हिमाचल प्रदेश में ईडी के शिमला कार्यालय में सीबीआई रेड मामले के शिकायतकर्ता आज मीडिया के सामने आए है। शिकायतकर्ताओं ने ईडी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए है। शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस में रजनीश गुलेरिया डीजे सिंह, संजीव प्रभाकर समेत अन्य ने कहा, ईडी अधिकारी ने अरेस्ट न करने की एवज में उनसे 25 करोड़ की घूस मांगी थी। यह घूस हिमाचल के बहुचर्चित स्कॉलरशिप केस को दबाने के एवज में मांगी गई। उन्होंने कहा कि ईडी के शिमला कार्यालय में तैनात सहायक निदेशक विशालदीप ने सभी शिक्षण संस्थानों के मालिकों से 25 करोड़ की मांग रखी थी। जब उन्होंने इसे देने में असमर्थता जताई तो उसने सभी को अलग अलग बुलाकर टार्चर करना शुरू किया और सभी से एक एक-एक करोड़ की मांग रखी। इन्कार करने पर आरोपी धमकियां देता था। इससे मजबूर होकर उन्होंने सीबीआई को शिकायत की। ED के शिमला कार्यालय चल रहा था गिरोह शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि शिमला के ईडी कार्यालय में अधिकारियों ने पैसों की उगाही करने के लिए गिरोह चला रखा था। इसमे सहायक निदेशक विशालदीप के अलावा उसके दफ्तर में तैनात नीरज, सुनील व चपरासी भी शामिल थे। इसके अलावा सहायक निदेशक का भाई विकासदीप शामिल था। उन्होंने कहा कि इन सब ने मिलकर ईडी कार्यालय को डकैतों का अड्डा बना दिया था। 55 लाख की हुई रिकवरी, CBI ने की तुंरत कार्रवाई शिकायतकर्ताओं ने प्रेस वार्ता में कहा, कि ईडी अधिकारी को उन्होंने 55 लाख रुपए दिए थे, जो CBI ने रिकवर कर लिए है। उन्होंने CBI का धन्यवाद करते हुए कहा कि CBI ने उनकी शिकायत पर 5 मिनट में टीम का गठन कर कार्रवाई शुरू की है। कई लोगों को सलाखों के पीछे भेज भी दिया है। मगर वह मांग करते कि इस पूरे प्रकरण के मुख्य आरोपी ईडी सहायक निदेशक को जल्दी गिरफ्तार किया जाएं। उसे सख्त से सख्त सजा दी जाएं। जाने क्या है पूरा मामला बता दें कि CBI की टीम ने बीते दिनों शिमला में ईडी शिमला कार्यालय में रेड की। ईडी की टीम ने तीन दिन तक शिमला कार्यालय से दस्तावेज और फाइलें अपने कब्जे में ली। शिकायत के बाद सीबीआई ने विशालदीप को पकड़ने के लिए 22 दिसंबर को चंडीगढ़ में जाल लगाया गया। मगर वह गाड़ी समेत भागने में कामयाब रहा। हालांकि जिस गाड़ी से विशाल दीप भागा है, उसे CBI ने बरामद कर दिया है, लेकिन अधिकारी का 5 दिन बाद भी सुराग नहीं लग पाया। आरोप है कि विशाल दीप ने एक केस में शिकायतकर्ता से लगभग 55 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। एक करोड़ से ज्यादा की नगदी जब्त CBI से जुड़े सूत्र बताते हैं कि CBI ने रिश्वत के 54 लाख रुपए सहित 1 करोड़ से ज्यादा की नकदी आरोपी के अलग अलग ठिकानों से बरामद कर दी है। अब आरोपी को पकड़ने के लिए चंडीगढ़ के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा में भी उसकी तलाश की जा रही है। मगर उसका अब तक सुराग नहीं लग पाया है। भाई की गिरफ्तारी की चर्चा वहीं आरोपी अधिकारी के भाई की सीबीआई ने गिरफ्तारी कर ली है। बताया जा रहा है कि अधिकारी का भाई भी रिश्वत के इस केस में संलिप्त है। हिमाचल प्रदेश में ईडी के शिमला कार्यालय में सीबीआई