पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट में नहीं की रिपोर्ट पेश:अफसरों-नेताओं पर हुए खर्च का मांगा ब्यौरा; चंडीगढ़ और हरियाणा सरकार को भी आदेश

पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट में नहीं की रिपोर्ट पेश:अफसरों-नेताओं पर हुए खर्च का मांगा ब्यौरा; चंडीगढ़ और हरियाणा सरकार को भी आदेश

पंजाब में कितने लोगों को कितनी सुरक्षा और उस पर कितना खर्च आया इसे लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए 27 मई का समय दिया था। लेकिन पंजाब सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया गया। जिसके बाद 24 घंटे का समय देते हुए हाईकोर्ट ने आज जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। अब इस मामले में देखना ये है कि पंजाब सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया जाता है या फिर पंजाब सरकार रिपोर्ट सबमिट करने के लिए और समय मांगती है। 16 में को दिए थे हाईकोर्ट ने आदेश हाईकोर्ट ने 16 मई को हुई सुनवाई के दौरान पंजाब व हरियाणा सरकार के साथ साथ चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश दिए थे कि 27 मई को अगली सुनवाई तक कोर्ट को विस्तारपूर्वक यह बताया जाए कि कितने व्यक्तियों को पुलिस सुरक्षा दी गई है। कितने जवान सुरक्षा में तैनात हैं और सुरक्षा लेने वाला व्यक्ति किस राजनीतिक पार्टी से जुड़ा है। किस धार्मिक या सामजिक संस्था से जुड़ा है। कितने सेलिब्रेटी हैं और कितने ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें जान-माल के खतरे को देखते हुए सुरक्षा दी गई। तीनों को विस्तार पूर्वक रिपोर्ट देनी होगी जिसका जिम्मा पुलिस प्रमुखों का होगा। कोर्ट ने कहा कि यह भी बताया जाए कि सुरक्षा में कितने पुलिस वाले और किस रैंक के कर्मी तैनात हैं और सरकारों व प्रशासन पर इसकी एवज में राजस्व का कितना बोझ पड़ा हुआ है। समाज में प्रतिष्ठा बनाने के लिए लोग लेते हैं सुरक्षा जस्टिस मनुजा ने कहा कि पुलिस सुरक्षा लेना, समाज में प्रतिष्ठा बन गई है और शान समझी जाती है जिसका खर्च सरकार वहन कर रही है जो कि असंवैधानिक है। कोर्ट ने सुरक्षा लेने वाले से सुरक्षा का खर्च वसूलने की बात कहते हुए सरकारों व यू.टी. प्रशासन को यह भी बताने को कहा था कि कितने ऐसे लोग हैं जिन्हें धमकी के कारण या बड़े आपराधिक मामलों में गवाह होने के कारण सुरक्षा दी गई है। उनकी आर्थिक स्थिति का पता लगाने को भी कहा गया था। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि अभी कितने वी.आई.पी. और वी.वी.आई.पी. या सेलिब्रेटी सुरक्षा का खर्च दे रहे हैं और कितना राजस्व सरकार को मिल रहा है। और समय मिलना अब मुश्किल पंजाब सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि चुनावी माहौल चल रहा है, राज्य में वी.वी.आई.पी. मूवमैंट है, मंगलवार को प्रधानमंत्री का दौरा है इसलिए डी.जी.पी. को राज्य में रहना अनिवार्य है। अधिवक्ता ने कोर्ट से सुरक्षा खर्च का ब्यौरा एकत्रित करने और खर्च वसूलने की ड्राफ्ट पॉलिसी बनाने को समय की मांग की। जिस पर कोर्ट ने समय देने से इंकार करते हुए अधिवक्ता को सरकार से बात कर 5 बजे से पहले यह बताने को कहा कि क्या मंगलवार तक विस्तृत ड्राफ्ट रिपोर्ट कोर्ट में पेश हो सकती है या नहीं। अधिवक्ता ने कुछ देर बाद कोर्ट में हामी भरी कि मंगलवार को पंजाब सरकार की ओर से ड्राफ्ट रिपोर्ट पेश कर दी जाएगी। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई मंगलवार 2 बजे तक स्थगित कर दी। चंडीगढ़ प्रशासन और हरियाणा सरकार को भी इस सम्बन्ध में पक्ष रखने के आदेश दिए गए हैं। पंजाब में कितने लोगों को कितनी सुरक्षा और उस पर कितना खर्च आया इसे लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए 27 मई का समय दिया था। लेकिन पंजाब सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया गया। जिसके बाद 24 घंटे का समय देते हुए हाईकोर्ट ने आज जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। अब इस मामले में देखना ये है कि पंजाब सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया जाता है या फिर पंजाब सरकार रिपोर्ट सबमिट करने के लिए और समय मांगती है। 16 में को दिए थे हाईकोर्ट ने आदेश हाईकोर्ट ने 16 मई को हुई सुनवाई के दौरान पंजाब व हरियाणा सरकार के साथ साथ चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश दिए थे कि 27 मई को अगली सुनवाई तक कोर्ट को विस्तारपूर्वक यह बताया जाए कि कितने व्यक्तियों को पुलिस सुरक्षा दी गई है। कितने जवान सुरक्षा में तैनात हैं और सुरक्षा लेने वाला व्यक्ति किस राजनीतिक पार्टी से जुड़ा है। किस धार्मिक या सामजिक संस्था से जुड़ा है। कितने सेलिब्रेटी हैं और कितने ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें जान-माल के खतरे को देखते हुए सुरक्षा दी गई। तीनों को विस्तार पूर्वक रिपोर्ट देनी होगी जिसका जिम्मा पुलिस प्रमुखों का होगा। कोर्ट ने कहा कि यह भी बताया जाए कि सुरक्षा में कितने पुलिस वाले और किस रैंक के कर्मी तैनात हैं और सरकारों व प्रशासन पर इसकी एवज में राजस्व का कितना बोझ पड़ा हुआ है। समाज में प्रतिष्ठा बनाने के लिए लोग लेते हैं सुरक्षा जस्टिस मनुजा ने कहा कि पुलिस सुरक्षा लेना, समाज में प्रतिष्ठा बन गई है और शान समझी जाती है जिसका खर्च सरकार वहन कर रही है जो कि असंवैधानिक है। कोर्ट ने सुरक्षा लेने वाले से सुरक्षा का खर्च वसूलने की बात कहते हुए सरकारों व यू.टी. प्रशासन को यह भी बताने को कहा था कि कितने ऐसे लोग हैं जिन्हें धमकी के कारण या बड़े आपराधिक मामलों में गवाह होने के कारण सुरक्षा दी गई है। उनकी आर्थिक स्थिति का पता लगाने को भी कहा गया था। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि अभी कितने वी.आई.पी. और वी.वी.आई.पी. या सेलिब्रेटी सुरक्षा का खर्च दे रहे हैं और कितना राजस्व सरकार को मिल रहा है। और समय मिलना अब मुश्किल पंजाब सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि चुनावी माहौल चल रहा है, राज्य में वी.वी.आई.पी. मूवमैंट है, मंगलवार को प्रधानमंत्री का दौरा है इसलिए डी.जी.पी. को राज्य में रहना अनिवार्य है। अधिवक्ता ने कोर्ट से सुरक्षा खर्च का ब्यौरा एकत्रित करने और खर्च वसूलने की ड्राफ्ट पॉलिसी बनाने को समय की मांग की। जिस पर कोर्ट ने समय देने से इंकार करते हुए अधिवक्ता को सरकार से बात कर 5 बजे से पहले यह बताने को कहा कि क्या मंगलवार तक विस्तृत ड्राफ्ट रिपोर्ट कोर्ट में पेश हो सकती है या नहीं। अधिवक्ता ने कुछ देर बाद कोर्ट में हामी भरी कि मंगलवार को पंजाब सरकार की ओर से ड्राफ्ट रिपोर्ट पेश कर दी जाएगी। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई मंगलवार 2 बजे तक स्थगित कर दी। चंडीगढ़ प्रशासन और हरियाणा सरकार को भी इस सम्बन्ध में पक्ष रखने के आदेश दिए गए हैं।   पंजाब | दैनिक भास्कर