हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और केंद्रीय शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच आज शिमला में महत्वपूर्ण मीटिंग होने जा रही है। इसमें शानन प्रोजेक्ट पर स्वामित्व, भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) में हिमाचल हिस्सेदारी समेत कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा होगी। दरअसल, शानन प्रोजेक्ट अभी पंजाब सरकार के पास है। 99 साल की लीज पूरी हो गई है। करार के हिसाब से यह प्रोजेक्ट हिमाचल को मिलना चाहिए। मगर, 200 करोड़ की आय देने वाले इस प्रोजेक्ट को पंजाब सरकार इसे हिमाचल को देने को तैयार नहीं है। यह प्रोजेक्ट मंडी जिला के जोगेंद्रनगर में स्थापित है। हिमाचल सरकार बार-बार इस प्रोजेक्ट को हिमाचल प्रदेश को हैंड-ओवर करने का आग्रह केंद्र से कर चुकी है। लिहाजा आज मुख्यमंत्री सुक्खू, केंद्रीय मंत्री से इस प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा करेंगे। हिमाचल ने BBMB से लेना है 4000 करोड़ इसी तरह BBMB में हिमाचल की 4000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की देनदारी बकाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद इसका भुगतान नहीं किया जा रहा। सुप्रीम कोर्ट ने 27-9-2011 को हिमाचल के पक्ष में फैसला दिया और बीबीएमबी की तरफ से परिचालित विद्युत परियोजनाओं में हिमाचल की हिस्सेदारी 7.19 फीसदी तय की। यह हिस्सेदारी 27 सितंबर से 2011 से प्रदेश को मिलनी शुरू हो गई है। मगर 2011 से पहले का एरियर अभी तक नहीं मिल पाया। 4 महीने पहले भी सीएम सुक्खू ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर BBMB में हिस्सेदारी दिलाने का मामला उठाया था। वाटर सेस और पावर प्रोजेक्ट को लेकर हो सकती है चर्चा सीएम सुक्खू और केंद्रीय मंत्री के बीच होने वाली मीटिंग में वाटर सेस को लेकर भी चर्चा हो सकती है। एसजेवीएनएल और एनएचपीसी की तरफ से बनाए जाने वाले पावर प्रोजेक्ट में दी जाने वाली निशुल्क पावर रॉयल्टी का मुद्दा भी बैठक में उठेगा। दरअसल, पूर्व जयराम सरकार ने इन प्रोजेक्ट में रॉयल्टी माफ कर दी थी। CM सुक्खू साफ कह चुके हैं कि हिमाचल के हकों को लुटने नहीं दिया जाएगा। मनोहर लाल खट्टर के बाद ऊर्जा के अलावा शहरी विकास मंत्रालय भी है। लिहाजा शहरी विकास विभाग को लेकर भी चर्चा कर सकते हैं। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और केंद्रीय शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच आज शिमला में महत्वपूर्ण मीटिंग होने जा रही है। इसमें शानन प्रोजेक्ट पर स्वामित्व, भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) में हिमाचल हिस्सेदारी समेत कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा होगी। दरअसल, शानन प्रोजेक्ट अभी पंजाब सरकार के पास है। 99 साल की लीज पूरी हो गई है। करार के हिसाब से यह प्रोजेक्ट हिमाचल को मिलना चाहिए। मगर, 200 करोड़ की आय देने वाले इस प्रोजेक्ट को पंजाब सरकार इसे हिमाचल को देने को तैयार नहीं है। यह प्रोजेक्ट मंडी जिला के जोगेंद्रनगर में स्थापित है। हिमाचल सरकार बार-बार इस प्रोजेक्ट को हिमाचल प्रदेश को हैंड-ओवर करने का आग्रह केंद्र से कर चुकी है। लिहाजा आज मुख्यमंत्री सुक्खू, केंद्रीय मंत्री से इस प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा करेंगे। हिमाचल ने BBMB से लेना है 4000 करोड़ इसी तरह BBMB में हिमाचल की 4000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की देनदारी बकाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद इसका भुगतान नहीं किया जा रहा। सुप्रीम कोर्ट ने 27-9-2011 को हिमाचल के पक्ष में फैसला दिया और बीबीएमबी की तरफ से परिचालित विद्युत परियोजनाओं में हिमाचल की हिस्सेदारी 7.19 फीसदी तय की। यह हिस्सेदारी 27 सितंबर से 2011 से प्रदेश को मिलनी शुरू हो गई है। मगर 2011 से पहले का एरियर अभी तक नहीं मिल पाया। 