अयोध्या में दीपोत्सव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। 28 लाख दीपक जलाने के लिए तेजी से काम चल रहा है। सरयू के घाटों पर दीप कहां जलेंगे, लाइटिंग कैसे और भव्य होगी? इसका ब्लू प्रिंट भी तैयार है। अयोध्या, गोंडा और अंबेडकरनगर के 10-12 गांवों के कुम्हार करीब 12 लाख दीये तैयार कर रहे हैं। बाकी के 16 लाख दीये डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अलग-अलग कंपनियों से तैयार करवा रहा है। पहली बार इतने दीये जलाने की जगह को देखते हुए साइज 10 मिलीलीटर छोटा किया गया है। पहले एक दीये में 40 मिलीलीटर तेल आता था। वहीं इस बार जो दीये तैयार करवाए जा रहे हैं, उनमें 30 मिलीलीटर तेल आएगा। भले ही दीयों का साइज छोटा किया गया हो, लेकिन सरकार कुम्हारों से दीये 35 लाख रुपए में खरीद रही है। अयोध्या के आस-पास के 10 जिलों के कुम्हारों के लिए यह सचमुच यादगार दिवाली होने जा रही है। गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में एक बार फिर अयोध्या का नाम शामिल होना है… आठवां दीपोत्सव हो रहा है, पढ़िए कैसे-कैसे भव्य होता गया… जयसिंहपुर में 40 परिवार तैयार कर रहे दीये दीपोत्सव की तैयारियों को समझने के लिए दैनिक भास्कर अयोध्या के जयसिंहपुर गांव में पहुंचा। अयोध्या राजसदन से दर्शननगर रोड पर करीब 2 किमी. चलने के बाद विद्याकुंड आता है। कुछ दूर आगे चलने पर सड़क के दोनों तरफ कुम्हारों के घर शुरू हो जाते हैं। यहां रहने वाले 40 परिवार दीये तैयार कर रहे हैं। गांव की तरफ बढ़ते हुए हमें घरों के बाहर से धुआं उठता दिखा। ये समझना मुश्किल नहीं था कि यह सब कच्चे दीयों को पकाने के लिए किया जा रहा है। गांव में दाखिल होते ही छप्पर लगे घर दिखे। उनके बाहर दीयों के ढेर थे। तकरीबन हर घर के बाहर चाक लगे थे। गांव वालों ने बताया कि पहले हम लोग यही चाक हाथ से चलाते थे। लेकिन अब इलेक्ट्रानिक चाक मिल चुके हैं। जिससे दीये बनाना ज्यादा आसान हो गया है। कुम्हारों दीये बनाने में जुटे हुए थे। कुछ लोग आधुनिक चाक पर मिट्टी की थाप लगाकर कच्ची मिट्टी को आकार देते हुए दिखाई दिए। वहीं, कुछ महिलाएं मिट्टी का लेव (गीली मिट्टी) तैयार कर रही थीं। तो घर की बेटियां सूखे दीयों को इकट्ठा करती दिखीं। घर के कुछ सदस्य आंवे (जिसमें दीये को पकाते हैं) में दीये लगाते दिखे। यहां बच्चे से लेकर बूढ़े तक दीये और अन्य मिट्टी के सामान बना रहे थे। बातचीत में समझ आया कि हर घर में 10-50 हजार दीये बनाने का ऑर्डर मिला है। दीयों को पकाने की 2 तस्वीर देखिए… राम किशोर बोले- ऑर्डर से 1 महीने पहले से दीये बना रहे
हम गांव की शुरुआत में पड़ने वाले मकान तक पहुंचे। ये राम किशोर प्रजापति का था। हमने पूछा कि तैयारी कैसी है? जवाब मिला- बहुत अच्छी। हमें 1 लाख दीये बनाने का ऑर्डर मिला है। लगभग सभी दीये तैयार हैं। जो बचे हैं, वो भी तैयार कर रहे। उनके पास ही एक महिला बैठी थीं। पूछने पर उन्होंने बताया कि 8 सालों में पहली बार अच्छा ऑर्डर मिला है। हम लोग तो ऑर्डर मिलने से एक महीने पहले ही दीये तैयार करने लगे थे। रविंद्र ने कहा- 10-20 हजार की नौकरी से अच्छा खुद का काम
