हिमाचल प्रदेश सरकार ने मंगलवार को बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया है। सरकार ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटें अतिरिक्त मुख्य सचिव केके पंत को वन के साथ फाइनेंशियल कमिश्नर (अपील) का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। इसको लेकर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने आदेश जारी कर दिए हैं। यहां देखें किस अधिकारी को किस विभाग का दायित्व मिला है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने मंगलवार को बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया है। सरकार ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटें अतिरिक्त मुख्य सचिव केके पंत को वन के साथ फाइनेंशियल कमिश्नर (अपील) का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। इसको लेकर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने आदेश जारी कर दिए हैं। यहां देखें किस अधिकारी को किस विभाग का दायित्व मिला है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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प्रियंका के बाद आज शिमला पहुंचेगी सोनिया गांधी:छराबड़ा में बेटी के घर पर रुकेंगी; यहां से देश हरियाणा-जम्मू कश्मीर के चुनाव पर रखेगी नजर
प्रियंका के बाद आज शिमला पहुंचेगी सोनिया गांधी:छराबड़ा में बेटी के घर पर रुकेंगी; यहां से देश हरियाणा-जम्मू कश्मीर के चुनाव पर रखेगी नजर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी आज शिमला आ सकती हैं। प्रदेश के पड़ोसी राज्य हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव के बीच 2 दिन पहले ही AICC की महासचिव प्रियंका गांधी भी शिमला पहुंची हैं। आज उनकी माता के भी छराबड़ा पहुंचने की उम्मीद है। सूचना के अनुसार, दिल्ली से सोनिया गांधी चंडीगढ़ तक फ्लाइट में आएंगी। चंडीगढ़ से सड़क मार्ग से सीधे शिमला के छराबड़ा पहुंचेगी, जहां पर प्रियंका गांधी बीते रविवार से ठहरी हुई हैं। बताया जा रहा है कि दोनों कांग्रेस नेताओं का यह निजी दौरा है। इस दौरान हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दोनों नेताओं से शिष्टाचार भेंट कर सकते हैं। अभी तक दोनों का कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं है। दोनों नेता छराबड़ा में छुट्टियां बिताएंगे। सोनिया और प्रियंका अगले चार-पांच दिन तक छराबड़ा से ही देश की राजनीति पर नजर रखेगी। शिमला के छराबड़ा में है प्रियंका गांधी का घर बता दें कि शिमला से लगभग 13 किलोमीटर दूर छराबड़ा में कल्याणी हेलिपेड के साथ प्रियंका गांधी का अपना घर बना रखा हैं। प्रियंका गांधी साल में चार-पांच बार यहां आती रहती हैं। इस बार लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी प्रियंका गांधी पांच दिन छराबड़ा में रुकी थीं। तब उन्होंने चारों लोकसभा सीटों के साथ साथ छह विधानसभा उप चुनाव के प्रचार का मोर्चा भी छराबड़ा से ही संभाला था।
हिमाचल में सतलुज किनारे मिला इंजीनियर सिद्धार्थ का शव:3 बॉडी की पहचान, समेज में 33 और प्रदेश में 41 व्यक्ति अभी भी लापता
हिमाचल में सतलुज किनारे मिला इंजीनियर सिद्धार्थ का शव:3 बॉडी की पहचान, समेज में 33 और प्रदेश में 41 व्यक्ति अभी भी लापता हिमाचल प्रदेश के रामपुर के समेज में लापता 36 लोगों में से 3 के शवों की पहचान कर दी गई है। रेस्क्यूल दल को बीते मंगलवार को सुन्नी के पास सतलुज किनारे एक और शव मिला। देर शाम तक शव की पहचान सिद्धार्थ निवासी नंदरूल (कांगड़ा) के तौर पर की गई। सिद्धार्थ समेज में ग्रीनको प्रोजेक्ट में बतौर इंजीनियर काम करता था। समेज खड्ड में बादल फटने से लापता 2 अन्य शवों की भी पहचान कर दी गई है। दोनों शव 3 दिन पहले मिले थे।रामपुर के सुग्गा की रचना और झारखंड की प्रीतिका पुत्री राजकुमार पांडे की पहचान डीएनए सैंपल से हुई है। इस हादसे में प्रीतिका के मां-पिता दोनों अभी भी लापता है। प्रीतिका समेज स्कूल की छात्रा थी। समेज, डकोलढ़ और कोड डेम में पुलिस को अब तक 9 शव मिल गए है। मगर 6 की अभी शिनाख्त नहीं हो सकी। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, होमगार्ड के 300 से ज्यादा जवान लापता लोगों की तलाश में जुटे है। हालांकि छह दिन के सर्च ऑपरेशन में समेज गांव में एक भी लापता व्यक्ति नहीं मिला। अब सतलुज किनारे सर्च ऑपरेशन पर जोर: डीसी डीसी शिमला अनुपंम कश्यप ने बताया कि समेज में लगभग 95 प्रतिशत क्षेत्र की खुदाई कर दी गई है। इस दौरान कुछ सामान जरूर मिला है। मगर लापता व्यक्ति यहां नहीं मिल पाए। उन्होंने बताया कि अब तक जो शव मिले है, उनमें ज्यादा कोल डैम में बरामद किए गए। इसलिए अब रेस्क्यू दल का फोकस समेज के बजाय सुन्नी के कोल डैम में ज्यादा रहेगा। इसके लिए सतलुज किनारे सर्च अभियान तेज किया जाएगा। प्रदेश में 41 लोग अभी भी लापता 6 दिन से सर्च ऑपरेशन के बाद समेज में 33, चौहारघाटी में 1, कुल्लू के बाघीपुल में 5 और श्रीखंड के सिंघगाड़ से 2 व्यक्ति अभी भी लापता है। प्रदेश में कुल मिलाकर 41 लोगों का अभी भी सुराग नहीं लग पाया है। कहां से कितने लोग लापता हुए प्रदेश में बुधवार आधी रात बादल फटने के बाद 36 लोग समेज खड्ड की बाढ़ में बह गए। कुर्पण खड्ड की बाढ़ में बाघीपुल से 7 लोग बहे। श्रीखंड के रास्ते में सिंघगाड़ से 2 लोग लापता हुए, जबकि मंडी की चौहारघाटी के राजबन गांव लैंडस्लाइड में 3 परिवारों के 11 लोग दब गए थे। अब तक कहां कितने शव मिले मंडी की चौहारघाटी में 9 शव मिले है। यहां पर 1 लड़के का अभी भी सुराग नहीं लग पाया। कुल्लू के बागीपुल में भी 2 शव मिले है, यहां पर भी अभी 5 लोग लापता है। समेज में 36 लोग लापता है। 3 की पहचान हो गई है, जबकि 6 शवों की पहचान होनी है।
हिमाचल का गांव, जहां दिवाली मनाने से डरते हैं लोग:इस दिन घरों में नहीं जलते दीपक, ग्रामीण बोले- त्योहार मनाया तो लगेगी आग
हिमाचल का गांव, जहां दिवाली मनाने से डरते हैं लोग:इस दिन घरों में नहीं जलते दीपक, ग्रामीण बोले- त्योहार मनाया तो लगेगी आग देशभर में आज दिवाली उत्साह के साथ मनाई जा रही है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक गांव ऐसा है जहां पर लोग दिवाली मनाने से डरते हैं। दरअसल, 500 से ज्यादा की आबादी वाले सम्मू गांव के लोगों का मानना है कि उनका गांव श्रापित है, जिस वजह से यहां पर दिवाली मनाने से परहेज की जाती है। लोगों के अंदर श्राप का डर इस तरह घर कर चुका है कि दिवाली वाले दिन लोग घरों में पकवान बनाने से भी डरते हैं। हालांकि, नई पीढ़ी के बच्चे अब थोड़े बहुत पटाखे फोड़ लेते हैं और कुछ लोग अपने घरों में दीप भी जला लेते हैं, लेकिन ज्यादातर ग्रामीण गांव के अंदर इस त्योहार को ना मनाने की सलाह देते हैं। गांव के बुजुर्गों का मानना है की श्राप की वजह से यहां दिवाली का जश्न नहीं मनाया जाता। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो गांव में आपदा आती है या फिर उसके घर में आग लग जाती है। श्राप के कारण दशकों ने नहीं मनाई गई दिवाली सम्मू गांव हमीरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां दिवाली पर कोई रौनक नहीं दिखती। भोरंज पंचायत की प्रधान पूजा कुमारी बताती हैं कि बुजुर्ग लोगों के अनुसार काफी साल पहले गांव की ही एक महिला के पति की मौत हो गई थी। जिससे महिला सती हो गई और तब उस महिला ने श्राप दिया कि आज के बाद गांव में कोई दिवाली नहीं मना पाएगा। इस दौरान प्रधान ने बताया कि गांव में कुछ लोग अब पटाखे भी फोड़ते हैं और दीप भी जलाते है, लेकिन घरों में पकवान तो बिल्कुल नहीं बनाए जाते। बातचीत के दौरान खुद प्रधान ने माना कि व्यक्तिगत तौर पर वह भी दिवाली नहीं मनाती हैं वहीं, गांव के ही 70 वर्षीय विधि चंद के अनुसार, कई पीढ़ियों से गांव में दिवाली नहीं मनाई गई है। गांव को इस श्राप से मुक्त करवाने के लिए कई बार हवन-यज्ञ तक का सहारा लिया गया, लेकिन सब विफल रहा। दिवाली मनाने निकली थी, पति की हुई मौत
प्रधान पूजा कुमारी ने बताया कई दशकों पहले दिवाली के दिन गांव की ही एक महिला अपने पति के साथ सती हो गई थी। महिला इस पर्व को मनाने के लिए मायके जाने को निकली थी। उसका पति राजा के दरबार में सैनिक था। मगर जैसे ही महिला गांव से कुछ दूर पहुंची तो उसे पता चला कि उसके पति की मौत हो गई है। पति के शव को ग्रामीण ला रहे थे। तब गर्भवती पत्नी, पति की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और वह अपने पति के साथ ही सती हो गई। जाते-जाते महिला ने गांव को श्राप दिया कि इस गांव के लोग कभी दिवाली नहीं मना पाएंगे। तब से सम्मू गांव में दिवाली नहीं मनाई जाती। यहां पर कुछ लोग सती की मूर्ति की पूजा भी करते हैं। दिवाली मनाई तो घर में लगी आग
गांव के बुजुर्गों का मानना है कि कुछ साल पहले एक व्यक्ति ने दिवाली मनाने की कोशिश की तो उसके घर में आग लग गई। तब से उस परिवार ने गांव ही छोड़ दिया और अब वो लोग कांगड़ा जिले के नगरोटा में रहते हैं।