4 महीने पहले भी सीएम सुक्खू ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर BBMB में हिस्सेदारी दिलाने का मामला उठाया था। वाटर सेस और पावर प्रोजेक्ट को लेकर हो सकती है चर्चा सीएम सुक्खू और केंद्रीय मंत्री के बीच होने वाली मीटिंग में वाटर सेस को लेकर भी चर्चा हो सकती है। एसजेवीएनएल और एनएचपीसी की तरफ से बनाए जाने वाले पावर प्रोजेक्ट में दी जाने वाली निशुल्क पावर रॉयल्टी का मुद्दा भी बैठक में उठेगा। दरअसल, पूर्व जयराम सरकार ने इन प्रोजेक्ट में रॉयल्टी माफ कर दी थी। CM सुक्खू साफ कह चुके हैं कि हिमाचल के हकों को लुटने नहीं दिया जाएगा। मनोहर लाल खट्टर के बाद ऊर्जा के अलावा शहरी विकास मंत्रालय भी है। लिहाजा शहरी विकास विभाग को लेकर भी चर्चा कर सकते हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में BJP विधायक पर भड़के वन कर्मचारी:माफी मांगने की दी चेतावनी; सत्तपाल सत्ती द्वारा विधानसभा में दिए बयान से वन अधिकारी कर्मचारी नाराज
हिमाचल में BJP विधायक पर भड़के वन कर्मचारी:माफी मांगने की दी चेतावनी; सत्तपाल सत्ती द्वारा विधानसभा में दिए बयान से वन अधिकारी कर्मचारी नाराज हिमाचल प्रदेश विधानसभा में BJP विधायक सत्तपाल सत्ती के बयान पर वन विभाग के कर्मचारी भड़क उठे हैं। वन विभाग अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने सत्तपाल सत्ती को माफी मानने और अपना बयान वापस लेने की मांग की है। ऐसा नहीं करने पर उन्होंने विधायक का घेराव करने की चेतावनी दी है। वन अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष चांद स्वरूप राणा ने बताया कि सत्ती के बयान से वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों का मनोबल गिरा है। उन्होंने बताया कि वन कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर वन संपदा की रक्षा करते हैं। इसकी रक्षा करते करते कई बार जंगली जानवरों से भिड़ जाते हैं। ऐसे में BJP विधायक द्वारा यह कहना कि वन कर्मियों की मिलीभगत से वन कटान होता है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने बताया कि BJP विधायक यदि अपना बयान वापस नहीं लेते तो कर्मचारी उनका घेराव करेंगे और रोष प्रदर्शन करेंगे।उन्होंने कहा कि अनेकों फॉरेस्ट गार्ड वनों की रक्षा करते करते घायल हुए है। जंगलों की आग बुझाते हुई कई कर्मचारी आग से झुलसे है। कइयों की आंखों की रोशनी तक गायब हुई है। ऐसे में वन कर्मचारियों की पीठ थपथपाने के बजाय इस तरह के बयान देना दुखद और उनका मनोबल गिराने वाला है। सदन में बोले सत्तपाल सत्ती बता दें कि दो रोज पहले BJP विधायक सत्तपाल सत्ती विधानसभा के मानसून सत्र में पर्यावरण के मुद्दे पर बोल रहे थे। इस दौरान सत्ती कुल्लू के बंजार में 400 पेड़ कटान मामले में सदन में बोल रहे थे। सदन में उन्होंने वन अधिकारियों व कर्मचारियों को लपेटते हुए कार्रवाई की मांग की थी।
हिमाचल CM सुक्खू की अचानक तबीयत बिगड़ी:देर रात बीमार हुए, सुबह शिमला IGMC में पहुंचे; कल जम्मू-कश्मीर जाना था
हिमाचल CM सुक्खू की अचानक तबीयत बिगड़ी:देर रात बीमार हुए, सुबह शिमला IGMC में पहुंचे; कल जम्मू-कश्मीर जाना था हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की शनिवार सुबह अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए तुरंत IGMC शिमला लाया गया। जहां डॉक्टरों ने उनके टेस्ट किए। डॉक्टरों ने उन्हें रेस्ट की सलाह दी। डॉक्टरों की जांच के बाद वह शिमला में CM के सरकारी आवास ओक ओवर में लौट गए। सीएम के स्वास्थ्य के बारे में आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राहुल राव ने बताया कि पेट में हल्के दर्द के बाद सीएम स्वास्थ्य जांच को आईजीएमसी पहुंचे थे। अब वह ठीक है और उन्हें घर भेज दिया गया है। उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है और सरकारी आवास ओक ओवर में आराम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीते कल ही कैबिनेट मीटिंग ली और पूरी तरह स्वस्थ थे। देर रात को ही अचानक उनके पेट में दर्द उठा। पहले भी बिगड़ चुकी तबीयत, एम्स भर्ती करवाना पड़ा था
मुख्यमंत्री बीते 7 अक्टूबर माह में भी बीमार पड़े थे। तब डॉक्टरों ने उनके पेट में इन्फेक्शन के साथ साथ पैंक्रियाटाइटिस बताया था। एक सप्ताह तक AIIMS दिल्ली में भर्ती होने के बाद सीएम स्वस्थ होकर लौटे थे। जून 2023 में भी सीएम बीमार पड़े थे। तब उन्होंने चंडीगढ़ के एक प्राइवेट अस्पताल से उपचार कराया था। कल जम्मू कश्मीर जाने का था कार्यक्रम
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अगले कल जम्मू कश्मीर जाना था। कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारक बना रखा है। ऐसे में अब उनके पेट दर्द के बाद उनके जम्मू कश्मीर जाने पर अभी संशय बना हुआ है। IGMC प्रशासन ने जारी किया सीएम का हेल्थ बुलेटिन
IGMC प्रशासन द्वारा जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, सीएम सुक्खू आज सुबह अल्ट्रासाउंड के लिए अस्पताल आए। उन्हें पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द हो रहा था और उनकी परेशानी का कारण जानने के लिए अल्ट्रासाउंड किया गया था। अच्छी बात यह है अल्ट्रासाउंड के परिणाम सामान्य आए। हालांकि, सावधानी के तौर पर खून की जांच भी कराई गई, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी है।
हिमाचल में 24 घंटे के भीतर दूसरी बार भूकंप:3.2 मापी गई तीव्रता; आपदा के बीच बार-बार धरती कांपने से लोग घबराए
हिमाचल में 24 घंटे के भीतर दूसरी बार भूकंप:3.2 मापी गई तीव्रता; आपदा के बीच बार-बार धरती कांपने से लोग घबराए हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले लाहौल स्पीति में 24 घंटे के भीतर दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिएक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.2 मापी गई। जमीन के अंदर इसकी गहराई 5 किलोमीटर रही। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) के मुताबिक, वीरवार सुबह 9 बजकर 49 बजे तीन से चार बार धरती कांपी। बुधवार रात में भी यहां लाहौल स्पीति में 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था। हिमाचल में आपदा के बीच बार-बार भूकंप के झटकों से लोग डरे व सहमे हुए है। हालांकि तीव्रता कम होने के कारण किसी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। लाहौल स्पीति जिला जोन 5 में आता है, जो भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। इसलिए यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। अब जानिए भूकंप क्यों आते हैं? पृथ्वी की सतह मुख्य रूप से 7 बड़ी और कई छोटी टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है। ये प्लेटें लगातार तैरती रहती हैं और कभी-कभी आपस में टकराती हैं। टकराव के कारण कभी-कभी प्लेटों के कोने मुड़ जाते हैं और अत्यधिक दबाव के कारण ये प्लेटें टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकलने वाली ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोज लेती है और इस गड़बड़ी के बाद भूकंप आता है।