उत्तरकाशी में फिर महसूस किए गए भूकंप के झटके, 6 दिन में नौवीं बार हिली धरती, दहशत में लोग

उत्तरकाशी में फिर महसूस किए गए भूकंप के झटके, 6 दिन में नौवीं बार हिली धरती, दहशत में लोग <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarkashi News:</strong> उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में शुक्रवार सुबह एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 2.07 मापी गई. बीते 6 दिनों में यह नौवां झटका है, जिससे क्षेत्र के लोगों में दहशत का माहौल है. हालांकि, किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है. भूकंप के झटके से लोगों में डर का माहौल है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शुक्रवार सुबह 9 बजकर 29 मिनट पर आए इस भूकंप का केंद्र बड़कोट तहसील के सरुताल झील, फुच-कंडी और यमुनोत्री रेंज वन क्षेत्र में था. जिला आपदा कंट्रोल रूम के अनुसार, गुरुवार शाम को भी उत्तरकाशी मुख्यालय और आसपास के क्षेत्रों में भूकंप महसूस किया गया था. गुरुवार को आए झटके की तीव्रता 2.7 मापी गई और इसका केंद्र भी यमुनोत्री रेंज में ही था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रशासन भूकंप के प्रभावों का आकलन कर रहा है<br /></strong>उत्तरकाशी के लोग बीते छह दिनों से बार-बार आ रहे भूकंप के झटकों से डरे हुए हैं. इससे पहले 24 और 25 जनवरी को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. उस दौरान वरुणावत पर्वत के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र से मलबा और पत्थर गिरने की घटनाएं सामने आई थीं. उन झटकों की तीव्रता क्रमशः 3.0 और 2.0 मापी गई थी. लगातार झटकों के कारणों से स्थानीय लोग आशंकित हैं. कई लोगों ने घरों से बाहर रहना शुरू कर दिया है, तो कुछ लोग भूकंप से बचाव के उपायों को लेकर चर्चा कर रहे हैं. स्थानीय प्रशासन भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है और भूकंप के प्रभावों का आकलन कर रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>भूवैज्ञानिकों का मानना है कि लगातार आ रहे छोटे झटके बड़े भूकंप की संभावना को कम भी कर सकते हैं, लेकिन यह किसी बड़े भूकंप का संकेत भी हो सकते हैं. उत्तरकाशी भूकंप के लिहाज से संवेदनशील जोन में आता है और 1991 में यहां 6.8 तीव्रता का भयानक भूकंप आया था, जिसमें भारी तबाही हुई थी. विशेषज्ञों ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि भूकंप के समय घबराने के बजाय खुले स्थान पर जाना चाहिए और मजबूत संरचनाओं से दूर रहना चाहिए. प्रशासन भी भूकंप से बचाव के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने पर विचार कर रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जिला प्रशासन ने अफवाहों पर ध्यान ने देने की बात कही<br /></strong>जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और सतर्क रहें. उत्तरकाशी जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने कहा कि प्रशासन की टीम हर झटके के बाद स्थिति का आकलन कर रही है और किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. उत्तरकाशी और आसपास के क्षेत्रों में बार-बार भूकंप के झटकों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. हालांकि, फिलहाल किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन बार-बार कांप रही धरती लोगों को डराने लगी है. स्थानीय लोग प्रशासन से इस स्थिति पर ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/maha-kumbh-three-stampedes-occurred-on-mauni-amavsya-snan-crack-on-pontoon-bridge-2874349″>महाकुंभ में एक नहीं तीन भगदड़ मची! पांटून ब्रिज में भी आई थी दरार, चश्मदीद बोले- पुलिस नदारद, गंगाजल छिड़क कर बचाई जान</a></strong></p>

Nainital News: रामनगर वन प्रभाग में फेज 4 तकनीक से बाघों की गणना, 350 कैमरा ट्रैप में कैद हुई बाघों की चहल-कदमी

