हरियाणा में निर्विरोध राज्यसभा सांसद बनीं किरण चौधरी:कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा; 20 साल पहले ओपी चौटाला के कारण चूकी थीं

हरियाणा में निर्विरोध राज्यसभा सांसद बनीं किरण चौधरी:कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा; 20 साल पहले ओपी चौटाला के कारण चूकी थीं

हरियाणा में भाजपा की राज्यसभा उम्मीदवार किरण चौधरी निर्विरोध सांसद चुन ली गई हैं। मंगलवार को उन्हें रिटर्निंग ऑफिसर साकेत कुमार ने राज्यसभा सीट से निर्विरोध सांसद का प्रमाण पत्र दिया। बता दें कि 20 अगस्त को भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार घोषित किया था। 21 अगस्त को उन्होंने CM नायब सैनी की उपस्थिति में अपना नामांकन दाखिल किया। चूंकि, कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों की ओर से कोई भी उम्मीदवार खड़ा नहीं किया गया, इस कारण से किरण चौधरी का निर्विरोध राज्यसभा जाने का रास्ता बन गया। यह रिजल्ट पहले से तय था। आज रिटर्निंग ऑफिसर ने उन्हें राज्यसभा का निर्वाचन सर्टिफिकेट देकर इसकी आधिकारिक पुष्टि कर दी। कांग्रेस छोड़ BJP में आने के 2 महीने बाद टिकट
किरण को मंगलवार को BJP ने उम्मीदवार घोषित किया। इससे पहले किरण ने भिवानी के तोशाम से कांग्रेस विधायक के पद से इस्तीफा दिया। जिसे हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने स्वीकार कर लिया। किरण चौधरी ने बेटी श्रुति चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से टिकट कटने के बाद कांग्रेस छोड़ दी थी। BJP में शामिल होने के 2 महीने बाद उन्हें राज्यसभा भेजा जा रहा है। हरियाणा की यह राज्यसभा सीट रोहतक से लोकसभा चुनाव जीते कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्‌डा के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। उनका अप्रैल 2026 तक का था। 14 अगस्त को शुरू हुई थी चुनावी प्रक्रिया
राज्यसभा चुनाव के लिए नॉमिनेशन की प्रक्रिया 14 अगस्त से शुरू हुई थी। इसकी अंतिम तारीख 21 अगस्त थी। जिसमें सिर्फ किरण चौधरी ने नामांकन भरा। 27 अगस्त यानी आज नाम वापसी का दिन था। अगर एक से ज्यादा कैंडिडेट होते तो 3 सितंबर को वोटिंग होनी थी। सीएम ने कहा था- हमें JJP के बागियों का भी सपोर्ट
नामांकन के बाद सीएम नायब सैनी ने कहा था कि किरण को जीत के लिए जरूरत से ज्यादा विधायकों ने समर्थन दिया है। जिसमें JJP के बागी जोगीराम सिहाग, अनूप धानक, रामनिवास सुरजाखेड़ा और रामकुमार गौतम भी शामिल हैं। इसके अलावा निर्दलीय नयनपाल रावत और हलोपा के गोपाल कांडा भी किरण के समर्थन में हैं। किरण चौधरी ने कहा था कि, ”मैं बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का धन्यवाद करती हूं। भाजपा प्रदेश हित के लिए काम करती है। हरियाणा के सारे मुद्दे राज्यसभा में उठाउंगी।” जानिए.. 20 साल पहले ओपी चौटाला की गुगली में फंस गई थी किरण
राज्यसभा जाने की किरण चौधरी की 20 साल पुरानी इच्छा पूरी हो रही है। इससे पहले वह ओपी चौटाला की वजह से चूक गई थी। दरअसल, जून 2004 में ओमप्रकाश चैटाला के नेतृत्व में INLD की सरकार थी। तब प्रदेश में राज्यसभा सीटों के लिए हुए द्विवार्षिक चुनाव में किरण चौधरी को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया था। किरण उस समय ओमप्रकाश चौटाला की गुगली में फंस गई थी। हुआ यूं था, कि मतदान से 3 दिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सतबीर सिंह कादियान ने किरण चौधरी का समर्थन कर रहे 6 विधायकों जगजीत सांगवान, करण सिंह दलाल, भीम सेन मेहता, जयप्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान को दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। किरण ने स्पीकर निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन अयोग्य घोषित 6 विधायकों को राज्यसभा चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं मिला। जिससे किरण चौधरी हार गई। हरियाणा में भाजपा की राज्यसभा उम्मीदवार किरण चौधरी निर्विरोध सांसद चुन ली गई हैं। मंगलवार को उन्हें रिटर्निंग ऑफिसर साकेत कुमार ने राज्यसभा सीट से निर्विरोध सांसद का प्रमाण पत्र दिया। बता दें कि 20 अगस्त को भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार घोषित किया था। 