हिमाचल में मानसून धीरे धीरे रफ्तार पकड़ रहा है। पांच जिले शिमला, मंडी, सोलन, बिलासपुर और ऊना में बीते 48 घंटे के दौरान अच्छी बारिश हुई है। इससे खासकर मंडी जिला के अलग अलग क्षेत्रों में खूब तबाही हुई है। मंडी में मंगलवार रात हुई भारी बारिश से मनाली-चंडीगढ़ नेशनल हाइवे को पंडोह के पास में फिर से खतरा पैदा हो गया है। यहां पर NH आधा फीट नीचे धंस गया है। यहां लगभग 45 करोड़ की लागत से बनाया गया डंगा भी धंस रहा है। कटौला कैंची के पास पहाड़ी से मलबा आने से हाइवे वन वे कर दिया गया है। सराज में एक गाड़ी व एक बाइक मलबे में दब गई और एक मकान को भी नुकसान पहुंचा है। बारिश के बाद मंडी जिला में 60 सड़कें वाहनों के लिए बंद हो गई है। मौसम विभाग की माने तो प्रदेश में अगले 9 जुलाई तक लगातार बारिश होने के आसार है। खासकर कल और परसो कुछेक स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। जाहिर है कि इससे प्रदेशवासियों की मुश्किलें ओर बढ़ेगी। मानसून सीजन में नॉर्मल से 44% कम बारिश हालांकि अब तक मानसून कमजोर रहा है। प्रदेश में पूरे मानसून सीजन के दौरान एक जून से 3 जुलाई तक नॉर्मल से 44 प्रतिशत कम बारिश हुई है। किन्नौर जिला में नॉर्मल से 63 प्रतिशत और शिमला में 24 प्रतिशत कम बरसात हुई है। एक सप्ताह में 5 जिलों में नॉर्मल से ज्यादा बारिश प्रदेश में बीते एक सप्ताह के दौरान यानी 26 जून से 3 जुलाई के बीच नॉर्मल से 12 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इस दौरान मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर, शिमला और ऊना जिला में नॉर्मल से ज्यादा बारिश हुई है। अन्य सभी जिलों में नॉर्मल से कम बादल बरसे हैं। मंडी जिला में नॉर्मल से 56 प्रतिशत ज्यादा, शिमला में 54 प्रतिशत, हमीरपुर में 31% और ऊना व बिलासपुर में 15-15% ज्यादा बारिश हुई है, जबकि चंबा में 14% कम, कांगड़ा में 11%, किन्नौर में 56%, कुल्लू में 53 %, लाहौल स्पीति में 92%, सिरमौर में 57% और सोलन में 25% कम बारिश हुई है। हिमाचल में मानसून धीरे धीरे रफ्तार पकड़ रहा है। पांच जिले शिमला, मंडी, सोलन, बिलासपुर और ऊना में बीते 48 घंटे के दौरान अच्छी बारिश हुई है। इससे खासकर मंडी जिला के अलग अलग क्षेत्रों में खूब तबाही हुई है। मंडी में मंगलवार रात हुई भारी बारिश से मनाली-चंडीगढ़ नेशनल हाइवे को पंडोह के पास में फिर से खतरा पैदा हो गया है। यहां पर NH आधा फीट नीचे धंस गया है। यहां लगभग 45 करोड़ की लागत से बनाया गया डंगा भी धंस रहा है। कटौला कैंची के पास पहाड़ी से मलबा आने से हाइवे वन वे कर दिया गया है। सराज में एक गाड़ी व एक बाइक मलबे में दब गई और एक मकान को भी नुकसान पहुंचा है। बारिश के बाद मंडी जिला में 60 सड़कें वाहनों के लिए बंद हो गई है। मौसम विभाग की माने तो प्रदेश में अगले 9 जुलाई तक लगातार बारिश होने के आसार है। खासकर कल और परसो कुछेक स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। जाहिर है कि इससे प्रदेशवासियों की मुश्किलें ओर बढ़ेगी। मानसून सीजन में नॉर्मल से 44% कम बारिश हालांकि अब तक मानसून कमजोर रहा है। प्रदेश में पूरे मानसून सीजन के दौरान एक जून से 3 जुलाई तक नॉर्मल से 44 प्रतिशत कम बारिश हुई है। किन्नौर जिला में नॉर्मल से 63 प्रतिशत और शिमला में 24 प्रतिशत कम बरसात हुई है। एक सप्ताह में 5 जिलों में नॉर्मल से ज्यादा बारिश प्रदेश में बीते एक सप्ताह के दौरान यानी 26 जून से 3 जुलाई के बीच नॉर्मल से 12 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इस दौरान मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर, शिमला और ऊना जिला में नॉर्मल से ज्यादा बारिश हुई है। अन्य सभी जिलों में नॉर्मल से कम बादल बरसे हैं। मंडी जिला में नॉर्मल से 56 प्रतिशत ज्यादा, शिमला में 54 प्रतिशत, हमीरपुर में 31% और ऊना व बिलासपुर में 15-15% ज्यादा बारिश हुई है, जबकि चंबा में 14% कम, कांगड़ा में 11%, किन्नौर में 56%, कुल्लू में 53 %, लाहौल