Nainital News: रामनगर वन प्रभाग में फेज 4 तकनीक से बाघों की गणना, 350 कैमरा ट्रैप में कैद हुई बाघों की चहल-कदमी <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड के रामनगर वन प्रभाग में पहली बार फेज 4 विधि से बाघों की गणना की जा रही है. अब तक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बाहर इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जाता था, लेकिन इस बार रामनगर वन प्रभाग के जंगलों में भी आधुनिक तकनीक का उपयोग कर बाघों की सही संख्या का आकलन किया जा रहा है. इसके लिए 350 कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं, जिनमें से हर एक में बाघों की चहलकदमी दर्ज हुई है. इससे यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि रामनगर वन प्रभाग में बाघों की संख्या संतोषजनक है और संभवतः बढ़ भी रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रामनगर वन प्रभाग के डीएफओ दिगंत नायक ने बताया कि फेज 4 विधि के तहत गणना का काम दिसंबर 2024 में शुरू हुआ था. पहले चरण में रामनगर वन प्रभाग की तीन प्रमुख रेंज- कोसी, कोटा और देचौरी- में 110 प्वाइंट चिन्हित किए गए थे, जहां 220 कैमरा ट्रैप लगाए गए. इन सभी कैमरा ट्रैप में बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई, जिससे वन विभाग काफी उत्साहित है. डीएफओ नायक के अनुसार, इस पहल का मुख्य उद्देश्य बाघों की सही संख्या जानने के साथ-साथ उनकी गतिविधियों और संरक्षण के लिए आवश्यक कदमों को तय करना है. इससे पहले, रामनगर वन प्रभाग को बाघों की गणना के लिए हर चार साल में एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) द्वारा कराई जाने वाली ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन रिपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कालाढूंगी और फतेहपुर रेंज में 65 प्वाइंट किए गए चिन्हित</strong><br />पहले चरण की सफलता के बाद अब वन विभाग दूसरे चरण की तैयारियों में जुट गया है. दूसरे चरण में रामनगर वन प्रभाग के कालाढूंगी और फतेहपुर रेंज में 65 प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं. यहां 1 फरवरी से 130 और कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे, जिससे जंगल के इन हिस्सों में बाघों की उपस्थिति का पता लगाया जा सके. वन विभाग का मानना है कि इस गणना से पहले के मुकाबले अधिक बाघों की मौजूदगी सामने आ सकती है. पिछली बार 2022 में ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन के तहत हुई गणना में रामनगर वन प्रभाग में 67 बाघों की मौजूदगी पाई गई थी. अब जबकि फेज 4 विधि से हर साल गणना होगी, तो इससे बाघों की सही संख्या का पता लग सकेगा और उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए जा सकेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>फेज 4 विधि एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसका उपयोग हर साल टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना के लिए किया जाता है. इसके तहत जंगल के अलग-अलग हिस्सों में हाई-रिजॉल्यूशन कैमरा ट्रैप लगाए जाते हैं, जो जंगल में घूमने वाले बाघों की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड करते हैं. इन कैमरों को विशेष तकनीक से इस तरह सेट किया जाता है कि जब भी कोई बाघ उनके सामने से गुजरता है, तो उसकी तस्वीर खींची जाती है. इन तस्वीरों का विश्लेषण कर बाघों की संख्या और उनकी पहचान की जाती है. यह विधि अधिक सटीक मानी जाती है, क्योंकि इससे दोबारा गिनती की संभावना कम रहती है और बाघों की स्पष्ट पहचान हो सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नई तकनीक से वन विभाग को है काफी उम्मीदें</strong><br />बाघों की गणना के लिए अपनाई गई इस नई तकनीक से वन विभाग को काफी उम्मीदें हैं. डीएफओ दिगंत नायक ने बताया कि शुरुआती आंकड़े उत्साहजनक हैं और संकेत दे रहे हैं कि रामनगर वन प्रभाग में बाघों की संख्या बढ़ रही है. वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अलावा रामनगर वन प्रभाग भी बाघों के लिए उपयुक्त पर्यावास बन चुका है. यहां घने जंगल, पानी के स्रोत और पर्याप्त शिकार उपलब्ध होने के कारण बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि, वन विभाग इस इलाके में बाघों और इंसानों के टकराव को रोकने के लिए विशेष कदम उठा रहा है, ताकि जंगल से लगे गांवों में सुरक्षा बनी रहे.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>वन विभाग के मुताबिक, यह गणना मार्च 2025 के अंत तक पूरी कर ली जाएगी. इसके बाद मिले आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा और फिर नियमानुसार नतीजों की घोषणा होगी. यदि इस गणना में बाघों की संख्या बढ़ी हुई पाई जाती है, तो यह वन्यजीव संरक्षण के लिए एक बड़ी सफलता मानी जाएगी. इस पहल से वन विभाग को न केवल बाघों की सटीक संख्या का पता चलेगा, बल्कि यह भी समझने में मदद मिलेगी कि किन क्षेत्रों में बाघ अधिक सक्रिय हैं और कहां पर विशेष संरक्षण की जरूरत है. यह पहली बार है जब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बाहर किसी अन्य वन क्षेत्र में इस विधि से गणना हो रही है, जिससे यह प्रक्रिया ऐतिहासिक बन गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मार्च में आने वाले नतीजों पर टिकी सबकी निगाहें</strong><br />रामनगर वन प्रभाग में पहली बार फेज 4 विधि से बाघों की गणना होना वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. यह पहल भविष्य में बाघों के संरक्षण की रणनीतियों को तय करने में मदद करेगी. प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, रामनगर वन प्रभाग में बाघों की मौजूदगी संतोषजनक है, और यह संभावना जताई जा रही है कि इनकी संख्या बढ़ी हुई मिलेगी. अब सभी की नजरें मार्च में आने वाले नतीजों पर टिकी हैं, जिससे यह साफ होगा कि रामनगर वन प्रभाग में बाघों की वास्तविक स्थिति क्या है. यदि यह गणना सफल होती है, तो भविष्य में अन्य वन क्षेत्रों में भी इसी तरह की तकनीक अपनाई जा सकती है, जिससे बाघों के संरक्षण को और मजबूती मिलेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें : <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/maha-kumbh-stampede-case-cbi-may-inquire-case-the-matter-reached-the-court-2874321″><strong>महाकुंभ भगदड़ मामले में होगी सीबीआई की एंट्री? कोर्ट पहुंचा मामला, जल्द हो सकती है सुनवाई</strong></a></p>