रेड मामले के शिकायतकर्ता आज मीडिया के सामने आए है। शिकायतकर्ताओं ने ईडी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए है। शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस में रजनीश गुलेरिया डीजे सिंह, संजीव प्रभाकर समेत अन्य ने कहा, ईडी अधिकारी ने अरेस्ट न करने की एवज में उनसे 25 करोड़ की घूस मांगी थी। यह घूस हिमाचल के बहुचर्चित स्कॉलरशिप केस को दबाने के एवज में मांगी गई। उन्होंने कहा कि ईडी के शिमला कार्यालय में तैनात सहायक निदेशक विशालदीप ने सभी शिक्षण संस्थानों के मालिकों से 25 करोड़ की मांग रखी थी। जब उन्होंने इसे देने में असमर्थता जताई तो उसने सभी को अलग अलग बुलाकर टार्चर करना शुरू किया और सभी से एक एक-एक करोड़ की मांग रखी। इन्कार करने पर आरोपी धमकियां देता था। इससे मजबूर होकर उन्होंने सीबीआई को शिकायत की। ED के शिमला कार्यालय चल रहा था गिरोह शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि शिमला के ईडी कार्यालय में अधिकारियों ने पैसों की उगाही करने के लिए गिरोह चला रखा था। इसमे सहायक निदेशक विशालदीप के अलावा उसके दफ्तर में तैनात नीरज, सुनील व चपरासी भी शामिल थे। इसके अलावा सहायक निदेशक का भाई विकासदीप शामिल था। उन्होंने कहा कि इन सब ने मिलकर ईडी कार्यालय को डकैतों का अड्डा बना दिया था। 55 लाख की हुई रिकवरी, CBI ने की तुंरत कार्रवाई शिकायतकर्ताओं ने प्रेस वार्ता में कहा, कि ईडी अधिकारी को उन्होंने 55 लाख रुपए दिए थे, जो CBI ने रिकवर कर लिए है। उन्होंने CBI का धन्यवाद करते हुए कहा कि CBI ने उनकी शिकायत पर 5 मिनट में टीम का गठन कर कार्रवाई शुरू की है। कई लोगों को सलाखों के पीछे भेज भी दिया है। मगर वह मांग करते कि इस पूरे प्रकरण के मुख्य आरोपी ईडी सहायक निदेशक को जल्दी गिरफ्तार किया जाएं। उसे सख्त से सख्त सजा दी जाएं। जाने क्या है पूरा मामला बता दें कि CBI की टीम ने बीते दिनों शिमला में ईडी शिमला कार्यालय में रेड की। ईडी की टीम ने तीन दिन तक शिमला कार्यालय से दस्तावेज और फाइलें अपने कब्जे में ली। शिकायत के बाद सीबीआई ने विशालदीप को पकड़ने के लिए 22 दिसंबर को चंडीगढ़ में जाल लगाया गया। मगर वह गाड़ी समेत भागने में कामयाब रहा। हालांकि जिस गाड़ी से विशाल दीप भागा है, उसे CBI ने बरामद कर दिया है, लेकिन अधिकारी का 5 दिन बाद भी सुराग नहीं लग पाया। आरोप है कि विशाल दीप ने एक केस में शिकायतकर्ता से लगभग 55 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। एक करोड़ से ज्यादा की नगदी जब्त CBI से जुड़े सूत्र बताते हैं कि CBI ने रिश्वत के 54 लाख रुपए सहित 1 करोड़ से ज्यादा की नकदी आरोपी के अलग अलग ठिकानों से बरामद कर दी है। अब आरोपी को पकड़ने के लिए चंडीगढ़ के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा में भी उसकी तलाश की जा रही है। मगर उसका अब तक सुराग नहीं लग पाया है। भाई की गिरफ्तारी की चर्चा वहीं आरोपी अधिकारी के भाई की सीबीआई ने गिरफ्तारी कर ली है। बताया जा रहा है कि अधिकारी का भाई भी रिश्वत के इस केस में संलिप्त है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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