पंजाब यूनिवर्सिटी के लोकतांत्रिक ढांचे पर केंद्र सरकार के कदम को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने कड़ा विरोध जताया है। आज AAP पंजाब के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा के नेतृत्व में राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की और पंजाब यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक संरचना की रक्षा करने की अपील की।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर, मलविंदर सिंह कंग, विधायक दिनेश चड्ढा, वरिष्ठ नेता गोल्डी कंबोज, दविंदर सिंह लाडी ढोंस, छात्र नेता वतनवीर गिल, और पीयू सीनेट सदस्य आई.पी. सिद्धू और रविंदर धालीवाल।
केंद्र का नोटिफिकेशन:
28 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट की कानूनी सदस्य संख्या 90 से घटाकर सिर्फ 31 कर दी गई। इनमें से 13 सदस्य सीधे केंद्र द्वारा मनोनीत होंगे। AAP ने इसे पंजाब और यूनिवर्सिटी के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया।
AAP नेताओं के बयान:
- हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पंजाब यूनिवर्सिटी के लोकतांत्रिक ढांचे को खत्म करके शैक्षणिक संस्थानों पर कब्जा करना चाहती है। उनका कहना है कि बीबीएमबी पर कब्जा करने के बाद अब केंद्र यूनिवर्सिटी को निशाना बना रहा है।
- मलविंदर सिंह कंग ने बताया कि यह नोटिफिकेशन गैर-संवैधानिक है और पंजाब यूनिवर्सिटी एक्ट, 1947 का उल्लंघन करता है। शिक्षा मंत्रालय का अधिकार नहीं कि वह राज्य के कानून के माध्यम से स्थापित संस्थाओं में बदलाव करे।
- गुरमीत सिंह मीत हेयर ने कहा कि यूनिवर्सिटी सिर्फ एक शिक्षा संस्थान नहीं, बल्कि पंजाबियों की भावनाओं और पहचान का हिस्सा है। बंटवारे के बाद यह पंजाबियों के लिए पुनर्जन्म का प्रतीक बनी।
AAP की मांगें:
- 28 अक्टूबर के नोटिफिकेशन और 4 नवंबर के स्थगन आदेश को स्थायी रूप से वापस लिया जाए।
- सीनेट और सिंडिकेट को पंजाब यूनिवर्सिटी एक्ट, 1947 और पंजाब पुनर्गठन एक्ट, 1966 के अनुसार बहाल किया जाए।
- पंजाब यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा की जाए।
पंजाब यूनिवर्सिटी का महत्व:
- यह यूनिवर्सिटी पंजाब की ऐतिहासिक और भावनात्मक विरासत है।
- पंजाब के 200 से अधिक कॉलेजों और लाखों छात्रों पर इस फैसले का असर पड़ेगा।
- AAP का कहना है कि यह सिर्फ यूनिवर्सिटी का मामला नहीं, बल्कि पंजाब की पहचान और स्वाभिमान का मुद्दा है।
AAP ने यह भी कहा कि भगवंत मान सरकार पंजाब के छात्रों, शिक्षकों और अकादमिक संस्थानों के साथ मिलकर केंद्र के हस्तक्षेप से पंजाब की संस्थाओं और पहचान को बचाने के लिए संघर्ष जारी रखेगी।