Moradabad News: मुरादाबाद में रेप पीड़िता ने छत से लगाई छलांग, अस्पताल में कराया गया भर्ती, आरोपी गिरफ्तार

Moradabad News: मुरादाबाद में रेप पीड़िता ने छत से लगाई छलांग, अस्पताल में कराया गया भर्ती, आरोपी गिरफ्तार <p style=”text-align: justify;”><strong>Moradabad Crime:</strong> उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में ब्लैकमेलिंग से परेशान रेप पीड़िता छात्रा ने छत से छलांग लगा दी, आरोपी उसे वीडियो दिखाकर ब्लैकमेल कर रहा था. &nbsp;बदनामी के डर से वह चुप्प रहती थी, अपने परिवार को भी अपने साथ हुई घटना के बारे में नहीं बताया था. अस्पताल में भर्ती पीड़िता के बयान के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. मामला मझोला थाना क्षेत्र के जयंतीपुर मोहल्ले में ब्रह्मपुरी कालोनी का है. यहां रहने वाली आठवीं की एक छात्रा ने छत से छलांग लगा दी, परिजन उसे लेकर निजी अस्पताल पहुंचे, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>छात्रा के पिता ने पुलिस को बताया कि, उनकी आठवीं में पढ़ने वाली 15 साल की बेटी कुछ दिन पहले रोजाना की तरह घर से स्कूल जाने के लिए निकली थी, रास्ते में जयंतीपुर मोहल्ले में शराब की हट्टी वाली गली में रहने वाले चेतन ने उसे रोक लिया और कहा, मेरी बहन तुझे घर पर बुला रही है. चेतन ने छात्रा को घर में बंद कर उसके साथ रेप किया. आरोपी ने उसे धमकी दी कि अगर घर जाकर किसी को इस घटना के बारे में बताया तो वीडियो वायरल कर देगा. इससे परेशान होकर छात्रा गुमसुम रहने लगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर भेजा</strong> जेल<br />परिजनों का आरोप है कि इसी वीडियो के दम पर आरोपी चेतन ने कई बार छात्रा के साथ रेप किया, इससे परेशान छात्रा कल घर की छत से कूद गई. नाजुक हालत में छात्रा को शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. छात्रा के दोनों पैरों की हड्डियां टूट गई हैं और रीढ़ की हड्डी में भी फ्रैक्चर है. इस मामले में मझोला पुलिस ने पीड़िता के पिता की शिकायत मिलते ही आरोपी चेतन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लिया है. मुरादाबाद के एसपी सिटी कुमार रण विजय सिंह ने बताया कि आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है. आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है. आगे की वैधानिक कार्यवाही जारी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/uttar-pradesh-tableau-gets-first-position-in-republic-day-parade-ann-2874209″><strong>गणतंत्र दिवस की परेड में महाकुंभ की झांकी ने किया आकर्षित, यूपी को मिला पहला स्थान</strong></a></p>

