हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लोकसभा चुनाव की परीक्षा में फेल हुए। मगर विधानसभा उप चुनाव में छह में से चार सीटों पर जीतकर सुक्खू मजबूत नेता के तौर पर उभरे हैं। इस जीत ने पार्टी के भीतर भी विरोध के स्वरों पर विराम लगाया है। सरकार पर आया सियासी संकट भी टला है। यही वजह है कि दो रोज पहले कांग्रेस विधायक दल ने भी प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री सुक्खू के नेतृत्व में भरोसा जाहिर किया और चट्टान की तरह मुख्यमंत्री के साथ खड़े होने का दावा किया। सुक्खू सरकार को आगामी 10 जुलाई को एक ओर इम्तिहान देना है। इस इम्तिहान में भी सबसे ज्यादा साख सीएम सुक्खू की दाव पर लगी हुई है, क्योंकि हमीरपुर और देहरा दो विधानसभा सीटें मुख्यमंत्री सुक्खू के गृह संसदीय क्षेत्र हमीरपुर में पड़ती है। 2022 में इन सीटों पर कांग्रेस को मिली थी हार इन दोनों सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई थी और इस बार लोकसभा चुनाव में भी इन दोनों सीटों से बीजेपी प्रत्याशी अनुराग ठाकुर को बढ़त मिली है। अब इन सीटों पर सत्तारूढ़ कांग्रेस को चुनाव लड़ना है। देहरा और हमीरपुर के अलावा नालागढ़ में भी सरकार की परीक्षा होने वाली है। इन चुनाव में कांग्रेस जीतती है तो हिमाचल से पूरे देश में कांग्रेस की मजबूती का संदेश जाएगा। 6 बागियों की बगावत भी काम नहीं आई राजनीति के जानकारों की माने तो कांग्रेस के छह बागी विधायकों की बगावत के बाद सरकार पर सियासी संकट टालना आसान नहीं था। उप चुनाव में कांग्रेस की हार हुई तो CM सुक्खू की कुर्सी खतरे में पड़ जाती। मगर अब 65 विधायकों वाली विधानसभा में पूर्ण बहुमत के आंकड़े से कांग्रेस के पास 5 विधायक ज्यादा हो गए हैं। यदि 10 जुलाई को प्रस्तावित तीनों सीटों पर कांग्रेस उप चुनाव हार भी जाती है तब भी कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत से तीन विधायक ज्यादा हो गए हैं। कांग्रेस के पास अभी 38 विधायक और भाजपा के पास 27 MLA है, जबकि तीन पर उप चुनाव चल रहा है। भविष्य में कोई विधायक बगावत की हिम्मत नहीं कर पाएगा: संजीव हिमाचल के वरिष्ठ पत्रकार संजीव शर्मा ने बताया कि लोकसभा चुनाव में जरूर कांग्रेस की हार हुई है। मगर विधानसभा उप चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन रहा। इससे कांग्रेस बहुमत में आ गई है। अब सरकार पर कोई खतरा नहीं रहा। उन्होंने बताया कि जिस तरह छह विधायक अनसीट किए गए, उससे आगे भी कोई विधायक पार्टी छोड़ने या बगावत कि हिम्मत नहीं करेगा। बीजेपी ने भी अब हिमाचल सरकार बदलेगा, यह कहना छोड़ दिया है। लोकसभा में इसलिए हुई सुक्खू सरकार की किरकिरी लोकसभा चुनाव की बात करें तो सत्तारूढ़ कांग्रेस व मुख्यमंत्री की देशभर में किरकिरी हुई है, क्योंकि पूरे देश में जब I.N.D.I.A. गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया है। ऐसे में हिमाचल की सत्तारूढ़ कांग्रेस से गठबंधन को बहुत ज्यादा उम्मीदें थी। मगर प्रदेश की जनता ने लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार कांग्रेस का सुपड़ा साफ किया है। आर्थिक मोर्चे पर घिरेंगे सुक्खू जानकारों की माने तो उप चुनाव के नतीजों से सरकार पर सियासी संकट तो टाल दिया है। मगर आर्थिक मोर्चे पर सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय है। प्रदेश सरकार पर लगभग 85 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। लगभग 11 हजार करोड़ रुपए की कर्मचारियों व पेंशनर के छठे वेतनमान के एरियर की देनदारी बकाया है। इस बीच सरकार ने 18 साल से अधिक आयु की सभी महिलाओं को 1500 रुपए देने की घोषणा और इसकी नोटिफिकेशन जारी कर रखी है। इससे सरकार पर वित्तीय बोझ ओर बढ़ेगा। मुख्यमंत्री सुक्खू के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों की सैलरी व पेंशनर की पेंशन देने और विकास कार्य निरंतर जारी रखने की होगी। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लोकसभा चुनाव की परीक्षा में फेल हुए। मगर विधानसभा उप चुनाव में छह में से चार सीटों पर जीतकर सुक्खू मजबूत नेता के तौर पर उभरे हैं। इस जीत ने पार्टी के भीतर भी विरोध के स्वरों पर विराम लगाया है। सरकार पर आया सियासी संकट भी टला है। यही वजह है कि दो रोज पहले कांग्रेस विधायक दल ने भी प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री सुक्खू के नेतृत्व में भरोसा जाहिर किया और चट्टान की तरह मुख्यमंत्री के साथ खड़े होने का दावा किया। सुक्खू सरकार को आगामी 10 जुलाई को एक ओर इम्तिहान देना है। इस इम्तिहान में भी सबसे ज्यादा साख सीएम सुक्खू की दाव पर लगी हुई है, क्योंकि हमीरपुर और देहरा दो विधानसभा सीटें मुख्यमंत्री सुक्खू के गृह संसदीय क्षेत्र हमीरपुर में पड़ती है। 2022 में इन सीटों पर कांग्रेस को मिली थी हार इन दोनों सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई थी और इस बार लोकसभा चुनाव में भी इन दोनों सीटों से बीजेपी प्रत्याशी अनुराग ठाकुर को बढ़त मिली है। अब इन सीटों पर सत्तारूढ़ कांग्रेस को चुनाव लड़ना है। देहरा और हमीरपुर के अलावा नालागढ़ में भी सरकार की परीक्षा होने वाली है। इन चुनाव में कांग्रेस जीतती है तो हिमाचल से पूरे देश में कांग्रेस की मजबूती का संदेश जाएगा। 6 बागियों की बगावत भी काम नहीं आई राजनीति के जानकारों की माने तो कांग्रेस के छह बागी विधायकों की बगावत के बाद सरकार पर सियासी संकट टालना आसान नहीं था। उप चुनाव में कांग्रेस की हार हुई तो CM सुक्खू की कुर्सी खतरे में पड़ जाती। मगर अब 65 विधायकों वाली विधानसभा में पूर्ण बहुमत के आंकड़े से कांग्रेस के पास 5 विधायक ज्यादा हो गए हैं। यदि 10 जुलाई को प्रस्तावित तीनों सीटों पर कांग्रेस उप चुनाव हार भी जाती है तब भी कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत से तीन विधायक ज्यादा हो गए हैं। कांग्रेस के पास अभी 38 विधायक और भाजपा के पास 27 MLA है, जबकि तीन पर उप चुनाव चल रहा है। भविष्य में कोई विधायक बगावत की हिम्मत नहीं कर पाएगा: संजीव हिमाचल के वरिष्ठ पत्रकार संजीव शर्मा ने बताया कि लोकसभा चुनाव में जरूर कांग्रेस की हार हुई है। मगर विधानसभा उप चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन रहा। इससे कांग्रेस बहुमत में आ गई है। अब सरकार पर कोई खतरा नहीं रहा। उन्होंने बताया कि जिस तरह छह विधायक अनसीट किए गए, उससे आगे भी कोई विधायक पार्टी छोड़ने या बगावत कि हिम्मत नहीं करेगा। बीजेपी ने भी अब हिमाचल सरकार बदलेगा, यह कहना छोड़ दिया है। लोकसभा में इसलिए हुई सुक्खू सरकार की किरकिरी लोकसभा चुनाव की बात करें तो सत्तारूढ़ कांग्रेस व मुख्यमंत्री की देशभर में किरकिरी हुई है, क्योंकि पूरे देश में जब I.N.D.I.A. गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया है। ऐसे में हिमाचल की सत्तारूढ़ कांग्रेस से गठबंधन को बहुत ज्यादा उम्मीदें थी। मगर प्रदेश की जनता ने लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार कांग्रेस का सुपड़ा साफ किया है। आर्थिक मोर्चे पर घिरेंगे सुक्खू जानकारों की माने तो उप चुनाव के नतीजों से सरकार पर सियासी संकट तो टाल दिया है। मगर आर्थिक मोर्चे पर सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय है। प्रदेश सरकार पर लगभग 85 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। लगभग 11 हजार करोड़ रुपए की कर्मचारियों व पेंशनर के छठे वेतनमान के एरियर की देनदारी बकाया है। इस बीच सरकार ने 18 साल से अधिक आयु की सभी महिलाओं को 1500 रुपए देने की घोषणा और इसकी नोटिफिकेशन जारी कर रखी है। इससे सरकार पर वित्तीय बोझ ओर बढ़ेगा। मुख्यमंत्री सुक्खू के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों की सैलरी व पेंशनर की पेंशन देने और विकास कार्य निरंतर जारी रखने की होगी। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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शिमला के US क्लब पर ब्यूरोक्रेट की नजर:IAS क्लब बनाना चाह रहे: अफसरशाही से ज्यादा बीवियों का दबाव, दफ्तर खाली करने के फरमान हिमाचल की राजधानी शिमला में 1844 में बने US (यूनाइटेड सर्विस) क्लब को GAD (सामान्य प्रशासन विभाग) ने एक बार फिर से खाली करने के आदेश जारी किए है। इसे रैनोवेशन (जीर्णोद्धार) के नाम पर खाली कराया जा रहा है। इसमें अभी पांच दफ्तर चल रहे हैं। GAD के आदेशों के बाद इसमें चल रहे कुछ विभागों ने नए दफ्तरों की तलाश शुरू कर दी है। इसके लिए अखबार में बाकायदा टेंडर प्रकाशित कर दिए गए है। जाहिर है कि इससे सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ेगा और हर साल लाखों रुपए किराए पर खर्च करने पड़ेंगे। US क्लब पर कब्जे की होड़ US क्लब शिमला का दिल कहे जाने वाले रिज व मॉल रोड के बिल्कुल साथ है। इसलिए हिमाचल की ब्यूरोक्रेसी US क्लब की हेरिटेज बिल्डिंग में ‘IAS क्लब’ बनाना चाह रही है। यहां पर अफसरशाही व इनकी पत्नियों के लिए मॉल जाना व खाना-पीना आसान होगा और गाड़ियों की पार्किंग की भी सुविधा मौजूद है। सूत्र बताते हैं कि इस जगह के लिए अफसरशाही से ज्यादा इनकी बीवियों का दबाव है। US क्लब में अभी ये पांच दफ्तर US क्लब से मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के पर्यटन ड्रीम प्रोजेक्ट का दफ्तर चल रहा है। इसके अलावा रोपवे ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (RTDC), जल शक्ति विभाग के वाइस चेयरमैन, एक्सईएन PWD इलेक्ट्रिकल और एक्सईएन हॉर्टिकल्चर का दफ्तर चल रहा है। CM सुक्खू को नहीं कानोकान खबर US क्लब में 5 साल पहले तक प्रमुख अभियंता जल शक्ति विभाग का दफ्तर भी चलता था। पांच साल पहले जल शक्ति विभाग का दफ्तर यहां से ISBT टूटीकंडी के समीप अपनी बिल्डिंग में शिफ्ट हो गया। तब से लेकर राज्य की अफसरशाही US क्लब पर कब्जे के प्रयास कर रही है और पूर्व भाजपा सरकार में कई बार IAS इसे लेकर मुख्यमंत्री से भी मिलते रहे हैं। मौजूदा CM सुखविंदर सुक्खू को इसकी भनक तक नहीं है, क्योंकि मुख्यमंत्री सुक्खू ने विधानसभा में कहा था कि जो सरकारी दफ्तर निजी बिल्डिंग में चल रहे हैं, उन्हें जल्दी सरकारी भवनों में शिफ्ट किया जाए। सरकार निजी भवनों के किराए पर खर्चा नहीं करेगी। सरकार पर पड़ेगा लाखों रुपए का अतिरिक्त बोझ GAD के नोटिस के हिमाचल प्रदेश टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने बाकायदा अखबार में इश्तिहार देकर नए दफ्तर के लिए कोटेशन मांग ली है। तीन अन्य दफ्तर भी अब नए ऑफिस के लिए हाथ-पांव चला रहे हैं। जाहिर है कि इन्हें खाली करने के बाद यदि निजी बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया तो सरकार पर इससे लाखों रुपए मासिक का अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला है।
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CM सुक्खू BJP विधायक के बेटे की शादी में पहुंचे:चर्चाओं का बाजार गर्म; सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम में जन-समस्याएं सुन रहे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बीती शाम को भाजपा के पूर्व विधायक बलदेव शर्मा के बेटे के शादी समारोह में शामिल हुए। इसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है, क्योंकि कई मुख्यमंत्री के नादौन विधानसभा क्षेत्र की कई पंचायतों में बलदेव शर्मा का अच्छा प्रभाव मना जाता है। चुनावी समीकरणों के गुणा-भाग की वजह से सीएम सुक्खू के शादी में शामिल होने को लेकर