हरियाणा में हार पर कांग्रेस की जिम्मेदारी तय नहीं:नेता विपक्ष और प्रदेशाध्यक्ष पर एक राय नहीं, संगठन में नहीं हुआ कोई बड़ा बदलाव

हरियाणा में हार पर कांग्रेस की जिम्मेदारी तय नहीं:नेता विपक्ष और प्रदेशाध्यक्ष पर एक राय नहीं, संगठन में नहीं हुआ कोई बड़ा बदलाव

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए 7 महीने बीत चुके हैं। 8 अक्टूबर 2024 को हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ तीसरी बार सत्ता में आई। हरियाणा में अच्छे माहौल के बावजूद कांग्रेस हार गई। खुद कांग्रेस के नेता बड़ी जीत का दावा कर रहे थे और यहां तक ​​कि प्रदेश के नेताओं ने हाईकमान को रिपोर्ट दी थी कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार आनी तय है। लेकिन कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई। जबकि बहुमत 45 का जादुई आंकड़ा भी नहीं छू पाई। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि हरियाणा में कांग्रेस क्यों और किस वजह से हारी। इतना ही नहीं, हार के बाद कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों की एक टीम भेजी, जिसने कांग्रेस के जीतने वाले और हारने वाले दोनों नेताओं से बात भी की। लेकिन यह रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई। इसके अलावा अलग-अलग कमेटियां भी बनाई गईं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। हार के बाद कांग्रेस इतनी दुविधा में है कि अभी तक कांग्रेस हरियाणा में न तो नेता प्रतिपक्ष का चयन कर पाई है और न ही प्रदेश अध्यक्ष का। प्रदेशाध्यक्ष और नेता विपक्ष पर अब तक फैसला नहीं
हरियाणा में हार के बाद पार्टी के नेताओं ने प्रदेशाध्यक्ष बदलने की पुरजोर आवाज उठाई मगर आज तक प्रदेशाध्यक्ष नहीं बदला गया। इसी तरह सदन में नेता विपक्ष को भी कांग्रेस नहीं चुन पाई है। इसका कारण गुटबाजी और नेताओं में आपसी खींचतान को माना जा रहा है। यही कारण है कि हार के 7 महीने बाद भी ना किसी ने हार की जिम्मेदारी ली, ना ही संगठन में कोई बड़ा बदलाव हुआ, पार्टी में अब भी वही खींचतान और कुर्सी की जंग जारी है। हरियाणा में 10 साल से नहीं कांग्रेस का संगठन हरियाणा में करीब 10 साल से कांग्रेस का संगठन नहीं बना है। कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने पार्टी को चेताया भी था कि लंबे समय तक संगठन न होना कांग्रेस के लिए खतरनाक है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी इसका नुकसान हुआ। 10 साल के दौरान कांग्रेस के 2 अध्यक्ष इस्तीफा दे चुके हैं। विधानसभा चुनाव में हार के बाद लगातार संगठन बनाने की बात उठी मगर कोई काम इस पर नहीं हुआ। नतीजा यह हुआ कि निकाय चुनाव में भी कांग्रेस बुरी तरह हार गई। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए 7 महीने बीत चुके हैं। 8 अक्टूबर 2024 को हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ तीसरी बार सत्ता में आई। हरियाणा में अच्छे माहौल के बावजूद कांग्रेस हार गई। खुद कांग्रेस के नेता बड़ी जीत का दावा कर रहे थे और यहां तक ​​कि प्रदेश के नेताओं ने हाईकमान को रिपोर्ट दी थी कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार आनी तय है। लेकिन कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई। जबकि बहुमत 45 का जादुई आंकड़ा भी नहीं छू पाई। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि हरियाणा में कांग्रेस क्यों और किस वजह से हारी। इतना ही नहीं, हार के बाद कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों की एक टीम भेजी, जिसने कांग्रेस के जीतने वाले और हारने वाले दोनों नेताओं से बात भी की। लेकिन यह रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई। इसके अलावा अलग-अलग कमेटियां भी बनाई गईं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। हार के बाद कांग्रेस इतनी दुविधा में है कि अभी तक कांग्रेस हरियाणा में न तो नेता प्रतिपक्ष का चयन कर पाई है और न ही प्रदेश अध्यक्ष का। प्रदेशाध्यक्ष और नेता विपक्ष पर अब तक फैसला नहीं
हरियाणा में हार के बाद पार्टी के नेताओं ने प्रदेशाध्यक्ष बदलने की पुरजोर आवाज उठाई मगर आज तक प्रदेशाध्यक्ष नहीं बदला गया। इसी तरह सदन में नेता विपक्ष को भी कांग्रेस नहीं चुन पाई है। इसका कारण गुटबाजी और नेताओं में आपसी खींचतान को माना जा रहा है। यही कारण है कि हार के 7 महीने बाद भी ना किसी ने हार की जिम्मेदारी ली, ना ही संगठन में कोई बड़ा बदलाव हुआ, पार्टी में अब भी वही खींचतान और कुर्सी की जंग जारी है। हरियाणा में 10 साल से नहीं कांग्रेस का संगठन हरियाणा में करीब 10 साल से कांग्रेस का संगठन नहीं बना है। कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने पार्टी को चेताया भी था कि लंबे समय तक संगठन न होना कांग्रेस के लिए खतरनाक है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी इसका नुकसान हुआ। 10 साल के दौरान कांग्रेस के 2 अध्यक्ष इस्तीफा दे चुके हैं। विधानसभा चुनाव में हार के बाद लगातार संगठन बनाने की बात उठी मगर कोई काम इस पर नहीं हुआ। नतीजा यह हुआ कि निकाय चुनाव में भी कांग्रेस बुरी तरह हार गई।   हरियाणा | दैनिक भास्कर