फर्जी एनकाउंटर केस में 2 पूर्व पुलिसकर्मी दोषी:मोहाली सीबीआई कोर्ट 4 फरवरी को सुनाएगी सजा; आर्मी जवान और नाबालिग को मारा था

फर्जी एनकाउंटर केस में 2 पूर्व पुलिसकर्मी दोषी:मोहाली सीबीआई कोर्ट 4 फरवरी को सुनाएगी सजा; आर्मी जवान और नाबालिग को मारा था पंजाब के अमृतसर जिले में 1992 में दो लोगों के फर्जी एनकाउंटर से जुड़े मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने दो पूर्व पुलिस मुलाजिमों को दोषी ठहराया है। दोषियों में पुरुषोत्तम सिंह तत्कालीन थानेदार मजीठा और एसआई गुरभिंदर सिंह शामिल हैं। उन्हें हत्या व साजिश रचने के आरोप में दोषी करार दिया गया है। दोषियों को सजा 4 फरवरी को सुनाई जाएगी। जबकि इंस्पेक्टर चमन लाल और डीएसपी एसएस सिद्धू को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया। हालांकि उस समय वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा दावा किया गया था कि उक्त दोनों कट्टर आतंकवादी थे, जिन पर इमाम घोषित था । वे हत्या, जबरन वसूली, डकैती आदि के सैकड़ों मामलों में शामिल थे। हरभजन सिंह उर्फ ​​शिंदी यानी पंजाब की बेअंत सिंह सरकार में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गुरमेज सिंह के बेटे की हत्या भी शामिल था। हालांकि असल में इनमें एक आर्मी का जवान और दूसरा 16 साल का नाबालिग था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू की जांच इस मामले की जांच सीबीआई ने 1995 ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू की थी। सीबीआई की जांच में सामने आया कि बलदेव सिंह उर्फ ​​देबा को 6 अगस्त 1992 एसआई मोहिंदर सिंह और हरभजन सिंह, तत्कालीन एसएचओ पीएस छहरटा के नेतृत्व वाली पुलिस पार्टी ने गांव बसेरके भैनी में उसके घर से उठाया था। इसी तरह लखविंदर सिंह उर्फ ​​लक्खा फोर्ड निवासी गांव सुल्तानविंड को भी 12 सितंबर 1992 को प्रीत नगर अमृतसर में उसके किराए के घर से कुलवंत सिंह नामक एक व्यक्ति के साथ पकड़ा गया था, जिसका नेतृत्व एसआई गुरभिंदर सिंह, तत्कालीन एसएचओ पीएस मजीठा के नेतृत्व वाली पुलिस पार्टी ने किया था, लेकिन बाद में कुलवंत सिंह को छोड़ दिया गया था। फौजी छुट्‌टी पर घर आया हुआ था अमृतसर जिले के भैणी बासकरे के फौजी जवान बलदेव सिंह देवा को जब वह छुट्‌टी आया हुआ था। पुलिस ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया था। इसके बाद झूठा पुलिस मुकाबला दिखाकर उसकी हत्या कर दी थी। दूसरा मामला 16 साल के नाबालिग लखविदंर सिंह की हत्या से जुड़ा हुआ था। उसे भी इसी भी तरह घर से उठाकर मारा था। लेकिन इसके बाद उसका कोई सुराग नहीं लग पाया था। काफी समय तक परिवार वाले उनकी तलाश करते रहे। उन्होंने इस मामले में अदालत तक जंग लड़ी। इसके बाद इन मामलों की जांच पर पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। CBI जांच में पुलिस की कहानी पड़ गई झूठी जांच के दौरान, सीबीआई ने पाया कि पुलिस स्टेशन छेहरटा की पुलिस ने मंत्री के बेटे की हत्या के मामले में देबा और लक्खा को झूठा फंसाया। जिसकी हत्या 23.7.1992 को हुई थी और उसके बाद 12.9.1992 को छेहरटा पुलिस ने उस हत्या के मामले में बलदेव सिंह उर्फ ​​देबा की गिरफ्तारी दिखाई थी और 13.9.1992 को दोनों मारे गए और पुलिस ने कहानी गढ़ी कि हथियार और गोला-बारूद की बरामदगी के लिए बलदेव सिंह उर्फ ​​देबा को गांव संसारा के पास ले जाते समय आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ हुई। इसमें बलदेव सिंह उर्फ ​​देबा और एक हमलावर मारा गया, जिसकी बाद में पहचान लखविंदर सिंह उर्फ ​​लक्खा उर्फ ​​फोर्ड के रूप में हुई। सीबीआई ने निष्कर्ष निकाला कि दोनों को उठाया गया, अवैध हिरासत में रखा गया और फिर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया। पोस्टमार्टम से भी पुलिस का झूठा आया सामना सीबीआई ने यह भी पाया कि पुलिस द्वारा दिखाए गई मुठभेड़ की कथित घटना पर पुलिस वाहनों के दौरे के बारे में लॉग बुक में कोई प्रविष्टि नहीं थी। यहां तक ​​कि पुलिस ने यह भी दिखाया कि मुठभेड़ के दौरान मारे गए अज्ञात हमलावर आतंकवादी की पहचान घायल बलदेव सिंह देबा ने की थी,। हालांकि देबा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उसकी तुरंत मृत्यु हो गई थी, इसलिए उसके द्वारा पहचान की दलील नहीं उठती। 32 गवाहों से 19 की हो चुकी है मौत 30.8.1999 को सीबीआई ने एसएस सिद्धू, हरभजन सिंह, मोहिंदर सिंह, पुरुषोत्तम लाल, चमन लाल, गुरभिंदर सिंह, मोहन सिंह, पुरुषोत्तम सिंह और जस्सा सिंह के खिलाफ अपहरण, आपराधिक साजिश, हत्या, झूठे रिकॉर्ड तैयार करने के लिए चार्जशीट दायर की। लेकिन गवाहों के बयान 2022 के बाद दर्ज किए गए। क्योंकि इस अवधि के दौरान उच्च न्यायालयों के आदेशों पर मामला स्थगित रहा। पीड़ित परिवार के वकील सरबजीत सिंह वेरका ने कहा कि हालांकि सीबीआई ने इस मामले में 37 गवाहों का हवाला दिया था, लेकिन मुकदमे के दौरान केवल 19 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं क्योंकि सीबीआई द्वारा उद्धृत अधिकांश गवाहों की देरी से सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी और अंत में घटना के 32 साल बाद न्याय मिला है। इसी तरह इस विलंबित मुकदमे के दौरान, आरोपी हरभजन सिंह, मोहिंदर सिंह, पुरुषोत्तम लाल, मोहन सिंह और जस्सा सिंह की भी मृत्यु हो गई थी और आरोपी एसएस सिद्धू तत्कालीन डीएसपी, अमृतसर, चमन लाल तत्कालीन सीआईए इंचार्ज, अमृतसर, गुरभिंदर सिंह तत्कालीन एसएचओ पीएस मजीठा और एएसआई पुरुषोत्तम सिंह ने इस मामले में मुकदमे का सामना किया।

