल नहीं गए हैं उनका सर्वे करते हैं और उन्हें 9 महीने का ब्रिज कोर्स करवाकर स्कूल में दाखिला दिलाते हैं। इस काम के लिए उन्हें मात्र 10 हजार रुपए मिलते हैं और अब फरवरी से 9 महीने से एजुकेशन वॉलिंटियर्स घर बैठे हैं, लेकिन सरकार उन्हें दोबारा ज्वाइन नहीं करवा रही है। एजुकेशन वॉलिंटियर्स का कहना है कि हम सभी शिक्षक जैसी योग्यता रखते हैं और हमारी भर्ती प्रक्रिया सेंटा टेस्ट के अनुसार मेरिट लिस्ट के अनुसार हुई है। सरकार हमारे साथ अन्याय कर रही एजुकेशन वॉलिंटियर्स का कहना है कि इतना कुछ होने के बाद भी सरकार हमारे साथ अन्याय कर रही है और हमारी तरफ ध्यान नहीं दे रही है। इसलिए 1125 एजुकेशन वॉलिंटियर्स ने धरने पर बैठने का फैसला किया है और जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मान लेती, तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे। सरकार सिर्फ आश्वासन देती चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि चुनाव के बाद आपकी मांगों पर अमल होगा, लेकिन सरकार सिर्फ आश्वासन देती हैं और कुछ नहीं। इसलिए धरने का फैसला एजुकेशन वॉलंटियर ने उचित समझा। एजुकेशन वालंटियर्स की मांगे निम्न है: 1 एजुकेशन वॉलंटियर का कार्यकाल 9 से बढ़ाकर 12 महीने और निरन्तर किया जाए 2 अध्यापक के समान वेतनमान दिया जाए 3 एजुकेशन वॉलंटियर की 58 साल तक जॉब और सिक्योरिटी 4 2023/24 में कार्यरत सभी एजुकेशन वॉलंटियर को शिक्षा विभाग में मर्ज किया जाए बिना किसी शर्त के हरियाणा | दैनिक भास्कर
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राव यादवेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के छोटे भाई हैं। कोसली सीट पर उनके अलावा इस बार रामपुरा हाउस के खिलाफ की राजनीति करने वाले पूर्व मंत्री जगदीश यादव भी कांग्रेस की टिकट के दावेदार है। वहीं, दूसरी तरफ BJP की तरफ से राव इंद्रजीत की बेटी यानी राव यादवेंद्र की भतीजी आरती राव के चुनाव लड़ने की चर्चा है। आरती राव के कोसली से चुनाव लड़ने की चर्चाओं पर राव यादवेंद्र सिंह ने कहा, ‘अगर आरती चुनाव मेरे सामने चुनाव लड़ती है, तो मैं फाइट करूंगा। पहली बात तो यह कि आरती यहां नहीं आएगी। अगर आएगी और हम दोनों चुनाव लड़ेंगे तो दोनों हारेंगे। कोई बीच में से निकल जाएगा। जो हमारे परिवार का हिमायती होगा, वह यह कभी नहीं चाहेगा।’ भाई के इधर-उधर की चर्चा से किया किनारा
राव यादवेंद्र सिंह ने अपने बड़े भाई राव इंद्रजीत सिंह को लेकर कहा, ‘मैं अभी कांग्रेस में हूं और वह BJP में हैं।’ राव इंद्रजीत सिंह के इधर-उधर बातचीत की चर्चा पर यादवेंद्र ने कहा, ‘मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। मुझे तो खुद मीडिया से ही जानकारियां मिल पाती हैं।’ 2 बार कोसली से विधायक रह चुके
दरअसल, राव यादवेंद्र सिंह पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के सबसे छोटे बेटे हैं। वह 2005 से 2014 तक इसी सीट से कांग्रेस के विधायक रहे हैं, लेकिन 2014 में उनके बड़े भाई राव इंद्रजीत सिंह के BJP में शामिल होने के बाद पिछले दोनों चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। राव इंद्रजीत सिंह ने भले ही पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मतभेद के चलते कांग्रेस छोड़ी, लेकिन उनके छोटे भाई यादवेंद्र सिंह को आज भी हुड्डा समर्थित नेताओं में गिना जाता है। कोसली सीट पर पिछले दो बार 2014 और 2019 के चुनाव में राव इंद्रजीत समर्थित BJP कैंडिडेट ने जीत दर्ज की है। इस बार भी राव इंद्रजीत सिंह कोसली से अपने किसी खास समर्थित नेता को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। उनकी बेटी आरती राव के कोसली या अटेली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना है। अटेली में आरती के चचेरे भाई कर रहे तैयारी
वहीं, दूसरी तरफ आरती राव के महेंद्रगढ़ जिले की अटेली विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़ने की चर्चा है। इस सीट पर उनके चचेरे भाई राव अभिजीत सिंह भी कांग्रेस की टिकट पर दावेदारी ठोक रहे हैं। अभिजीत सिंह राव अजीत सिंह के छोटे बेटे और राव इंद्रजीत सिंह के भतीजे हैं। पिछले चुनाव में इसी सीट से कांग्रेस की टिकट पर राव अभिजीत सिंह के भाई राव अर्जुन सिंह ने चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव हार गए थे। पिछले साल राव अर्जुन सिंह का निधन होने के बाद अभिजीत सिंह राजनीति में एक्टिव हुए।