21 अगस्त को उन्होंने CM नायब सैनी की उपस्थिति में अपना नामांकन दाखिल किया। चूंकि, कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों की ओर से कोई भी उम्मीदवार खड़ा नहीं किया गया, इस कारण से किरण चौधरी का निर्विरोध राज्यसभा जाने का रास्ता बन गया। यह रिजल्ट पहले से तय था। आज रिटर्निंग ऑफिसर ने उन्हें राज्यसभा का निर्वाचन सर्टिफिकेट देकर इसकी आधिकारिक पुष्टि कर दी। कांग्रेस छोड़ BJP में आने के 2 महीने बाद टिकट
किरण को मंगलवार को BJP ने उम्मीदवार घोषित किया। इससे पहले किरण ने भिवानी के तोशाम से कांग्रेस विधायक के पद से इस्तीफा दिया। जिसे हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने स्वीकार कर लिया। किरण चौधरी ने बेटी श्रुति चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से टिकट कटने के बाद कांग्रेस छोड़ दी थी। BJP में शामिल होने के 2 महीने बाद उन्हें राज्यसभा भेजा जा रहा है। हरियाणा की यह राज्यसभा सीट रोहतक से लोकसभा चुनाव जीते कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्‌डा के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। उनका अप्रैल 2026 तक का था। 14 अगस्त को शुरू हुई थी चुनावी प्रक्रिया
राज्यसभा चुनाव के लिए नॉमिनेशन की प्रक्रिया 14 अगस्त से शुरू हुई थी। इसकी अंतिम तारीख 21 अगस्त थी। जिसमें सिर्फ किरण चौधरी ने नामांकन भरा। 27 अगस्त यानी आज नाम वापसी का दिन था। अगर एक से ज्यादा कैंडिडेट होते तो 3 सितंबर को वोटिंग होनी थी। सीएम ने कहा था- हमें JJP के बागियों का भी सपोर्ट
नामांकन के बाद सीएम नायब सैनी ने कहा था कि किरण को जीत के लिए जरूरत से ज्यादा विधायकों ने समर्थन दिया है। जिसमें JJP के बागी जोगीराम सिहाग, अनूप धानक, रामनिवास सुरजाखेड़ा और रामकुमार गौतम भी शामिल हैं। इसके अलावा निर्दलीय नयनपाल रावत और हलोपा के गोपाल कांडा भी किरण के समर्थन में हैं। किरण चौधरी ने कहा था कि, ”मैं बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का धन्यवाद करती हूं। भाजपा प्रदेश हित के लिए काम करती है। हरियाणा के सारे मुद्दे राज्यसभा में उठाउंगी।” जानिए.. 20 साल पहले ओपी चौटाला की गुगली में फंस गई थी किरण
राज्यसभा जाने की किरण चौधरी की 20 साल पुरानी इच्छा पूरी हो रही है। इससे पहले वह ओपी चौटाला की वजह से चूक गई थी। दरअसल, जून 2004 में ओमप्रकाश चैटाला के नेतृत्व में INLD की सरकार थी। तब प्रदेश में राज्यसभा सीटों के लिए हुए द्विवार्षिक चुनाव में किरण चौधरी को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया था। किरण उस समय ओमप्रकाश चौटाला की गुगली में फंस गई थी। हुआ यूं था, कि मतदान से 3 दिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सतबीर सिंह कादियान ने किरण चौधरी का समर्थन कर रहे 6 विधायकों जगजीत सांगवान, करण सिंह दलाल, भीम सेन मेहता, जयप्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान को दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। किरण ने स्पीकर निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन अयोग्य घोषित 6 विधायकों को राज्यसभा चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं मिला। जिससे किरण चौधरी हार गई।   हरियाणा | दैनिक भास्कर