चर्चाएं हो रही है। वहीं सीएम सुक्खू आज ‘सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम के तहत हमीरपुर के पुतड़ियाल गांव में लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं। मुख्यमंत्री यहां जनता की समस्याओं का मौके पर निपटारा कर रहे हैं। इस दौरान सीएम ने कहा, सरकार ने इस कार्यक्रम की शुरुआत शिमला जिले के दुर्गम क्षेत्र डोडराक्वार से की है। यह कार्यक्रम सरकार और जनता के बीच सीधे संवाद की सुविधा प्रदान करता है, जिससे समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित होता है। साथ ही क्षेत्रीय विकास में सहायता के लिए जनता के सुझावों को भी शामिल किया जाता है। सेरा में भी सुनी लोगों की समस्याएं पुतड़ियाल से पहले सीएम ने हमीरपुर के नादौन विधानसभा क्षेत्र के सेरा रेस्ट हाउस में भी लोगों की समस्याएं सुनी और अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर उनका समाधान करने के निर्देश दिए। इस दौरान देहरा के विधायक कमलेश ठाकुर, कांगड़ा सहकारी प्राथमिक, कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के अध्यक्ष राम चंदर पठानिया, कांग्रेस नेता सुरेंद्र मनकोटिया, कांग्रेस नादौन ब्लॉक अध्यक्ष कैप्टन पृथ्वी चंद, उपायुक्त अमरजीत सिंह, पुलिस अधीक्षक हमीरपुर भगत सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
सीएम सुख्खू ने किया ट्रामा सेंटर लेवल-दो का उद्घाटन:टांडा मेडिकल कॉलेज में 10.27 करोड़ की लागत से हुआ निर्मित; 95 पद स्वीकृत
सीएम सुख्खू ने किया ट्रामा सेंटर लेवल-दो का उद्घाटन:टांडा मेडिकल कॉलेज में 10.27 करोड़ की लागत से हुआ निर्मित; 95 पद स्वीकृत कांगड़ा में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालय, टांडा में ट्रामा सेंटर लेवल-दो का उद्घाटन किया। जिसे 10.27 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है। ट्रामा सेंटर में मशीनरी और उपकरणों की खरीद पर 6 करोड़ रुपए, निर्माण कार्यां पर 1.50 करोड़ रुपए और अन्य संबद्ध सेवाओं पर 2.77 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। सीएम ने टांडा मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में चरणबद्ध तरीके से सुविधाओं को बढ़ा रही है। सरकार का उद्देश्य प्रदेश में उच्च गुणवत्तायुक्त उपचार विकल्प प्रदान करना है, ताकि मरीजों को कहीं और जाने की आवश्यकता न पडे़। टांडा मेडिकल कॉलेज में सालाना 5.89 लाख मरीज आते हैं सीएम ने कहा कि टांडा मेडिकल कॉलेज में सालाना लगभग 5.89 लाख मरीज इलाज के लिए आते हैं। जिसके दृष्टिगत सुधारों की तत्काल आवश्यकता है। टांडा में एक उच्चस्तरीय लैब स्थापित की जाएगी। जिसकी तैयारी चल रही है। सभी मेडिकल कॉलेज अपनी मांगें रखें और प्रदेश सरकार हर अनुरोध को स्वीकार करेगी। बीते दो वर्षों में टांडा मेडिकल कॉलेज में किए गए सुधारों के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। मरीजों को काफी लाभ हुआ है। कार्डियालॉजी विभाग में नई प्रक्रियाएं शुरू की गई हैं। जिनमें सफल वाल्व रिप्लेसमेंट, जन्मजात हृदय दोष का उपचार और हृदय ट्यूमर सर्जरी आदि शामिल हैं। अब टांडा में रेनल डिनर्वेशन की भी शुरुआत की गई है। ट्रामा सेंटर लिए 95 पद स्वीकृत सुक्खू ने कहा कि ट्रामा सेंटर के लिए विभिन्न श्रेणियों के 95 पद स्वीकृत किए गए हैं। इनमें न्यूरो सर्जन का एक पद, एनेस्थीटिस्ट के तीन पद, ऑर्थोपेडिक सर्जन का एक पद, कैजुअल्टी मेडिकल अधिकारी के आठ पद, स्टाफ नर्स के 40 पद, नर्सिंग अटेंडेंट के 16 पद, ऑपरेशन थियेटर तकनीशियन के पांच पद, रेडियोग्राफर के चार पद, लैब तकनीशियन के दो पद तथा मल्टीटास्क वर्कर के 15 पद शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 72 पदों पर नियुक्ति की जा चुकी है, शेष पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है।