कुछ दूरी आंवे पर दीये लगा रहे रविंद्र प्रजापति मिले। वह कहते हैं- इस बार ऑर्डर देरी से मिला, लेकिन अच्छा है। 15 से 20 दिन का मौका मिला है। 50 हजार से एक लाख दीये तैयार करने हैं। दीपोत्सव के कारण हम लोगों को दिवाली पर बोनस मिल जाता है। हम लोगों को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। पिछले 6 साल में मिट्टी का कारोबार बढ़ा है, इसलिए अब हम 10-20 हजार की नौकरी करने नहीं जाते हैं। यहीं अपना खुद का कारोबार करते हैं। खतुना देवी बोलीं- दिवाली अच्छी जाएगी
इसके बाद हम कुछ और आगे बढ़े। यहां दीये तैयार करती हुई हमें खतुना देवी मिलीं। वह कहती हैं- दीपोत्सव से बहुत फायदा हुआ है। पहले हम चाक पर दीया बनाते थे, अब बिजली की मशीन पर दीया बनाते हैं, जल्दी हो जाता है। घर के सब लोग मिलकर जल्दी-जल्दी दीये बना रहे हैं। ताकि समय पर काम पूरा किया जा सके। स्कूल से आने के बाद तैयार करते हैं दीये
कुछ दूर चलने पर रास्ते में फूलचंद प्रजापति का घर पड़ा। उनका बेटा सुधीर प्रजापति चाक पर दीये बना रहा था, बेटी कविता और पत्नी साबरमती आवें से तैयार दीयों को निकाल रही थीं। फूलचंद बताते हैं- 50 हजार दीये का ऑर्डर मिला है। 20 अक्टूबर तक दीये तैयार करके देने हैं। हमने पूछा आपको क्या फायदा हो रहा है? वह कहते हैं- इसका इंतजार रहता है। चार पैसा मिलते हैं। उनके बेटे सुधीर बताते हैं- बीएससी की पढ़ाई कर रहे हैं। पिता के साथ कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं। सरकारी नौकरी मिलेगी तो करेंगे, नहीं तो अपने इसी व्यापार को आगे बढ़ाएंगे। उनकी बेटी कविता भी इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रही है। वह भी पिता के काम में हिस्सा बंटा रही है। घाटों पर पहुंचाए गए 5 लाख दीये
छठे दीपोत्सव में जयसिंहपुर के राकेश प्रजापति को भी दीये बनाने का ठेका मिला था। उन्होंने बताया कि इस बार 10 लाख दीये का टेंडर मिला है। सभी दीये यहीं पर तैयार किए गए हैं। करीब 5 लाख दीयों को राम की पैड़ी पर भिजवा दिया गया है। बाकी बचे दीये भी दो से तीन दिन में तैयार करके भेज दिए जाएंगे। कुम्हारों से 32 लाख खरीदेंगे, तब 28 लाख दीये जला पाएंगे
हम ग्राउंड जीरो से होकर सीधे क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी आरपी यादव के पास पहुंचे। उन्होंने बताया- 10 जिलों के कुम्हारों से करीब 32 लाख दीये खरीदे जा रहे हैं। गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने के लिए 25 लाख दीयों का टारगेट रखा गया है। क्योंकि दीये जलते-बुझते रहते हैं, इसलिए 28 लाख दीये बिछाए जाएंगे। दीये जलाने का कार्यक्रम सरयू नदी के 55 घाटों पर होगा। इस उत्सव को लेकर हमारी तैयारी पूरी है। —————————— अब काशी विश्वनाथ मंदिर में 2 बड़े बदलाव पढ़िए… तंदुल महाप्रसादम् महंगा हुआ, सुगम दर्शन 50 रुपए सस्ता; श्रद्धालुओं को अंदर नहीं मिलेगा प्रसाद काशी विश्वनाथ मंदिर की व्यवस्था में 2 बड़े बदलाव हुए हैं। पहला, महाप्रसादम् का रेट महंगा हो गया है। दूसरा, श्रद्धालुओं के लिए सुगम दर्शन सस्ता किया गया है। अब महाप्रसादम् गुजरात की अमूल कंपनी बना रही है। पहले वाराणसी की 2 संस्थाएं प्रसाद तैयार कर रही थीं। नई कंपनी ने काम संभालने के बाद पहला बदलाव दाम में किया। पढ़िए पूरी खबर… अयोध्या में दीपोत्सव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। 