आकाशदीप ने अंबेडकर की प्रतिमा के नीचे जलाया था तिरंगा:दुबई में हुआ ब्रेनवॉश; पुलिस ने 5 दिन की रिमांड हासिल किया

आकाशदीप ने अंबेडकर की प्रतिमा के नीचे जलाया था तिरंगा:दुबई में हुआ ब्रेनवॉश; पुलिस ने 5 दिन की रिमांड हासिल किया अमृतसर में विरासती मार्ग पर डॉ. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा का अपमान करने वाले आरोपी आकाशदीप सिंह का दुबई में ब्रेन वॉश किया था। आकाशदीप सिंह का रिमांड खत्म होने के बाद अमृतसर पुलिस उसे दोबारा कोर्ट लेकर पहुंची थी, जहां पुलिस ने उसका 5 दिन का रिमांड हासिल किया। पुलिस ने कोर्ट में बताया कि आरोपी ने एक झंडा बठिंडा में जलाना था, जिसे अभी रिकवर किया जाना है। दलित समाज की तरफ से कोर्ट में पहुंचे वकील अनिल कुमार चीमा ने जानकारी दी कि पुलिस ने अभी आरोपी से एक झंडा बरामद करना है। जिसे वे बठिंडा में जलाने वाला था। शुरुआती जांच में सामने आया है कि आरोपी के लिंक दुबई से जुड़े हैं। दुबई में उसका ब्रेनवॉश किया गया और उसे पंजाब माहौल खराब करने के लिए भेजा गया था। आरोपी ने 26 जनवरी के दिन डॉ. भीम राम अंबेडकर की प्रतिमा के नीचे तिरंगा जलाया था। उसके बाद हथोड़ा लेकर प्रतिमा पर चढ़ गया। पुलिस ने फोन फोरेंसिक जांच के लिए भेजा एसीपी सेंट्रल जसपाल सिंह ने बताया कि आरोपी आकाशदीप से एक फोन बरामद किया गया है, जिसे फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। उसकी रिपोर्ट से सामने आएगा कि आरोपी किस-किस से बात करता था। वहीं, आरोपी से संबंधित सभी लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है। फिलहाल आरोपी का 5 दिन का रिमांड हासिल किया गया है। एसीपी जसपाल ने बताया कि अभी वे अधिक जानकारियां सांझा नहीं कर सकते, क्योंकि जांच अभी चल रही है। हथोड़ा बैग में लेकर पहुंचा था आरोपी वहीं, भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अपमान करने वाले आरोपी की नई वीडियो सामने आई है। प्रतिमा स्थल के सामने स्थित बिल्डिंग में लगे सीसीटीवी में साफ पता चला कि आरोपी अपने साथ बोतल में ज्वलनशील पदार्थ लाया था। जिसके साथ उसने संविधान के प्रतिरूप को जलाने का प्रयास किया। वहीं, दूसरी तरफ प्रतिमा को तोड़ने के लिए भी वे अपने साथ हथोड़ा लेकर आया था। जिसे उसने अपने पीठू बैग में डाल रखा था। सीसीटीवी में वे बैग से हथौड़ा निकालते हुए साफ दिखाई दिया। पुलिस 8 धाराओं के तहत मामला दर्ज कर चुकी पुलिस इस मामले में आरोपी से लगातार पूछताछ कर रही है। घटना के बाद ही पुलिस ने आरोपी के खिलाफ 8 धाराओं के तहत मामला दर्ज कर चुकी है। मामले में पुलिस अभी तक अधिक जानकारी साझा नहीं कर रही।

Mere Husband Ki Biwi: Arjun Kapoor, Rakul Preet Singh’s first look poster unveiled | See here

Mere Husband Ki Biwi: Arjun Kapoor, Rakul Preet Singh’s first look poster unveiled | See here The first poster of Mere Husband Ki Biwi, starring Arjun Kapoor, Rakul Preet Singh and Bhumi Pednekar, is finally unveiled by its makers on social media. After the successful stint in Singham Again, actor Arjun Kapoor is looking forward to continuing the momentum with this upcoming rom-com, which is directed by Mudassar Aziz. Along with the poster, the makers of the film also announced its release date.

ओलिंपियन बॉक्सर मनोज कुमार का संन्यास:कुरुक्षेत्र में तैयार करेंगे रिंग के नए किंग, कोच बोले- एक युग का अंत हुआ