स्पीति में 92%, सिरमौर में 57% और सोलन में 25% कम बारिश हुई है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल हाईकोर्ट से अडानी पावर को झटका:280 करोड़ का अपफ्रंट प्रीमियम राशि लौटाने से इनकार; प्रदेश सरकार को राहत हिमाचल हाईकोर्ट (HC) ने जंगी थोपन पवारी हाइड्रो प्रोजेक्ट से जुड़े केस में अडानी पावर को झटका और प्रदेश सरकार को बड़ी राहत प्रदान की है। HC की डिवीजन बैंच ने वीरवार को सिंगल बैंच के पूर्व में आए फैसले को पलटते हुए अडानी पावर को 280 करोड़ रुपए की अपफ्रंट प्रीमियम राशि लौटाने के फैसले को पलट डाला है। जस्टिस विवेक ठाकुर और बिपिन चंद्र नेगी की बेंच ने कहा, प्रीमियम राशि के लिए अडानी समूह हकदार नहीं है, जबकि हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने सरकार को आदेश दिए थे कि दो माह में राशि वापस करे, नहीं तो सालाना 9 फीसदी ब्याज सहित राशि देनी होगी। दरअसल, हिमाचल सरकार ने टैंडर के आधार पर जंगी थोपन प्रोजेक्ट 2006 में ब्रैकल कंपनी को दिया था। तब कंपनी ने 280 करोड़ रुपए सरकार को अपफ्रंट प्रीमियम के तौर पर सरकार के पास जमा कराए थे। हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने कहा, ब्रैकल कंपनी ने जंगी थोपन प्रोजेक्ट फ्रॉड करके हासिल किया था। यह फ्रॉड अदालत में भी साबित हो चुका है। इसके बाद रिलायंस को प्रोजेक्ट दिया गया। मगर 2016 में रिलायंस ने इस प्रोजेक्ट को बनाने से इनकार कर दिया। इस मामले में नया मोड़ तब आया, जब अडानी पावर कंपनी ने 280 करोड़ रुपए का अपफ्रंट प्रीमियम प्रदेश सरकार से ब्याज सहित मांगा। प्रदेश सरकार ने अडानी समूह की इस मांग को खारिज कर दिया और कहा, अडानी पावर से प्रदेश सरकार का कोई संबंध नहीं। इसके खिलाफ अडानी पावर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने कुछ समय पहले अडानी पावर के पक्ष में फैसला सुनाया। कहा कि प्रदेश सरकार 280 करोड़ अडानी पावर को वापस करें। सिंगल बैंच के फैसले को सरकार ने दी चुनौती सिंगल बैंच के इसी फैसले को प्रदेश सरकार ने डबल बैंच में चुनौती दी। प्रदेश सरकार ने अदालत में कहा कि ब्रैकल कंपनी ने फ्रॉड करके प्रोजेक्ट हासिल किया है। सरकार ने अदालत में कहा, हिमाचल गवर्नमेंट और अडानी पावर के बीच कभी भी कोई एग्रीमेंट नहीं हुआ। सरकार ने ब्रैकल कंपनी के साथ जरूर एग्रीमेंट किया था। ऐसे में अडानी समूह अपफ्रंट प्रीमियम का हकदार नहीं है। अगर अपफ्रंट प्रीमियम बनता है तो वह ब्रैकल का बनता था। मगर ब्रैकल का फ्रॉड साबित होने के बाद यह कंपनी भी प्रीमियम की हकदार नहीं रही। पुराना है ब्रैकल और जंगी थोपन का विवाद ब्रैकल कंपनी और जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट का विवाद वर्षों पुराना है। वर्ष 2006 में राज्य सरकार ने जंगी थोपन प्रोजेक्ट का आवंटन ब्रेकल को किया था। 960 मेगावाट क्षमता के इस प्रोजेक्ट के लिए बिड में रिलायंस दूसरे स्थान पर थी। तत्कालीन धूमल सरकार को जब मालूम पड़ा कि कंपनी ने फर्जी दस्तावेज जमा किए है तो धूमल सरकार ने इसकी जांच का जिम्मा विजिलेंस को सौंपा। इसके बाद सत्ता परिवर्तन हुआ और पूर्व वीरभद्र सरकार ने जंगी थोपन प्रोजेक्ट अडानी को देने का निर्णय लिया। लेकिन जयराम सरकार ने कंपनी पर वित्तीय बिड में गलती का आरोप लगाते हुए अपफ्रंट मनी लौटाए बगैर यह प्रोजेक्ट सतलुज जल विद्युत निगम (SJVNL) को दे दिया। इसके बाद अडानी समूह हाईकोर्ट में अपफ्रंट मनी को लेकर लड़ाई लड़ता रहा। सिंगल बैंच में अडानी लड़ाई जीत गया। मगर डबल बैंच में हार गया। सरकार को करोड़ों की राजस्व हानि इस प्रोजेक्ट के कारण राज्य सरकार को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हुई है। यदि प्रोजेक्ट समय पर तैयार हो गया होता इससे सरकार को रॉयल्टी के तौर पर करोड़ों की राशि सरकारी खजाने में मिल गई होती। अनूप रत्न ने कहा, इस प्रोजेक्ट के निर्माण में देरी की वजह से 9 से 10 हजार करोड़ रुपए का सरकार को नुकसान हो चुका है।