28 लाख दीपक जलाने के लिए तेजी से काम चल रहा है। सरयू के घाटों पर दीप कहां जलेंगे, लाइटिंग कैसे और भव्य होगी? इसका ब्लू प्रिंट भी तैयार है। अयोध्या, गोंडा और अंबेडकरनगर के 10-12 गांवों के कुम्हार करीब 12 लाख दीये तैयार कर रहे हैं। बाकी के 16 लाख दीये डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अलग-अलग कंपनियों से तैयार करवा रहा है। पहली बार इतने दीये जलाने की जगह को देखते हुए साइज 10 मिलीलीटर छोटा किया गया है। पहले एक दीये में 40 मिलीलीटर तेल आता था। वहीं इस बार जो दीये तैयार करवाए जा रहे हैं, उनमें 30 मिलीलीटर तेल आएगा। भले ही दीयों का साइज छोटा किया गया हो, लेकिन सरकार कुम्हारों से दीये 35 लाख रुपए में खरीद रही है। अयोध्या के आस-पास के 10 जिलों के कुम्हारों के लिए यह सचमुच यादगार दिवाली होने जा रही है। गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में एक बार फिर अयोध्या का नाम शामिल होना है… आठवां दीपोत्सव हो रहा है, पढ़िए कैसे-कैसे भव्य होता गया… जयसिंहपुर में 40 परिवार तैयार कर रहे दीये दीपोत्सव की तैयारियों को समझने के लिए दैनिक भास्कर अयोध्या के जयसिंहपुर गांव में पहुंचा। अयोध्या राजसदन से दर्शननगर रोड पर करीब 2 किमी. चलने के बाद विद्याकुंड आता है। कुछ दूर आगे चलने पर सड़क के दोनों तरफ कुम्हारों के घर शुरू हो जाते हैं। यहां रहने वाले 40 परिवार दीये तैयार कर रहे हैं। गांव की तरफ बढ़ते हुए हमें घरों के बाहर से धुआं उठता दिखा। ये समझना मुश्किल नहीं था कि यह सब कच्चे दीयों को पकाने के लिए किया जा रहा है। गांव में दाखिल होते ही छप्पर लगे घर दिखे। उनके बाहर दीयों के ढेर थे। तकरीबन हर घर के बाहर चाक लगे थे। गांव वालों ने बताया कि पहले हम लोग यही चाक हाथ से चलाते थे। लेकिन अब इलेक्ट्रानिक चाक मिल चुके हैं। जिससे दीये बनाना ज्यादा आसान हो गया है। कुम्हारों दीये बनाने में जुटे हुए थे। कुछ लोग आधुनिक चाक पर मिट्टी की थाप लगाकर कच्ची मिट्टी को आकार देते हुए दिखाई दिए। वहीं, कुछ महिलाएं मिट्टी का लेव (गीली मिट्टी) तैयार कर रही थीं। तो घर की बेटियां सूखे दीयों को इकट्ठा करती दिखीं। घर के कुछ सदस्य आंवे (जिसमें दीये को पकाते हैं) में दीये लगाते दिखे। यहां बच्चे से लेकर बूढ़े तक दीये और अन्य मिट्टी के सामान बना रहे थे। बातचीत में समझ आया कि हर घर में 10-50 हजार दीये बनाने का ऑर्डर मिला है। दीयों को पकाने की 2 तस्वीर देखिए… राम किशोर बोले- ऑर्डर से 1 महीने पहले से दीये बना रहे
हम गांव की शुरुआत में पड़ने वाले मकान तक पहुंचे। ये राम किशोर प्रजापति का था। हमने पूछा कि तैयारी कैसी है? जवाब मिला- बहुत अच्छी। हमें 1 लाख दीये बनाने का ऑर्डर मिला है। लगभग सभी दीये तैयार हैं। जो बचे हैं, वो भी तैयार कर रहे। उनके पास ही एक महिला बैठी थीं। पूछने पर उन्होंने बताया कि 8 सालों में पहली बार अच्छा ऑर्डर मिला है। हम लोग तो ऑर्डर मिलने से एक महीने पहले ही दीये तैयार करने लगे थे। रविंद्र ने कहा- 10-20 हजार की नौकरी से अच्छा खुद का काम