ओलिंपियन बॉक्सर मनोज कुमार का संन्यास:कुरुक्षेत्र में तैयार करेंगे रिंग के नए किंग, कोच बोले- एक युग का अंत हुआ भारतीय मुक्केबाजी के दिग्गज, दो बार के ओलिंपियन, कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण और कांस्य पदक विजेता अर्जुन अवार्डी मनोज कुमार ने खेल से संन्यास का ऐलान कर दिया। उन्होंने अपनी सफलता की यात्रा में उनका साथ देने वाले सभी लोगों का दिल से आभार व्यक्त किया। नई दिल्ली के करनैल सिंह रेलवे स्टेडियम से मनोज कुमार ने यह ऐलान किया। साथ सोशल मीडिया X पर भी जानकारी दी। मनोज ने कहा, किसी भी एथलीट के लिए खेल को अलविदा कहना बेहद भावुक पल होता है। उन्होंने अपने कोच राजेश कुमार राजौंद को उनके त्याग और मार्गदर्शन का श्रेय दिया और अपनी सफलता का आधार बताया। भावुक होकर उन्होंने कहा, “अगर राजेश सर नहीं होते, तो मुझे ओलंपियन बॉक्सर के रूप में पहचान नहीं मिलती। उन्होंने मुझे बड़े सपने दिखाए और उन्हें हासिल करने के लिए मेरे रास्ते में आने वाली हर बाधा को दूर किया।” अपने शुरुआती संघर्षों को याद करते हुए मनोज ने बताया कि किसान का बेटा और सेना में सिपाही होने के नाते, उन्होंने कभी भी सीमित संसाधनों को अपनी लग्न और कड़ी मेहनत के आड़े नहीं आने दिया। कोच राजेश का एक ही लक्ष्य था- मुझे ओलंपियन और अर्जुन पुरस्कार विजेता बनाकर अपने गांव राजौंद का गौरव बढ़ाना। मैंने गरीबी को बहाना नहीं बनाया और अपने लक्ष्य पर अटल रहा। मेरा पूरा जीवन मुक्केबाजी के इर्द-गिर्द घूमता है। समसीपुर गांव में खोली अकादमी
उनकी सेवानिवृत्ति से पहले उनके कोच राजेश कुमार ने उनकी विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए कुरुक्षेत्र के NIT-किरमिच रोड पर समसीपुर गांव में उनके नाम पर मनोज कुमार बॉक्सिंग अकादमी की स्थापना की है। यह अकादमी युवा एथलीटों के साथ हमारे अनुभवों और सबक को साझा करने का एक माध्यम बनेगी, जो ओलिंपिक में भारत के लिए पदक जीतेंगे। कोच ने बनाया रिंग का किंग
मनोज ने अपने कोच राजेश कुमार, अपने भाई और बॉक्सिंग पार्टनर मुकेश कुमार, अपने परिवार, भारतीय रेलवे, बॉक्सिंग फेडरेशन और उन सभी कोचों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने वर्षों तक उनका मार्गदर्शन किया। उनके प्रोत्साहन के कारण ही मैं रिंग का राजा बन पाया। मनोज ने कहा कि संन्यास के बाद वे युवाओं को प्रशिक्षित करने और भारतीय मुक्केबाजी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए खुद को समर्पित करेंगे। उनका मार्गदर्शन और अनुभव आने वाले मुक्केबाजों का मार्गदर्शन करेगा। कोच बोले- मुक्केबाजी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया
मनोज कुमार के संन्यास पर उनके कोच और गुरु राजेश कुमार ने कहा कि मनोज कुमार एक महान मुक्केबाज हैं। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मुक्केबाजी का लोहा मनवाया और मुक्केबाजी काे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी अविश्वसनीय उपलब्धियों और दयालु व्यक्तित्व ने खेल जगत पर अमिट छाप छोड़ी है। कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प, समर्पण और अनुशासन उन्हें एक महान एथलीट बनाते हैं। भावुक होते हुए कहा कि मनोज ने अपने खेल से देश का नाम रोशन किया है। मनोज आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। मनोज के संन्यास से भारतीय मुक्केबाजी में एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनकी उपलब्धियां और मोटिवेशनल व्यक्तित्व उनको एथलीटों और प्रशंसकों के दिलों में हमेशा जीवित रखेगा। मनोज कुमार की प्रमुख अचीवमेंट पुरस्कार और सम्मान:
• अर्जुन अवॉर्ड (2014) – भारत सरकार द्वारा
• भीम अवॉर्ड (2018) – हरियाणा सरकार द्वारा ओलिंपिक प्रदर्शन:
• लंदन ओलिंपिक 2012 – प्री-क्वार्टर फाइनलिस्ट
• रियो ओलिंपिक 2016 – प्री-क्वार्टर फाइनलिस्ट स्वर्ण पदक:
• राष्ट्रमंडल खेल (2010)
• दक्षिण एशियाई खेल (2016)
• ग्रैंड प्रिक्स यूरोपियन बॉक्सिंग टूर्नामेंट
• दोहा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट (2015)
• सीनियर राष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप (2016, 2017) कांस्य पदक:
• राष्ट्रमंडल खेल (2018)
• वर्ल्ड ओलिंपिक क्वालिफाइंग चैंपियनशिप (2016)
• सीनियर एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप (2007, 2013) अन्य प्रमुख अचीवमेंट:
• लगातार तीन वर्षों (2012-2015) तक विश्व रैंकिंग में 6वें स्थान पर
• भारत के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज (2018)
• ऑल इंडिया इंटर रेलवे बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 3 बार “सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज”
• कौन बनेगा करोड़पति (2010) – स्पोर्ट्स स्पेशल एपिसोड में भाग लिया