कुछ दूरी आंवे पर दीये लगा रहे रविंद्र प्रजापति मिले। वह कहते हैं- इस बार ऑर्डर देरी से मिला, लेकिन अच्छा है। 15 से 20 दिन का मौका मिला है। 50 हजार से एक लाख दीये तैयार करने हैं। दीपोत्सव के कारण हम लोगों को दिवाली पर बोनस मिल जाता है। हम लोगों को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। पिछले 6 साल में मिट्टी का कारोबार बढ़ा है, इसलिए अब हम 10-20 हजार की नौकरी करने नहीं जाते हैं। यहीं अपना खुद का कारोबार करते हैं। खतुना देवी बोलीं- दिवाली अच्छी जाएगी
इसके बाद हम कुछ और आगे बढ़े। यहां दीये तैयार करती हुई हमें खतुना देवी मिलीं। वह कहती हैं- दीपोत्सव से बहुत फायदा हुआ है। पहले हम चाक पर दीया बनाते थे, अब बिजली की मशीन पर दीया बनाते हैं, जल्दी हो जाता है। घर के सब लोग मिलकर जल्दी-जल्दी दीये बना रहे हैं। ताकि समय पर काम पूरा किया जा सके। स्कूल से आने के बाद तैयार करते हैं दीये
कुछ दूर चलने पर रास्ते में फूलचंद प्रजापति का घर पड़ा। उनका बेटा सुधीर प्रजापति चाक पर दीये बना रहा था, बेटी कविता और पत्नी साबरमती आवें से तैयार दीयों को निकाल रही थीं। फूलचंद बताते हैं- 50 हजार दीये का ऑर्डर मिला है। 20 अक्टूबर तक दीये तैयार करके देने हैं। हमने पूछा आपको क्या फायदा हो रहा है? वह कहते हैं- इसका इंतजार रहता है। चार पैसा मिलते हैं। उनके बेटे सुधीर बताते हैं- बीएससी की पढ़ाई कर रहे हैं। पिता के साथ कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं। सरकारी नौकरी मिलेगी तो करेंगे, नहीं तो अपने इसी व्यापार को आगे बढ़ाएंगे। उनकी बेटी कविता भी इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रही है। वह भी पिता के काम में हिस्सा बंटा रही है। घाटों पर पहुंचाए गए 5 लाख दीये
छठे दीपोत्सव में जयसिंहपुर के राकेश प्रजापति को भी दीये बनाने का ठेका मिला था। उन्होंने बताया कि इस बार 10 लाख दीये का टेंडर मिला है। सभी दीये यहीं पर तैयार किए गए हैं। करीब 5 लाख दीयों को राम की पैड़ी पर भिजवा दिया गया है। बाकी बचे दीये भी दो से तीन दिन में तैयार करके भेज दिए जाएंगे। कुम्हारों से 32 लाख खरीदेंगे, तब 28 लाख दीये जला पाएंगे
हम ग्राउंड जीरो से होकर सीधे क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी आरपी यादव के पास पहुंचे। उन्होंने बताया- 10 जिलों के कुम्हारों से करीब 32 लाख दीये खरीदे जा रहे हैं। गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने के लिए 25 लाख दीयों का टारगेट रखा गया है। क्योंकि दीये जलते-बुझते रहते हैं, इसलिए 28 लाख दीये बिछाए जाएंगे। दीये जलाने का कार्यक्रम सरयू नदी के 55 घाटों पर होगा। इस उत्सव को लेकर हमारी तैयारी पूरी है। —————————— अब काशी विश्वनाथ मंदिर में 2 बड़े बदलाव पढ़िए… तंदुल महाप्रसादम् महंगा हुआ, सुगम दर्शन 50 रुपए सस्ता; श्रद्धालुओं को अंदर नहीं मिलेगा प्रसाद काशी विश्वनाथ मंदिर की व्यवस्था में 2 बड़े बदलाव हुए हैं। पहला, महाप्रसादम् का रेट महंगा हो गया है। दूसरा, श्रद्धालुओं के लिए सुगम दर्शन सस्ता किया गया है। अब महाप्रसादम् गुजरात की अमूल कंपनी बना रही है। पहले वाराणसी की 2 संस्थाएं प्रसाद तैयार कर रही थीं। नई कंपनी ने काम संभालने के बाद पहला बदलाव दाम में किया। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर